03-09-2019, 09:59 PM
(This post was last modified: 11-12-2020, 11:25 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मीठा मीठा रस
अगले ही पल वो मंजू बाई की बांहों में थे ,उनके होंठ जो अगवाड़े पिछवाड़े का मीठा मीठा रस ले रहे थे ,सीधे मंजू बाई के होंठों पे ,चिपके।
मंजू बाई ने एक झटके से अपनी मोटी रसीली जीभ उनके मुंह में घुसेड़ दी ,
जैसे पहला मौक़ा पाते ही कोई किसी नयी नयी किशोरी के गुलाबी होंठों के बीच अपना लौंडा डाल दे।
और वो मंजू बाई की जीभ को किसी लौंड़े की तरह ही चूस रहे थे , पहले धीरे धीरे ,फिर जोर जोर से।
मंजू बाई मस्ती में चूर अपने एक हाथ से उनके सर को पकड़ उन्हें अपनी ओर खींचे हुए थी और मंजू बाई का दूसरा हाथ सीधे इनके नितंबों पर था , कस के दबोचे हुए।
साथ ही मंजू बाई के बड़े बड़े खूब कड़े ,३८ डी डी साइज के स्तन , जिसे देख के ये बौरा जाते थे ,इनकी छाती में दब रहे थे ,कुचल रहे थे।
कुछ देर तक ये मंजू बाई की जीभ चूसते रहे ,उसके मुख रस का , सैलाइवा का गीले गीले ,भीगे होंठों का स्वाद लेते रहे ,और जब मंजू बाई की जीभ वापस उसके मुंह के अंदर गयी तो पीछे पीछे इनकी जीभ भी मंजू बाई के मुंह के अंदर ,और अब बारी मंजू बाई की थी ,कस कस के इनकी जीभ चूसने की।
लेकिन इनकी निगाहें बार बार नीचे ,मंजू बाई के दीर्घ उरोजों पर ही फिसल रही थीं। मन तो इनका यही कह रहा था की कब उस पतले से ब्लाउज को फाड़ फेंके और उसके उरोजों को मुंह में लेके चूसें चुभलाये।
और यह तड़पन उनकी उनसे ज्यादा मंजू बाई को पता थी।
और वो उन्हें तड़पा रही थी ,ललचा रही थी।
खुद मंजू बाई अपनी भारी चूंचियां उनकी छाती पे रगड़ती उनसे बोली ,
" बहुत मस्त चूसते हो मुन्ना , लगता है अपनी माँ का भोंसड़ा बहुत चूसे हो। खूब रसीला होगा उसका भोंसड़ा। "
और उनके हाँ ना के इन्तजार के पहले एक बार फिर अपने होंठों से मंजू बाई ने उनके होंठ सील कर दिए।
वो कुलुबुला रहे थे ,उसकी चूँचियों के लिए और मंजू बाई खुद बोली ,
" माँ का दुद्दू पियेगा मुन्ना मेरा , अरे मिलेगा न बोला तो। अब मेरे मम्मो में तो दुद्धू है नहीं , हाँ रात को आ जाना , तेरी छुटकी बहिनिया गीता अभी अभी बियाई है ,दूध छलकता रहता है उसकी चूंची से बस पिला दूंगी ,पीना चूसक चूसक के। हाँ हाँ मेरा भी मिलेगा। "
लेकिन मंजू बाई ने अपना इरादा जाहिर कर दिया अपने हाथों से अपनी हरकतों से.
मंजू बाई ने अपनी जाँघे खूब फैला ली ,अपनी खुली फैली टांगों के बीच उनके पैरों को फंसाते हुए , ... जो हाथ मंजू बाई का उनके सर पे था अब वो सीधे उनके लन्ड के बेस पे, ऊँगली और तर्जनी से मंजू बाई उसे दबाती रही ,रगड़ती रहीं।
साथ में जो हाथ उनके नितम्ब पे था , उन्हें मंजू बाई की ओर खींचे हुए , सटाये हुए
बस उस हाथ ने हलके हलके उनके चूतड़ों को सहलाना ,स्क्रैच करना शुरू कर दिया।
कुछ ही देर में उसकी हाथ की तर्जनी सीधे नितंबों के बीच की दरार में पहुँच गयी थी और हलके हलके दबा रही थी , दरार के अंदर पुश कर रही थी।
वो मचल रहे थे अपनी कमर पुश कर रहे थे लेकिन कमान मंजू बाई के ही हाथ में थी।
उनका खुला सुपाड़ा अब मंजू बाई के भोंसडे के खुले होठों पे रगड़ खा रहा था।
एक जोर का धक्का मंजू बाई ने मारा और साथ में पूरी ताकत से नितम्बो के बीच का हाथ पुश किया ,
गप्पाक।
उनका मोटा बौराया सुपाड़ा मंजू बाई की गीली बुर के अंदर ,
और मंजू बाई का अंगूठा उनकी गांड के अंदर।
मंजू बाई की बुर अब जोर जोर से उनके सुपाड़े को भींच रही थी ,निचोड़ रही थी।
मंजू बाई की बुर की एक एक मसल्स ,जैसे कोई सुंदरी अपने हाथ में अपने यार का लन्ड लेकर मुठियाए ,दबाये बस उसी तरह जोर जोर से स्क्वीज कर रही थी।
मंजू बाई के होंठों ने अब उनके होंठों को आजाद कर दिया था , उनकी ओर देखती ,मंजू बाई ने पूछा ,
" क्यों बोल ,रंडी के , ... बहुत मजा लिया है न तूने माँ के भोंसडे का , साली छिनार , बोल मजा आया माँ के भोंसडे में न। "
और बिना उनके जवाब के इन्तजार के , एक बार फिर कस के अपनी बुर में उनके लन्ड को ,बुर सिकोड़ सिकोड़ कर निचोड़ना शुरू कर दिया।
अब वो लाख कोशिश कर रहे थे की और पुश करें ,लन्ड और भीतर ठेले लेकिन मंजू बाई के आगे उनकी सब कोशिस बेकार ,सुपाड़े के आगे एक मिलीमीटर भी उसने नहीं ठेलने दिया।
हाँ मंजू बाई का अंगूठा जरूर अब उनकी कसी संकरी गांड में रगड़ता दरेरता आगे पीछे हो रहा।
वो तड़प रहे थे ,वो तड़पा रही थी।
" बोल चोदेगा न माँ का भोंसड़ा बोल , खुल के हरामी का , ... बोल मादरचोद। "
मंजू बाई उनकी आँखों में आँखे डाल के बोल रही थीं।
" हाँ चोदुगा , चोदूँगा।"
उसी तरह मस्ती से उन्होंने जोर जोर से खुल के बोला।
" अरे साले तेरे सारे खानदान की गांड मारूँ ,बोल किस छिनार का ,... क्या "
मंजू बाई और जोर से बोलीं।
सुपाड़े पर बुर का जोर बढ़ गया था।
" चोदूँगा , माँ का भोंसड़ा ,.. "
वो बोले ,बिना किसी हिचक के।
" साले तू तो पक्का पैदायशी मादरचोद है। "
मंजू बाई बोलीं और एक जोर का धक्का मारा ,लन्ड थोडा और अंदर घुस गया।
" दिलवाऊंगी तुझे तेरी माँ की भी ,तेरी बहन की भी , लेकिन चल ज़रा मेरे भोंसडे को चूस , चूस के सब रस निकाल दे ,फिर देख तुझे क्या क्या मजे दिलवाती हूँ।"
और जब तो वो कुछ बोलेन ,समझे ,मंजू बाई ने अपनी कमर पीछे खींचकर उनका लन्ड बाहर निकाल दिया।
एक झटके में मंजू बाई के दोनों हाथ अब सीधे उनके कंधे पर और पुश करके ,मंजू बाई ने उन्हें नीचे बैठा दिया।
मंजू बाई ,किचेन में सिल का सहारा लेकर खड़ी थी ,उसका साडी साया बस एक छल्ले की तरह उसके कमर में फंसा हुआ।
नीचे उसकी खुली जाँघों के बीच वो बैठे ,
और अबकी शूरू से ही उन्होंने फुल स्पीड चुसाई चालू की।
चूत चूसने में वैसे भी उनकी टक्कर का मिलना मुश्किल था ,फिर अभी मंजू बाई ने जैसे उन्हें पागल बना दिया था तो ,
दोनों हाथों से कस के उन्होंने मंजू बाई के बड़े बड़े खुले चूतड़ों को दबोच कर अपनी ओर पुश कर रहे थे ,
अपने होंठों में उसकी बुर दबा रहे थे।
जीभ उनकी पहले तो दो चार मिनट ,सपड़ सपड़ बुर के चारो ओर , फिर ऊपर से नीचे तक ,और उसके बाद अपने हाथ से उन्होंने मंजू बाई की बुर की पुत्तियाँ फैला के ,जीभ उसके अंदर लपलप चाट रही थी ,
जैसे कोई रसीले आम की फांक को फैला के उसका एक एक बूँद रस चाट ले।
जीभ से उन्होंने मंजू बाई की भीगी गीली बुर चोदनी शुरू कर दी।
मस्त कसैला स्वाद जिसके पीछे दुनिया पागल है। खूब गाढ़ा ,सीधे जीभ की टिप पे रस की पहली बूँद ,
और फिर उनके प्यासे होंठ भी आ गए ,मंजू बाई की बुर को भींच कर जोर जोर से चूसते,
फिर उनके हाथ , एक हाथ की उंगलिया मंजू बाई के पिछवाड़े की दरार में घूम टहल रही थीं तो दूसरी की तर्जनी सीधे ,मंजू बाई की क्लीट को फ्लिक कर रही थी।
मटर के दाने ऐसी वो क्लीट एकदम फूल कर कुप्पा ,
फिर अंगूठे और तर्जनी के बीच उन्होंने उसे रोल करना शरू कर दिया।
तिहरा हमला ,जीभ होंठों और ऊँगली का ,नतीजा जल्द ही रस की धार बहनी शुरू हो गई और मंजू बाई ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए और साथ में
" उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , आह्ह्ह्ह , हाँ , उह्ह्ह , ओह्ह्ह ,चूस चूस , ऐसे ही ,... आह्हः क्या मस्त मादरचोद ,... झाड़ मुझे , अरे मेरा आसीर्बाद मिलेगा ,मंजू बाई का आसीर्बाद तो बहुत जल्द ,.... ह ह ,ओह्ह उफ्फ्फ ,... हाँ चूस , ... मेरा आसीर्बाद मिलेगा न तो बहुत जल्द इसी घर में तू मेरे सामने , अपनी माँ के भोंसडे में , मंजू बाई का आशिर्वाद खाली नहीं जाता , चूस बस नहीं और नहीं ,... ओह मेरा आसीर्बाद ,तेरी माँ के भोंसडे में तेरी मलाई छलकती रहेगी ,ओह्ह नहीं रुक साले मादरचोद और नहीं ,.... ओह ,ओह्ह तेरी माँ का ,... "
और मंजू बाई ने झड़ना शुरू कर दिया।
उनकी बुर के पपोटे बार बार फडक रहे थे , सिकुड़ रहे थे , रस की धार बह रही थी।
रूकती थी फिर बहती थी।
ट्रिंग ट्रिंग , बाहर काल बेल बजनी शुरू हो गयी।
अगले ही पल वो मंजू बाई की बांहों में थे ,उनके होंठ जो अगवाड़े पिछवाड़े का मीठा मीठा रस ले रहे थे ,सीधे मंजू बाई के होंठों पे ,चिपके।
मंजू बाई ने एक झटके से अपनी मोटी रसीली जीभ उनके मुंह में घुसेड़ दी ,
जैसे पहला मौक़ा पाते ही कोई किसी नयी नयी किशोरी के गुलाबी होंठों के बीच अपना लौंडा डाल दे।
और वो मंजू बाई की जीभ को किसी लौंड़े की तरह ही चूस रहे थे , पहले धीरे धीरे ,फिर जोर जोर से।
मंजू बाई मस्ती में चूर अपने एक हाथ से उनके सर को पकड़ उन्हें अपनी ओर खींचे हुए थी और मंजू बाई का दूसरा हाथ सीधे इनके नितंबों पर था , कस के दबोचे हुए।
साथ ही मंजू बाई के बड़े बड़े खूब कड़े ,३८ डी डी साइज के स्तन , जिसे देख के ये बौरा जाते थे ,इनकी छाती में दब रहे थे ,कुचल रहे थे।
कुछ देर तक ये मंजू बाई की जीभ चूसते रहे ,उसके मुख रस का , सैलाइवा का गीले गीले ,भीगे होंठों का स्वाद लेते रहे ,और जब मंजू बाई की जीभ वापस उसके मुंह के अंदर गयी तो पीछे पीछे इनकी जीभ भी मंजू बाई के मुंह के अंदर ,और अब बारी मंजू बाई की थी ,कस कस के इनकी जीभ चूसने की।
लेकिन इनकी निगाहें बार बार नीचे ,मंजू बाई के दीर्घ उरोजों पर ही फिसल रही थीं। मन तो इनका यही कह रहा था की कब उस पतले से ब्लाउज को फाड़ फेंके और उसके उरोजों को मुंह में लेके चूसें चुभलाये।
और यह तड़पन उनकी उनसे ज्यादा मंजू बाई को पता थी।
और वो उन्हें तड़पा रही थी ,ललचा रही थी।
खुद मंजू बाई अपनी भारी चूंचियां उनकी छाती पे रगड़ती उनसे बोली ,
" बहुत मस्त चूसते हो मुन्ना , लगता है अपनी माँ का भोंसड़ा बहुत चूसे हो। खूब रसीला होगा उसका भोंसड़ा। "
और उनके हाँ ना के इन्तजार के पहले एक बार फिर अपने होंठों से मंजू बाई ने उनके होंठ सील कर दिए।
वो कुलुबुला रहे थे ,उसकी चूँचियों के लिए और मंजू बाई खुद बोली ,
" माँ का दुद्दू पियेगा मुन्ना मेरा , अरे मिलेगा न बोला तो। अब मेरे मम्मो में तो दुद्धू है नहीं , हाँ रात को आ जाना , तेरी छुटकी बहिनिया गीता अभी अभी बियाई है ,दूध छलकता रहता है उसकी चूंची से बस पिला दूंगी ,पीना चूसक चूसक के। हाँ हाँ मेरा भी मिलेगा। "
लेकिन मंजू बाई ने अपना इरादा जाहिर कर दिया अपने हाथों से अपनी हरकतों से.
मंजू बाई ने अपनी जाँघे खूब फैला ली ,अपनी खुली फैली टांगों के बीच उनके पैरों को फंसाते हुए , ... जो हाथ मंजू बाई का उनके सर पे था अब वो सीधे उनके लन्ड के बेस पे, ऊँगली और तर्जनी से मंजू बाई उसे दबाती रही ,रगड़ती रहीं।
साथ में जो हाथ उनके नितम्ब पे था , उन्हें मंजू बाई की ओर खींचे हुए , सटाये हुए
बस उस हाथ ने हलके हलके उनके चूतड़ों को सहलाना ,स्क्रैच करना शुरू कर दिया।
कुछ ही देर में उसकी हाथ की तर्जनी सीधे नितंबों के बीच की दरार में पहुँच गयी थी और हलके हलके दबा रही थी , दरार के अंदर पुश कर रही थी।
वो मचल रहे थे अपनी कमर पुश कर रहे थे लेकिन कमान मंजू बाई के ही हाथ में थी।
उनका खुला सुपाड़ा अब मंजू बाई के भोंसडे के खुले होठों पे रगड़ खा रहा था।
एक जोर का धक्का मंजू बाई ने मारा और साथ में पूरी ताकत से नितम्बो के बीच का हाथ पुश किया ,
गप्पाक।
उनका मोटा बौराया सुपाड़ा मंजू बाई की गीली बुर के अंदर ,
और मंजू बाई का अंगूठा उनकी गांड के अंदर।
मंजू बाई की बुर अब जोर जोर से उनके सुपाड़े को भींच रही थी ,निचोड़ रही थी।
मंजू बाई की बुर की एक एक मसल्स ,जैसे कोई सुंदरी अपने हाथ में अपने यार का लन्ड लेकर मुठियाए ,दबाये बस उसी तरह जोर जोर से स्क्वीज कर रही थी।
मंजू बाई के होंठों ने अब उनके होंठों को आजाद कर दिया था , उनकी ओर देखती ,मंजू बाई ने पूछा ,
" क्यों बोल ,रंडी के , ... बहुत मजा लिया है न तूने माँ के भोंसडे का , साली छिनार , बोल मजा आया माँ के भोंसडे में न। "
और बिना उनके जवाब के इन्तजार के , एक बार फिर कस के अपनी बुर में उनके लन्ड को ,बुर सिकोड़ सिकोड़ कर निचोड़ना शुरू कर दिया।
अब वो लाख कोशिश कर रहे थे की और पुश करें ,लन्ड और भीतर ठेले लेकिन मंजू बाई के आगे उनकी सब कोशिस बेकार ,सुपाड़े के आगे एक मिलीमीटर भी उसने नहीं ठेलने दिया।
हाँ मंजू बाई का अंगूठा जरूर अब उनकी कसी संकरी गांड में रगड़ता दरेरता आगे पीछे हो रहा।
वो तड़प रहे थे ,वो तड़पा रही थी।
" बोल चोदेगा न माँ का भोंसड़ा बोल , खुल के हरामी का , ... बोल मादरचोद। "
मंजू बाई उनकी आँखों में आँखे डाल के बोल रही थीं।
" हाँ चोदुगा , चोदूँगा।"
उसी तरह मस्ती से उन्होंने जोर जोर से खुल के बोला।
" अरे साले तेरे सारे खानदान की गांड मारूँ ,बोल किस छिनार का ,... क्या "
मंजू बाई और जोर से बोलीं।
सुपाड़े पर बुर का जोर बढ़ गया था।
" चोदूँगा , माँ का भोंसड़ा ,.. "
वो बोले ,बिना किसी हिचक के।
" साले तू तो पक्का पैदायशी मादरचोद है। "
मंजू बाई बोलीं और एक जोर का धक्का मारा ,लन्ड थोडा और अंदर घुस गया।
" दिलवाऊंगी तुझे तेरी माँ की भी ,तेरी बहन की भी , लेकिन चल ज़रा मेरे भोंसडे को चूस , चूस के सब रस निकाल दे ,फिर देख तुझे क्या क्या मजे दिलवाती हूँ।"
और जब तो वो कुछ बोलेन ,समझे ,मंजू बाई ने अपनी कमर पीछे खींचकर उनका लन्ड बाहर निकाल दिया।
एक झटके में मंजू बाई के दोनों हाथ अब सीधे उनके कंधे पर और पुश करके ,मंजू बाई ने उन्हें नीचे बैठा दिया।
मंजू बाई ,किचेन में सिल का सहारा लेकर खड़ी थी ,उसका साडी साया बस एक छल्ले की तरह उसके कमर में फंसा हुआ।
नीचे उसकी खुली जाँघों के बीच वो बैठे ,
और अबकी शूरू से ही उन्होंने फुल स्पीड चुसाई चालू की।
चूत चूसने में वैसे भी उनकी टक्कर का मिलना मुश्किल था ,फिर अभी मंजू बाई ने जैसे उन्हें पागल बना दिया था तो ,
दोनों हाथों से कस के उन्होंने मंजू बाई के बड़े बड़े खुले चूतड़ों को दबोच कर अपनी ओर पुश कर रहे थे ,
अपने होंठों में उसकी बुर दबा रहे थे।
जीभ उनकी पहले तो दो चार मिनट ,सपड़ सपड़ बुर के चारो ओर , फिर ऊपर से नीचे तक ,और उसके बाद अपने हाथ से उन्होंने मंजू बाई की बुर की पुत्तियाँ फैला के ,जीभ उसके अंदर लपलप चाट रही थी ,
जैसे कोई रसीले आम की फांक को फैला के उसका एक एक बूँद रस चाट ले।
जीभ से उन्होंने मंजू बाई की भीगी गीली बुर चोदनी शुरू कर दी।
मस्त कसैला स्वाद जिसके पीछे दुनिया पागल है। खूब गाढ़ा ,सीधे जीभ की टिप पे रस की पहली बूँद ,
और फिर उनके प्यासे होंठ भी आ गए ,मंजू बाई की बुर को भींच कर जोर जोर से चूसते,
फिर उनके हाथ , एक हाथ की उंगलिया मंजू बाई के पिछवाड़े की दरार में घूम टहल रही थीं तो दूसरी की तर्जनी सीधे ,मंजू बाई की क्लीट को फ्लिक कर रही थी।
मटर के दाने ऐसी वो क्लीट एकदम फूल कर कुप्पा ,
फिर अंगूठे और तर्जनी के बीच उन्होंने उसे रोल करना शरू कर दिया।
तिहरा हमला ,जीभ होंठों और ऊँगली का ,नतीजा जल्द ही रस की धार बहनी शुरू हो गई और मंजू बाई ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए और साथ में
" उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , आह्ह्ह्ह , हाँ , उह्ह्ह , ओह्ह्ह ,चूस चूस , ऐसे ही ,... आह्हः क्या मस्त मादरचोद ,... झाड़ मुझे , अरे मेरा आसीर्बाद मिलेगा ,मंजू बाई का आसीर्बाद तो बहुत जल्द ,.... ह ह ,ओह्ह उफ्फ्फ ,... हाँ चूस , ... मेरा आसीर्बाद मिलेगा न तो बहुत जल्द इसी घर में तू मेरे सामने , अपनी माँ के भोंसडे में , मंजू बाई का आशिर्वाद खाली नहीं जाता , चूस बस नहीं और नहीं ,... ओह मेरा आसीर्बाद ,तेरी माँ के भोंसडे में तेरी मलाई छलकती रहेगी ,ओह्ह नहीं रुक साले मादरचोद और नहीं ,.... ओह ,ओह्ह तेरी माँ का ,... "
और मंजू बाई ने झड़ना शुरू कर दिया।
उनकी बुर के पपोटे बार बार फडक रहे थे , सिकुड़ रहे थे , रस की धार बह रही थी।
रूकती थी फिर बहती थी।
ट्रिंग ट्रिंग , बाहर काल बेल बजनी शुरू हो गयी।