06-09-2019, 10:48 AM
(This post was last modified: 06-09-2019, 10:51 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गुड्डो
मुझे कुछ याद आया ,
" और ये गुड्डी का भाई मेरा देवर , ... उसके साथ आज गुड मॉर्निंग हुयी की नहीं ,.. या तुम सोती रह गयी और बेचारा ,... "
मेरी बात काट के गुड्डो ने जोर का मुंह बिचकाया ,
" बेचारा ,... "
और अपना मोबाइल मेरी ओर बढ़ा दिया ,
रात भर तीन बजे रात तक हर दस मिनट पर मेसेज , एक से एक ,...
" तीन बजे के बाद मेसेज नहीं है इसका मतलब ,.. "
" इसका मतलब तीन बजे आपके देवर की दिल की बात हो गयी। "
हँसते हुए वो बोली और पूरी बात बतायी
तीन बजे गुड्डो जहाँ सब लड़कियां औरतें सो रही थी , वहां से बाहर निकली ,
तो अनुज वही दरवाजे के पास दीवाल से चिपका सटा ,
लाइट भी चली गयी थी थोड़ी देर के लिए , जाड़े की रात का तीसरा पहर , सब लोग रजाई में मुंह ढंके , ...
और अनुज ने पीछे से गुड्डो को दबोच लिया।
अनुज का एक हाथ गुड्डो के जोबन पर और दूसरा गुड्डो के मुंह पर , कहीं वह चीख न दे और बना बनाया खेल बिगड़ जाय ,
पर गुड्डो इस हाथ की पकड़ को सपने में भी पहचान लेती , उसने छुड़ाने की कोशिश बंद कर दी ,
और एक तो वो ऐसे ही गरमाई हुयी थी , ....
वो जैसे ही आज रजाई में घुसी ,
पहले से मौक़ा ताक रही मेरी मंझली ननद
और दुलारी ,
उसकी रजाई में घुस गयी।
और गारी गाने में जो माहौल गरमाया था , सिर्फ मैंने ही नहीं ,
ननदों ने भी खुलकर हम भौजाइयों को जम के गारियाँ सुनाई थीं , नाम ले ले के ,
और गुड्डो चूँकि हम भौजाइयों के साथ थी , बिना उसकी ढोलक की टनक के गारियों का मजा आधा रह जाता ,...
बस इसीलिए उसी समय , मंझली ननद और दुलारी ने तय किया था की आज रात को उसकी क्लास जम के ली जायेगी।
और वैसे भी , आज काफी रिश्तेदार चले गए थे ,
इसलिए उस कमरे में भी भीड़ थोड़ी कम थी , बाकी काफी कल जाने वाले थे ,
इसलिए भौजाइयों को भी आज की रात आखिरी मौक़ा था
नयी नयी जवान हो रही कच्ची कलियों , ननदों का रस लेने का , ...
और दस बजे कमरे की बत्ती किसी भौजाई ने बंद कर दी , दरवाजा भी ,
बस ,...
अब अंदर सिर्फ खेली खायी भौजाइयां थी , शादी शुदा और कच्ची कलियों की कबड्डी आज बिना किसी भूमिका के शुरू हो गयी थी ,
मुझे कुछ याद आया ,
" और ये गुड्डी का भाई मेरा देवर , ... उसके साथ आज गुड मॉर्निंग हुयी की नहीं ,.. या तुम सोती रह गयी और बेचारा ,... "
मेरी बात काट के गुड्डो ने जोर का मुंह बिचकाया ,
" बेचारा ,... "
और अपना मोबाइल मेरी ओर बढ़ा दिया ,
रात भर तीन बजे रात तक हर दस मिनट पर मेसेज , एक से एक ,...
" तीन बजे के बाद मेसेज नहीं है इसका मतलब ,.. "
" इसका मतलब तीन बजे आपके देवर की दिल की बात हो गयी। "
हँसते हुए वो बोली और पूरी बात बतायी
तीन बजे गुड्डो जहाँ सब लड़कियां औरतें सो रही थी , वहां से बाहर निकली ,
तो अनुज वही दरवाजे के पास दीवाल से चिपका सटा ,
लाइट भी चली गयी थी थोड़ी देर के लिए , जाड़े की रात का तीसरा पहर , सब लोग रजाई में मुंह ढंके , ...
और अनुज ने पीछे से गुड्डो को दबोच लिया।
अनुज का एक हाथ गुड्डो के जोबन पर और दूसरा गुड्डो के मुंह पर , कहीं वह चीख न दे और बना बनाया खेल बिगड़ जाय ,
पर गुड्डो इस हाथ की पकड़ को सपने में भी पहचान लेती , उसने छुड़ाने की कोशिश बंद कर दी ,
और एक तो वो ऐसे ही गरमाई हुयी थी , ....
वो जैसे ही आज रजाई में घुसी ,
पहले से मौक़ा ताक रही मेरी मंझली ननद
और दुलारी ,
उसकी रजाई में घुस गयी।
और गारी गाने में जो माहौल गरमाया था , सिर्फ मैंने ही नहीं ,
ननदों ने भी खुलकर हम भौजाइयों को जम के गारियाँ सुनाई थीं , नाम ले ले के ,
और गुड्डो चूँकि हम भौजाइयों के साथ थी , बिना उसकी ढोलक की टनक के गारियों का मजा आधा रह जाता ,...
बस इसीलिए उसी समय , मंझली ननद और दुलारी ने तय किया था की आज रात को उसकी क्लास जम के ली जायेगी।
और वैसे भी , आज काफी रिश्तेदार चले गए थे ,
इसलिए उस कमरे में भी भीड़ थोड़ी कम थी , बाकी काफी कल जाने वाले थे ,
इसलिए भौजाइयों को भी आज की रात आखिरी मौक़ा था
नयी नयी जवान हो रही कच्ची कलियों , ननदों का रस लेने का , ...
और दस बजे कमरे की बत्ती किसी भौजाई ने बंद कर दी , दरवाजा भी ,
बस ,...
अब अंदर सिर्फ खेली खायी भौजाइयां थी , शादी शुदा और कच्ची कलियों की कबड्डी आज बिना किसी भूमिका के शुरू हो गयी थी ,