30-08-2019, 06:48 PM
मेरा नाम है अंकिता, मैं एक बेहद चुदक्कड़ किस्म की औरत हूँ मुझे मोटे
लम्बे लौड़े पसंद हैं, मेरे पति का लौड़ा कुछ ख़ास नहीं है | शादी करके मैं
ससुराल आई तो पहली रात मुझे डर था कि मेरी चोरी न पकड़ी जाए
क्यूंकि शादी से पहले ही में कई लड़कों के साथ चुदाई करवा चुकी थी |
मैंने बहुत चूत और गांड मरवाई थी। पहली रात तो बच गई रस्मों के चलते
हरियाणा में अभी गाँव में भी और शहरों में भी पहली रात लड़की अपने
साथ मायके से भाई को लाती है या बहन को।
दूसरी रात को मुझे कमरे में बिठा दिया गया था घूंघट में। मैं उनका
इंतज़ार कर रही थी, वो आये मेरी धड़कन बढ़ने लगी, दरवाज़ा बंद किया
और मेरे करीब आये, उन्होंने दारु पी रखी थी, काफी पी हुई थी। मेरी
चुनरी उतार कर ये मुझे पकड़ कर चूमने लगे, बोले- वाह ! कितनी खूबसरत
हो !वो नशे में थे, मेरी भाभी जो कि मेरी हमराज़ थी, ने मुझे कहा था
कि जब वो लौड़ा घुसाने लगें तो तू सासें खींच लेना और जांघें कस कर
दर्द की एक्टिंग करना ! इन्होंने मुझे ऊपर से नंगी कर लिया और मेरा दूध
पीने लगे- हाय ! क्या मस्त मम्मे हैं तेरे !
मेरे निप्पल को काट दिया, मैं बहकने लगी, दिल करने लगा उनका
लौड़ा पकड़ कर सहलाऊँ, चूसूँ !लेकिन खुद को शरीफ दर्शाना था,
अपनी वासना अपने दिल में दबा ली।ये मेरे ऊपर चढ़ गए, मेरे होंठ चूसते हुए
नीचे से मेरी सलवार का नाड़ा खिसका दिया खुद के कपड़े नहीं उतार
रहे थे। सलवार उतार, पैंटी खिसका मेरी फ़ुद्दी को चाटने लगे।मैं
कसमसाने लगी, मैंने हाथ ले जाकर इनका लौड़ा पकड़ लिया। वो अभी
भी पूरा खड़ा नहीं था, मुझे तो देख कर ही लड़कों के कपड़ों में खड़े हो
जाते थे, फिर इन्होंने तो मुझे नंगी किया था
| फिर भी मैंने इनका पजामा खोल दिया और
लौड़े को पकड़ कर देख मेरे सपने टूटने लगे, इतना छोटा लौड़ा ! पतला
सा !मेरे अंदर क्रोध से भरी आग लग गई लेकिन इन्होंने मेरी फ़ुद्दी को
चाटना ज़ारी रखा मुझे उसी से शांत करने का इरादा था।अतिम पलों
में अपना छोटा सा लौड़ा घुसा झटके दिए, मैंने सांसें भी खींची, जांघें
भी कस ली फिर भी इनका आसानी से घुसने लगा था दो मिनट में
अपना पानी निकाल हांफने लगे, बिना कोई ज्यादा बात किये सो
गए।पहली रात मेरी चोरी नहीं पकड़ी गई लेकिन दिल भी टूट गया।सुबह
एक रस्म थी, मेरे सामने बैठे थे मेरे ननदोई जी। हट्टे-कट्टे थे, चौड़ा सीना,
घने बाल, मरदाना मूछें !
मेरी नज़र उनसे टकरा गई, वो पहले दिन से मुझे बहुत प्यासी नज़रों से देखते
थे लेकिन नई नई शादी का लिहाज कर मैंने उनको शह नहीं दी थी।
लेकिन सुहागरात के बाद आज मैंने भी अपनी आँखों में सूनापन दिखा
दिया।हमारी शादी के तीन दिन बाद ही मेरी सबसे छोटी ननद की
भी शादी रखी थी, मेरी तो शादी नई हुई थी, मेहँदी वगैरा पहले लगी
थी, ना मुझे पार्लर की ज़रुरत थी।दोपहर को ही दारू का दौर चला बैठे
ननदोई जी !सासू माँ ननद को लेकर बाज़ार चली गई थी, बाकी सभी
घर के मर्द बहन की शादी का इंतजाम कर रहे थे, घर में आखिरी शादी
थी, कसर कोई छोड़ना नहीं चाहता था, पति देव अपनी बहनों-
भाभियों को लेकर शहर मार्केट ले गए मेहँदी लगवाने, ससुर जी के साथ
बैठ ननदोई सा पैग-शैग का लुत्फ़ उठाते रहे, मैं उठकर अपने कमरे की तरफ
चल दी।
मुझे उम्मीद थी कि ननदोई जी सुबह मेरी आँखों में जो प्रश्न थे, उनका
उत्तर जानने वो आयेंगे ही।मैंने चुनरी उतार बिस्तर पर डाल दी और
बाथरूम में चली गई।मेरा कमीज़ काफी गहरे गले का था जिससे मेरी
चूचियों का चीर बेहद आकर्षक दिख रहा था, जिसमें काला मंगलसूत्र
खेल रहा था।
| मुझे यह उम्मीद थी कि शायद ननदोई जी आयें !
लम्बे लौड़े पसंद हैं, मेरे पति का लौड़ा कुछ ख़ास नहीं है | शादी करके मैं
ससुराल आई तो पहली रात मुझे डर था कि मेरी चोरी न पकड़ी जाए
क्यूंकि शादी से पहले ही में कई लड़कों के साथ चुदाई करवा चुकी थी |
मैंने बहुत चूत और गांड मरवाई थी। पहली रात तो बच गई रस्मों के चलते
हरियाणा में अभी गाँव में भी और शहरों में भी पहली रात लड़की अपने
साथ मायके से भाई को लाती है या बहन को।
दूसरी रात को मुझे कमरे में बिठा दिया गया था घूंघट में। मैं उनका
इंतज़ार कर रही थी, वो आये मेरी धड़कन बढ़ने लगी, दरवाज़ा बंद किया
और मेरे करीब आये, उन्होंने दारु पी रखी थी, काफी पी हुई थी। मेरी
चुनरी उतार कर ये मुझे पकड़ कर चूमने लगे, बोले- वाह ! कितनी खूबसरत
हो !वो नशे में थे, मेरी भाभी जो कि मेरी हमराज़ थी, ने मुझे कहा था
कि जब वो लौड़ा घुसाने लगें तो तू सासें खींच लेना और जांघें कस कर
दर्द की एक्टिंग करना ! इन्होंने मुझे ऊपर से नंगी कर लिया और मेरा दूध
पीने लगे- हाय ! क्या मस्त मम्मे हैं तेरे !
मेरे निप्पल को काट दिया, मैं बहकने लगी, दिल करने लगा उनका
लौड़ा पकड़ कर सहलाऊँ, चूसूँ !लेकिन खुद को शरीफ दर्शाना था,
अपनी वासना अपने दिल में दबा ली।ये मेरे ऊपर चढ़ गए, मेरे होंठ चूसते हुए
नीचे से मेरी सलवार का नाड़ा खिसका दिया खुद के कपड़े नहीं उतार
रहे थे। सलवार उतार, पैंटी खिसका मेरी फ़ुद्दी को चाटने लगे।मैं
कसमसाने लगी, मैंने हाथ ले जाकर इनका लौड़ा पकड़ लिया। वो अभी
भी पूरा खड़ा नहीं था, मुझे तो देख कर ही लड़कों के कपड़ों में खड़े हो
जाते थे, फिर इन्होंने तो मुझे नंगी किया था
| फिर भी मैंने इनका पजामा खोल दिया और
लौड़े को पकड़ कर देख मेरे सपने टूटने लगे, इतना छोटा लौड़ा ! पतला
सा !मेरे अंदर क्रोध से भरी आग लग गई लेकिन इन्होंने मेरी फ़ुद्दी को
चाटना ज़ारी रखा मुझे उसी से शांत करने का इरादा था।अतिम पलों
में अपना छोटा सा लौड़ा घुसा झटके दिए, मैंने सांसें भी खींची, जांघें
भी कस ली फिर भी इनका आसानी से घुसने लगा था दो मिनट में
अपना पानी निकाल हांफने लगे, बिना कोई ज्यादा बात किये सो
गए।पहली रात मेरी चोरी नहीं पकड़ी गई लेकिन दिल भी टूट गया।सुबह
एक रस्म थी, मेरे सामने बैठे थे मेरे ननदोई जी। हट्टे-कट्टे थे, चौड़ा सीना,
घने बाल, मरदाना मूछें !
मेरी नज़र उनसे टकरा गई, वो पहले दिन से मुझे बहुत प्यासी नज़रों से देखते
थे लेकिन नई नई शादी का लिहाज कर मैंने उनको शह नहीं दी थी।
लेकिन सुहागरात के बाद आज मैंने भी अपनी आँखों में सूनापन दिखा
दिया।हमारी शादी के तीन दिन बाद ही मेरी सबसे छोटी ननद की
भी शादी रखी थी, मेरी तो शादी नई हुई थी, मेहँदी वगैरा पहले लगी
थी, ना मुझे पार्लर की ज़रुरत थी।दोपहर को ही दारू का दौर चला बैठे
ननदोई जी !सासू माँ ननद को लेकर बाज़ार चली गई थी, बाकी सभी
घर के मर्द बहन की शादी का इंतजाम कर रहे थे, घर में आखिरी शादी
थी, कसर कोई छोड़ना नहीं चाहता था, पति देव अपनी बहनों-
भाभियों को लेकर शहर मार्केट ले गए मेहँदी लगवाने, ससुर जी के साथ
बैठ ननदोई सा पैग-शैग का लुत्फ़ उठाते रहे, मैं उठकर अपने कमरे की तरफ
चल दी।
मुझे उम्मीद थी कि ननदोई जी सुबह मेरी आँखों में जो प्रश्न थे, उनका
उत्तर जानने वो आयेंगे ही।मैंने चुनरी उतार बिस्तर पर डाल दी और
बाथरूम में चली गई।मेरा कमीज़ काफी गहरे गले का था जिससे मेरी
चूचियों का चीर बेहद आकर्षक दिख रहा था, जिसमें काला मंगलसूत्र
खेल रहा था।
| मुझे यह उम्मीद थी कि शायद ननदोई जी आयें !