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Misc. Erotica काजल, दीवाली और जुए का खेल (completed)
#18
और ऐसा सोचते-2 उसने एकदम से अपने पत्ते उठा लिए...उन्हे देखकर उसकी समझ मे कुछ नही रहा था...एक बादशाह था...दूसरी बेगम....और तीसरा दस.

केशव ने तो कहा था की उसके पत्ते हमेशा चाल चलने लायक होते हैं...उसने गेम समझ तो ली थी..पर अभी तक सही से वो अपने दिमाग़ मे बिठा नही पाई थी..पर फिर भी केशव की बात को याद करते हुए उसने चाल चल दी ..

बिल्लू तो काजल के हुस्न का दीदार करने मे मस्त था...वो उसकी छातियों को टकटकी लगाकर देखे जा रहा था..और उसका साइज़ क्या होगा ये सोचने मे मग्न था...उसके निप्पल किस पॉइंट पर होंगे, वो उसकी रूपरेखा बना रहा था...ब्रा तो वो देख ही चुका था उसकी, ब्लैक कलर की..अगर वो ब्रा में ही बैठकर खेले तो कितना मज़ा मिलेगा..

और बिल्लू को अपनी तरफ ऐसे देखते देखकर काजल का दिल भी हिचकोले खा रहा था...और उसके दोनो निप्पल एकदम से सख़्त होकर सूट के कपड़े मे उभर आए...
[Image: hard-nipples-pokies-12.jpg?quality=85&strip=info&w=500]
और बिल्लू का अंदाज़ा बिल्कुल सही निकला, उसने जिस जगह पर सोचा था, वहीं पर उसे हल्के-2 निप्पल्स उभरते हुए दिख गये..वो अपनी क़ाबलियत पर खुश हो गया.

पर काजल को चाल चलते देखकर उसने एकदम से अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का और दो छोटे पत्ते थे...चाल चलने या शो माँगने का सवाल नही था, क्योंकि गणेश ने अभी तक अपने पत्ते देखे भी नही थे..

बिल्लू ने पेक कर दिया.

अब गणेश की बारी थी....उसने अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का, बादशाह और दुग्गी थी...उसका एक मन तो हुआ की पेक कर दे...क्योंकि सामने से चाल चुकी थी...पर वो इतने पैसे जीत चुका था अभी तक की शो माँगकर भी वो ही फायदे में ही रहता...और वैसे भी वो देखना चाहता था की काजल के पत्ते कैसे हैं...उसे खेलना भी आता है या नही..

और उसने 400 बीच मे फेंक कर शो माँग लिया..

और काजल के पत्ते देखकर वो ज़ोर-2 से हँसने लगा..और सारे पैसे बीच मे से उठा कर अपनी तरफ कर लिए...बिल्लू भी काजल के पत्ते देखकर मुस्कुरा दिया और बोला : "अभी तुम्हे सही से खेलना आता नही है काजल...या फिर तुम ब्लफ खेल रही थी...''

तब तक उपर से केशव भी गया...उसने भी बीच मे पड़े काजल और गणेश के पत्ते देखे...उसे तो विश्वास ही नही हो रहा था की काजल अपनी पहली ही गेम में हार गयी...उसने तो क्या-2 सोचा हुआ था..पर ऐसे काजल को हारता हुआ देखकर उसे अपनी सारी प्लानिंग फैल सी होती दिख रही थी..

केशव : "अरे नही....ब्लूफ भला ये क्या जाने...हम दोनो बस घर बैठकर थोड़ा बहुत खेल लेते हैं, बस वही आता है इसे...चलो, एक बार और बाँटो पत्ते...देखते हैं की इसकी कैसी किस्मत है ...''

काजल के साथ एक बार और खेलने की बात सुनकर बिल्लू और गणेश मुस्कुरा दिए...पर काजल ने धीरे से केशव के कान मे कहा : "नही केशव...तुम ही खेलो...मुझे नही लगता की मैं कल की तरह जीत पाऊँगी ..वो शायद कोई इत्तेफ़ाक था...ऐसे ही बेकार मे अपने पैसे मत बर्बाद करो...''

केशव फुसफुसाया : "नही दीदी....एक और गेम खेलो...शायद इस बार अच्छे पत्ते जाए..प्लीज़ ...मेरे कहने पर...''

और केशव के ज़ोर देने पर काजल फिर से खेलने लगी.

उसके निप्पल का साइज़ और भी ज़्यादा बड़ चुका था...शायद परेशानी में भी लड़कियो के निप्पल खड़े हो जाते हैं, जैसे उत्तेजना के वक़्त होते हैं...

वो दोनो हरामी तो उसकी छातियों पर लगे छोटे-2 बल्ब देखकर अपने लंड सहला रहे थे...केशव का ध्यान इस बात पर नही था अभी...उसे तो चिंता सता रही थी की अगली गेम वो जीतेगा या नही..

पत्ते फिर से बाँटे गये...बूट के बाद 2-2 बार ब्लाइंड भी चली गयी...बिल्लू ने फिर से अपने पत्ते उठाए...और पहली बार वो अपने पत्ते देखकर खुश हुआ...और उसने 200 की चाल चल दी..

बिल्लू के बाद गणेश ने भी अपने पत्ते देखे और चाल चल दी..

केशव ने काजल को भी अपने पत्ते उठाने के लिए कहा..

काजल ने काँपते हाथों से एक-2 करके अपने पत्ते उठाए..

पहला 7 नंबर था..

दूसरा पत्ता 9 नंबर था...और अभी तक के दोनो पत्ते हुक्म के थे..

केशव मन ही मन खुश हो रहा था...उसे तो जैसे पूरा विश्वास था की इस बार या तो 8 आएगा, जिसकी वजह से 7,8,9 का सीक़वेंस बन जाएगा...या फिर एक और हुक्म का पत्ता आएगा जिसकी वजह से कलर बन सकेगा...अगर दोनो मे से कुछ भी नही आया तो पेयर बनाने के लिए 7 या 9 में से कुछ भी जाएगा..

पर जैसे ही काजल का तीसरा पत्ता देखा, उसका दिल धक से रह गया..वो ईंट का 4 था..
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RE: काजल, दीवाली और जुए का खेल - by Jyoti Singh - 11-01-2019, 10:17 PM



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