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Misc. Erotica काजल, दीवाली और जुए का खेल (completed)
#15
काजल ने एकदम से हंसते हुए कहा : "इट्स ओके सारिका ..... ऐसे शरमाने की या डरने की कोई ज़रूरत नही है... मुझे केशव ने सब बता दिया है तुम दोनों के बारे में ...''

सारिका ने एकदम से अपना सिर चादर से बाहर निकाला...और केशव के चेहरे को घूरने लगी..

केशव : "अरे .... कल रात ही बात हुई थी तुम्हे लेकर...इसलिए बताना पड़ा...डोंट वरी ... दीदी से डरने की कोई बात नही है..''

काजल : "हाँ ...सारिका ....और मै किचन मे ही थी...जब तुम उपर आई...इसलिए मैने जब तक उपर आकर देखा की तुम क्या कर रही हो तो.....आधे से ज़्यादा मामला निपट चुका था....''

उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी..

उसकी बात सुनकर सारिका के साथ-2 केशव भी शरमा गया.

काजल : "अब जल्दी से बाकी का काम निपटा लो केशव ...और तैयार हो जाओ...हॉस्पिटल भी जाना है...में नीचे नाश्ता बना रही हू...''

इतना कहकर वो नीचे उतर गयी...उन दोनों को उसी हालत मे छोड़कर..

पर काजल ने नीचे उतरने के 5 मिनट बाद ही सारिका भी नीचे उतरी और काजल से बिना कुछ बोले बाहर निकल गयी.शायद उन्होंने काजल के घर पर रहते चुदाई के इरादे को त्याग दिया था

आधे घंटे बाद केशव भी तैयार होकर नीचे गया...और दोनो हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े..

रास्ते मे दोनो के बीच सारिका वाले मामले को लेकर कोई बात नही हुई...बस नॉर्मल बातें होती रही..और जुए के बारे में भी बातें हुई.

शाम तक दोनो अपनी माँ को डिसचार्ज करवाकर घर ले आए...और उन्होने संभलकर उन्हे उपर वाले कमरे मे भी पहुँचा दिया..डॉक्टर्स के परामर्श के अनुसार अब उन्हे अगले 5 दीनो तक वो इंजेक्शन लगना था..आज का वो लगवा कर ही आए थे....इसलिए 8 बजते-2 काजल ने खाना भी बना दिया और उन्हे खाना खिला कर सुला भी दिया..

केशव बाहर गया हुआ था...काजल नीचे ड्रॉयिंग रूम मे बैठकर टीवी देख रही थी की बाहर की बेल बजी..

उसने दरवाजा खोला तो बाहर केशव अपने 2 दोस्तों के साथ खड़ा था.

केशव : " जा भाई ....अपना ही घर समझ .... ''

और काजल को उनका परिचय करवाते हुए बोला : "दीदी ...ये मेरे दोस्त है .... ये बिल्लू, इसको तो आप जानती ही हो.... और ये है गन्नू ...मतलब गणेश ...''

दोनो ने काजल को नमस्ते की और अंदर आकर बैठ गये.

दोनो भाई बहन ने पहले से डिसाईड कर लिया था की कैसे वो योजना के अनुसार खेलने के लिए मैदान में उतरेगी..

सो अंदर आते ही केशव शुरू हो गया : "दीदी ....अब आपके कहने पर ही में आज घर पर आकर खेल रहा हू...थोड़ा बहुत शोर शराबा हुआ तो आप बुरा मत मानना ..''

काजल : "अब तेरी दीवाली के दिनों मे जुआ खेलने की जिद्द है तो में क्या कर सकती हू ... जब तूने खेलना ही है तो घर पर ही खेल ना... माँ की तबीयत खराब हुई तो में अकेली कहाँ भागूँगी .तू घर पर रहेगा तो मुझे तसल्ली रहेगी..''

ये सब बातें वो अपनी बनाई योजना के अनुसार कर रहे थे..

उसके बाद वो तीनों वहीं टेबल के चारो तरफ बैठ गये...और पत्ते बाँटने लगे..

काजल भी केशव के पास जाकर बैठ गयी और बोली : "अब मैने बोर तो होना नही है....में भी तुम्हारे पास बैठकर ये खेल देखूँगी..''

केशव कुछ बोल पता, इससे पहले ही बिल्लू बोल पड़ा : "हां ...हां ..काजल ..क्यों नही ...ज़रूर बैठो ....''

उसकी आँखो की चमक बता रही थी की वो काजल को ऐसे पत्तो के खेल मे इंटरस्ट लेते देखकर कितना खुश हो रहा था...अब उसकी खुशी के पीछे मंशा क्या थी,ये तो वो ही जाने, पर उसकी बात सुनकर काजल भी हँसती हुई सी केशव के साथ बैठ गयी..

और फिर शुरू हुआ..जुआ.


जो आगे चलकर कितना मजेदार और कामुक होने वाला था, ये उनमें से कोई भी नही जानता था.


काजल सोफे के साइड मे हाथ रखने वाली जगह पर बैठी थी...केशव के कंधे पर हाथ रखकर...उसके उपर झुकी हुई सी..केशव को उसकी गर्म साँसे अपने कान और चेहरे पर सॉफ महसूस हो रही थी..

केशव ने पत्ते बाँटे..और सभी ने बूट के 100 रुपय बीच मे रख दिए..

और उसके बाद सभी ने 2 बार ब्लाइंड भी चली 100-100 की..

सबसे पहले गणेश ने अपने पत्ते उठा कर देखे..और देखने के साथ ही उसने 200 की चाल चल दी.

चाल देखते ही बिल्लू ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे..पर देखने के साथ ही पैक भी कर दिया..

अब बारी थी केशव की

केशव ने मुड़कर काजल की तरफ देखा...उसने सिर हिला कर उसे इशारा किया और अगले ही पल केशव ने फिर से ब्लाइंड चल दी
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RE: काजल, दीवाली और जुए का खेल - by Jyoti Singh - 11-01-2019, 02:23 PM



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