06-09-2019, 06:08 PM
(This post was last modified: 13-12-2020, 12:38 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
पोस्ट –शॉपिंग
उन्होंने बिना कुछ बोले,आँखे झुकाये ,हम लोगों के हाथ से शापिंग बैग ले लिया।
मम्मी अंदर गयीं ,पीछे पीछे मैं।
लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।
खूँटा अभी भी जबरदस्त खड़ा था ,एकदम कड़ा।
लुंगी के ऊपर से उसे कस के दबाते मैं बोली , " अरे तझे ग्रीन सिग्नल दिया था न , फिर भी तेरा सिग्नल नहीं डाउन हुआ। "
और चिढाते हुए मैंने उनकी लुंगी हटा दी।
सुपाड़ा अभी भी खुला हुआ था।
आगे आगे मम्मी और मैं ,पीछे पीछे ये ,शापिंग बैग्स लादे।
,
मम्मी धम्म से बेड पे बैठ गयीं और इनकी ओर पैर बढ़ा दिया।
ये तबतक घुटनों के बल बैठ चुके थे और मम्मी के संदली पैरों से उनकी सैंडल उतारने लगे.
जैसे अनजाने में ,मम्मी ने अपनी दूसरी सैंडल से उनके तन्नाए , 'हार्ड आन' को रगड़ दिया।
ये बात उन्हें भी अब तक पता चल चुकी थी की मम्मी का कोई काम अनजाने में नहीं होता।
सैंडल के बाद मम्मी ने अपनी सफ़ेद शिफॉन की साड़ी उतार कर उनकी ओर उछाल दी ,वो चुपचाप तहियाने लगे ,लेकिन उनकी निगाहें चोरी चोरी चुपके चुपके ,मम्मी की दोनों ब्लाउज फाड़ती ,डीप लो कट ब्लाउज से झांकती दोनों पहाड़ियों पर ही लगी थीं।
साडी के बाद वो शापिंग बैग अन पैक करने के लिए बढे , तो मम्मी ने उन्हें रोक दिया,
" अरे बड़ी थकान लगी है पहले जा , ताज़ी कड़क चाय बना के ले। "
जब वो किचेन के लिए मुड़े ही थे तो मम्मी ने उन्हें ऊँगली के इशारे से बुला लिया और जब तो वो समझे समझे ,अपनी बाहो में भींच लिया।
भींच क्या लिया ,एकदम अपने दोनों ३८ डी डी से उन्हें क्रश कर दिया और उनके चेहरे की ओर आँख नचा के देखते बोलीं ,
" आज तो तेरे चेहरे पे ,.... "
और फिर सीधे लिप्स पे ,.. कस के ,... चूम लिया फिर उन्हें छोड़ते हुए बोलीं
" क्या बात है आज तो तेरे होंठों पे एकदम नया स्वाद है ,... "
बिचारे एकदम गौने की दुल्हन की तरह उन्होंने ब्लश किया और आँखे झुकाये किचेन की ओर मुड़ लिए।
वो कमरे के बाहर निकले ही नहीं थे की फिर रुक गए ,मम्मी ने आवाज दी ,
" सुन बहनचोद , अरे हम लोगों के चाय बना के लाने के बाद ,अपने और मंजू बाई के लिए भी बना लेना। "
जी बोलते हुए वो सीधे किचन में।
हम लोगों को चाय देने के बाद किचन में पहुँच कर एक ग्लास में मंजू बाई के लिए चाय निकाली और दूसरी ग्लास ढूंढने लगे ,
उन्होंने बिना कुछ बोले,आँखे झुकाये ,हम लोगों के हाथ से शापिंग बैग ले लिया।
मम्मी अंदर गयीं ,पीछे पीछे मैं।
लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।
खूँटा अभी भी जबरदस्त खड़ा था ,एकदम कड़ा।
लुंगी के ऊपर से उसे कस के दबाते मैं बोली , " अरे तझे ग्रीन सिग्नल दिया था न , फिर भी तेरा सिग्नल नहीं डाउन हुआ। "
और चिढाते हुए मैंने उनकी लुंगी हटा दी।
सुपाड़ा अभी भी खुला हुआ था।
आगे आगे मम्मी और मैं ,पीछे पीछे ये ,शापिंग बैग्स लादे।
,
मम्मी धम्म से बेड पे बैठ गयीं और इनकी ओर पैर बढ़ा दिया।
ये तबतक घुटनों के बल बैठ चुके थे और मम्मी के संदली पैरों से उनकी सैंडल उतारने लगे.
जैसे अनजाने में ,मम्मी ने अपनी दूसरी सैंडल से उनके तन्नाए , 'हार्ड आन' को रगड़ दिया।
ये बात उन्हें भी अब तक पता चल चुकी थी की मम्मी का कोई काम अनजाने में नहीं होता।
सैंडल के बाद मम्मी ने अपनी सफ़ेद शिफॉन की साड़ी उतार कर उनकी ओर उछाल दी ,वो चुपचाप तहियाने लगे ,लेकिन उनकी निगाहें चोरी चोरी चुपके चुपके ,मम्मी की दोनों ब्लाउज फाड़ती ,डीप लो कट ब्लाउज से झांकती दोनों पहाड़ियों पर ही लगी थीं।
साडी के बाद वो शापिंग बैग अन पैक करने के लिए बढे , तो मम्मी ने उन्हें रोक दिया,
" अरे बड़ी थकान लगी है पहले जा , ताज़ी कड़क चाय बना के ले। "
जब वो किचेन के लिए मुड़े ही थे तो मम्मी ने उन्हें ऊँगली के इशारे से बुला लिया और जब तो वो समझे समझे ,अपनी बाहो में भींच लिया।
भींच क्या लिया ,एकदम अपने दोनों ३८ डी डी से उन्हें क्रश कर दिया और उनके चेहरे की ओर आँख नचा के देखते बोलीं ,
" आज तो तेरे चेहरे पे ,.... "
और फिर सीधे लिप्स पे ,.. कस के ,... चूम लिया फिर उन्हें छोड़ते हुए बोलीं
" क्या बात है आज तो तेरे होंठों पे एकदम नया स्वाद है ,... "
बिचारे एकदम गौने की दुल्हन की तरह उन्होंने ब्लश किया और आँखे झुकाये किचेन की ओर मुड़ लिए।
वो कमरे के बाहर निकले ही नहीं थे की फिर रुक गए ,मम्मी ने आवाज दी ,
" सुन बहनचोद , अरे हम लोगों के चाय बना के लाने के बाद ,अपने और मंजू बाई के लिए भी बना लेना। "
जी बोलते हुए वो सीधे किचन में।
हम लोगों को चाय देने के बाद किचन में पहुँच कर एक ग्लास में मंजू बाई के लिए चाय निकाली और दूसरी ग्लास ढूंढने लगे ,