15-09-2019, 08:53 PM
गुड्डो
और बाहर मेरे देवर ने तुझे दबोच लिया , है न। हँसते हुए मैं बोली।
" एकदम , बहुत बेसबरा है वो " गुड्डो भी हँसते हुए बोली।
मैं उससे क्या बताती , इस घर का हर मर्द बेसबरा है , ये क्या कम ,...
लेकिन मैं फास्ट फारवर्ड करना चाहती थी और गुड्डो अनुज के साथ वाली बात पर वापस आ गयी।
" वो लड़का , सब कुछ अच्छा है , लेकिन बहुत बेसबरा है। "
गुड्डो मुस्कराते हुए बोली।
मैं उससे क्या कहूं सारे लड़के बेसबरे होते हैं। ;
लेकिन गुड्डो को छेड़ते उसके छोटे छोटे चूजों को उसकी कुर्ती के ऊपर से मसलते
मैं बोली ,
" अरे यार लड़कों की नहीं , तेरे इन चूजों का कमाल है "
" सच में वही बरामदे में अनुज ने मेरी कुर्ती के अंदर , ब्रा तो दुलारी ने पहले ही उतार कर कहीं फेंक दी थी , बस वो वहीँ मसलने रगड़ने लगा , ...
लेकिन है वो बड़ा चालाक , मुझे हाथ पकड़ के अँधेरे में एकदम घर के पीछे , वहीँ एक कमरे में जो किराए के गद्दे रजाई आये थे ,...
पता नहीं कहाँ से उसने उस कमरे की ताली का जुगाड़ कर लिया था और अँधेरे में ताला खोलकर , हम दोनों ,..
और वहीँ पड़े गद्दों पर लिटाकर ,... "
" चढ़ गया तेरे ऊपर ,... "
मैंने चिढ़ाया।
" नहीं , नहीं , मैंने लाख मना किया , पर वो कहाँ मानने वाला , मेरी कुर्ती और शलवार दोनों उतरवा के माना।
मैं क्यों छोड़ती मैंने भी खिंच कर उसकी टी शर्ट और शार्ट उतार दी। खूब मस्ती की उसने , मन भर , .. मुझसे वहां पकड़वाया और ,... "
मैंने कस कस के गुड्डो के चूजे उसकी कुर्ती के ऊपर से रगड़ दिए और बोलीं ,
" दुलारी मंझली ननद के क्लास का असर नहीं हुआ तेरे ऊपर लगता है , मुझे भी तेरी रगड़ाई करनी पड़ेगी , बोल न खुल कर के , ...
गुड्डो जोर से खिलखिलाई , ... बोली
आप भी अपने देवर की तरह , ... उसे भी जबतक मैं खुल के बोलूं नहीं , वो जान ले लेगा मेरी , पर बुलवा के रहेगा ,
एकदम सही करता है मैंने सोचा और गुड्डो को छेड़ा
तो बोल न क्या पकड़ा , कैसा है पकड़ने में , ... तू भी न पकड़ने में लाज नहीं , घोंटने में लाज नहीं और नाम लेने में लाज लग रही है तुझे , ...
मेरे ऊपर भी दुलारी का असर हो रहा था।
अब वो हाईकॉलेज वाली खुल के बोलने लगी , बताया उसने , तीन बजा था और जाड़े में सात के पहले तो कोई , इसलिए न उसे जल्दी थी न मेरे देवर को , दूसरे दुलारी ने उसकी बिलिया में इतनी बार रगड़ रगड़ के ऊँगली की थी , अंगूठे से क्लिट मसला था ,
पर पांच छह बार , झड़ने के करीब ले जाकर रोक देती थी , इसलिए वो भी बहुत गर्मायी थी।
जब अनुज ने उसे उकसाया तो उसने खुल के बोल दिया ,
अपने यार का लंड पकड़ी हूँ।
कैसा है , मैं अपने देवर के बारे में जानने की उत्सुकता रोक नहीं पायी।
" मस्त , खूब मोटा कड़ा , नापा थोड़ी मैंने , लेकिन छह इंच से ज्यादा ही होगा , पकड़ने में ही मेरी गिनगीना गयी। "
गुड्डो ने कबूला फिर बोली की , आपके देवर मेरे चूजों के
और एक हाथ कस के पड़ा मेरा उस टीनेजर के चूतड़ पे , ... और उसने सही किया अपने को
"मेरी चूँची के , एकदम देख के ही बस मन करे तो , कभी चूसते हैं तो कभी कचकचा के काट लेते हैं , और मसलना रगड़ना , लेकिन मेरी भी हालत बहुत खराब हो जाती है। "
गुड्डो की बात सुन के मुझे गुड्डी की याद आ रही थी।
सच में लड़कों को कच्ची अमिया का स्वाद भी ,...
वो भी तो ,..
इस समय वो टिकोरे वाली उन के गोद में बैठी होगी , छोटे छोटे टिकोरे तो आ गए हैं न मेरी गुड्डी रानी को पर , ...
दूसरा कोई होता न तो ये मौका कभी नहीं छोड़ता , ... पर ये भी न इतने सीधे हैं , सच्ची एकदम बुद्धू , ...
पर मैं हूँ न कर दूंगी इनके इस सीधेपन का इलाज , ...
जिस तरह से ये देख रहे थे अपनी ममेरी बहन के नए आते छोटे छोटे टिकोरों को साफ़ लग रहा था मन तो उनका कर रहा है , ...
और जो मेरे साजन का मन , वो मेरा मन ,
लेकिन मैंने गुड्डो से अगली बात पूछी , सिर्फ तेरी चूँची ही रगड़ मसल रहा था या , ...
और मेरी बात काट के गुड्डो बोली ,
आप के देवर इत्ते सीधे नहीं हैं , पूरा तिहरा हमला , ... होंठ से कभी गाल तो कभी मेरे जोबन , एक हाथ तो उनका मेरी चूँची रगड़ता ही रहता है , और दूसरा नीचे , मेरी चूत ,...
जैसे मैं लंड उनका मुठिया रही थी ,
वो भी मेरी चूत की दोनों फांके पकड़ के रगड़ रगड़ के ,
एकदम जैसे आपकी मंझली ननद कर रही थी , मैं वैसे ही उन आपकी मंझली ननद और दुलारी के चक्कर में इतनी गरमाई थी ,
और उधर अनुज भी ,
तो तूने बोला मेरे देवर से , मैंने गुड्डो से पूछा ,
" सच में बहुत बदमाश है वो जब मैं तक कम से तीन बार एकदम खुल के नहीं बोल देती , अनुज चोद न , चोद दे मेरी चूत , बहुत मन कर रहा है , चोद न। तब तक वो ऐसे ही , ...
मेरी तो , आग लगी थी एकदम , दुलारी सच में बहुत गन्दी है , कभी अपनी हथेली मेरी चूत पर रगड़ती तो कभी खुद मुझसे मेरी हथेली पकड़ के चूत पर रगड़वाती थी , साथ में गालियां एक से एक , ...
मेरी हालत एकदम खराब थी , ऊपर से आपके देवर भी न , जब मैंने तीन बार बोला तभी ,
तभी मुझे कुछ याद आया , मैंने पूछा
" चुसवाया की नहीं " मैंने पूछ लिया।
" नहीं , हाँ ,...
असल में मैंने ही , होठों से उसका सुपाड़ा थोड़ा सा जस्ट किस कर लिया , ...
दोनों होंठ खोल के , बस पकड़ के ठेल दिया , असल में कल वो दुलारी और ,... वो बात कर रही थीं चूसने चुसवाने की तभी से मेरा ,भी ...
पर उसने तो ऑलमोस्ट आधा , मैं लाख सर पटकने लगी , पर वो नहीं माना , चुसवा के ही ,... "
गुड्डो धीमे धीमे बोली।
" एक बात समझ ले , ... जब एक बार कोई लड़का घुसा लेता है न , तो , वो मानने वाला है नहीं , बिना पूरा पेले ,.... चाहे कोई भी छेद क्यों न हो। " मैंने प्यार से हाईकॉलेज वाली को समझाया।
गुड्डो ने फिर फ़ास्ट फारवर्ड की बात , वहीँ गद्दे पर कुछ देर चुसवाने के बाद , अनुज उसके ऊपर ,... जितनी मसनद तकिया दिखीं चूतड़ों के नीचे लगा कर ,
लेकिन मैं फ़ास्ट फारवर्ड नहीं चाहती थी , मैं चाहती थी , ये बनारस वाली किशोरी जितना चुदवाने की बात खुल के , खोल के बताएगी , उतनी ही उसकी झिझक ख़तम होगी और खुद ही वो , टाँगे फैला कर , ...
मैंने उसे टोक दिया ,
" हे कित्ते देर तक पेला तेरे यार ने , ... कब तक ,... "
और बाहर मेरे देवर ने तुझे दबोच लिया , है न। हँसते हुए मैं बोली।
" एकदम , बहुत बेसबरा है वो " गुड्डो भी हँसते हुए बोली।
मैं उससे क्या बताती , इस घर का हर मर्द बेसबरा है , ये क्या कम ,...
लेकिन मैं फास्ट फारवर्ड करना चाहती थी और गुड्डो अनुज के साथ वाली बात पर वापस आ गयी।
" वो लड़का , सब कुछ अच्छा है , लेकिन बहुत बेसबरा है। "
गुड्डो मुस्कराते हुए बोली।
मैं उससे क्या कहूं सारे लड़के बेसबरे होते हैं। ;
लेकिन गुड्डो को छेड़ते उसके छोटे छोटे चूजों को उसकी कुर्ती के ऊपर से मसलते
मैं बोली ,
" अरे यार लड़कों की नहीं , तेरे इन चूजों का कमाल है "
" सच में वही बरामदे में अनुज ने मेरी कुर्ती के अंदर , ब्रा तो दुलारी ने पहले ही उतार कर कहीं फेंक दी थी , बस वो वहीँ मसलने रगड़ने लगा , ...
लेकिन है वो बड़ा चालाक , मुझे हाथ पकड़ के अँधेरे में एकदम घर के पीछे , वहीँ एक कमरे में जो किराए के गद्दे रजाई आये थे ,...
पता नहीं कहाँ से उसने उस कमरे की ताली का जुगाड़ कर लिया था और अँधेरे में ताला खोलकर , हम दोनों ,..
और वहीँ पड़े गद्दों पर लिटाकर ,... "
" चढ़ गया तेरे ऊपर ,... "
मैंने चिढ़ाया।
" नहीं , नहीं , मैंने लाख मना किया , पर वो कहाँ मानने वाला , मेरी कुर्ती और शलवार दोनों उतरवा के माना।
मैं क्यों छोड़ती मैंने भी खिंच कर उसकी टी शर्ट और शार्ट उतार दी। खूब मस्ती की उसने , मन भर , .. मुझसे वहां पकड़वाया और ,... "
मैंने कस कस के गुड्डो के चूजे उसकी कुर्ती के ऊपर से रगड़ दिए और बोलीं ,
" दुलारी मंझली ननद के क्लास का असर नहीं हुआ तेरे ऊपर लगता है , मुझे भी तेरी रगड़ाई करनी पड़ेगी , बोल न खुल कर के , ...
गुड्डो जोर से खिलखिलाई , ... बोली
आप भी अपने देवर की तरह , ... उसे भी जबतक मैं खुल के बोलूं नहीं , वो जान ले लेगा मेरी , पर बुलवा के रहेगा ,
एकदम सही करता है मैंने सोचा और गुड्डो को छेड़ा
तो बोल न क्या पकड़ा , कैसा है पकड़ने में , ... तू भी न पकड़ने में लाज नहीं , घोंटने में लाज नहीं और नाम लेने में लाज लग रही है तुझे , ...
मेरे ऊपर भी दुलारी का असर हो रहा था।
अब वो हाईकॉलेज वाली खुल के बोलने लगी , बताया उसने , तीन बजा था और जाड़े में सात के पहले तो कोई , इसलिए न उसे जल्दी थी न मेरे देवर को , दूसरे दुलारी ने उसकी बिलिया में इतनी बार रगड़ रगड़ के ऊँगली की थी , अंगूठे से क्लिट मसला था ,
पर पांच छह बार , झड़ने के करीब ले जाकर रोक देती थी , इसलिए वो भी बहुत गर्मायी थी।
जब अनुज ने उसे उकसाया तो उसने खुल के बोल दिया ,
अपने यार का लंड पकड़ी हूँ।
कैसा है , मैं अपने देवर के बारे में जानने की उत्सुकता रोक नहीं पायी।
" मस्त , खूब मोटा कड़ा , नापा थोड़ी मैंने , लेकिन छह इंच से ज्यादा ही होगा , पकड़ने में ही मेरी गिनगीना गयी। "
गुड्डो ने कबूला फिर बोली की , आपके देवर मेरे चूजों के
और एक हाथ कस के पड़ा मेरा उस टीनेजर के चूतड़ पे , ... और उसने सही किया अपने को
"मेरी चूँची के , एकदम देख के ही बस मन करे तो , कभी चूसते हैं तो कभी कचकचा के काट लेते हैं , और मसलना रगड़ना , लेकिन मेरी भी हालत बहुत खराब हो जाती है। "
गुड्डो की बात सुन के मुझे गुड्डी की याद आ रही थी।
सच में लड़कों को कच्ची अमिया का स्वाद भी ,...
वो भी तो ,..
इस समय वो टिकोरे वाली उन के गोद में बैठी होगी , छोटे छोटे टिकोरे तो आ गए हैं न मेरी गुड्डी रानी को पर , ...
दूसरा कोई होता न तो ये मौका कभी नहीं छोड़ता , ... पर ये भी न इतने सीधे हैं , सच्ची एकदम बुद्धू , ...
पर मैं हूँ न कर दूंगी इनके इस सीधेपन का इलाज , ...
जिस तरह से ये देख रहे थे अपनी ममेरी बहन के नए आते छोटे छोटे टिकोरों को साफ़ लग रहा था मन तो उनका कर रहा है , ...
और जो मेरे साजन का मन , वो मेरा मन ,
लेकिन मैंने गुड्डो से अगली बात पूछी , सिर्फ तेरी चूँची ही रगड़ मसल रहा था या , ...
और मेरी बात काट के गुड्डो बोली ,
आप के देवर इत्ते सीधे नहीं हैं , पूरा तिहरा हमला , ... होंठ से कभी गाल तो कभी मेरे जोबन , एक हाथ तो उनका मेरी चूँची रगड़ता ही रहता है , और दूसरा नीचे , मेरी चूत ,...
जैसे मैं लंड उनका मुठिया रही थी ,
वो भी मेरी चूत की दोनों फांके पकड़ के रगड़ रगड़ के ,
एकदम जैसे आपकी मंझली ननद कर रही थी , मैं वैसे ही उन आपकी मंझली ननद और दुलारी के चक्कर में इतनी गरमाई थी ,
और उधर अनुज भी ,
तो तूने बोला मेरे देवर से , मैंने गुड्डो से पूछा ,
" सच में बहुत बदमाश है वो जब मैं तक कम से तीन बार एकदम खुल के नहीं बोल देती , अनुज चोद न , चोद दे मेरी चूत , बहुत मन कर रहा है , चोद न। तब तक वो ऐसे ही , ...
मेरी तो , आग लगी थी एकदम , दुलारी सच में बहुत गन्दी है , कभी अपनी हथेली मेरी चूत पर रगड़ती तो कभी खुद मुझसे मेरी हथेली पकड़ के चूत पर रगड़वाती थी , साथ में गालियां एक से एक , ...
मेरी हालत एकदम खराब थी , ऊपर से आपके देवर भी न , जब मैंने तीन बार बोला तभी ,
तभी मुझे कुछ याद आया , मैंने पूछा
" चुसवाया की नहीं " मैंने पूछ लिया।
" नहीं , हाँ ,...
असल में मैंने ही , होठों से उसका सुपाड़ा थोड़ा सा जस्ट किस कर लिया , ...
दोनों होंठ खोल के , बस पकड़ के ठेल दिया , असल में कल वो दुलारी और ,... वो बात कर रही थीं चूसने चुसवाने की तभी से मेरा ,भी ...
पर उसने तो ऑलमोस्ट आधा , मैं लाख सर पटकने लगी , पर वो नहीं माना , चुसवा के ही ,... "
गुड्डो धीमे धीमे बोली।
" एक बात समझ ले , ... जब एक बार कोई लड़का घुसा लेता है न , तो , वो मानने वाला है नहीं , बिना पूरा पेले ,.... चाहे कोई भी छेद क्यों न हो। " मैंने प्यार से हाईकॉलेज वाली को समझाया।
गुड्डो ने फिर फ़ास्ट फारवर्ड की बात , वहीँ गद्दे पर कुछ देर चुसवाने के बाद , अनुज उसके ऊपर ,... जितनी मसनद तकिया दिखीं चूतड़ों के नीचे लगा कर ,
लेकिन मैं फ़ास्ट फारवर्ड नहीं चाहती थी , मैं चाहती थी , ये बनारस वाली किशोरी जितना चुदवाने की बात खुल के , खोल के बताएगी , उतनी ही उसकी झिझक ख़तम होगी और खुद ही वो , टाँगे फैला कर , ...
मैंने उसे टोक दिया ,
" हे कित्ते देर तक पेला तेरे यार ने , ... कब तक ,... "