13-09-2019, 06:21 PM
अगले दिन मैंने श्लोक को मेल किया कि कल बिजनेस मीटिंग के लिए हमें गोवा के लिए निकलना है, इसलिए मैं तुम्हें अहमदाबाद एयरपोर्ट पर मिलूंगा. वहां पर मुझे तुम तैयार मिलना. वहां से हम दोनों 5 दिन के लिए गोवा चलेंगे।
कुछ देर बाद श्लोक ने मेरे मेल के उत्तर में हां करते हुए मुझे गोवा जाने के लिए हरी झंडी दिखा दी।
##
अगली सुबह मैं अहमदाबाद के लिए निकल गया।
करीब सुबह 10 बजे श्लोक और मैं आमने सामने थे। दोनों जीजा-साले पुराने यारों की तरह गले मिले।
श्लोक- क्या यार जीजू, कितना दूर कर दिया मुझे अपने से! बड़े दिन लगे सामान्य जीवन में ढलने के लिए।
हंसते हुए मैंने उसको छेड़ने के इरादे से पूछा- यह मुझसे बिछड़ने का दुख है या अपनी बहन तृप्ति से?
श्लोक- अरे ... माना कि याद उनकी भी सताती है लेकिन आप भी मेरे लिए कम नहीं। आप मेरे सबसे अजीज़ दोस्त, सबसे प्यारे साथी और सबसे प्यारे जीजू हो। मुझे आपकी कंपनी की बहुत याद आती है। दोस्त बहुत नए मिल गए लेकिन आप जैसा कोई नहीं है।
मैं (राज)- चलो अच्छा है कि मेरी इतनी कद्र है तुम्हें। खुशी हुई यह जानकर। वैसे श्लोक मुझे भी तुम्हारी काफी याद आती है और साथ ही सीमा की भी। वैसे तुम बुरा मत मानना। तुम्हारी याद पर सीमा की जाँघों की याद ज्यादा भारी है। उसकी लंबी टांगें मुझे सबसे ज्यादा याद आती हैं।
इस पर हम दोनों हँसने लगे। फिर हमने अगली फ्लाइट पकड़ी।
दोनों साथ बैठे और याराना के यारों का बातचीत का दौर शुरू हुआ।
श्लोक- और बताइए, कैसी चल रही है हमारे बिना आप दोनों की जिंदगी? खैर, मैं आपसे नाराज हूं जो आपने तृप्ति दीदी को उनके जन्मदिन पर एकदम से बुला लिया। हमने उनके जन्मदिन का खास इंतजाम किया था जिसे हम पूरा नहीं कर सके।
राज- यार मैं भी पति हूं उसका। मेरा भी हक़ बनता है उसका जन्मदिन मनाने का।
श्लोक- वैसे क्या था वो विशेष प्लान जो कि आपने तृप्ति दीदी के साथ संपन्न करके उनका जन्मदिन खास तरीके से मनाया?
राज- वो कभी बाद में बताऊंगा।
(मैं फिलहाल श्लोक को, विक्रम-उपासना के साथ हुआ याराना नहीं बताना चाहता था और श्लोक से उस किस्से की बात निकलवाना चाहता था जिसके बारे में तृप्ति बात कर रही थी)
कुछ देर बाद श्लोक ने मेरे मेल के उत्तर में हां करते हुए मुझे गोवा जाने के लिए हरी झंडी दिखा दी।
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अगली सुबह मैं अहमदाबाद के लिए निकल गया।
करीब सुबह 10 बजे श्लोक और मैं आमने सामने थे। दोनों जीजा-साले पुराने यारों की तरह गले मिले।
श्लोक- क्या यार जीजू, कितना दूर कर दिया मुझे अपने से! बड़े दिन लगे सामान्य जीवन में ढलने के लिए।
हंसते हुए मैंने उसको छेड़ने के इरादे से पूछा- यह मुझसे बिछड़ने का दुख है या अपनी बहन तृप्ति से?
श्लोक- अरे ... माना कि याद उनकी भी सताती है लेकिन आप भी मेरे लिए कम नहीं। आप मेरे सबसे अजीज़ दोस्त, सबसे प्यारे साथी और सबसे प्यारे जीजू हो। मुझे आपकी कंपनी की बहुत याद आती है। दोस्त बहुत नए मिल गए लेकिन आप जैसा कोई नहीं है।
मैं (राज)- चलो अच्छा है कि मेरी इतनी कद्र है तुम्हें। खुशी हुई यह जानकर। वैसे श्लोक मुझे भी तुम्हारी काफी याद आती है और साथ ही सीमा की भी। वैसे तुम बुरा मत मानना। तुम्हारी याद पर सीमा की जाँघों की याद ज्यादा भारी है। उसकी लंबी टांगें मुझे सबसे ज्यादा याद आती हैं।
इस पर हम दोनों हँसने लगे। फिर हमने अगली फ्लाइट पकड़ी।
दोनों साथ बैठे और याराना के यारों का बातचीत का दौर शुरू हुआ।
श्लोक- और बताइए, कैसी चल रही है हमारे बिना आप दोनों की जिंदगी? खैर, मैं आपसे नाराज हूं जो आपने तृप्ति दीदी को उनके जन्मदिन पर एकदम से बुला लिया। हमने उनके जन्मदिन का खास इंतजाम किया था जिसे हम पूरा नहीं कर सके।
राज- यार मैं भी पति हूं उसका। मेरा भी हक़ बनता है उसका जन्मदिन मनाने का।
श्लोक- वैसे क्या था वो विशेष प्लान जो कि आपने तृप्ति दीदी के साथ संपन्न करके उनका जन्मदिन खास तरीके से मनाया?
राज- वो कभी बाद में बताऊंगा।
(मैं फिलहाल श्लोक को, विक्रम-उपासना के साथ हुआ याराना नहीं बताना चाहता था और श्लोक से उस किस्से की बात निकलवाना चाहता था जिसके बारे में तृप्ति बात कर रही थी)