10-01-2019, 07:18 PM
और जब केशव ने ये बात बोली तो अपनी आदत से मजबूर उसकी नज़रें उसके लंड वाली जगह पर चली ही गयी...
और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी नज़रें घुमा ली...पर उनमे आ चुका गुलाबीपन केशव से छुपा न रह सका..
केशव : "क्या हुआ दीदी...आप एकदम से चुप सी क्यों हो गयी...''
काजल : "बस...ऐसे ही...उम्म्म्म एक बात पूछू तुझसे केशव...''
केशव : "हाँ दीदी...पूछो...''
काजल : "मैं तुझे कैसी लगती हू...''
केशव : "आप....मतलब...आप तो अच्छी ही हो दीदी...इसमे पूछने वाली क्या बात है...''
काजल : "अरे नही बुद्धू ....मेरा पूछने का मतलब...देखने में ...कैसी हूँ मैं ...''
इतना कहकर उसने अपनी ज़ुल्फो मे हाथ फेरा..अपने खुले हुए बाल पीछे किए...और अपना सीना बाहर की तरफ़ निकाल कर ऐसे पोज़ दिया जैसे कोई फोटो सेशन हो रहा हो वहाँ...
केशव की नज़रें काजल की हर हरकत पर थी...उसके नाज़ुक हाथों का जुल्फे पकड़कर पीछे करना...अपने चेहरे पर उँगलियों को फेरना , बालों को कान के पीछे अटकाना..सब वो ऐसे देख रहा था जैसे वो सब काजल उसके लिए ही कर रही हो..
केशव अपनी बहन की सुंदरता देखकर हैरान हुए जा रहा था...उसे पता तो था की वो सुंदर है..पर इतनी सेक्सी भी है, ये आज ही पता चला उसको..अभी तो उसने कोई मेकअप नही किया हुआ..अपने गुलाबी होंठों पर लाल लिपस्टिक , आँखो मे काजल और चेहरे पर मेकअप करने के बाद तो ये कयामत ही लगेगी
काजल : "क्या सोचने लगे अब....बोलो ना..''
केशव (झेंपता हुआ सा) : "बोल तो दिया दीदी...आप अच्छी हो...चलो अब आगे देखो...मैं दोबारा पत्ते बाँट रहा हू...''
और केशव ने बात बदलते हुए फिर से 3-3 पत्ते बाँट दिए..ये काम उसने इसलिए भी किया था की काजल की ऐसी बातें सुनकर उसके लंड ने अपना पूरा आकार ले लिया था और वो अंडरवीयर में ऐसे फँस गया था की उसे सही करने के लिए वो अपने हाथ नीचे भी नही कर पा रहा था...क्योंकि अपनी बड़ी बहन के सामने वो कैसे अपने लंड को हाथ लगाता भला..इसलिए उसने बात बदलने में ही भलाई समझी ताकी उसका लंड नीचे बैठ जाए
अब की बार काजल ने पत्ते नही उठाए..
काजल : "पर तुमने तो कहा था की ब्लाइंड चलने के लिए पैसे चाहिए होते है...अब क्या हम दोनो भी पैसो से खेलें क्या ...''
केशव : "नही...उसके बदले कुछ भी रख देते है...''
इतना कहकर वो इधर उधर देखने लगा...
काजल के मन मे तब तक एक बात आ चुकी थी, वो बोली : "एक काम करते है...ब्लाइंड या चाल के बदले हम एक दूसरे से सवाल करेंगे...और सामने वाला उसके जवाब बिल्कुल सच मे देगा...बोलो मंजूर है...''
केशव को समझ नही आया की उसकी बहन करना क्या चाहती है...पर वो समझ चुका था की काजल उसे फंसाना चाहती है , जो भी था,उसमें वो फंसना नही चाहता था
केशव : "क्या दीदी...आप भी ना...इसमे मज़ा नही आएगा...रूको...में पैसे लेकर आता हू...उससे ही खेलते है...या फिर माचिस की तिल्लिया लेकर आता हू, उन्हे आपस मे बाँट लेंगे, उनसे खेलेंगे...''
काजल : "नही...अब तो मैं ऐसे ही खेलूँगी...वरना तुम उठाओ ये पत्ते और जाओ अपने कमरे मे...मुझे भी नींद आ रही है..''
दोनो ही सूरत मे काजल अपना फायदा देख रही थी...अगर वो खेलने के लिए मान जाता तो वो उससे अपनी पसंद के सवाल करके कुछ सच उगलवाती...और अगर वो चला जाता तो रोज रात की तरह चेटिंग वगेरह करते हुए मुठ मारती ...और वैसे भी आज वो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी...पता नही क्यो.
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वापिस जाने की बात सुनते ही केशव हड़बड़ा सा गया...आज पहली बार तो उसे अपनी बड़ी बहन को ऐसे देखने का मौका मिला था..और उपर से वो थोड़ा नॉटी भी बिहेव कर रही थी...ऐसे मे वापिस जाना मतलब हाथ में आया मौका खो देने जैसा ही था.
हमेशा अपनी 'बहन' को 'बहन' की नज़र से देखने वाला केशव अचानक से ही उसे एक 'लड़की' की नज़र से देखने लग गया..और देखे भी क्यो ना..खूबसूरत तो थी ही वो..अपनी अदाओं का जादू वो ऐसे चला रही थी जैसे कोई किसी को पटाने के लिए करता है...अब उसकी समझ में ये नही आ रहा था की उसकी हरकतों को वो क्या समझे...पर जो भी था अभी तक तो केशव को मज़ा ही आ रहा था...और ऐसे मज़े को वो खोना नही चाहता था..
केशव : "ठीक है दीदी....जैसा आप कहो...''
और वो फिर से वही बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..काजल के होंठों पर विजयी मुस्कान तैर गयी.
काजल ने भी आज से पहले अपने भाई के बारे मे ऐसा नही सोचा था...पर वो सोच रही थी की कैसे वो अब तक रोज रात को इस कमरे मे सोते हुए अपनी चूत की मालिश करती है और बिल्कुल साथ वाले कमरे में ही उसका जवान भाई भी सोता है...उसके इतनी पास रहते हुए वो ये सब काम करती है..सिर्फ़ एक दीवार ही तो है बीच मे...और अगर वो दीवार भी ना हो तो...और वो उसके सामने ही नंगी होकर अपनी चूत रगड़ रही हो तो....ये सोचते ही उसके पूरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी....उसके होंठ काँपने लगे...उपर वाले भी ...और नीचे वाले भी.
केशव : "अब क्या हुआ दीदी.....आपकी ब्लाइंड है...पूछो ..क्या पूछना है...''
पूछना तो काजल बहुत कुछ चाहती थी..पर फिर भी अपने होंठों को दांतो से काटकर बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किया और बोली : "तेरी....तेरी...एक गर्लफ्रेंड थी ना...वो अभी भी है क्या...और क्या नाम है उसका..''
केशव की आँखे गोल हो गयी...उसने तो सोचा भी नही था की ये बातें इतनी पर्सनल भी हो सकती है...
और ये काजल को कैसे पता चला की उसकी एक गर्लफ्रेंड है ...ये बात तो उसने आज तक उसे नही बताई...वो ज़्यादा बाते करता ही नही था काजल के साथ..इसलिए वो हैरान हो रहा था की ये काजल आज एकदम से क्यों उसकी पर्सनल जिंदगी के बारे मे पूछ रही है..
केशव : "वो....थी या नही थी...आप क्यो पूछ रही हो...और आपको कैसे पता की मेरी एक जी एफ थी..''
काजल : "गेम का रूल है ये...तुझे बताना पड़ेगा...मुझे कैसे पता वो बात रहने दे...''
केशव फँस चुका था...वो सोचने लगा की अगर उसे ये बात पता है तो उसके सामने झूठ बोलने का कोई फायदा नही है..
केशव : "जी...वो अभी भी है...और उसका नाम सारिका है...''
और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी नज़रें घुमा ली...पर उनमे आ चुका गुलाबीपन केशव से छुपा न रह सका..
केशव : "क्या हुआ दीदी...आप एकदम से चुप सी क्यों हो गयी...''
काजल : "बस...ऐसे ही...उम्म्म्म एक बात पूछू तुझसे केशव...''
केशव : "हाँ दीदी...पूछो...''
काजल : "मैं तुझे कैसी लगती हू...''
केशव : "आप....मतलब...आप तो अच्छी ही हो दीदी...इसमे पूछने वाली क्या बात है...''
काजल : "अरे नही बुद्धू ....मेरा पूछने का मतलब...देखने में ...कैसी हूँ मैं ...''
इतना कहकर उसने अपनी ज़ुल्फो मे हाथ फेरा..अपने खुले हुए बाल पीछे किए...और अपना सीना बाहर की तरफ़ निकाल कर ऐसे पोज़ दिया जैसे कोई फोटो सेशन हो रहा हो वहाँ...
केशव की नज़रें काजल की हर हरकत पर थी...उसके नाज़ुक हाथों का जुल्फे पकड़कर पीछे करना...अपने चेहरे पर उँगलियों को फेरना , बालों को कान के पीछे अटकाना..सब वो ऐसे देख रहा था जैसे वो सब काजल उसके लिए ही कर रही हो..
केशव अपनी बहन की सुंदरता देखकर हैरान हुए जा रहा था...उसे पता तो था की वो सुंदर है..पर इतनी सेक्सी भी है, ये आज ही पता चला उसको..अभी तो उसने कोई मेकअप नही किया हुआ..अपने गुलाबी होंठों पर लाल लिपस्टिक , आँखो मे काजल और चेहरे पर मेकअप करने के बाद तो ये कयामत ही लगेगी
काजल : "क्या सोचने लगे अब....बोलो ना..''
केशव (झेंपता हुआ सा) : "बोल तो दिया दीदी...आप अच्छी हो...चलो अब आगे देखो...मैं दोबारा पत्ते बाँट रहा हू...''
और केशव ने बात बदलते हुए फिर से 3-3 पत्ते बाँट दिए..ये काम उसने इसलिए भी किया था की काजल की ऐसी बातें सुनकर उसके लंड ने अपना पूरा आकार ले लिया था और वो अंडरवीयर में ऐसे फँस गया था की उसे सही करने के लिए वो अपने हाथ नीचे भी नही कर पा रहा था...क्योंकि अपनी बड़ी बहन के सामने वो कैसे अपने लंड को हाथ लगाता भला..इसलिए उसने बात बदलने में ही भलाई समझी ताकी उसका लंड नीचे बैठ जाए
अब की बार काजल ने पत्ते नही उठाए..
काजल : "पर तुमने तो कहा था की ब्लाइंड चलने के लिए पैसे चाहिए होते है...अब क्या हम दोनो भी पैसो से खेलें क्या ...''
केशव : "नही...उसके बदले कुछ भी रख देते है...''
इतना कहकर वो इधर उधर देखने लगा...
काजल के मन मे तब तक एक बात आ चुकी थी, वो बोली : "एक काम करते है...ब्लाइंड या चाल के बदले हम एक दूसरे से सवाल करेंगे...और सामने वाला उसके जवाब बिल्कुल सच मे देगा...बोलो मंजूर है...''
केशव को समझ नही आया की उसकी बहन करना क्या चाहती है...पर वो समझ चुका था की काजल उसे फंसाना चाहती है , जो भी था,उसमें वो फंसना नही चाहता था
केशव : "क्या दीदी...आप भी ना...इसमे मज़ा नही आएगा...रूको...में पैसे लेकर आता हू...उससे ही खेलते है...या फिर माचिस की तिल्लिया लेकर आता हू, उन्हे आपस मे बाँट लेंगे, उनसे खेलेंगे...''
काजल : "नही...अब तो मैं ऐसे ही खेलूँगी...वरना तुम उठाओ ये पत्ते और जाओ अपने कमरे मे...मुझे भी नींद आ रही है..''
दोनो ही सूरत मे काजल अपना फायदा देख रही थी...अगर वो खेलने के लिए मान जाता तो वो उससे अपनी पसंद के सवाल करके कुछ सच उगलवाती...और अगर वो चला जाता तो रोज रात की तरह चेटिंग वगेरह करते हुए मुठ मारती ...और वैसे भी आज वो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी...पता नही क्यो.
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वापिस जाने की बात सुनते ही केशव हड़बड़ा सा गया...आज पहली बार तो उसे अपनी बड़ी बहन को ऐसे देखने का मौका मिला था..और उपर से वो थोड़ा नॉटी भी बिहेव कर रही थी...ऐसे मे वापिस जाना मतलब हाथ में आया मौका खो देने जैसा ही था.
हमेशा अपनी 'बहन' को 'बहन' की नज़र से देखने वाला केशव अचानक से ही उसे एक 'लड़की' की नज़र से देखने लग गया..और देखे भी क्यो ना..खूबसूरत तो थी ही वो..अपनी अदाओं का जादू वो ऐसे चला रही थी जैसे कोई किसी को पटाने के लिए करता है...अब उसकी समझ में ये नही आ रहा था की उसकी हरकतों को वो क्या समझे...पर जो भी था अभी तक तो केशव को मज़ा ही आ रहा था...और ऐसे मज़े को वो खोना नही चाहता था..
केशव : "ठीक है दीदी....जैसा आप कहो...''
और वो फिर से वही बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..काजल के होंठों पर विजयी मुस्कान तैर गयी.
काजल ने भी आज से पहले अपने भाई के बारे मे ऐसा नही सोचा था...पर वो सोच रही थी की कैसे वो अब तक रोज रात को इस कमरे मे सोते हुए अपनी चूत की मालिश करती है और बिल्कुल साथ वाले कमरे में ही उसका जवान भाई भी सोता है...उसके इतनी पास रहते हुए वो ये सब काम करती है..सिर्फ़ एक दीवार ही तो है बीच मे...और अगर वो दीवार भी ना हो तो...और वो उसके सामने ही नंगी होकर अपनी चूत रगड़ रही हो तो....ये सोचते ही उसके पूरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी....उसके होंठ काँपने लगे...उपर वाले भी ...और नीचे वाले भी.
केशव : "अब क्या हुआ दीदी.....आपकी ब्लाइंड है...पूछो ..क्या पूछना है...''
पूछना तो काजल बहुत कुछ चाहती थी..पर फिर भी अपने होंठों को दांतो से काटकर बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किया और बोली : "तेरी....तेरी...एक गर्लफ्रेंड थी ना...वो अभी भी है क्या...और क्या नाम है उसका..''
केशव की आँखे गोल हो गयी...उसने तो सोचा भी नही था की ये बातें इतनी पर्सनल भी हो सकती है...
और ये काजल को कैसे पता चला की उसकी एक गर्लफ्रेंड है ...ये बात तो उसने आज तक उसे नही बताई...वो ज़्यादा बाते करता ही नही था काजल के साथ..इसलिए वो हैरान हो रहा था की ये काजल आज एकदम से क्यों उसकी पर्सनल जिंदगी के बारे मे पूछ रही है..
केशव : "वो....थी या नही थी...आप क्यो पूछ रही हो...और आपको कैसे पता की मेरी एक जी एफ थी..''
काजल : "गेम का रूल है ये...तुझे बताना पड़ेगा...मुझे कैसे पता वो बात रहने दे...''
केशव फँस चुका था...वो सोचने लगा की अगर उसे ये बात पता है तो उसके सामने झूठ बोलने का कोई फायदा नही है..
केशव : "जी...वो अभी भी है...और उसका नाम सारिका है...''