12-01-2019, 02:25 PM
(This post was last modified: 21-11-2023, 04:53 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शाम को बहु रेड कलर की साड़ी पहने किचन में बर्तन धुल रही थी। मैं किचन में उसके पीछे एक टीशर्ट और लोअर पहने चाय की प्यालि लिए खड़ा बहु से बातें कर रहा था।।
सरोज - (अपनी साड़ी के पल्लू को कमर में खोसति हुई।।) बाबूजी।। आज रात शमशेर अंकल यहीं रुकेंगे?
मै - हाँ बहु।।
सरोज - ठीक।। अगर ऐसा है तो मैं आपका कमरा ठीक कर देती हूं, उनको वहीँ कमरे में सोने दिजिये और आप मेरे कमरे में सो जाइये।
मै - ठीक है बहु जैसा तुम्हे ठीक लगे।
सरोज - कमरा थोड़ा साफ़ करना पडेगा।। चीज़ें बिखरी पड़ी हैं बहुत दिन से हमलोगों ने साफ़ नहीं किया। मैंने बर्तन धूल लिए हैं आप अगर मेरी थोड़ी सी मदद कर दें तो मैं जल्दी से कमरा साफ़ कर दूँगी।
मै - (बहु के खुली चिकनी कमर को देखते हुए।) हाँ बहु क्यों नही।।
किचेन से निकल कर मैं और बहु मेरे कमरे में जाते हैं और बिखरे पड़े सामान को ठीक करने लगते है।।
सरोज - बाबूजी।। यहाँ रखे पुराने सामान को मैं ऊपर वुडेन कवर में रख देति हूं, बहुत सारा स्पेस हो जायेगा कमरे में।
मै - हाँ बहु रुको मैं कोई चेयर लगता हूं, जिसपे तुम चढ़ के सामान रख सको।
सरोज - अच्छा बाबूजी।।
मैन डाइनिंग हॉल से एक प्लास्टिक के चेयर लाया और कमरे में बेड के पास लगा दिया।
मैन - बहु तुम इस चेयर पे चढ़ जाओ और बॉक्स ऊपर रख दो।। और संभल के चढ़ना बेटी।।
सरोज - जी बाबूजी।
बहु ने एक बार फिर अपनी साड़ी के पल्लू को अपनी कमर में बांधे और अपनी पूरी तरह से खुली नवेल को बेशरमी से दिखाती हुई चेयर पे चढ़ गई।
सरोज - बाबूजी।। मुझे होल्ड करिये मैं गिर जॉंउगी, मैं कोशिश करती हूँ बॉक्स को ऊपर ड़ालने की।।
मै बहु के बिलकुल सामने था, उसकी नवेल मेरे फेस के पास थी। मैंने अपने दोनों हाथों से बहु के बड़ी सी हिप्स को घेर लिया, और अपनी हथेली से बहु के नर्म मुलायम गांड को साड़ी के ऊपर से दबा दिया।
बहु - आह बाबूजी।। थोड़ा ऊपर को पुश कीजिये मेरे हाथ लगभग पहुच गया है।
मैने बहु के बड़ी गांड को कस्स के दबाते हुवे ऊपर उठा दिया और अपना फेस बहु के डीप सॉफ्ट नवेल(नाभि) में चिपका लिया।। मेरे गाल और होठ बहु के नवेल से टच हो रहे थे।। मैंने बहाने से अपने होठ बहु के नवेल पे रगड दिए।
अभि २ मिनट हे हुए थे की तभी, पावर कट हो गया।। शाम हो चुकी थे और इस वजह से कमरे में अँधेरा छा गया।
सरोज - हो गया बाबूजी, अब मुझे धीरे से नीचे उतारिये प्लीज।। मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रह था।।
मै - ठीक है बहु।। (कहते हुए मैंने हाथ के घेरे को ढीला किया और बहु को नीचे आने दिया।। )
अंधेरे में मैं अपने हाथ धीरे-धीरे बहु के गांड से होती हुये उसकी नंगी कमर को महसूस कर पा रहा था। सामने के तरफ मेरे फेस उसकी नवेल से होता हुआ अब उसके बूब्स के काफी क़रीब आ चूका था। नीचे आते वक़्त बहु के घुटने (कनी) से मेरा लोअर और अंडरवियर नीचे की तरफ खिच गया और मेरा खड़ा लंड पूरी तरह से बाहर निकल गया।
एससे पहले की मैं संभल पाता बहु चेयर से उतारते ही अपना बैलेंस खो बैठी और जमीन पे झुकते ही उसके नर्म होठ मेरे लंड से कस के रगड खा गई।
मैने अँधेरे में उसके गीले होठ को साफ़ अपने लंड पे महसूस किया।।। मैंने बिना कोई मौका गवाये अँधेरे का फ़ायदा उठाते हुये जानबूझ कर बैलेंस खोने का नाटक किया और एक हाथ से लंड का स्किन नीचे खोल बहु के मुह में डाल दिया। बहु की गरम साँस और मुह के अंदर के लार (सैल्विया) का स्पर्श पा कर मेरे लंड से थोड़ा सा पानी निकल गया।।।
सरोज - बाबुजी।।। (कहते हुए अपने हाथ मेरी टाँगो पे रख दिया और लंड को अपने मुह में और अंदर जाने से रोक लिया)
मै - ओह बहु।।।सॉरी (कहते हुए अपने लंड को बहु के मुह से निकाल लिया।।)
लेकिन इतना सब होने के बाद मेरे अंदर इतना कण्ट्रोल नहीं था की मैं रुक पाता।। लंड बहु के मुह से बाहर आते ही फच-फच के आवाज के साथ ढेर सारा पानी मेरे लंड से निकल गया। मेरे लंड का पानी बहु के चेहरे, गर्दन और शायद बूब्स पे पड़े और बाकी फर्श पर।। बहु का चेहरा मेरे लंड के पानी से भीग गया था।।
सरोज - (अपनी साड़ी के पल्लू को कमर में खोसति हुई।।) बाबूजी।। आज रात शमशेर अंकल यहीं रुकेंगे?
मै - हाँ बहु।।
सरोज - ठीक।। अगर ऐसा है तो मैं आपका कमरा ठीक कर देती हूं, उनको वहीँ कमरे में सोने दिजिये और आप मेरे कमरे में सो जाइये।
मै - ठीक है बहु जैसा तुम्हे ठीक लगे।
सरोज - कमरा थोड़ा साफ़ करना पडेगा।। चीज़ें बिखरी पड़ी हैं बहुत दिन से हमलोगों ने साफ़ नहीं किया। मैंने बर्तन धूल लिए हैं आप अगर मेरी थोड़ी सी मदद कर दें तो मैं जल्दी से कमरा साफ़ कर दूँगी।
मै - (बहु के खुली चिकनी कमर को देखते हुए।) हाँ बहु क्यों नही।।
किचेन से निकल कर मैं और बहु मेरे कमरे में जाते हैं और बिखरे पड़े सामान को ठीक करने लगते है।।
सरोज - बाबूजी।। यहाँ रखे पुराने सामान को मैं ऊपर वुडेन कवर में रख देति हूं, बहुत सारा स्पेस हो जायेगा कमरे में।
मै - हाँ बहु रुको मैं कोई चेयर लगता हूं, जिसपे तुम चढ़ के सामान रख सको।
सरोज - अच्छा बाबूजी।।
मैन डाइनिंग हॉल से एक प्लास्टिक के चेयर लाया और कमरे में बेड के पास लगा दिया।
मैन - बहु तुम इस चेयर पे चढ़ जाओ और बॉक्स ऊपर रख दो।। और संभल के चढ़ना बेटी।।
सरोज - जी बाबूजी।
बहु ने एक बार फिर अपनी साड़ी के पल्लू को अपनी कमर में बांधे और अपनी पूरी तरह से खुली नवेल को बेशरमी से दिखाती हुई चेयर पे चढ़ गई।
सरोज - बाबूजी।। मुझे होल्ड करिये मैं गिर जॉंउगी, मैं कोशिश करती हूँ बॉक्स को ऊपर ड़ालने की।।
मै बहु के बिलकुल सामने था, उसकी नवेल मेरे फेस के पास थी। मैंने अपने दोनों हाथों से बहु के बड़ी सी हिप्स को घेर लिया, और अपनी हथेली से बहु के नर्म मुलायम गांड को साड़ी के ऊपर से दबा दिया।
बहु - आह बाबूजी।। थोड़ा ऊपर को पुश कीजिये मेरे हाथ लगभग पहुच गया है।
मैने बहु के बड़ी गांड को कस्स के दबाते हुवे ऊपर उठा दिया और अपना फेस बहु के डीप सॉफ्ट नवेल(नाभि) में चिपका लिया।। मेरे गाल और होठ बहु के नवेल से टच हो रहे थे।। मैंने बहाने से अपने होठ बहु के नवेल पे रगड दिए।
अभि २ मिनट हे हुए थे की तभी, पावर कट हो गया।। शाम हो चुकी थे और इस वजह से कमरे में अँधेरा छा गया।
सरोज - हो गया बाबूजी, अब मुझे धीरे से नीचे उतारिये प्लीज।। मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रह था।।
मै - ठीक है बहु।। (कहते हुए मैंने हाथ के घेरे को ढीला किया और बहु को नीचे आने दिया।। )
अंधेरे में मैं अपने हाथ धीरे-धीरे बहु के गांड से होती हुये उसकी नंगी कमर को महसूस कर पा रहा था। सामने के तरफ मेरे फेस उसकी नवेल से होता हुआ अब उसके बूब्स के काफी क़रीब आ चूका था। नीचे आते वक़्त बहु के घुटने (कनी) से मेरा लोअर और अंडरवियर नीचे की तरफ खिच गया और मेरा खड़ा लंड पूरी तरह से बाहर निकल गया।
एससे पहले की मैं संभल पाता बहु चेयर से उतारते ही अपना बैलेंस खो बैठी और जमीन पे झुकते ही उसके नर्म होठ मेरे लंड से कस के रगड खा गई।
मैने अँधेरे में उसके गीले होठ को साफ़ अपने लंड पे महसूस किया।।। मैंने बिना कोई मौका गवाये अँधेरे का फ़ायदा उठाते हुये जानबूझ कर बैलेंस खोने का नाटक किया और एक हाथ से लंड का स्किन नीचे खोल बहु के मुह में डाल दिया। बहु की गरम साँस और मुह के अंदर के लार (सैल्विया) का स्पर्श पा कर मेरे लंड से थोड़ा सा पानी निकल गया।।।
सरोज - बाबुजी।।। (कहते हुए अपने हाथ मेरी टाँगो पे रख दिया और लंड को अपने मुह में और अंदर जाने से रोक लिया)
मै - ओह बहु।।।सॉरी (कहते हुए अपने लंड को बहु के मुह से निकाल लिया।।)
लेकिन इतना सब होने के बाद मेरे अंदर इतना कण्ट्रोल नहीं था की मैं रुक पाता।। लंड बहु के मुह से बाहर आते ही फच-फच के आवाज के साथ ढेर सारा पानी मेरे लंड से निकल गया। मेरे लंड का पानी बहु के चेहरे, गर्दन और शायद बूब्स पे पड़े और बाकी फर्श पर।। बहु का चेहरा मेरे लंड के पानी से भीग गया था।।