02-09-2019, 09:44 AM
" अरे मुन्ने खुल के बोल न ,किस के भोंसडे को चोदेगा,बोल साफ़ साफ़। " मम्मी ने जोर से उनके खूंटे को दबाते पूछा।
और मेरे कान को विश्वास नहीं हुआ ,उन्होंने एकदम खुल के बोला लेकिन उनकी आवाज कुछ कुछ घंटी में दब गयी।
बेल दुबारा बजी।
" मंजू बाई होगी ,आज दोपहर से वो काम पे आने वाली थी। "
बिजली भी आगयी , पंखा फिर से चलने लगा।
मैंने जाके दरवाजा खोला ,
आगे आगे मंजू बाई ,पीछे पीछे मैं।
अंदर हालात बदल गयी थीं लेकिन कोई भी देख के कुछ देर पहले मचे तूफ़ान का निशान साफ़ साफ़ दिख रहा था।
मम्मी ने उनका खूँटा भले ही अंदर कर दिया हो तोप ढँक दिया हो ,लेकिन वो वैसा ही बौराया ,भूखा पगलाया खड़ा था।
वो और मम्मी एकदम चिपके बैठे थे।
मम्मी का हाथ बड़े अधिकार पुर्वक उनके कंधे पर था उन्हें अपनी ओर खींचे ,चिपकाये हुए।
आँचल अभी भी मम्मी का लुढ़का पुढका था ,और उनकी ललचायी निगाहे दोनों पहाड़ियों के बीच ,गोरी मांसल गुदाज घाटी में चिपकी।
और मेरे कान को विश्वास नहीं हुआ ,उन्होंने एकदम खुल के बोला लेकिन उनकी आवाज कुछ कुछ घंटी में दब गयी।
बेल दुबारा बजी।
" मंजू बाई होगी ,आज दोपहर से वो काम पे आने वाली थी। "
बिजली भी आगयी , पंखा फिर से चलने लगा।
मैंने जाके दरवाजा खोला ,
आगे आगे मंजू बाई ,पीछे पीछे मैं।
अंदर हालात बदल गयी थीं लेकिन कोई भी देख के कुछ देर पहले मचे तूफ़ान का निशान साफ़ साफ़ दिख रहा था।
मम्मी ने उनका खूँटा भले ही अंदर कर दिया हो तोप ढँक दिया हो ,लेकिन वो वैसा ही बौराया ,भूखा पगलाया खड़ा था।
वो और मम्मी एकदम चिपके बैठे थे।
मम्मी का हाथ बड़े अधिकार पुर्वक उनके कंधे पर था उन्हें अपनी ओर खींचे ,चिपकाये हुए।
आँचल अभी भी मम्मी का लुढ़का पुढका था ,और उनकी ललचायी निगाहे दोनों पहाड़ियों के बीच ,गोरी मांसल गुदाज घाटी में चिपकी।