30-08-2019, 10:03 AM
रात भर
जैसे कोई लड़के को नया खिलौना मिल जाए न बस ये डॉगी पोज भी उसी तरह उनके लिए थी ,
और मजा मुझे भी खूब आ रहा था ,
अब मैं खुल के साजन का लंड चूस रही थी ,
हर बार उनकी मलाई घोंटने के बाद अपनी रसमलाई उन्हें मन भर के चुसाती , चटाती ,
पहली बार हम दोनों ने ६९ का भी मजा लिया , ...
मैं उनका मस्ती में चूस रही थी उनके ऊपर चढ़ी हुयी , और वो भी मेरा , उनकी जीभ मेरी चूत में धंसी
सच्च में ये लड़का नम्बरी चूत चटोरा ,
और अभी तो दूध का ग्लास भी पड़ा था , और उसमें भी वो हरी हरी , ...
ज़रा सा भी वो ,... तो मैंने ट्रिक सीख ली थी बस , ...
सिम्पल उसी गुड्डी का नाम ले ले कर , ...
और अब उन से भी गुड्डी की बुर , गांड सब कुछ कहलवाया ,
मस्तराम की किताबों में एक थी ,
गुड्डी की जवानी ....
बस वो उनसे पढ़वाई ,... उसकी हीरोइन भी १६ साल वाली गुड्डी नाम की कॉलेज की लड़की थी , ...
उसका उसके भइया के साथ ,.. बस और उनके मोबाइल में रिकार्ड भी कर लिया
कई बार गुड्डी वाले डायलाग मैं बोलती और लड़के वाले वो ,
" भइया चोदो न , ओह्ह हाँ कस कस के चोदो ,... "
वो भी अपनी उस ननद की आवाज में , ....
और वो भी उसी तरह ,
" ले गुड्डी ले ,घोंट मेरा लंड , ले , मजा आ रहा है न चुदवाने में ,... "
किताब आधी भी नहीं हुयी थी की उन्होंने मुझे ड्रेसिंग टेबल के सामने झुका के ,
और शीशे में हम दोनों को सब कुछ दिखाई पड़ रहा था ,
उस रात तो , तीसरी रात , एक बूँद भी नहीं सोये हम दोनों ,
पूरे चार बार ,...
और सुबह नहाये भी हम दोनों साथ साथ ,
चाय बनायी तो उन्होंने लेकिन मैं साथ साथ ,...
लेकिन न उस लड़के ने मुझे कपडा पहनने दिया , न मैंने पहना , सुबह की हलकी धुप पसर चुकी थी पर मैं वैसे ही उनकी गोद में
और सुबह सुबह उन्होंने गुड मॉर्निंग भी कर दिया ,
जब उनकी सलहज का फोन आया वही रोज की तरह साढ़े सात बजे
उन्होंने मुझे उठा के , अपने मोटे खूंटे पर बिठा लिया ,
और उसी तरह मैंने उनकी सास और सलहज से बात की , आधे से ज्यादा मेरे अंदर घुसा था ,
हाथ उनके उनकी सास की बड़ी बेटी के उभार पर , ...
और फोन ख़तम होते ही फिर से एक बार झुका के , घचघच् घचाघच
गनीमत थी जैसे वो अलग हुए उसी समय सीढ़ी पर से नंदों के आने की आहट सुनाई पड़ी और मैंने जल्दी से साडी ,...
मैं बाथरूम में घुस गयी
और निकली तो गुड्डो और मेरी एक ननद इनके साथ गप्प मार रही थीं , ये भी सिर्फ शार्ट और टी में
गेस करिये , कौन सी ननद होगी ?
जैसे कोई लड़के को नया खिलौना मिल जाए न बस ये डॉगी पोज भी उसी तरह उनके लिए थी ,
और मजा मुझे भी खूब आ रहा था ,
अब मैं खुल के साजन का लंड चूस रही थी ,
हर बार उनकी मलाई घोंटने के बाद अपनी रसमलाई उन्हें मन भर के चुसाती , चटाती ,
पहली बार हम दोनों ने ६९ का भी मजा लिया , ...
मैं उनका मस्ती में चूस रही थी उनके ऊपर चढ़ी हुयी , और वो भी मेरा , उनकी जीभ मेरी चूत में धंसी
सच्च में ये लड़का नम्बरी चूत चटोरा ,
और अभी तो दूध का ग्लास भी पड़ा था , और उसमें भी वो हरी हरी , ...
ज़रा सा भी वो ,... तो मैंने ट्रिक सीख ली थी बस , ...
सिम्पल उसी गुड्डी का नाम ले ले कर , ...
और अब उन से भी गुड्डी की बुर , गांड सब कुछ कहलवाया ,
मस्तराम की किताबों में एक थी ,
गुड्डी की जवानी ....
बस वो उनसे पढ़वाई ,... उसकी हीरोइन भी १६ साल वाली गुड्डी नाम की कॉलेज की लड़की थी , ...
उसका उसके भइया के साथ ,.. बस और उनके मोबाइल में रिकार्ड भी कर लिया
कई बार गुड्डी वाले डायलाग मैं बोलती और लड़के वाले वो ,
" भइया चोदो न , ओह्ह हाँ कस कस के चोदो ,... "
वो भी अपनी उस ननद की आवाज में , ....
और वो भी उसी तरह ,
" ले गुड्डी ले ,घोंट मेरा लंड , ले , मजा आ रहा है न चुदवाने में ,... "
किताब आधी भी नहीं हुयी थी की उन्होंने मुझे ड्रेसिंग टेबल के सामने झुका के ,
और शीशे में हम दोनों को सब कुछ दिखाई पड़ रहा था ,
उस रात तो , तीसरी रात , एक बूँद भी नहीं सोये हम दोनों ,
पूरे चार बार ,...
और सुबह नहाये भी हम दोनों साथ साथ ,
चाय बनायी तो उन्होंने लेकिन मैं साथ साथ ,...
लेकिन न उस लड़के ने मुझे कपडा पहनने दिया , न मैंने पहना , सुबह की हलकी धुप पसर चुकी थी पर मैं वैसे ही उनकी गोद में
और सुबह सुबह उन्होंने गुड मॉर्निंग भी कर दिया ,
जब उनकी सलहज का फोन आया वही रोज की तरह साढ़े सात बजे
उन्होंने मुझे उठा के , अपने मोटे खूंटे पर बिठा लिया ,
और उसी तरह मैंने उनकी सास और सलहज से बात की , आधे से ज्यादा मेरे अंदर घुसा था ,
हाथ उनके उनकी सास की बड़ी बेटी के उभार पर , ...
और फोन ख़तम होते ही फिर से एक बार झुका के , घचघच् घचाघच
गनीमत थी जैसे वो अलग हुए उसी समय सीढ़ी पर से नंदों के आने की आहट सुनाई पड़ी और मैंने जल्दी से साडी ,...
मैं बाथरूम में घुस गयी
और निकली तो गुड्डो और मेरी एक ननद इनके साथ गप्प मार रही थीं , ये भी सिर्फ शार्ट और टी में
गेस करिये , कौन सी ननद होगी ?