12-01-2019, 02:03 PM
(This post was last modified: 21-11-2023, 04:14 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बहु मनीष से फ़ोन पे बात करते हुए।।
सरोज - हेलो मनीष कैसे हो आप?
सरोज - ठीक हूं।। नहीं ।अभी शॉपिंग कर के आयी हूँ।। अपने कमरे में हूँ।
सरोज - बाबूजी ठीक है।। यहीं है।
सरोज - कुछ नहि।। यूँ ही मैं और बाबूजी बातें कर रहे थे
मै बहु के बेड पे बैठा बहु और मनीष की बातें सुन रहा था। बहु ने मनीष से बस ये बोली की मैं और बहु बातें कर रहे थे।। लेकिन सच्चाई तो कुछ और है।
बहु को झूठ बोलता देख मैंने राहत की साँस ली, इसका मतलब मेरे और बहु के बीच अभी जो भी हो रहा था मनीष को इस बात का कभी पता नहीं चलेगा।
सरोज - ओके।।मनीष में शाम को कॉल करती हूँ अभी कुकिंग करनी है
बहु ने फ़ोन काट दिया और बेड पे रखे पेंट टीशर्ट पहनते हुये मुझसे बोली।।
सरोज - बाबूजी मैं कुछ डिनर बना देती हूं।। आज रात आप अपने कमरे में सोयेंगे या मेरे कमरे में।।? एक्चुअली रात को मैं मनीष से बात करुँगी।।
मै - ठीक है बहु मैं अपने कमरे में सोउंगा।
बहु कमरे से बाहर चलि गई, मैंने बेड पे गिरि अपने मुट्ठ को बहु के साड़ी से पोंछ दिया लेकिन निशान नहीं मिटा। मैं वेसे छोड़ के कमरे के बाहर आ गया।
रात में डिनर के बाद मैं अपने कमरे में लेटा था।आज जो भी हुआ उसके लिए मैं अपने लक पे बहुत खुश था। आज़ मुझे अपनी ही जवान बहु के बुर(चूत ) चाटने का मौका मिला था। मैं बहु के बारे में सोच मुठ मार कर सो गया।
सूबह क़रीब ६ बजे शमशेर ने डोर पे नॉक किया।। मैंने दरवाजा खोला और शमशेर मेरे पीछे कमरे तक आ गया।।
मै - समशेर तुम ५ मिनट वेट करो मैं अभी आता हू।
शमशेर -(बेड पे बैठा हुआ।। ) हाँ मैं वेट करता हूँ जल्दी आओ। बहु चलेगी?
मै - हाँ
थोड़ि देर बाद मैं जब कमरे में आया तो देखा। शमशेर बेड पे आँखे गड़ाए हुए था। मुझे कमरे में आता देख।।।
शमशेर- देसाईजी। ये क्या है बेड के बीच में?
मै - (अनजान बनते हुए।। ) पता नही
शमशेर - देसाई।।। झूठ मत बोल।। सच बता ये तेरी रात की करतूत है न?
मै - क्या बोल रहे हो?
शमशेर - मैं अच्छी तरह जानता हूँ ये क्या है? बोल सच सच?
मै - हा।।मेरी मूठ है
शमशेर - देसाई।। ऐसा क्या हुआ कल जो तूने बेड पे मास्टरबैट कर लिया।। सच बोल
मै- कुछ नहीं बस ऐसे ही मन किया
शमशेर - किसके बारे में सोच के किया? बोल?
मै - तू जानता है यार। (मैंने टॉवल से मुह पोछते हुए बोला।।)
शमशेर - क्या तूने सरोज।। मतलब अपनी बहु के बारे में सोच मास्टरबैट किया?
मै - (गर्दन झुकाते हुवे।।) हाँ
शमशेर - वो।।। देसाई
शमशेर - तेरी बहु है ही ऐसी । देखा आखिर तूने भी उसके नाम की मूठ मार ही डाली। साली है हे ऐसे चीज़।। उसके बारे में सोच तो मैं रोज़ मूठ मारता हूँ
ओ भी २-३ बार एक दिन में।।
सरोज - हेलो मनीष कैसे हो आप?
सरोज - ठीक हूं।। नहीं ।अभी शॉपिंग कर के आयी हूँ।। अपने कमरे में हूँ।
सरोज - बाबूजी ठीक है।। यहीं है।
सरोज - कुछ नहि।। यूँ ही मैं और बाबूजी बातें कर रहे थे
मै बहु के बेड पे बैठा बहु और मनीष की बातें सुन रहा था। बहु ने मनीष से बस ये बोली की मैं और बहु बातें कर रहे थे।। लेकिन सच्चाई तो कुछ और है।
बहु को झूठ बोलता देख मैंने राहत की साँस ली, इसका मतलब मेरे और बहु के बीच अभी जो भी हो रहा था मनीष को इस बात का कभी पता नहीं चलेगा।
सरोज - ओके।।मनीष में शाम को कॉल करती हूँ अभी कुकिंग करनी है
बहु ने फ़ोन काट दिया और बेड पे रखे पेंट टीशर्ट पहनते हुये मुझसे बोली।।
सरोज - बाबूजी मैं कुछ डिनर बना देती हूं।। आज रात आप अपने कमरे में सोयेंगे या मेरे कमरे में।।? एक्चुअली रात को मैं मनीष से बात करुँगी।।
मै - ठीक है बहु मैं अपने कमरे में सोउंगा।
बहु कमरे से बाहर चलि गई, मैंने बेड पे गिरि अपने मुट्ठ को बहु के साड़ी से पोंछ दिया लेकिन निशान नहीं मिटा। मैं वेसे छोड़ के कमरे के बाहर आ गया।
रात में डिनर के बाद मैं अपने कमरे में लेटा था।आज जो भी हुआ उसके लिए मैं अपने लक पे बहुत खुश था। आज़ मुझे अपनी ही जवान बहु के बुर(चूत ) चाटने का मौका मिला था। मैं बहु के बारे में सोच मुठ मार कर सो गया।
सूबह क़रीब ६ बजे शमशेर ने डोर पे नॉक किया।। मैंने दरवाजा खोला और शमशेर मेरे पीछे कमरे तक आ गया।।
मै - समशेर तुम ५ मिनट वेट करो मैं अभी आता हू।
शमशेर -(बेड पे बैठा हुआ।। ) हाँ मैं वेट करता हूँ जल्दी आओ। बहु चलेगी?
मै - हाँ
थोड़ि देर बाद मैं जब कमरे में आया तो देखा। शमशेर बेड पे आँखे गड़ाए हुए था। मुझे कमरे में आता देख।।।
शमशेर- देसाईजी। ये क्या है बेड के बीच में?
मै - (अनजान बनते हुए।। ) पता नही
शमशेर - देसाई।।। झूठ मत बोल।। सच बता ये तेरी रात की करतूत है न?
मै - क्या बोल रहे हो?
शमशेर - मैं अच्छी तरह जानता हूँ ये क्या है? बोल सच सच?
मै - हा।।मेरी मूठ है
शमशेर - देसाई।। ऐसा क्या हुआ कल जो तूने बेड पे मास्टरबैट कर लिया।। सच बोल
मै- कुछ नहीं बस ऐसे ही मन किया
शमशेर - किसके बारे में सोच के किया? बोल?
मै - तू जानता है यार। (मैंने टॉवल से मुह पोछते हुए बोला।।)
शमशेर - क्या तूने सरोज।। मतलब अपनी बहु के बारे में सोच मास्टरबैट किया?
मै - (गर्दन झुकाते हुवे।।) हाँ
शमशेर - वो।।। देसाई
शमशेर - तेरी बहु है ही ऐसी । देखा आखिर तूने भी उसके नाम की मूठ मार ही डाली। साली है हे ऐसे चीज़।। उसके बारे में सोच तो मैं रोज़ मूठ मारता हूँ
ओ भी २-३ बार एक दिन में।।