12-01-2019, 12:12 PM
अध्याय 4
“वाह रे तेरे हाथो में तो जादू है साले …”
काजल ने जैसे ही रोटी का टुकड़ा अपने मुह में डाला वो चहक उठी ,और मैं शर्माने लगा ..
“तू बात बात में ऐसा क्यो शर्मा जाता है ,इतना तो लडकिया भी नही शर्माती ..”वो फिर से खिलखिलाने लगी ,उसकी हँसी में एक गजब की स्कछन्दता थी ,बिल्कुल ही निर्दोष सी खिलखिलाहट थी,मैं उसके चहरे को देखता ही रह गया था ,क्या आकर्षण था उसके अंदर ,दांतो की पंक्ति मोतियों के जैसे चमक रहे थे,गाल बिल्कुल ही लाल हो गए थे,अचानक से वो मुझे अपने ओर देखता हुआ पाकर रुक गई ..
“फिर से घूर रहा है साले ...रेट बताया ना पैसा होगा तो बोलना ..”मैं बुरी तरह से झेंपा और वो मुह दबा कर हँसने लगी
वाह आज तो मजा आ गया ,ना जाने कितने दिनों के बाद ऐसा अच्छा खाना खाया है ...उसने अपना आखिरी निवाला भी निगल लिया था …
“अच्छा तो यंहा क्यो रहने आ गया ..”
मैंने उसे पूरी कहानी सुना दी ..उसके चहरे में मेरे लिए दुख और दया का भाव आ गया ..
“यानी तू भी तकदीर का मारा है ..”
“तकदीर से मैं गरीब जरूर पैदा हुआ हु लेकिन अब मैं यंहा अपनी तकदीर बनाने आया हु ,मुझे अपनी किस्मत खुद लिखनी है ,वरना अभी भी वही गांव में पड़ा रहता वही करता जो पिता जी करते है …”
मैं अचानक ही अपने उस उम्मीद में भर गया जिसके सहारे में हर मुश्किल को हंसते हुए सहता था,मुझे जीवन से बहुत उम्मीद थी और मैं हमेशा स्वामी विवेकानंद की उस बात को याद कर लेता था जिसमे उन्होंने कहा था की तुम ही अपने किस्मत के लेखक हो …
काजल के होठो में एक अजीब सी मुस्कान आई ..
“चलो अच्छा है किसी को तो अपने जीवन से कोई उम्मीद है …”वो बस इतना कहकर उठी और बिस्तर में लेट गई ,लेकिन उसकी बात में जो दर्द था वो दर्द मेरे दिल के किसी कोने को छू गया था ...इतनी नाउम्मीदी मैंने अपने जीवन में कभी महसूस नही की थी जो उसके उस अकेले वाक्य में थी ..
“सोने से पहले लाइट बंद कर देना “
काजल एक करवट लेकर लेट गई थी ..मैं भी लाइट बंद कर लेटा हुआ दूसरे दिन की प्लानिंग करने लगा……..
“वाह रे तेरे हाथो में तो जादू है साले …”
काजल ने जैसे ही रोटी का टुकड़ा अपने मुह में डाला वो चहक उठी ,और मैं शर्माने लगा ..
“तू बात बात में ऐसा क्यो शर्मा जाता है ,इतना तो लडकिया भी नही शर्माती ..”वो फिर से खिलखिलाने लगी ,उसकी हँसी में एक गजब की स्कछन्दता थी ,बिल्कुल ही निर्दोष सी खिलखिलाहट थी,मैं उसके चहरे को देखता ही रह गया था ,क्या आकर्षण था उसके अंदर ,दांतो की पंक्ति मोतियों के जैसे चमक रहे थे,गाल बिल्कुल ही लाल हो गए थे,अचानक से वो मुझे अपने ओर देखता हुआ पाकर रुक गई ..
“फिर से घूर रहा है साले ...रेट बताया ना पैसा होगा तो बोलना ..”मैं बुरी तरह से झेंपा और वो मुह दबा कर हँसने लगी
वाह आज तो मजा आ गया ,ना जाने कितने दिनों के बाद ऐसा अच्छा खाना खाया है ...उसने अपना आखिरी निवाला भी निगल लिया था …
“अच्छा तो यंहा क्यो रहने आ गया ..”
मैंने उसे पूरी कहानी सुना दी ..उसके चहरे में मेरे लिए दुख और दया का भाव आ गया ..
“यानी तू भी तकदीर का मारा है ..”
“तकदीर से मैं गरीब जरूर पैदा हुआ हु लेकिन अब मैं यंहा अपनी तकदीर बनाने आया हु ,मुझे अपनी किस्मत खुद लिखनी है ,वरना अभी भी वही गांव में पड़ा रहता वही करता जो पिता जी करते है …”
मैं अचानक ही अपने उस उम्मीद में भर गया जिसके सहारे में हर मुश्किल को हंसते हुए सहता था,मुझे जीवन से बहुत उम्मीद थी और मैं हमेशा स्वामी विवेकानंद की उस बात को याद कर लेता था जिसमे उन्होंने कहा था की तुम ही अपने किस्मत के लेखक हो …
काजल के होठो में एक अजीब सी मुस्कान आई ..
“चलो अच्छा है किसी को तो अपने जीवन से कोई उम्मीद है …”वो बस इतना कहकर उठी और बिस्तर में लेट गई ,लेकिन उसकी बात में जो दर्द था वो दर्द मेरे दिल के किसी कोने को छू गया था ...इतनी नाउम्मीदी मैंने अपने जीवन में कभी महसूस नही की थी जो उसके उस अकेले वाक्य में थी ..
“सोने से पहले लाइट बंद कर देना “
काजल एक करवट लेकर लेट गई थी ..मैं भी लाइट बंद कर लेटा हुआ दूसरे दिन की प्लानिंग करने लगा……..
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प्यार या धोखा
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