11-01-2019, 10:16 PM
(This post was last modified: 21-11-2023, 04:07 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मै बेड पे बैठ गया, और बहु पीछे मुड कर अपनी ब्लाउज उतारने लगी।। और अब ब्रा भी खोल दिया। उसकी नंगी पीठ मेरे सामने थी
सरोज - बाबू जी।। वो रेड वाली ब्रा दिजिये न पहले।
मै बैग से उसकी रेड ब्रा निकाल के बहु के तरफ बढाया।। सरोज मेरे सामने ब्रा पहन रही थी। मैं सोचने लगा की बहु के सामने से बूब्स अभी कैसे दिख रहे होंगे। मैं दिवार के तरफ पिलो लगा कर बैठा था बहु को ऐसे अधनंगा देख मेरा लंड रगडने का मन करने लगा।
मैं बेड पे रखी ब्लैंकेट को खीच उसके अंदर घुस गया और अपना लोअर नीचे कर लंड को मसलने लगा।।
बहु बिना मेरी तरफ मुड़े अपनी पैन्टी भी मांगा, मैंने एक हाथ से पैन्टी उठा के उसकी तरफ बढ़ाया मेरा एक हाथ अभी भी लंड को मसल रहा था। बहु एक टॉवल लपेट अपनी ट्रैक पेंट उतार बेड पे फेंक दी और पैर उठा के पेंटी पहनने लगी। मैं तेजी से मुठ मार रहा था। बहु पेंटी और ब्रा पहनने के बाद टॉवल को नीचे गिरा दिया और मेरी तरफ मुड गई।
मेरी तो जैसे साँस ही अटक गई।। मेरी जवान बहु अपने भरे-भरे बदन को सिर्फ एक रेड कलर के ब्रा और पैन्टी में ढके मेरे सामने खड़ी थी।।
मैने अपना हाथ स्लो कर दिया ताकि बहु को पता न चले के मैं ब्लैंकेट के अंदर मुठ मर रहा हू।।
सरोज - कैसी लग रही हूँ बाबूजी।।
मै - (मेरी साँसे तेज़ थी।।) बहुत अच्छी लग रही हो बहु।। लाल कलर के ब्रा पैन्टी में बहुत गोरी लग रही हो । और तुम्हारी जांघे कितनी मोटी, चिकनी और मांसल हैं बहु।। (ऐसा कहते हुए मैं आँख बंद कर अपने लंड का स्किन पूरा खोल ३-४ बार जोर से स्ट्रोक दिया।)
सरोज - (हँसते हुवे।। ) सच्ची बाबूजी।। मुझे भी इसकी कलर बहुत पसंद है।। आपको ठण्ड लग रही है क्या? आपने ब्लैंकेट क्यों ले लिया?
मै - हाँ बहु थोड़ी ठण्ड लग रही थी। (मैं बहु की सेक्सी स्ट्रक्चर देख तेज़ी से मस्टरबैट करने लगा।।)
सरोज - क्या हुवा बाबू जी? आपके हाथों को ? इतना क्यों हिल रहे हैं?
मै - कुछ नहीं बहु तुम्हारे कमरे में मच्छर (मॉस्क्वीटो) ज्यादा है, पैर पे कोई मच्छर ने काट लिया शायद।। (मैंने खुजलाने के बहाने और तेज़ी से लंड हिलाने लगा और बस थोड़ी देर में ब्लैंकेट के अंदर मेरे लंड से गाढ़ा पानी निकल गया।। )
सरोज - हाँ बाबूजी मच्छर तो ज्यादा है यहाँ। मैं गुड नाईट लगा देति हूं।। (बहु मेरे सामने ब्रा पैन्टी में अपनी गांड मटकाते हुए स्विच के तरफ गई और गुड नाईट लगाने लगी।।)
मै मौका देख तुरंत अपना लंड अंडरवियर के अंदर वापस डाल लिया।
सरोज बेड के ऊपर आ गई और घुटने पे मेरे सामने बैठ अपने ब्रा को छूते हुये बोली।
सरोज - बाबूजी।। इस ब्रा की क्वालिटी कितनी अच्छी है न?
मै- (मैं बहु के पास आया और अपने हाथ बहु के काँधे के पास ब्रा को छूते हुए ।बोला) हाँ बहु ये तो बहुत अच्छा है।
मैन धीरे से अपना हाथ नीचे ले आया और।। साइड से बहु के ब्रा के अंदर हाथ ड़ालते हुये ब्रा के कपडे को छूने लगा।। मेरी उंगलियाँ बहु की नंगी बूब्स को महसूस कर रही थी।
सरोज - बाबूजी ब्रा तो मुझे बहुत पसंद आयी है लेकिन पेंटी उतनी सॉफ्ट नहीं है और स्टीचिंग भी अच्छी नहीं है देखिये न साइड से धागे (थ्रेड) निकल रहे है। (बहु ने एक छोटी सी थ्रेड पकड़ के कहा)
मै - बहु सब थ्रेड को काट दो नहीं तो स्टीचिंग खुल जाएगी।। कुछ काटने के लिए है बहु?
सरोज - नहीं बाबू जी।। यहाँ तो कुछ नहीं है।।
मै - बहु तुम थोड़ा पास आओ तो मैं अपने दांतो से काट देता हू।
सरोज - ठीक है बाबूजी।। (बहु ने थोड़ा ऊपर होते हुये अपनी पेंटी मेरे चेहरे के पास लायी।
मैने अपने हाथ बहु के ब्रा से निकल।। बहु के नंगी कमर और गांड पे रख दिया और झुक कर अपनी तरफ पुल्ल किया। बहु अपनी लेफ्ट हाथ बेड पे रख अपनी कमर को मेरे मुह के पास ले आयी। मैंने धीरे से अपने होठ बहु के इनर थाइस के पास ले गया और थ्रेड काटने की कोशिश करने लगा।
मै- बहु और पास आओ।।(मैं अपना राइट हैंड बहु के गांड से हटा के बहु के पेंटी के साइड में ऊँगली ड़ालते हुये अपनी तरफ पुल्ल किया।। मुझे बहु के चूत की साइड के हलकी-हलकी बाल महसूस हुई।।।)
सरोज अब अपनी चूत को मेरे नाक के पास ले आयी।। पैंटी की साइड से चुत नज़र आ रही थी मैं अपने नोज को बहु के चूत के काफी क़रीब ले गया।। बहु के चूत की स्मेल मुझे पागल कर रही थी।।
मैने बहु के पेंटी साइड से हटा कर थ्रेड काटने लगा, मेरी उंगलिया बहु के गरम चूत से रगड खा रही थी। एक-दो बार मैंने थ्रेड काटने के बहाने अपने होठ बहु के चूत पे रगड दिए।। धीरे-धीरे बहु बेड पे लेट गई और मैं उसके थाइस के बीचे में उसकी चूत के स्मेल का मजा ले रहा था। बहु के आँखें बंद थी।
सरोज - (अपनी टाँगे फैला दी और मेरे बाल पकड़ते हुए अपनी चूत के पास खीचा।।और बोली) आह।। बाबूजी।। संभल के सारे थ्रेड काट दिजिये बाबूजी।।
सरोज - बाबू जी।। वो रेड वाली ब्रा दिजिये न पहले।
मै बैग से उसकी रेड ब्रा निकाल के बहु के तरफ बढाया।। सरोज मेरे सामने ब्रा पहन रही थी। मैं सोचने लगा की बहु के सामने से बूब्स अभी कैसे दिख रहे होंगे। मैं दिवार के तरफ पिलो लगा कर बैठा था बहु को ऐसे अधनंगा देख मेरा लंड रगडने का मन करने लगा।
मैं बेड पे रखी ब्लैंकेट को खीच उसके अंदर घुस गया और अपना लोअर नीचे कर लंड को मसलने लगा।।
बहु बिना मेरी तरफ मुड़े अपनी पैन्टी भी मांगा, मैंने एक हाथ से पैन्टी उठा के उसकी तरफ बढ़ाया मेरा एक हाथ अभी भी लंड को मसल रहा था। बहु एक टॉवल लपेट अपनी ट्रैक पेंट उतार बेड पे फेंक दी और पैर उठा के पेंटी पहनने लगी। मैं तेजी से मुठ मार रहा था। बहु पेंटी और ब्रा पहनने के बाद टॉवल को नीचे गिरा दिया और मेरी तरफ मुड गई।
मेरी तो जैसे साँस ही अटक गई।। मेरी जवान बहु अपने भरे-भरे बदन को सिर्फ एक रेड कलर के ब्रा और पैन्टी में ढके मेरे सामने खड़ी थी।।
मैने अपना हाथ स्लो कर दिया ताकि बहु को पता न चले के मैं ब्लैंकेट के अंदर मुठ मर रहा हू।।
सरोज - कैसी लग रही हूँ बाबूजी।।
मै - (मेरी साँसे तेज़ थी।।) बहुत अच्छी लग रही हो बहु।। लाल कलर के ब्रा पैन्टी में बहुत गोरी लग रही हो । और तुम्हारी जांघे कितनी मोटी, चिकनी और मांसल हैं बहु।। (ऐसा कहते हुए मैं आँख बंद कर अपने लंड का स्किन पूरा खोल ३-४ बार जोर से स्ट्रोक दिया।)
सरोज - (हँसते हुवे।। ) सच्ची बाबूजी।। मुझे भी इसकी कलर बहुत पसंद है।। आपको ठण्ड लग रही है क्या? आपने ब्लैंकेट क्यों ले लिया?
मै - हाँ बहु थोड़ी ठण्ड लग रही थी। (मैं बहु की सेक्सी स्ट्रक्चर देख तेज़ी से मस्टरबैट करने लगा।।)
सरोज - क्या हुवा बाबू जी? आपके हाथों को ? इतना क्यों हिल रहे हैं?
मै - कुछ नहीं बहु तुम्हारे कमरे में मच्छर (मॉस्क्वीटो) ज्यादा है, पैर पे कोई मच्छर ने काट लिया शायद।। (मैंने खुजलाने के बहाने और तेज़ी से लंड हिलाने लगा और बस थोड़ी देर में ब्लैंकेट के अंदर मेरे लंड से गाढ़ा पानी निकल गया।। )
सरोज - हाँ बाबूजी मच्छर तो ज्यादा है यहाँ। मैं गुड नाईट लगा देति हूं।। (बहु मेरे सामने ब्रा पैन्टी में अपनी गांड मटकाते हुए स्विच के तरफ गई और गुड नाईट लगाने लगी।।)
मै मौका देख तुरंत अपना लंड अंडरवियर के अंदर वापस डाल लिया।
सरोज बेड के ऊपर आ गई और घुटने पे मेरे सामने बैठ अपने ब्रा को छूते हुये बोली।
सरोज - बाबूजी।। इस ब्रा की क्वालिटी कितनी अच्छी है न?
मै- (मैं बहु के पास आया और अपने हाथ बहु के काँधे के पास ब्रा को छूते हुए ।बोला) हाँ बहु ये तो बहुत अच्छा है।
मैन धीरे से अपना हाथ नीचे ले आया और।। साइड से बहु के ब्रा के अंदर हाथ ड़ालते हुये ब्रा के कपडे को छूने लगा।। मेरी उंगलियाँ बहु की नंगी बूब्स को महसूस कर रही थी।
सरोज - बाबूजी ब्रा तो मुझे बहुत पसंद आयी है लेकिन पेंटी उतनी सॉफ्ट नहीं है और स्टीचिंग भी अच्छी नहीं है देखिये न साइड से धागे (थ्रेड) निकल रहे है। (बहु ने एक छोटी सी थ्रेड पकड़ के कहा)
मै - बहु सब थ्रेड को काट दो नहीं तो स्टीचिंग खुल जाएगी।। कुछ काटने के लिए है बहु?
सरोज - नहीं बाबू जी।। यहाँ तो कुछ नहीं है।।
मै - बहु तुम थोड़ा पास आओ तो मैं अपने दांतो से काट देता हू।
सरोज - ठीक है बाबूजी।। (बहु ने थोड़ा ऊपर होते हुये अपनी पेंटी मेरे चेहरे के पास लायी।
मैने अपने हाथ बहु के ब्रा से निकल।। बहु के नंगी कमर और गांड पे रख दिया और झुक कर अपनी तरफ पुल्ल किया। बहु अपनी लेफ्ट हाथ बेड पे रख अपनी कमर को मेरे मुह के पास ले आयी। मैंने धीरे से अपने होठ बहु के इनर थाइस के पास ले गया और थ्रेड काटने की कोशिश करने लगा।
मै- बहु और पास आओ।।(मैं अपना राइट हैंड बहु के गांड से हटा के बहु के पेंटी के साइड में ऊँगली ड़ालते हुये अपनी तरफ पुल्ल किया।। मुझे बहु के चूत की साइड के हलकी-हलकी बाल महसूस हुई।।।)
सरोज अब अपनी चूत को मेरे नाक के पास ले आयी।। पैंटी की साइड से चुत नज़र आ रही थी मैं अपने नोज को बहु के चूत के काफी क़रीब ले गया।। बहु के चूत की स्मेल मुझे पागल कर रही थी।।
मैने बहु के पेंटी साइड से हटा कर थ्रेड काटने लगा, मेरी उंगलिया बहु के गरम चूत से रगड खा रही थी। एक-दो बार मैंने थ्रेड काटने के बहाने अपने होठ बहु के चूत पे रगड दिए।। धीरे-धीरे बहु बेड पे लेट गई और मैं उसके थाइस के बीचे में उसकी चूत के स्मेल का मजा ले रहा था। बहु के आँखें बंद थी।
सरोज - (अपनी टाँगे फैला दी और मेरे बाल पकड़ते हुए अपनी चूत के पास खीचा।।और बोली) आह।। बाबूजी।। संभल के सारे थ्रेड काट दिजिये बाबूजी।।