13-09-2019, 06:32 PM
श्लोक- वैसे अजय बहुत होशियार है, उसे इतनी सुंदर बीवी मिली इसीलिए उसने मुझे शादी में नहीं बुलाया।
अजय हंसते हुए- नहीं यार, ऐसी बात नहीं है। किसी पारिवारिक मजबूरी की वजह से शादी एकदम से करनी पड़ी. मैंने तो खुद संगीता को शादी से पहले देखा नहीं था।
सीमा- ऐसे कैसे हुआ?
अजय- बस दादा जी का अंतिम समय आने वाला था और उन्होंने अपनी इच्छा रख दी कि जल्दी से जल्दी अजय की शादी करवाओ। अतः आनन-फानन में हम दोनों की शादी हुई।
श्लोक- वाह यार अजय, बिना देखे भी तुम्हारी किस्मत तो चमक गई। तुम देख कर भी शादी करते तो भी संगीता से ज्यादा खूबसूरत लड़की तुम्हें नहीं मिलती।
इस पर हम चारों हंसने लगे।
अजय- सही कहा श्लोक, शादी होने से कुछ समय पहले ही सुना था कि संगीता बहुत खूबसूरत है लेकिन मुझे मलाल था कि मैं बिना किसी को देखे कैसे किसी से शादी कर सकता हूं, लेकिन शादी के बाद जब मैंने संगीता को सुहागरात के समय देखा तो मेरी सारी शिकायतें दूर हो गईं।
इस पर हम चारों फिर हंसने लगे।
संगीता- बस भी करो अजय।
सीमा- नहीं यार संगीता। बहुत ही क्यूट चेहरे वाली हो तुम।
अजय- वैसे तेरी शादी में ना आने का मुझे काफी मलाल है श्लोक।
श्लोक- बस नसीब अपना-अपना!
चारो फिर हंसने लगे।
चारों के बीच दोस्ताना वाला माहौल बन चुका था और समय गुजरने लगा था। शाम को हम चारों जब भी फ्री रहते मस्ती मजाक करते थे, खेल खेलते थे। कभी बाहर खाना, कभी सिनेमा देखने जाना। जीवन बड़े मजे से चल रहा था।
अजय हंसते हुए- नहीं यार, ऐसी बात नहीं है। किसी पारिवारिक मजबूरी की वजह से शादी एकदम से करनी पड़ी. मैंने तो खुद संगीता को शादी से पहले देखा नहीं था।
सीमा- ऐसे कैसे हुआ?
अजय- बस दादा जी का अंतिम समय आने वाला था और उन्होंने अपनी इच्छा रख दी कि जल्दी से जल्दी अजय की शादी करवाओ। अतः आनन-फानन में हम दोनों की शादी हुई।
श्लोक- वाह यार अजय, बिना देखे भी तुम्हारी किस्मत तो चमक गई। तुम देख कर भी शादी करते तो भी संगीता से ज्यादा खूबसूरत लड़की तुम्हें नहीं मिलती।
इस पर हम चारों हंसने लगे।
अजय- सही कहा श्लोक, शादी होने से कुछ समय पहले ही सुना था कि संगीता बहुत खूबसूरत है लेकिन मुझे मलाल था कि मैं बिना किसी को देखे कैसे किसी से शादी कर सकता हूं, लेकिन शादी के बाद जब मैंने संगीता को सुहागरात के समय देखा तो मेरी सारी शिकायतें दूर हो गईं।
इस पर हम चारों फिर हंसने लगे।
संगीता- बस भी करो अजय।
सीमा- नहीं यार संगीता। बहुत ही क्यूट चेहरे वाली हो तुम।
अजय- वैसे तेरी शादी में ना आने का मुझे काफी मलाल है श्लोक।
श्लोक- बस नसीब अपना-अपना!
चारो फिर हंसने लगे।
चारों के बीच दोस्ताना वाला माहौल बन चुका था और समय गुजरने लगा था। शाम को हम चारों जब भी फ्री रहते मस्ती मजाक करते थे, खेल खेलते थे। कभी बाहर खाना, कभी सिनेमा देखने जाना। जीवन बड़े मजे से चल रहा था।