10-01-2019, 09:50 PM
काजल की साँसे तेज हो गयी...दरअसल केशव के जिस्म से निकल रही मर्दाना खुशबु उसे सम्मोहित सी कर रही थी...ऐसा लग रहा था की जैसे कोई नशा है जो केशव के शरीर से निकल कर उसकी सांसो मे समा रहा है..और ये सब महसूस करते-2 कब उसके निप्पल बाहर निकल कर केशव को चुभने लग गये, उसे भी पता नही चला...और केशव को लगा की शायद उसके गले मे पड़ा हुआ लॉकेट चुभ रहा है उसके सीने मे..पर फिर उसे याद आया की वो तो काफ़ी उपर बँधा है...और तब उसे एहसास हुआ की ये कोई लोकेट नही बल्कि कुछ और है...जो दोनो तरफ से एक बराबर चुभ रहा है..और उसे समझते देर नहीं लगी की वो क्या है
अब उत्तेजित होने की बारी केशव की थी...उसने लाख कोशिश की पर उसके लंड ने उसकी एक नही मानी और एकदम से तन कर खड़ा हो गया..जिसे काजल ने भी अपने पेट पर महसूस किया..
और ये था उसके शरीर पर किसी खड़े लंड का पहला एहसास...
भले ही रात के समय वो कितने ही लड़को के लंड खड़े करके मज़े लेती थी पर उनके एहसास को महसूस करने का ये पहला अवसर था उसके लिए और इस एहसास ने उसके शरीर को पसीने से भिगो दिया..और चूत को भी महका दिया
दोनो एकदम से अलग हो गये...और एक दूसरे से नज़रें चुराते हुए इधर-उधर देखने लगे..
केशव : "ओके ..दीदी ...अब मै चलता हू...अपने रूम मे..गुड नाइट. और हां आप कल ऑफीस की छुट्टी कर लेना..हम दोनो सुबह ही हॉस्पिटल चलेंगे और माँ को घर ले आएँगे......''
काजल : "ओक....मै सुबह ऑफीस में फोन कर दूँगी...गुड नाइट..''
उस रात काजल ने अपने वर्चुअल आशिकों से कोई भी बात नही की...पर जम कर अपनी बिना बालों वाली चूत को रगड़ा..
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इतना रगड़ा की उसपर लाल निशान पड़ गये..और जब वो झड़ी तो उसके शरीर के कंपन से पूरा पलंग हिल गया..
और वो ये सोचकर मुस्कुरा उठी की जब वो किसी के लंड की वजह से झड़ेगी तो शायद ये पलंग टूट ही जाएगा..
केशव भी अपने कमरे मे जाकर पूरा नंगा हो गया..
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और अपने हाथ में लंड लेकर ज़ोर-2 से हिलाने लगा..वो चाहता नही था की इस समय उसकी बहन काजल का ख़याल भी आए..इसलिए वो अपनी आँखे बंद करके सारिका के बारे में सोचने लगा..उसके नंगे शरीर के बारे मे सोचने लगा..उसे कैसे चोदा था वो याद करने लगा..पर अपने ऑर्गैस्म के करीब जाते-2 कब सारिका का चेहरा काजल मे बदल गया, वो भी समझ नही पाया...और अंत मे आकर जब उसके लंड से पिचकारियाँ निकली तो उस सफेद पानी के साथ -2 उसके मुँह पर भी काजल का ही नाम था..
''अहह ....ओह काजल...... उम्म्म्मममममममममम''
फिर वो सब कुछ साफ़ करके सो गया...ऐसे ही नंगा.
अगली सुबह काजल की नींद जल्दी खुल गयी...जो उसकी हमेशा की आदत थी...भले ही उसे आज ऑफीस नही जाना था पर नहा धोकर वो 8 बजे तक तैयार हो गयी...घर की सफाई भी कर ली...वो रोज 8 बजे तक निकल ही जाती थी घर से..और केशव घर पर सोता रहता था...वो 10 बजे उठता और करीब 12 बजे तक हॉस्पिटल पहुंचता था रोज...यही था दोनो का नियम पिछले एक महीने से...
काजल नीचे किचन मे अपने लिए चाय बना ही रही थी की बाहर का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई...उसने बाहर भी झाड़ू लगाया था इसलिए दरवाजा खुला ही रह गया था..वो किचन से निकल कर जब तक बाहर निकली तो उसने देखा की सारिका जल्दी से अंदर घुसी और उसने दरवाजा अंदर से बंद किया और हिरनी की तरह छलाँगें लगाती हुई वो उपर केशव के कमरे की तरफ चल दी..
उसने एक टी शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी , जिसमे वो बड़ी सेक्सी लग रही थी
काजल के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान तैर गयी...सारिका को शायद नही पता था की आज काजल घर पर ही है...और शायद उसके ऑफीस चले जाने के बाद पीछे से घर पर आना उसका रोज का नियम था...
अब उत्तेजित होने की बारी केशव की थी...उसने लाख कोशिश की पर उसके लंड ने उसकी एक नही मानी और एकदम से तन कर खड़ा हो गया..जिसे काजल ने भी अपने पेट पर महसूस किया..
और ये था उसके शरीर पर किसी खड़े लंड का पहला एहसास...
भले ही रात के समय वो कितने ही लड़को के लंड खड़े करके मज़े लेती थी पर उनके एहसास को महसूस करने का ये पहला अवसर था उसके लिए और इस एहसास ने उसके शरीर को पसीने से भिगो दिया..और चूत को भी महका दिया
दोनो एकदम से अलग हो गये...और एक दूसरे से नज़रें चुराते हुए इधर-उधर देखने लगे..
केशव : "ओके ..दीदी ...अब मै चलता हू...अपने रूम मे..गुड नाइट. और हां आप कल ऑफीस की छुट्टी कर लेना..हम दोनो सुबह ही हॉस्पिटल चलेंगे और माँ को घर ले आएँगे......''
काजल : "ओक....मै सुबह ऑफीस में फोन कर दूँगी...गुड नाइट..''
उस रात काजल ने अपने वर्चुअल आशिकों से कोई भी बात नही की...पर जम कर अपनी बिना बालों वाली चूत को रगड़ा..
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इतना रगड़ा की उसपर लाल निशान पड़ गये..और जब वो झड़ी तो उसके शरीर के कंपन से पूरा पलंग हिल गया..
और वो ये सोचकर मुस्कुरा उठी की जब वो किसी के लंड की वजह से झड़ेगी तो शायद ये पलंग टूट ही जाएगा..
केशव भी अपने कमरे मे जाकर पूरा नंगा हो गया..
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और अपने हाथ में लंड लेकर ज़ोर-2 से हिलाने लगा..वो चाहता नही था की इस समय उसकी बहन काजल का ख़याल भी आए..इसलिए वो अपनी आँखे बंद करके सारिका के बारे में सोचने लगा..उसके नंगे शरीर के बारे मे सोचने लगा..उसे कैसे चोदा था वो याद करने लगा..पर अपने ऑर्गैस्म के करीब जाते-2 कब सारिका का चेहरा काजल मे बदल गया, वो भी समझ नही पाया...और अंत मे आकर जब उसके लंड से पिचकारियाँ निकली तो उस सफेद पानी के साथ -2 उसके मुँह पर भी काजल का ही नाम था..
''अहह ....ओह काजल...... उम्म्म्मममममममममम''
फिर वो सब कुछ साफ़ करके सो गया...ऐसे ही नंगा.
अगली सुबह काजल की नींद जल्दी खुल गयी...जो उसकी हमेशा की आदत थी...भले ही उसे आज ऑफीस नही जाना था पर नहा धोकर वो 8 बजे तक तैयार हो गयी...घर की सफाई भी कर ली...वो रोज 8 बजे तक निकल ही जाती थी घर से..और केशव घर पर सोता रहता था...वो 10 बजे उठता और करीब 12 बजे तक हॉस्पिटल पहुंचता था रोज...यही था दोनो का नियम पिछले एक महीने से...
काजल नीचे किचन मे अपने लिए चाय बना ही रही थी की बाहर का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई...उसने बाहर भी झाड़ू लगाया था इसलिए दरवाजा खुला ही रह गया था..वो किचन से निकल कर जब तक बाहर निकली तो उसने देखा की सारिका जल्दी से अंदर घुसी और उसने दरवाजा अंदर से बंद किया और हिरनी की तरह छलाँगें लगाती हुई वो उपर केशव के कमरे की तरफ चल दी..
उसने एक टी शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी , जिसमे वो बड़ी सेक्सी लग रही थी
काजल के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान तैर गयी...सारिका को शायद नही पता था की आज काजल घर पर ही है...और शायद उसके ऑफीस चले जाने के बाद पीछे से घर पर आना उसका रोज का नियम था...