05-09-2019, 01:58 PM
Update 21
रूपाली ने पायल पर एक भरपूर नज़र डाली. उसके प्लान का एक हिस्सा तो कामयाब हो चुका था. बिंदिया को उसने बॉटल में उतार लिया था पर वो जानती थी के तेज उन मर्दों में से नही जो एक औरत तक सिमटकर रह जाएँ. वो भले कुच्छ दिन शौक से बिंदिया को चोद लेता पर दिल भरते ही फिर चलता बनता. रूपाली अच्छी तरह जानती थी के उसके लिए उसे एक और चूत का इंतज़ाम करना पड़ेगा और वो चूत उसे उस वक़्त पायल में नज़र आ रही थी. अगर एक ही घर में एक भरी हुई औरत और एक कमसिन कली एक साथ चोदने को मिले और वो भी दोनो माँ बेटी तो वो ज़रूर तेज को घर पर ही रोक सकती थी और इसी दौरान उसे उसका ध्यान अपने कारोबार की तरफ मोड़ने का वक़्त मिल सकता था. पर उसे जो भी करना था जल्दी करना था. वो ये भी अच्छी तरह जानती है के पायल भले ही जिस्म से एक पूरी औरत हो गयी थी पर थी वो अभी बच्ची ही. उसे पायल के साथ जो भी करना था बहुत सोच समझकर और पूरे ध्यान से करना था वरना बात बिगड़ सकती थी.
उसने पायल को आवाज़ देकर जगाया. पायल हमेशा की तरह घोड़े बेचकर सो रही थी. रूपाली ने बड़ी मुश्किल से उसे आवाज़ दे देकर जगाया. पायल ने उठकर उसकी तरफ देखा.
"कितना सोती है तू?"रूपाली ने थोड़ा गुस्से से कहा
"माफ़ करना मालकिन" पायल फ़ौरन उठ खड़ी हुई
"हाथ मुँह धो और नीचे पहुँच. मुझे हवेली के नीचे वाले हिस्से की सफाई करवानी है. बरसो से उधर कोई गया भी नही." रूपाली ने कहा और अपने कमरे में आ गयी.
हवेली के नीचे एक बेसमेंट बना हुआ था जिसका दरवाज़ा हवेली के पिछे की तरफ था.वो हिस्सा ज़्यादातर पुराना समान रखने के लिए स्टोर रूम की तरह काम आता था. इस हवेली में जो भी चीज़ एक बार आई थी वो कभी बाहर नही गयी थी. इस्तेमाल हुई और फिर नीचे स्टोर रूम में रख दी गयी. पुराना फर्निचर, कपड़ो से भरे पुराने संदूक बेसमेंट में भरे पड़े थे. रूपाली उस हिस्से की भी तलाशी लेना चाहती थी और क्यूंकी इस वक़्त घर पर कोई नही था, तो ये वक़्त उसे इस काम के लिए बिल्कुल ठीक लगा पर बेसमेंट में अकेले जाते उसे डर लग रहा था. बरसो से वहाँ नीचे किसी ने कदम नही रखा था इसलिए उसने अपने साथ पायल को ले जाने की सोची.
थोड़ी देर बाद रूपाली बेसमेंट की चाभी लिए हवेली के पिच्छले हिस्से में पहुँची. उसके साथ पायल थी जिसके हाथ में टॉर्च थी. रूपाली ने बेसमेंट का दरवाज़ा खोला. सामने नीचे की और जाती सीढ़ियाँ था और घुप अंधेरा होने की वजह से 10-12 सीढ़ियों से आगे कुच्छ नज़र नही आ रहा था.
"यहाँ तो बहुत अंधेरा है मालकिन" पायल ने कहा
"तो ये टॉर्च क्या तू गिल्ली डंडा खेलने के लिए लाई है?" रूपाली ने चिढ़ते हुए कहा और पायल के हाथ से टॉर्च लेकर आगे बढ़ी.
रूपाली धीरे धीरे सीढ़ियाँ उतरती नीचे पहुँची. उसके पिछे पिछे पायल भी नीचे आई. रूपाली ने नीचे आकर टॉर्च को चारों तरफ घुमाया. हर तरफ पुराना फर्निचर, पुराने बेड्स, कुच्छ पुराने बॉक्सस और ना जाने क्या क्या भरा हुआ था. हर चीज़ पर बेतहाशा धूल चढ़ि हुई थी. मकड़ियों ने चारो तरफ जाले बना रखे थे. रूपाली ने टॉर्च की लाइट चारो तरफ घुमाई. उसका अंदाज़ा सही निकला. नीचे बेसमेंट में भी लाइट का इंतज़ाम था. स्विच दरवाज़े के पास ही था. ये रूपाली की किस्मत ही थी के बेसमेंट के बीच लगा बल्ब अब भी काम कर रहा था और स्विच ऑन होते ही फ़ौरन जल उठा. हर तरफ रोशनी फेल गयी.
रूपाली आज पहली बार इस बेसमेंट में आई थी. उसने जितना बड़ा सोचा था बस्मेंट उससे कहीं ज़्यादा बड़ा था पर आधा हिस्सा खाली था. सारा पुराना समान हवेली के एक हिस्से में काफ़ी सलीके से लगाया हुआ था.
"यहाँ की सफाई तो बहुत मुश्किल है मालकिन" पायल ने कहा तो रूपाली उसकी तरफ पलटी.
पायल ने एक सफेद रंग की कमीज़ पहेन रखी थी. बहुत ज़्यादा गर्मी होने की वजह से वो दोनो ही पसीने से बुरी तरह भीग गयी थी. पायल की कमीज़ पसीने से भीग जाने के कारण उसके शरीर से चिपक गयी थी और उसके काले रंग के निपल्स कमीज़ के उपेर से नज़र आ रहे थे.
"तुझे मैने वो ब्रा क्या समान तोलने के लिए दे रखी हैं?" उसने पायल से पुचछा. "पहेनटी क्यूँ नही?"
पायल ने अपने सीने की तरफ देखा तो समझ गयी के रूपाली क्या कह रही थी. उसने फ़ौरन हाथ से पकड़के कमीज़ को झटका जिससे वो उसके जिस्म से अलग हो गयी
"पहेनटी क्यूँ नही है?" रूपाली ने दोबारा पुचछा
"जी वो बहुत फसा फसा सा महसूस होता है" पायल ने कहा
"अब तूने इतनी सी उमर में ये इतनी बड़ी बड़ी लटका ली हैं तो टाइट तो लगेगा ही. बिना उसे पहने घर में घूमेगी तो सबसे पहले नज़र तेरी इन हिलती हुई चूचियों पर जाएगी सबकी. घर में ठाकुर साहब होते हैं, तेज होता है, भूषण काका हैं. शरम नही आती तुझे?" रूपाली पायल को डाँट रही थी और वो बेचारी खड़ी चुप चाप सुन रही थी.
"जी अबसे पहना करूँगी" पायल ने जैसे रोते हुए जवाब दिया
पायल ने फिर चारों तरफ बेसमेंट पर नज़र डाली. उसे समझ नही आ रहा था के कहाँ से सफाई शुरू करवाए.
"चल एक काम कर. वो कपड़ा उठा वहाँ से और इन सब चीज़ों पर से सबसे पहले धूल झाड़ कर सॉफ कर. झाड़ू बाद में लगाते हैं" उसने पायल से कहा
पायल गर्दन हिलाती आगे बढ़ी और झुक कर सामने रखा कपड़ा उठाया
"क्या कर रही है?" रूपाली ने कहा तो वो फिर पलटी और सवालिया नज़र से उसकी तरफ देखने लगी. वो तो वही करने जा रही थी जो रूपाली ने उसे करने को कहा था
"ये जो कपड़े तूने पहेन रखे हैं ना तेरी माँ ने नही दिए तुझे. मैने दिए हैं. मेरी ननद के हैं और बहुत महेंगे हैं. इन्हें पहेंकर सफाई करेगी तो ये फिर पहेन्ने लायक नही बचेंगे" रूपाली ने कहा
पायल बेवकूफ़ की तरह उसकी तरफ देखने लगी. पायल क्या कहना चाह रही थी ये उसकी समझ में नही आ रहा था
"अरे बेवकूफ़ अपनी कमीज़ उतारकर एक तरफ रख और फिर सफाई कर" रूपाली ने कहा
पायल पर जैसे किसी ने पठार मार दिया हो.
"जी?" उसे ऐसे पुचछा जैसे अपने कानो पर भरोसा ना हुआ हो
"क्या जी?" रूपाली ने कहा "चल उतार जल्दी और काम शुरू कर"
"पर" पायल हिचकिचाते हुए बोली "मैने अंदर कुच्छ नही पहेन रखा"
"हां पता है. देखा था मैने अभी" रूपाली ने कहा "तो क्या हुआ? यहाँ कौन आ रहा है तेरी चुचियाँ देखने? यहाँ या तो मैं हूँ या तू है. और रही मेरी बात तो जैसी 2 तेरे पास हैं वैसी ही मेरे पास भी हैं. चल उतार अब"
पायल अब भी रूपाली की तरफ देखे जा रही थी. जब वो थोड़ी देर तक नही हिली तो रूपाली ने गुस्से से उसकी तरफ घूरा
"तू उतार रही है या ये काम मैं करूँ?"
पायल ने जब देखा के रूपाली का कहा उसे मानना पड़ेगा तो उसे कपड़ा एक तरफ रखा और अपनी कमीज़ उतार दी. वो उपेर से बिल्कुल नंगी हो गयी. बड़ी बड़ी पसीने में भीगी उसकी दोनो चूचियाँ आज़ाद हो गयी.
"ला ये मुझे पकड़ा दे" रूपाली ने उसके हाथ से कमीज़ लेते हुए कहा.....
रूपाली ने पायल पर एक भरपूर नज़र डाली. उसके प्लान का एक हिस्सा तो कामयाब हो चुका था. बिंदिया को उसने बॉटल में उतार लिया था पर वो जानती थी के तेज उन मर्दों में से नही जो एक औरत तक सिमटकर रह जाएँ. वो भले कुच्छ दिन शौक से बिंदिया को चोद लेता पर दिल भरते ही फिर चलता बनता. रूपाली अच्छी तरह जानती थी के उसके लिए उसे एक और चूत का इंतज़ाम करना पड़ेगा और वो चूत उसे उस वक़्त पायल में नज़र आ रही थी. अगर एक ही घर में एक भरी हुई औरत और एक कमसिन कली एक साथ चोदने को मिले और वो भी दोनो माँ बेटी तो वो ज़रूर तेज को घर पर ही रोक सकती थी और इसी दौरान उसे उसका ध्यान अपने कारोबार की तरफ मोड़ने का वक़्त मिल सकता था. पर उसे जो भी करना था जल्दी करना था. वो ये भी अच्छी तरह जानती है के पायल भले ही जिस्म से एक पूरी औरत हो गयी थी पर थी वो अभी बच्ची ही. उसे पायल के साथ जो भी करना था बहुत सोच समझकर और पूरे ध्यान से करना था वरना बात बिगड़ सकती थी.
उसने पायल को आवाज़ देकर जगाया. पायल हमेशा की तरह घोड़े बेचकर सो रही थी. रूपाली ने बड़ी मुश्किल से उसे आवाज़ दे देकर जगाया. पायल ने उठकर उसकी तरफ देखा.
"कितना सोती है तू?"रूपाली ने थोड़ा गुस्से से कहा
"माफ़ करना मालकिन" पायल फ़ौरन उठ खड़ी हुई
"हाथ मुँह धो और नीचे पहुँच. मुझे हवेली के नीचे वाले हिस्से की सफाई करवानी है. बरसो से उधर कोई गया भी नही." रूपाली ने कहा और अपने कमरे में आ गयी.
हवेली के नीचे एक बेसमेंट बना हुआ था जिसका दरवाज़ा हवेली के पिछे की तरफ था.वो हिस्सा ज़्यादातर पुराना समान रखने के लिए स्टोर रूम की तरह काम आता था. इस हवेली में जो भी चीज़ एक बार आई थी वो कभी बाहर नही गयी थी. इस्तेमाल हुई और फिर नीचे स्टोर रूम में रख दी गयी. पुराना फर्निचर, कपड़ो से भरे पुराने संदूक बेसमेंट में भरे पड़े थे. रूपाली उस हिस्से की भी तलाशी लेना चाहती थी और क्यूंकी इस वक़्त घर पर कोई नही था, तो ये वक़्त उसे इस काम के लिए बिल्कुल ठीक लगा पर बेसमेंट में अकेले जाते उसे डर लग रहा था. बरसो से वहाँ नीचे किसी ने कदम नही रखा था इसलिए उसने अपने साथ पायल को ले जाने की सोची.
थोड़ी देर बाद रूपाली बेसमेंट की चाभी लिए हवेली के पिच्छले हिस्से में पहुँची. उसके साथ पायल थी जिसके हाथ में टॉर्च थी. रूपाली ने बेसमेंट का दरवाज़ा खोला. सामने नीचे की और जाती सीढ़ियाँ था और घुप अंधेरा होने की वजह से 10-12 सीढ़ियों से आगे कुच्छ नज़र नही आ रहा था.
"यहाँ तो बहुत अंधेरा है मालकिन" पायल ने कहा
"तो ये टॉर्च क्या तू गिल्ली डंडा खेलने के लिए लाई है?" रूपाली ने चिढ़ते हुए कहा और पायल के हाथ से टॉर्च लेकर आगे बढ़ी.
रूपाली धीरे धीरे सीढ़ियाँ उतरती नीचे पहुँची. उसके पिछे पिछे पायल भी नीचे आई. रूपाली ने नीचे आकर टॉर्च को चारों तरफ घुमाया. हर तरफ पुराना फर्निचर, पुराने बेड्स, कुच्छ पुराने बॉक्सस और ना जाने क्या क्या भरा हुआ था. हर चीज़ पर बेतहाशा धूल चढ़ि हुई थी. मकड़ियों ने चारो तरफ जाले बना रखे थे. रूपाली ने टॉर्च की लाइट चारो तरफ घुमाई. उसका अंदाज़ा सही निकला. नीचे बेसमेंट में भी लाइट का इंतज़ाम था. स्विच दरवाज़े के पास ही था. ये रूपाली की किस्मत ही थी के बेसमेंट के बीच लगा बल्ब अब भी काम कर रहा था और स्विच ऑन होते ही फ़ौरन जल उठा. हर तरफ रोशनी फेल गयी.
रूपाली आज पहली बार इस बेसमेंट में आई थी. उसने जितना बड़ा सोचा था बस्मेंट उससे कहीं ज़्यादा बड़ा था पर आधा हिस्सा खाली था. सारा पुराना समान हवेली के एक हिस्से में काफ़ी सलीके से लगाया हुआ था.
"यहाँ की सफाई तो बहुत मुश्किल है मालकिन" पायल ने कहा तो रूपाली उसकी तरफ पलटी.
पायल ने एक सफेद रंग की कमीज़ पहेन रखी थी. बहुत ज़्यादा गर्मी होने की वजह से वो दोनो ही पसीने से बुरी तरह भीग गयी थी. पायल की कमीज़ पसीने से भीग जाने के कारण उसके शरीर से चिपक गयी थी और उसके काले रंग के निपल्स कमीज़ के उपेर से नज़र आ रहे थे.
"तुझे मैने वो ब्रा क्या समान तोलने के लिए दे रखी हैं?" उसने पायल से पुचछा. "पहेनटी क्यूँ नही?"
पायल ने अपने सीने की तरफ देखा तो समझ गयी के रूपाली क्या कह रही थी. उसने फ़ौरन हाथ से पकड़के कमीज़ को झटका जिससे वो उसके जिस्म से अलग हो गयी
"पहेनटी क्यूँ नही है?" रूपाली ने दोबारा पुचछा
"जी वो बहुत फसा फसा सा महसूस होता है" पायल ने कहा
"अब तूने इतनी सी उमर में ये इतनी बड़ी बड़ी लटका ली हैं तो टाइट तो लगेगा ही. बिना उसे पहने घर में घूमेगी तो सबसे पहले नज़र तेरी इन हिलती हुई चूचियों पर जाएगी सबकी. घर में ठाकुर साहब होते हैं, तेज होता है, भूषण काका हैं. शरम नही आती तुझे?" रूपाली पायल को डाँट रही थी और वो बेचारी खड़ी चुप चाप सुन रही थी.
"जी अबसे पहना करूँगी" पायल ने जैसे रोते हुए जवाब दिया
पायल ने फिर चारों तरफ बेसमेंट पर नज़र डाली. उसे समझ नही आ रहा था के कहाँ से सफाई शुरू करवाए.
"चल एक काम कर. वो कपड़ा उठा वहाँ से और इन सब चीज़ों पर से सबसे पहले धूल झाड़ कर सॉफ कर. झाड़ू बाद में लगाते हैं" उसने पायल से कहा
पायल गर्दन हिलाती आगे बढ़ी और झुक कर सामने रखा कपड़ा उठाया
"क्या कर रही है?" रूपाली ने कहा तो वो फिर पलटी और सवालिया नज़र से उसकी तरफ देखने लगी. वो तो वही करने जा रही थी जो रूपाली ने उसे करने को कहा था
"ये जो कपड़े तूने पहेन रखे हैं ना तेरी माँ ने नही दिए तुझे. मैने दिए हैं. मेरी ननद के हैं और बहुत महेंगे हैं. इन्हें पहेंकर सफाई करेगी तो ये फिर पहेन्ने लायक नही बचेंगे" रूपाली ने कहा
पायल बेवकूफ़ की तरह उसकी तरफ देखने लगी. पायल क्या कहना चाह रही थी ये उसकी समझ में नही आ रहा था
"अरे बेवकूफ़ अपनी कमीज़ उतारकर एक तरफ रख और फिर सफाई कर" रूपाली ने कहा
पायल पर जैसे किसी ने पठार मार दिया हो.
"जी?" उसे ऐसे पुचछा जैसे अपने कानो पर भरोसा ना हुआ हो
"क्या जी?" रूपाली ने कहा "चल उतार जल्दी और काम शुरू कर"
"पर" पायल हिचकिचाते हुए बोली "मैने अंदर कुच्छ नही पहेन रखा"
"हां पता है. देखा था मैने अभी" रूपाली ने कहा "तो क्या हुआ? यहाँ कौन आ रहा है तेरी चुचियाँ देखने? यहाँ या तो मैं हूँ या तू है. और रही मेरी बात तो जैसी 2 तेरे पास हैं वैसी ही मेरे पास भी हैं. चल उतार अब"
पायल अब भी रूपाली की तरफ देखे जा रही थी. जब वो थोड़ी देर तक नही हिली तो रूपाली ने गुस्से से उसकी तरफ घूरा
"तू उतार रही है या ये काम मैं करूँ?"
पायल ने जब देखा के रूपाली का कहा उसे मानना पड़ेगा तो उसे कपड़ा एक तरफ रखा और अपनी कमीज़ उतार दी. वो उपेर से बिल्कुल नंगी हो गयी. बड़ी बड़ी पसीने में भीगी उसकी दोनो चूचियाँ आज़ाद हो गयी.
"ला ये मुझे पकड़ा दे" रूपाली ने उसके हाथ से कमीज़ लेते हुए कहा.....