11-01-2019, 09:13 AM
अपडेट - 9
सरिता और चंचल दोनो जा कर एक टेबल पर बैठ गयी। और खाने का आर्डर करने लगी। तभी वो आदमी वहां से जल्दी से बाहर निकल गया। वो आदमी कुछ सोचता रहा । फिर मुस्कुराते हुए वहां से चला गया।
थोड़ी देर बाद चंचल और सरिता खाना खा कर रेस्टॉरेंट से घर की और जाने लगी। जब सरिता कार निकाल कर ड्राइव करते हुए चंचल के साथ जा रही थी। उस वक़्त भी एक पेड़ के पीछे से चिप कर कोई उन्हें देख रहा था।वो कोई और नहीं बल्कि वही व्यक्ति था जो उन्हें रेस्टॉरेंट में भी देख कर चोंक पड़ा था।
अब आगे...
सरिता और चंचल इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी की कोई उन पर नज़र रख रहा है। वहीं वो व्यक्ति किसी सोच में डूब गया था। तभी उस व्यक्ति के पास एक कॉल आया। जब उस व्यक्ति ने कॉल उठाया तो थोड़ा सा परेशान हुआ फिर थोड़ा सा गुस्सा आया। लेकिन अगले ही पल उसका गुस्सा और परेशानी दोनो एक हो गए। मेरा मतलब उसके आव भाव से किसी साज़िश मैं फंसे होने का किसी को भी भान हो जाये। या फिर हो सकता है वो किसी मुसीबत में हो? या फिर किसी मुसीबत की कश्ती का मांझी हो। खेर वो आदमी फोन कॉल के कट होने के बाद कब वहां से फ़ुर्र हुआ और कहां गया कोई कह नही सकता।
सरिता और चंचल घर पहुंच कर....
चंचल: चल यार घर का दरवाजा खोलते है और अंदर चल कर आराम करते है।
सरिता : दीदी आप तो ऐसे बोल रही है जैसे आप आज पहली बार घर में प्रवेश कर रही हो?
चंचल: अरे यार सुरेश के बिना अकेले तो मैं आज पहली बार ही आ रही हूं इस घर में..।
चंचल और सरिता दोनो सरिता की इस बात पर हंस पड़ती है।
सरिता गेट का ताला खोलती है और दोनों साथ में घर मे घुसती है।
चंचल अपने बैडरूम में जाकर चेंज करने लगती है वहीं सरिता राज के पुराने कमरे में जहां राज शादी से पहले रहता था, वह शिफ्ट हो जाती है और अपने कपड़े बदलने लगती है।
करीब आधा घंटे बाद....
एक फ़ोन कॉल आता है।
चंचल: हेलो.....सुरेश?
सुरेश: हेलो चंचल? तुम सुन पा रही हो ना मुझे..?
चंचल: हाँ सुरेश लाउड एंड क्लियर। तुम ठीक हो ना। क्या तुम पहुंच गए।
सुरेश : नहीं सरिता । एक्चुअली हुम् लोग फिलहाल कैनडा है। कल सुबह यहां से पेरिस का है।
चंचल: ओक जान ई मिस यु अलॉट।
सुरेश: मी टू जानू, ओके लिसेन , तुम्हे काल आफिस जाना है। सीधे मेरे केबिन में। देखो तुमने कई बार जॉब करने के किये कहा। जबकि हमारे पास काफी पैसे थे फिर भी क्योंकि तुम घर पर बोर हो जाती थी। अब तुम्हे मौका मिल रहा है बॉस बनने का। घर के साथ साथ आफिस का बॉस भी अब तुम ही रहोगी।
चंचल: वो सब तो ठीक है सुरेश लेकिन बॉस तो आप ही रहेंगे ।
सुरेश: थैंक यू आका, साहेब... हा हा हा हा, अच्छा सुनो मैंने रघुनाथ को बोल दिया है कि वो तुम्हे सारा काम समझा दे। एक बात का ध्यान रखना जान हमारा कोई भी पार्टनर और नई टेंडर वाले , या फिर कोई नई क्लाइंट कोई भी नाराज ना हो। क्योंकि इसका बुरा असर हमारे बिज़नेस पर पड़ेगा। और कोई ज्यादा दिक्कत हो तो मुझे कॉल करना।
चंचल: ओके जान, कल 10 बजे तक मैं आफिस में चली जाउंगी।
सुरेश: ओके, और सरिता आ गयी?
चंचल: हाँ लेकिनsss....
सुरेश: लेकिन क्या?
चंचल: सुरेश जब मैं आफिस चली जाउंगी तब सरिता अकेली नही पड़ जाएगी यहां घर पर?
सुरेश: हैं सो तो है, पर क्या करें।
चंचल: सुरेश क्यों ना इस एक महीने के किये कोई काम करने वाली को देख ले।
सुरेश: तुम्हारा दिमाग खराब है, अगर माँ को पता लगा तो...?
चंचल: कम ऑन सुरेश , अगर माँ को और बातों का पता लगा तो ज्यादा मुसीबत होगी एक नोकरानी से कौनसा पहाड़ टूट पड़ेगा।
सुरेश को चंचल के शब्द एक पल को ब्लैकमेलर जैसे लगे लेकिन अगले ही पल सुरेश को भी एक नौकरानी की कमी महसूस हो गयी।
सुरेश: ठीक है चंचल , लेकिन सिर्फ एक महीने के लिए। और माँ से रेगुलर टच में रहना।
चंचल: (खुश होते हुए) स्योर सुरेश यु डोंट वरि अबाउट देट।
सुरेश : ओक बाय जान, आई लव यू।
चंचल: मूssssवाह ,लव यू टू
फ़ोन कट
दोनो आने वाले कल से बेफिक्र नींद के आगोश में चली जाती है।
सुबह जल्दी चंचल की आंख खुल जाती है। चंचल सरिता को बहुत चाहती है। सरिता चंचल के लिए एक देवरानी मात्र नहीं बल्कि उसकी एक छोटी बहन और एक सहेली की तरह है। चंचल को मालूम था कि आज उसे आफिस जाना है। इसलिए जल्दी उठ कर फटाफट घर का काम करने में लग गयी। और फिर सोचने लगी कि आखिर नौकरानी के लिए किस से बात करे? तभी उसके दिमाग मे अपनी पड़ोसन की याद आती है। उनके घर रोज सुबह और शाम को काम वाली आती है। लेकिन एक ही प्रॉब्लम है जो आती है वो घरों की बातें इधर की उधर मिर्च मसाला लगा कर जड़ती है। चंचल कुछ देर सोच विचार करके फिर एक निर्णय लेती है।
करीब आधे घण्टे मैं चंचल ने घर का काम निपटा दिया। हालांकि घर बहुत बड़ा था लेकिन चंचल को सिर्फ वही काम करना था जहां पर वो लोग रहते है। इसलिए काम जल्दी खत्म हो गया। चंचल फटाफट काम खत्म करके दो कॉफ़ी बनाती है और सरिता के रूम की और जाने लगती है।
चंचल सरिता के रूम के पास जाकर डोर नॉक करती हैं और साथ ही सरिता को आवाज भी देती है।
चंचल : सरिता...... सरिता।।।। कॉफ़ी लेलो ।।
सरिता के कानों में जैसे ही चंचल के शब्द गूंजते है तुरंत उठ खड़ी होती है। सरिता बहूत ही मीठी नींद में थी। सरिता जल्दी से दरवाजा खोलती है और कॉफ़ी लेते हुए।
सरिता : दीदी आप क्यों परेशान हो रही है। मैं कर लुंगी ये सब।
चंचल: हाँ हाँ पता है तू कर लेगी। हा हा हा हा,
चंचल हंसते हुए सरिता को नोटिस कर रही थी।
सरिता भी चंचल के इस तरह बोलने पर हंस पड़ती है। दोनों साथ कॉफ़ी पीते हुए नौकरानी और आफिस की बातें करती है। साथ ही चंचल सरिता को बताती है कि नाश्ता तैयार है। खाना बाहर खाये तो अलग बात है वरना खाना फिलहाल तो सरिता को बनाना पड़ेगा। और नौकरानी के लिए पड़ोस में आंटी को चंचल बोल देंगी। और काफी बातें चंचल सरिता को बता रही थी जिसे सरिता सुने जा रही थी। कुछ समझ रही थी तो कुछ ऊपर से जा रही थी। तभी बातों बातों में घड़ी में 9 बजने का घंटा बजा। जिसके साथ ही चंचल भी आफिस के लिए रवाना हो गयी। ऑफिस दूर है थोड़ा सा तो जल्दी जाना ही बेहतर था। और फिर आज पहले दिन ही लेट होना अच्छा नहीं हैं ना। इसलियर सरिता ने किसी को फ़ोन किया। करीब 15 मिनट के बाद एक आदमी आकर खड़ा हो गया।
ये एक ड्राइवर था।जो पहले सुरेश के लिए काम करता था। लेकिन फिर किसी कारण से इसने काम छोड़ दिया था। अब ये वापस कैसे आया ये तो बाद कि बात है। फिलहाल तो चंचल उसके साथ कार में बैठ कर आफिस जा रही है।
करीब 9.45 बजे चंचल आफिस पहुंचती है। सारा आफिस स्टॉफ चंचल का स्वागत करता है। चंचल इस वक़्त टिपिकल सारी लुक में थी। लेकिन थी तो बॉस।
स्टॉफ की ओरी भीड़ में एक आदमी था। जो थोड़ा सा नाराज और गुस्से में था। लेकिन उसके चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी। मजे की बात ये है कि ये कोई और नहीं बल्कि वही आदमी है जिसने काल सरिता और चंचल को कल रेस्टॉरेंट में देखा था।
सरिता और चंचल दोनो जा कर एक टेबल पर बैठ गयी। और खाने का आर्डर करने लगी। तभी वो आदमी वहां से जल्दी से बाहर निकल गया। वो आदमी कुछ सोचता रहा । फिर मुस्कुराते हुए वहां से चला गया।
थोड़ी देर बाद चंचल और सरिता खाना खा कर रेस्टॉरेंट से घर की और जाने लगी। जब सरिता कार निकाल कर ड्राइव करते हुए चंचल के साथ जा रही थी। उस वक़्त भी एक पेड़ के पीछे से चिप कर कोई उन्हें देख रहा था।वो कोई और नहीं बल्कि वही व्यक्ति था जो उन्हें रेस्टॉरेंट में भी देख कर चोंक पड़ा था।
अब आगे...
सरिता और चंचल इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी की कोई उन पर नज़र रख रहा है। वहीं वो व्यक्ति किसी सोच में डूब गया था। तभी उस व्यक्ति के पास एक कॉल आया। जब उस व्यक्ति ने कॉल उठाया तो थोड़ा सा परेशान हुआ फिर थोड़ा सा गुस्सा आया। लेकिन अगले ही पल उसका गुस्सा और परेशानी दोनो एक हो गए। मेरा मतलब उसके आव भाव से किसी साज़िश मैं फंसे होने का किसी को भी भान हो जाये। या फिर हो सकता है वो किसी मुसीबत में हो? या फिर किसी मुसीबत की कश्ती का मांझी हो। खेर वो आदमी फोन कॉल के कट होने के बाद कब वहां से फ़ुर्र हुआ और कहां गया कोई कह नही सकता।
सरिता और चंचल घर पहुंच कर....
चंचल: चल यार घर का दरवाजा खोलते है और अंदर चल कर आराम करते है।
सरिता : दीदी आप तो ऐसे बोल रही है जैसे आप आज पहली बार घर में प्रवेश कर रही हो?
चंचल: अरे यार सुरेश के बिना अकेले तो मैं आज पहली बार ही आ रही हूं इस घर में..।
चंचल और सरिता दोनो सरिता की इस बात पर हंस पड़ती है।
सरिता गेट का ताला खोलती है और दोनों साथ में घर मे घुसती है।
चंचल अपने बैडरूम में जाकर चेंज करने लगती है वहीं सरिता राज के पुराने कमरे में जहां राज शादी से पहले रहता था, वह शिफ्ट हो जाती है और अपने कपड़े बदलने लगती है।
करीब आधा घंटे बाद....
एक फ़ोन कॉल आता है।
चंचल: हेलो.....सुरेश?
सुरेश: हेलो चंचल? तुम सुन पा रही हो ना मुझे..?
चंचल: हाँ सुरेश लाउड एंड क्लियर। तुम ठीक हो ना। क्या तुम पहुंच गए।
सुरेश : नहीं सरिता । एक्चुअली हुम् लोग फिलहाल कैनडा है। कल सुबह यहां से पेरिस का है।
चंचल: ओक जान ई मिस यु अलॉट।
सुरेश: मी टू जानू, ओके लिसेन , तुम्हे काल आफिस जाना है। सीधे मेरे केबिन में। देखो तुमने कई बार जॉब करने के किये कहा। जबकि हमारे पास काफी पैसे थे फिर भी क्योंकि तुम घर पर बोर हो जाती थी। अब तुम्हे मौका मिल रहा है बॉस बनने का। घर के साथ साथ आफिस का बॉस भी अब तुम ही रहोगी।
चंचल: वो सब तो ठीक है सुरेश लेकिन बॉस तो आप ही रहेंगे ।
सुरेश: थैंक यू आका, साहेब... हा हा हा हा, अच्छा सुनो मैंने रघुनाथ को बोल दिया है कि वो तुम्हे सारा काम समझा दे। एक बात का ध्यान रखना जान हमारा कोई भी पार्टनर और नई टेंडर वाले , या फिर कोई नई क्लाइंट कोई भी नाराज ना हो। क्योंकि इसका बुरा असर हमारे बिज़नेस पर पड़ेगा। और कोई ज्यादा दिक्कत हो तो मुझे कॉल करना।
चंचल: ओके जान, कल 10 बजे तक मैं आफिस में चली जाउंगी।
सुरेश: ओके, और सरिता आ गयी?
चंचल: हाँ लेकिनsss....
सुरेश: लेकिन क्या?
चंचल: सुरेश जब मैं आफिस चली जाउंगी तब सरिता अकेली नही पड़ जाएगी यहां घर पर?
सुरेश: हैं सो तो है, पर क्या करें।
चंचल: सुरेश क्यों ना इस एक महीने के किये कोई काम करने वाली को देख ले।
सुरेश: तुम्हारा दिमाग खराब है, अगर माँ को पता लगा तो...?
चंचल: कम ऑन सुरेश , अगर माँ को और बातों का पता लगा तो ज्यादा मुसीबत होगी एक नोकरानी से कौनसा पहाड़ टूट पड़ेगा।
सुरेश को चंचल के शब्द एक पल को ब्लैकमेलर जैसे लगे लेकिन अगले ही पल सुरेश को भी एक नौकरानी की कमी महसूस हो गयी।
सुरेश: ठीक है चंचल , लेकिन सिर्फ एक महीने के लिए। और माँ से रेगुलर टच में रहना।
चंचल: (खुश होते हुए) स्योर सुरेश यु डोंट वरि अबाउट देट।
सुरेश : ओक बाय जान, आई लव यू।
चंचल: मूssssवाह ,लव यू टू
फ़ोन कट
दोनो आने वाले कल से बेफिक्र नींद के आगोश में चली जाती है।
सुबह जल्दी चंचल की आंख खुल जाती है। चंचल सरिता को बहुत चाहती है। सरिता चंचल के लिए एक देवरानी मात्र नहीं बल्कि उसकी एक छोटी बहन और एक सहेली की तरह है। चंचल को मालूम था कि आज उसे आफिस जाना है। इसलिए जल्दी उठ कर फटाफट घर का काम करने में लग गयी। और फिर सोचने लगी कि आखिर नौकरानी के लिए किस से बात करे? तभी उसके दिमाग मे अपनी पड़ोसन की याद आती है। उनके घर रोज सुबह और शाम को काम वाली आती है। लेकिन एक ही प्रॉब्लम है जो आती है वो घरों की बातें इधर की उधर मिर्च मसाला लगा कर जड़ती है। चंचल कुछ देर सोच विचार करके फिर एक निर्णय लेती है।
करीब आधे घण्टे मैं चंचल ने घर का काम निपटा दिया। हालांकि घर बहुत बड़ा था लेकिन चंचल को सिर्फ वही काम करना था जहां पर वो लोग रहते है। इसलिए काम जल्दी खत्म हो गया। चंचल फटाफट काम खत्म करके दो कॉफ़ी बनाती है और सरिता के रूम की और जाने लगती है।
चंचल सरिता के रूम के पास जाकर डोर नॉक करती हैं और साथ ही सरिता को आवाज भी देती है।
चंचल : सरिता...... सरिता।।।। कॉफ़ी लेलो ।।
सरिता के कानों में जैसे ही चंचल के शब्द गूंजते है तुरंत उठ खड़ी होती है। सरिता बहूत ही मीठी नींद में थी। सरिता जल्दी से दरवाजा खोलती है और कॉफ़ी लेते हुए।
सरिता : दीदी आप क्यों परेशान हो रही है। मैं कर लुंगी ये सब।
चंचल: हाँ हाँ पता है तू कर लेगी। हा हा हा हा,
चंचल हंसते हुए सरिता को नोटिस कर रही थी।
सरिता भी चंचल के इस तरह बोलने पर हंस पड़ती है। दोनों साथ कॉफ़ी पीते हुए नौकरानी और आफिस की बातें करती है। साथ ही चंचल सरिता को बताती है कि नाश्ता तैयार है। खाना बाहर खाये तो अलग बात है वरना खाना फिलहाल तो सरिता को बनाना पड़ेगा। और नौकरानी के लिए पड़ोस में आंटी को चंचल बोल देंगी। और काफी बातें चंचल सरिता को बता रही थी जिसे सरिता सुने जा रही थी। कुछ समझ रही थी तो कुछ ऊपर से जा रही थी। तभी बातों बातों में घड़ी में 9 बजने का घंटा बजा। जिसके साथ ही चंचल भी आफिस के लिए रवाना हो गयी। ऑफिस दूर है थोड़ा सा तो जल्दी जाना ही बेहतर था। और फिर आज पहले दिन ही लेट होना अच्छा नहीं हैं ना। इसलियर सरिता ने किसी को फ़ोन किया। करीब 15 मिनट के बाद एक आदमी आकर खड़ा हो गया।
ये एक ड्राइवर था।जो पहले सुरेश के लिए काम करता था। लेकिन फिर किसी कारण से इसने काम छोड़ दिया था। अब ये वापस कैसे आया ये तो बाद कि बात है। फिलहाल तो चंचल उसके साथ कार में बैठ कर आफिस जा रही है।
करीब 9.45 बजे चंचल आफिस पहुंचती है। सारा आफिस स्टॉफ चंचल का स्वागत करता है। चंचल इस वक़्त टिपिकल सारी लुक में थी। लेकिन थी तो बॉस।
स्टॉफ की ओरी भीड़ में एक आदमी था। जो थोड़ा सा नाराज और गुस्से में था। लेकिन उसके चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी। मजे की बात ये है कि ये कोई और नहीं बल्कि वही आदमी है जिसने काल सरिता और चंचल को कल रेस्टॉरेंट में देखा था।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html
[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
https://xossipy.com/thread-1515.html
[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750