03-09-2019, 10:06 PM
(This post was last modified: 13-12-2020, 12:35 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
ट्रिंग ट्रिंग , बाहर काल बेल बजनी शुरू हो गयी।
………………..
और उन्होंने और जोर जोर से मंजू बाई के भोंसड़ी से निकल रही गाढ़ी चासनी को चाटना पीना शूरु कर दिया।
उनके होंठ , ठुड्डी पूरे चेहरे पर मंजू बाई के भोंसडे का रस लिपटा लगा था।
लेकिन वो एक बार फिर दूनी ताकत से जीभ अंदर बाहर कर के , भोंसडे के अंदर का रस भी ,...
ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग , मैं बाहर जोर जोर से काल बेल प्रेस कर रही थी। शापिंग बैग्स के भार से हम लोगों के हाथ टूटे पड़ रहे थे।
मंन्जू बाई झड के शिथिल पड़ गयी थी। उसने इनके सर पर से भी पकड़ ढीली कर दी थी लेकिन ये ,
उसके भोंसडे में लगे सारे रस को , झांटों में फंसी रस की बूंदो को चाट रहे थे। जो फ़ैल कर मंजू बाई की जाँघों पर पहुँच गया था वो भी ,
ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ,... अबकी मैंने अपनी ऊँगली काल बेल से हटाई ही नहीं।
और दो मिनट में उन्होंने आके दरवाजा खोला।
मुझे पूछने की जरुरत नहीं पड़ी वो क्या कर रहे थे। उनके चेहरा जिस तरह चमक रहा था ,रस से लिपटा पुता ,
वो महक मैंने भी पहचान ली , मम्मी ने भी।
हम दोनों ने मुस्कराकर एक दूसरे को देखा।
उन्होंने बिना कुछ बोले,आँखे झुकाये ,हम लोगों के हाथ से शापिंग बैग ले लिया।
मम्मी अंदर गयीं ,पीछे पीछे मैं।
लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।
खूँटा अभी भी जबरदस्त खड़ा था ,एकदम कड़ा।
लुंगी के ऊपर से उसे कस के दबाते मैं बोली ,
" अरे तझे ग्रीन सिग्नल दिया था न , फिर भी तेरा सिग्नल नहीं डाउन हुआ। "
और चिढाते हुए मैंने उनकी लुंगी हटा दी।
सुपाड़ा अभी भी खुला हुआ था।
………………..
और उन्होंने और जोर जोर से मंजू बाई के भोंसड़ी से निकल रही गाढ़ी चासनी को चाटना पीना शूरु कर दिया।
उनके होंठ , ठुड्डी पूरे चेहरे पर मंजू बाई के भोंसडे का रस लिपटा लगा था।
लेकिन वो एक बार फिर दूनी ताकत से जीभ अंदर बाहर कर के , भोंसडे के अंदर का रस भी ,...
ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग , मैं बाहर जोर जोर से काल बेल प्रेस कर रही थी। शापिंग बैग्स के भार से हम लोगों के हाथ टूटे पड़ रहे थे।
मंन्जू बाई झड के शिथिल पड़ गयी थी। उसने इनके सर पर से भी पकड़ ढीली कर दी थी लेकिन ये ,
उसके भोंसडे में लगे सारे रस को , झांटों में फंसी रस की बूंदो को चाट रहे थे। जो फ़ैल कर मंजू बाई की जाँघों पर पहुँच गया था वो भी ,
ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ,... अबकी मैंने अपनी ऊँगली काल बेल से हटाई ही नहीं।
और दो मिनट में उन्होंने आके दरवाजा खोला।
मुझे पूछने की जरुरत नहीं पड़ी वो क्या कर रहे थे। उनके चेहरा जिस तरह चमक रहा था ,रस से लिपटा पुता ,
वो महक मैंने भी पहचान ली , मम्मी ने भी।
हम दोनों ने मुस्कराकर एक दूसरे को देखा।
उन्होंने बिना कुछ बोले,आँखे झुकाये ,हम लोगों के हाथ से शापिंग बैग ले लिया।
मम्मी अंदर गयीं ,पीछे पीछे मैं।
लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।
खूँटा अभी भी जबरदस्त खड़ा था ,एकदम कड़ा।
लुंगी के ऊपर से उसे कस के दबाते मैं बोली ,
" अरे तझे ग्रीन सिग्नल दिया था न , फिर भी तेरा सिग्नल नहीं डाउन हुआ। "
और चिढाते हुए मैंने उनकी लुंगी हटा दी।
सुपाड़ा अभी भी खुला हुआ था।