10-01-2019, 08:30 PM
केशव : "चलो कोई बात नही...अब तो आपको पता चल ही गया है...अब आप फिर से ब्लाइंड यानी कुछ और पूछना चाहती हो तो पूछो ...वरना अपने पत्ते खोलकर चाल चलो...''
काजल के पास तो काफ़ी सवाल थे...पर पहली बार मे ही वो सब पूछकर वो केशव को भगाना नही चाहती थी...उसने अपने पत्ते उठा लिए..पर ये पत्ते उसकी समझ मे नही आए...
केशव ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे...उसके पास 5 का पेयर आया था...वो खुश हो गया..पर काजल के प्रश्नवाचक चेहरे को देखकर बोला : "क्या हुआ दीदी...पत्ते ठीक नही आए क्या...''
काजल : "पता नही...ये देखो ज़रा...''
उसने अपने पत्ते सामने फेंक दिए...वो थे इक्का, बादशाह और बेगम...
केशव : "यार दीदी....आप तो कमाल हो...पता है ये क्या है....सबसे बड़ी सीक्वेंस ...इनको तो सिर्फ़ और सिर्फ़ ट्रेल ही काट सकती है..जो बड़ी मुश्किल से आती है...जैसी आपके पास पिछली बार आई थी..इक्के की ''
और फिर केशव ने काजल को सभी तरह के पत्तो के बारे मे बताया की क्या बड़ा होता है...क्या छोटा...सुच्ची किसे कहते हैं...कलर...पेयर ..सीक्वेंस ...सभी की जानकारी दी उसने..
केशव : "ये गेम तो आप जीत गयी...''
काजल : "अब पैसे तो रखे नही है हमने ...फिर मुझे क्या मिलेगा...''
वो मंद -2 मुस्कुरा भी रही थी ये बोलते हुए...
केशव को उसकी हँसी का जो मतलब नज़र आ रहा था..वो कहना नही चाहता था...और ये भी नही बोलना चाहता था की जीतने के बाद वो क्या माँगने की बात कर रही है...
केशव : "वो बाद मे बता देना...अभी मुझे कुछ और देखना है...''
काजल : "क्या ???"
और जान बूझकर काजल ने अपने दोनो हाथ अपनी छातियों पर रख लिए...जैसे केशव उन्हे ही देखने की बात कर रहा हो..
और फिर केशव के मासूमियत से भरे चेहरे पर पसीना देखकर वो खुद ही हंस-हंसकर लोट-पोट हो गयी...
काजल : "हा हा हा ....केशव तू भी ना....कितना बड़ा भोंदू है...पता नही तूने वो सब कैसे किया होगा सारिका के साथ...वो तो तुझे कक्चा खा गयी होगी...''
केशव : "मुझे ...और वो....आप ये बात कैसे कह सकती हो ...''
वो ताश की गड्डी को पीटता हुआ बोला
काजल : "मुझे पता है...वो ऐसी ही है शुरू से...जिस तरह की बाते वो करती थी की ये करेगी...वो करेगी...मैं तो सोच भी नहीं सकती थी वो सब...और वो बोल भी देती थी...उसकी बातें सुनकर ही मुझे पता चल गया था की इसके हाथ जो भी पहला शिकार आएगा...वो उसका क्या हाल करेगी...और मुझे क्या पता था की उसका शिकार मेरा भाई ही होकर रहेगा...हा हा''
और वो फिर से अपना पेट पकड़कर ज़ोर-2 से हँसने लगी
अब केशव अपनी बहन को क्या बताता...पहली बार उसने सारिका की चूत यहीं मारी थी...वो भी इसी बेड पर, जहाँ वो इस समय खेल रहे थे..काजल ऑफीस गयी हुई थी और माँ किसी काम से मार्केट...
उस समय उसने सारिका की ऐसी चीखे निकलवाई थी की वो आज भी याद करके सहम जाती है...बाद में तो उसे केशव के मोटे लंड की आदत पड़ गयी...पर बाद मे भी हर बार वो उसकी रेल बनाकर ही चुदाई करता था...
[img][/img]
वो हारकर पस्त हो जाती है..पर केशव अपनी हार नही मानता...और शायद इसलिए वो पिछले 1 साल से किसी और की तरफ देखती तक नही है...ऐसी चुदाई करने वाला बी एफ आसानी से थोड़े ही मिलता है आख़िर.
केशव : "चलो , छोड़ो अब ये सब सच बुलवाने वाली गेम्स...मेरे दिमाग़ मे कुछ आ रहा है...वो चेक करने दो पहले मुझे...''
और फिर से उसने दोनों को 3-3 पत्ते बाँटे...और फिर बिना ब्लाइंड या चाल चले केशव ने दोनो के पत्ते पलट कर सीधे कर दिए..
केशव ने अपने पत्ते देखे...ऐसे ही थे..बेकार से...पर काजल के पत्ते इस बार भी कमाल के थे...उसके पास पान का कलर आया था...
केशव ने फिर से पत्ते बाँटे और फिर से उन्हे पलट कर सीधा किया...इस बार भी काजल के पास इकके का पेयर आया...
वो फिर से पत्ते बाँटने लगा
काजल : "ये तू कर क्या रहा है...मुझे भी तो बता ज़रा...''
केशव : "रूको दीदी. ...बस थोड़ी देर और...''
और उसके बाद केशव ने 3 बार और पत्ते बाँटे ...और हर बार काजल के पत्ते भारी थे...और हर बार उसके पास चाल खेलने लायक ही पत्ते आ रहे थे...कभी पेयर ...कभी कलर...कभी सीक्वेंस ...
आख़िर मे केशव बोला : "दीदी...लगता है आपके अंदर कोई शक्ति छुपी है...या कोई वरदान है ,आप देख रही हो ना...हर बार आपके पत्ते कितने जबरदस्त आ रहे हैं...''
काजल : "हाँ तो....''
केशव (अपने चेहरे पर चालाकी भरी मुस्कान लाते हुए) : "दीदी ...मेरे पास एक प्लान है..''
काजल के पास तो काफ़ी सवाल थे...पर पहली बार मे ही वो सब पूछकर वो केशव को भगाना नही चाहती थी...उसने अपने पत्ते उठा लिए..पर ये पत्ते उसकी समझ मे नही आए...
केशव ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे...उसके पास 5 का पेयर आया था...वो खुश हो गया..पर काजल के प्रश्नवाचक चेहरे को देखकर बोला : "क्या हुआ दीदी...पत्ते ठीक नही आए क्या...''
काजल : "पता नही...ये देखो ज़रा...''
उसने अपने पत्ते सामने फेंक दिए...वो थे इक्का, बादशाह और बेगम...
केशव : "यार दीदी....आप तो कमाल हो...पता है ये क्या है....सबसे बड़ी सीक्वेंस ...इनको तो सिर्फ़ और सिर्फ़ ट्रेल ही काट सकती है..जो बड़ी मुश्किल से आती है...जैसी आपके पास पिछली बार आई थी..इक्के की ''
और फिर केशव ने काजल को सभी तरह के पत्तो के बारे मे बताया की क्या बड़ा होता है...क्या छोटा...सुच्ची किसे कहते हैं...कलर...पेयर ..सीक्वेंस ...सभी की जानकारी दी उसने..
केशव : "ये गेम तो आप जीत गयी...''
काजल : "अब पैसे तो रखे नही है हमने ...फिर मुझे क्या मिलेगा...''
वो मंद -2 मुस्कुरा भी रही थी ये बोलते हुए...
केशव को उसकी हँसी का जो मतलब नज़र आ रहा था..वो कहना नही चाहता था...और ये भी नही बोलना चाहता था की जीतने के बाद वो क्या माँगने की बात कर रही है...
केशव : "वो बाद मे बता देना...अभी मुझे कुछ और देखना है...''
काजल : "क्या ???"
और जान बूझकर काजल ने अपने दोनो हाथ अपनी छातियों पर रख लिए...जैसे केशव उन्हे ही देखने की बात कर रहा हो..
और फिर केशव के मासूमियत से भरे चेहरे पर पसीना देखकर वो खुद ही हंस-हंसकर लोट-पोट हो गयी...
काजल : "हा हा हा ....केशव तू भी ना....कितना बड़ा भोंदू है...पता नही तूने वो सब कैसे किया होगा सारिका के साथ...वो तो तुझे कक्चा खा गयी होगी...''
केशव : "मुझे ...और वो....आप ये बात कैसे कह सकती हो ...''
वो ताश की गड्डी को पीटता हुआ बोला
काजल : "मुझे पता है...वो ऐसी ही है शुरू से...जिस तरह की बाते वो करती थी की ये करेगी...वो करेगी...मैं तो सोच भी नहीं सकती थी वो सब...और वो बोल भी देती थी...उसकी बातें सुनकर ही मुझे पता चल गया था की इसके हाथ जो भी पहला शिकार आएगा...वो उसका क्या हाल करेगी...और मुझे क्या पता था की उसका शिकार मेरा भाई ही होकर रहेगा...हा हा''
और वो फिर से अपना पेट पकड़कर ज़ोर-2 से हँसने लगी
अब केशव अपनी बहन को क्या बताता...पहली बार उसने सारिका की चूत यहीं मारी थी...वो भी इसी बेड पर, जहाँ वो इस समय खेल रहे थे..काजल ऑफीस गयी हुई थी और माँ किसी काम से मार्केट...
उस समय उसने सारिका की ऐसी चीखे निकलवाई थी की वो आज भी याद करके सहम जाती है...बाद में तो उसे केशव के मोटे लंड की आदत पड़ गयी...पर बाद मे भी हर बार वो उसकी रेल बनाकर ही चुदाई करता था...
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वो हारकर पस्त हो जाती है..पर केशव अपनी हार नही मानता...और शायद इसलिए वो पिछले 1 साल से किसी और की तरफ देखती तक नही है...ऐसी चुदाई करने वाला बी एफ आसानी से थोड़े ही मिलता है आख़िर.
केशव : "चलो , छोड़ो अब ये सब सच बुलवाने वाली गेम्स...मेरे दिमाग़ मे कुछ आ रहा है...वो चेक करने दो पहले मुझे...''
और फिर से उसने दोनों को 3-3 पत्ते बाँटे...और फिर बिना ब्लाइंड या चाल चले केशव ने दोनो के पत्ते पलट कर सीधे कर दिए..
केशव ने अपने पत्ते देखे...ऐसे ही थे..बेकार से...पर काजल के पत्ते इस बार भी कमाल के थे...उसके पास पान का कलर आया था...
केशव ने फिर से पत्ते बाँटे और फिर से उन्हे पलट कर सीधा किया...इस बार भी काजल के पास इकके का पेयर आया...
वो फिर से पत्ते बाँटने लगा
काजल : "ये तू कर क्या रहा है...मुझे भी तो बता ज़रा...''
केशव : "रूको दीदी. ...बस थोड़ी देर और...''
और उसके बाद केशव ने 3 बार और पत्ते बाँटे ...और हर बार काजल के पत्ते भारी थे...और हर बार उसके पास चाल खेलने लायक ही पत्ते आ रहे थे...कभी पेयर ...कभी कलर...कभी सीक्वेंस ...
आख़िर मे केशव बोला : "दीदी...लगता है आपके अंदर कोई शक्ति छुपी है...या कोई वरदान है ,आप देख रही हो ना...हर बार आपके पत्ते कितने जबरदस्त आ रहे हैं...''
काजल : "हाँ तो....''
केशव (अपने चेहरे पर चालाकी भरी मुस्कान लाते हुए) : "दीदी ...मेरे पास एक प्लान है..''