28-08-2019, 04:30 PM
अपडेट - 28
थोड़ी देर बाद सभी मर्द घेरा बना लेते है उस घेरे के बीच मे सभी औरतें थी। अचानक एक गुलाबी कलर की लेज़र लाइट सभी औरतों पर घूमने लगती है। करीब 30 से 40 सेकंड बाद वो लाइट एक औरत पर रुकती है इसका मतलब था कि उस औरत को अपने पति को या फिर बॉय फ्रेंड या फिर जिसके साथ वो आयी थी उसे चुनना था।
वो औरत आगे बढ़ती है और बारी सभी मर्दों के पास जाकर अपने वाले मर्द को ढूंढने की कोशिश करती है लेकिन उसे समझ नहीं आता कि वो उसे कैसे ढूंढे। अचानक से एक काउंटडाउन स्टार्ट होता है जिसका सीधा सा अर्थ था कि उस औरत को अगले 10 सेकंड में किसी को चुनना होगा। वो औरत जल्दी से सबको पहचानने की कोशिश करती है अचानक से उसकी नज़र एक मर्द के जूतों पर पड़ती है । उसे याद आता है कि ये जूते तो उसके पति के है वो तुरंत उस आदमी को चुन लेती है।
अब आगे......
औरत ने जैसे ही उस आदमी को चुना वो आदमी उस औरत की पकड़ कर उसी कांच के कमरे की और ले जाने लगा जिसके बारे में समीर ने बताया था। चंचल एक टक समीर को पहचानने की कोशिश कर रही थी। लेकिन समीर अंधेरे में मास्क लगाया हुआ 10 से 15 लोगों के बीच गुम था। चंचल चाहकर की इतनी दूरी से समीर को नहीं पहचान सकती थी।।
हालांकि चंचल कोई ज्यादा दूर नहीं थी लेकिन अंधेरे और अंधे बना देनी वाली तेज तर्रार लेज़र लाइट से चंचल को फिलहाल समीर की सिनाख़्त करने में दिक्कत हो रही थी। अचानक से चंचल की नज़र उस कांच के कमरे पर पड़ती है। क्योंकि उस कमरे में हल्की लाइट जल उठी थी।
जैसे ही चंचल की नज़र उस कमरे पर पड़ती है। चंचल के शरीर में एक मीठी सी लहर दौड़ पड़ती है। वो मास्क के पीछे पीछे छिपे अनजान मर्द और औरत दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे। अचानक से उस कमरे में एक हल्का सा धुंआ फैल जाता है।
करीब 5 मिनट बाद वो मर्द उस औरत को नीचे अपने घुटनों पर बैठ देता है। और वो औरत समझ जाती है कि ये मर्द क्या चाहता है। वो औरत तुरंत उस आदमी की पेंट की ज़िप खोल कर उसके लन्ड को बाहर निकाल लेती है।
वो औरत उस मर्द के चेहरे की तरफ बड़े ही कामुक अंदाज़ से देखती है। वो औरत अपने हाथ से उस आदमी के लन्ड को पकड़ कर बहुत ही हल्के से यूँ समझ लीजिए जैसे स्लो मोशन्स मे ऊपर नीचे करती है । तकरीबन 2-3 मिनट बाद वो औरत बिल्कुल स्लो मोशन्स में ही उस आदमी का लन्ड नीचे की तरफ करते हुए उसके लन्ड का सूपड़ा बाहर निकालती है।
जिस तरह से वो औरत कर रही थी उस की हर अदा को देख कर उस मर्द के पसीने छूट गए और तो और बाहर खड़ा हर मर्द अपना लन्ड भी खड़ा कर रखा था।
वो मर्द उस औरत के सर पर अपना हाथ रखने ही वाला था कि औरत ने तुरंत उस मर्द के लन्ड को अपने मुंह मे ले लिया। औरत के अचानक हुए हमले से मर्द एक दम से बौखला जाता है। दोनों के चेहरे पर इस वक़्त असीम आनंद के भाव थे।
बाहर खड़ा हर एक मर्द और औरत उन दोनों को देख कट गर्म हो रहे थे तभी चंचल के पीछे कोई खड़ा होकर चंचल के हाथों पर अपने हाथ रख देता है। चंचल एक पल को चोंक जाती है लेकिन तुरन्त उसके कानों में किसी की आवाज आती है। उस आवाज को सुनकर चंचल को एक सुकून सा आता है। ये आवाज समीर की थी।
चंचल: (बिना पीछे मुड़े) समीर ये सब क्या है?
समीर: तुम्हे इन सब मे शामिल नहीं होना है। चुपचाप राइट साइड वाली सीढ़ियों से तुम ऊपर कमरे में चली जाओ।
चंचल: लेकिन...?
समीर: ईश्sssssकोई लेकिन वेकीन नहीं जाओ।
चंचल बिना कुछ कहे चुपचाप सबसे बचते हुए ऊपर सीढ़ियों से चढ़ते हुए एक कमरे में चली जाती है।
वहीं समीर भी हल्की रोशनी से अचानक दो या तीन कदम पीछे की तरफ चलता है जिससे वो अंधेरे में कहीं गुम हो जाता है।
तकरीब पांच मिनट बाद समीर ऊपर कमरे में चंचल के पास चला जाता है।
चंचल: समीर आखिर ये सब....
समीर: ईशssssss अब से मेरा नाम मत लेना और जो होता है उसे होने दो। ये कमरा मैजिक मिरर से बना है इसके अंदर से बाहर तो हम देख सकते है लेकिन बाहर से अंदर की तरफ हमे कोई नहीं देख सकता।
चंचल: लेकिन मुझे यहां क्यों बुलाया है।
समीर: ताकि जो तड़प तुम्हारे लिए मेरे दिल मे है उसे मिटा सकूँ एक नए अंदाज में।
समीर हौले से चंचल के पीछे जाकर उसकी कमर में हाथ डालता है और धीरे धीरे डांस करने लगता है। एक बहुत ही धीमी आवाज में इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक बज रहा होता है। चंचल के लिए ये एक तरह से रोमांटिक भी था और थोड़ा स्ट्रेंज भी। क्योंकि चंचल उस कमरे के बाहर देख रही थी कि काफी लोग कुर्सियों पर बैठे है लेकिन अंधेरे के कारण से सिर्फ उनके सफेद शर्ट दिख रहा है।
समीर हौले से चंचल के गाउन की स्ट्रेप्स को उसके कंधे से नीचे करते हुए उसके कंधे को चूमता है। जैसे जैसे गाउन चंचल के कंधे के नीचे आता जाता है वैसे वैसे समीर चंचल को चूमते हुए नीचे आता जाता है।
कुछ ही पल में चंचल का गाउन उसकी छातियों तक आ जाता है। अब उस गाउन को और नीचे करने के लिए समीर को चंचल की कमर के पीछे उस गाउन की चैन खोलनी थी।
समीर बहुत ही हॉउले से उस गाउन की चैन को आने मुह से खोलता है। समीर के ऐसा करते ही चंचल की आह निकल जाती है। चंचल घूम कर समीर में होंटों को अपने मुह में ले लेती है और बहुत ही बेसब्री से चूमने लगती है।
समीर भी अब चंचल का किश में साथ देते हुए उसके गाउन को उसके बदन से अलग करने के लिए चंचल के पैरों में उतार देता है। चंचल अब बहुत ही गर्म हो चुकी थी इसलिए चंचल समीर का साथ इस मास्क को हटा कर देना चाहती थी। चंचल जैसे ही मास्क को हटाने के लिए ऊना हाथ ऊपर ले जाती है समीर चंचल को रोक लेता है और मास्क उतारने से मना करता है।
समीर: अगर ये मास्क तुम अपने चेहरे से उतारोगी तो जो बाहर लोग है वो तुम्हे पहचान जाएंगे।
चंचल: तो क्या हुआ?
समीर: इनमे से कुछ लोग तुम्हारे पति के दोस्त है तो कुछ लोग तुम्हारे आफिस से भी है।
अब चंचल का दिल जोरों से धड़कने लगता है।
समीर: घबराओ मत इन सबके लिए तुम बस एक रंडी हो। इन्हें क्या पता तुम उनकी बॉस हो, या भाभी हो या पत्नी हो।
चंचल: पत्नी...?
समीर: मेरा मतलब अगर इस वक़्त तुम्हारा पति भी यहां हो तो उसे भी मालूम नहीं चलेगा कि तुम ही हो इस कमरे में
चंचल: समीर तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? क्या मेरा बदन इस तरह से सरेआम करोगे।
समीर: हाँ... तुम्हे देख कर लोग लचाएँगे मगर तुम्हे भोगने का अधिकार सिर्फ मेरा होगा। इसमे मुझे मज़ा आता है चंचल। और अगर तुम्हे मेरे मज़े पर एतराज है तो तुम जा सकती हो।
चंचल: नहीं... मुझे अब कहीं भी नही जाना... अब जो होगा देखा जाएगा।
इन सब बातों के दौरान समीर ने चंचल को पूरी तरह से गर्म कर दिया था साथ ही चंचल का गाउन उसके बदन से अलग कर देने से इस वक़्त चंचल ब्रा और पेंटी में खड़ी थी।
अचानक से समीर और चंचल जिस कमरे में थे उसमे बहुत ही हल्के रंग की रोशनी रह जाती है। और इस रौशनी के होते ही चंचल को एहसास होता है कि समीर ने उसे स्पेशल कपड़े क्यों दिए थे।
चंचल की ब्रा और पेंटी इस अंधेरे में चमक रही थी।
चंचल एक बार खुद को देख कर शर्मा जाती है लेकिन अब ये हर बार का नयापन चंचल को भी अच्छा लगने लगा था।
समीर बहुत ही रोमांटिक अंदाज़ में चंचल के एक एक कपड़े को उसके बदन से अलग करता है चंचल को उसी कमरे में पूरी तरह से बे आबरू करने बाद समीर चंचल को उसी बैड पर लिटा देता है।
चंचल को जैसे कुछ करना ही नहीं था। समीर बिना चंचल से कुछ कहे चंचल की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर अपना मुंह चंचल की दोनों टांगों के बीच....
थोड़ी देर बाद चंचल बहुत उत्तेजित हो जाती है जिसके चलते चंचल की कमर धनुष के समान मुड़ने लगती है। इतना उत्तेजक दृश्य देख कर बाहर बैठे लोगों ने तालियां बजा दी। तालियों की आवाज चंचल तक भी जा रही थी जिससे चंचल और भी शर्म से पानी पानी हो जाती है।
अब समीर चंचल को उसी बिस्तर पर एक विशेष एंगल में मोड़ कर घोड़ी बना देता है और पीछे से अपने लन्ड को चंचल की चूत पर धीरे धीरे रगड़ता है। चंचल आंखें बंद किये इस लम्हे को भरपूर तरह से जी रही थी कि बाहर की तरफ लाइट जल जाती है।
अब आलम ये था कि चंचल अंदर से बाहर सब कुछ देख सकती थी। और बाहर वाले भी अंदर सब कुछ देख सकते थे। बस समीर और चंचल इस वक़्त चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे। करीब 5 मिनट बाद समीर अपने लन्ड का टोपा चंचल की चूत में घुसा देता है जिससे चचंल की हल्की सी आह निकल जाती है।
तभी चंचल पीछे मुड़ कर समीर की तरफ देखती है और हल्के से मुस्कुरा देती है। ये एक तरह से इशारा था समीर को की वो अब पूरी तरह से चंचल में समा जाए। समीर भी बिना देर किये हल्के हल्के धक्कों के साथ ओरी तरह से चंचल में समा जाता है। अचानक से चंचल की आंखें खुलती है। वो देखती है कि उसके सामने तकरीबन 10 से 20 लोग है क्या बुड्ढे क्या जवान सभी उसे देख रहे है।
सबके पेंट में तंबू बना हुआ है। तभी दूसरी लाइन में बैठे एक शख्स पर चंचल की नज़र जाती है तो चंचल की हवाईयां उड़ जाती है।
चंचल: सुरेश.....?
समीर: क्या....... कुछ बोला
चंचल: हटो समीर...
समीर लगातार चंचल की चूत में धक्के मारते हुए...
समीर: चंचल अगर इस वक़्त मैं हटा या हम लोग रुक गए तो मुझे 390 करोड़ का नुकसान होगा।
चंचलहौले से) मेरे पति....
समीर: कौन सुरेश... ???? यहां??? हो ही नही सकता.. और वैसे भी तुमने मास्क पहना है वो हो भी तो पहचान नही सकता।
चंचल: आह समीर..... प्लीज..... मैं......
समीर काफी तेज धक्के मारने लगता है....
तभी सुरेश एक बोर्ड उठाता है और उस पर तकरीबन 2.60 लाख रुपये लिखे थे.. एक आदमी जी उस कमरे के। भाहर था एक बजर बजा देता है उसके तुरंत बाद समीर और चंचल वाले कमरे में लाइट ऑफ हो जाती है... समीर अभी भी चंचल की चुदाई कर ही रह था कि चंचल तुरंत समीर को धक्का देकर अपने कोड़े पहनने लगती है।। करीब 7.30 मिनट में चंचल तैयार होकर अपने घर की तरफ़ निकल जाती है।
समीर जो कुछ देर पहले तक चंचल के सामने बहुत गंभीर था उसके पति को लेकर अब होले होले से मुस्कुरा रहा था।
थोड़ी देर बाद सभी मर्द घेरा बना लेते है उस घेरे के बीच मे सभी औरतें थी। अचानक एक गुलाबी कलर की लेज़र लाइट सभी औरतों पर घूमने लगती है। करीब 30 से 40 सेकंड बाद वो लाइट एक औरत पर रुकती है इसका मतलब था कि उस औरत को अपने पति को या फिर बॉय फ्रेंड या फिर जिसके साथ वो आयी थी उसे चुनना था।
वो औरत आगे बढ़ती है और बारी सभी मर्दों के पास जाकर अपने वाले मर्द को ढूंढने की कोशिश करती है लेकिन उसे समझ नहीं आता कि वो उसे कैसे ढूंढे। अचानक से एक काउंटडाउन स्टार्ट होता है जिसका सीधा सा अर्थ था कि उस औरत को अगले 10 सेकंड में किसी को चुनना होगा। वो औरत जल्दी से सबको पहचानने की कोशिश करती है अचानक से उसकी नज़र एक मर्द के जूतों पर पड़ती है । उसे याद आता है कि ये जूते तो उसके पति के है वो तुरंत उस आदमी को चुन लेती है।
अब आगे......
औरत ने जैसे ही उस आदमी को चुना वो आदमी उस औरत की पकड़ कर उसी कांच के कमरे की और ले जाने लगा जिसके बारे में समीर ने बताया था। चंचल एक टक समीर को पहचानने की कोशिश कर रही थी। लेकिन समीर अंधेरे में मास्क लगाया हुआ 10 से 15 लोगों के बीच गुम था। चंचल चाहकर की इतनी दूरी से समीर को नहीं पहचान सकती थी।।
हालांकि चंचल कोई ज्यादा दूर नहीं थी लेकिन अंधेरे और अंधे बना देनी वाली तेज तर्रार लेज़र लाइट से चंचल को फिलहाल समीर की सिनाख़्त करने में दिक्कत हो रही थी। अचानक से चंचल की नज़र उस कांच के कमरे पर पड़ती है। क्योंकि उस कमरे में हल्की लाइट जल उठी थी।
जैसे ही चंचल की नज़र उस कमरे पर पड़ती है। चंचल के शरीर में एक मीठी सी लहर दौड़ पड़ती है। वो मास्क के पीछे पीछे छिपे अनजान मर्द और औरत दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे। अचानक से उस कमरे में एक हल्का सा धुंआ फैल जाता है।
करीब 5 मिनट बाद वो मर्द उस औरत को नीचे अपने घुटनों पर बैठ देता है। और वो औरत समझ जाती है कि ये मर्द क्या चाहता है। वो औरत तुरंत उस आदमी की पेंट की ज़िप खोल कर उसके लन्ड को बाहर निकाल लेती है।
वो औरत उस मर्द के चेहरे की तरफ बड़े ही कामुक अंदाज़ से देखती है। वो औरत अपने हाथ से उस आदमी के लन्ड को पकड़ कर बहुत ही हल्के से यूँ समझ लीजिए जैसे स्लो मोशन्स मे ऊपर नीचे करती है । तकरीबन 2-3 मिनट बाद वो औरत बिल्कुल स्लो मोशन्स में ही उस आदमी का लन्ड नीचे की तरफ करते हुए उसके लन्ड का सूपड़ा बाहर निकालती है।
जिस तरह से वो औरत कर रही थी उस की हर अदा को देख कर उस मर्द के पसीने छूट गए और तो और बाहर खड़ा हर मर्द अपना लन्ड भी खड़ा कर रखा था।
वो मर्द उस औरत के सर पर अपना हाथ रखने ही वाला था कि औरत ने तुरंत उस मर्द के लन्ड को अपने मुंह मे ले लिया। औरत के अचानक हुए हमले से मर्द एक दम से बौखला जाता है। दोनों के चेहरे पर इस वक़्त असीम आनंद के भाव थे।
बाहर खड़ा हर एक मर्द और औरत उन दोनों को देख कट गर्म हो रहे थे तभी चंचल के पीछे कोई खड़ा होकर चंचल के हाथों पर अपने हाथ रख देता है। चंचल एक पल को चोंक जाती है लेकिन तुरन्त उसके कानों में किसी की आवाज आती है। उस आवाज को सुनकर चंचल को एक सुकून सा आता है। ये आवाज समीर की थी।
चंचल: (बिना पीछे मुड़े) समीर ये सब क्या है?
समीर: तुम्हे इन सब मे शामिल नहीं होना है। चुपचाप राइट साइड वाली सीढ़ियों से तुम ऊपर कमरे में चली जाओ।
चंचल: लेकिन...?
समीर: ईश्sssssकोई लेकिन वेकीन नहीं जाओ।
चंचल बिना कुछ कहे चुपचाप सबसे बचते हुए ऊपर सीढ़ियों से चढ़ते हुए एक कमरे में चली जाती है।
वहीं समीर भी हल्की रोशनी से अचानक दो या तीन कदम पीछे की तरफ चलता है जिससे वो अंधेरे में कहीं गुम हो जाता है।
तकरीब पांच मिनट बाद समीर ऊपर कमरे में चंचल के पास चला जाता है।
चंचल: समीर आखिर ये सब....
समीर: ईशssssss अब से मेरा नाम मत लेना और जो होता है उसे होने दो। ये कमरा मैजिक मिरर से बना है इसके अंदर से बाहर तो हम देख सकते है लेकिन बाहर से अंदर की तरफ हमे कोई नहीं देख सकता।
चंचल: लेकिन मुझे यहां क्यों बुलाया है।
समीर: ताकि जो तड़प तुम्हारे लिए मेरे दिल मे है उसे मिटा सकूँ एक नए अंदाज में।
समीर हौले से चंचल के पीछे जाकर उसकी कमर में हाथ डालता है और धीरे धीरे डांस करने लगता है। एक बहुत ही धीमी आवाज में इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक बज रहा होता है। चंचल के लिए ये एक तरह से रोमांटिक भी था और थोड़ा स्ट्रेंज भी। क्योंकि चंचल उस कमरे के बाहर देख रही थी कि काफी लोग कुर्सियों पर बैठे है लेकिन अंधेरे के कारण से सिर्फ उनके सफेद शर्ट दिख रहा है।
समीर हौले से चंचल के गाउन की स्ट्रेप्स को उसके कंधे से नीचे करते हुए उसके कंधे को चूमता है। जैसे जैसे गाउन चंचल के कंधे के नीचे आता जाता है वैसे वैसे समीर चंचल को चूमते हुए नीचे आता जाता है।
कुछ ही पल में चंचल का गाउन उसकी छातियों तक आ जाता है। अब उस गाउन को और नीचे करने के लिए समीर को चंचल की कमर के पीछे उस गाउन की चैन खोलनी थी।
समीर बहुत ही हॉउले से उस गाउन की चैन को आने मुह से खोलता है। समीर के ऐसा करते ही चंचल की आह निकल जाती है। चंचल घूम कर समीर में होंटों को अपने मुह में ले लेती है और बहुत ही बेसब्री से चूमने लगती है।
समीर भी अब चंचल का किश में साथ देते हुए उसके गाउन को उसके बदन से अलग करने के लिए चंचल के पैरों में उतार देता है। चंचल अब बहुत ही गर्म हो चुकी थी इसलिए चंचल समीर का साथ इस मास्क को हटा कर देना चाहती थी। चंचल जैसे ही मास्क को हटाने के लिए ऊना हाथ ऊपर ले जाती है समीर चंचल को रोक लेता है और मास्क उतारने से मना करता है।
समीर: अगर ये मास्क तुम अपने चेहरे से उतारोगी तो जो बाहर लोग है वो तुम्हे पहचान जाएंगे।
चंचल: तो क्या हुआ?
समीर: इनमे से कुछ लोग तुम्हारे पति के दोस्त है तो कुछ लोग तुम्हारे आफिस से भी है।
अब चंचल का दिल जोरों से धड़कने लगता है।
समीर: घबराओ मत इन सबके लिए तुम बस एक रंडी हो। इन्हें क्या पता तुम उनकी बॉस हो, या भाभी हो या पत्नी हो।
चंचल: पत्नी...?
समीर: मेरा मतलब अगर इस वक़्त तुम्हारा पति भी यहां हो तो उसे भी मालूम नहीं चलेगा कि तुम ही हो इस कमरे में
चंचल: समीर तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? क्या मेरा बदन इस तरह से सरेआम करोगे।
समीर: हाँ... तुम्हे देख कर लोग लचाएँगे मगर तुम्हे भोगने का अधिकार सिर्फ मेरा होगा। इसमे मुझे मज़ा आता है चंचल। और अगर तुम्हे मेरे मज़े पर एतराज है तो तुम जा सकती हो।
चंचल: नहीं... मुझे अब कहीं भी नही जाना... अब जो होगा देखा जाएगा।
इन सब बातों के दौरान समीर ने चंचल को पूरी तरह से गर्म कर दिया था साथ ही चंचल का गाउन उसके बदन से अलग कर देने से इस वक़्त चंचल ब्रा और पेंटी में खड़ी थी।
अचानक से समीर और चंचल जिस कमरे में थे उसमे बहुत ही हल्के रंग की रोशनी रह जाती है। और इस रौशनी के होते ही चंचल को एहसास होता है कि समीर ने उसे स्पेशल कपड़े क्यों दिए थे।
चंचल की ब्रा और पेंटी इस अंधेरे में चमक रही थी।
चंचल एक बार खुद को देख कर शर्मा जाती है लेकिन अब ये हर बार का नयापन चंचल को भी अच्छा लगने लगा था।
समीर बहुत ही रोमांटिक अंदाज़ में चंचल के एक एक कपड़े को उसके बदन से अलग करता है चंचल को उसी कमरे में पूरी तरह से बे आबरू करने बाद समीर चंचल को उसी बैड पर लिटा देता है।
चंचल को जैसे कुछ करना ही नहीं था। समीर बिना चंचल से कुछ कहे चंचल की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर अपना मुंह चंचल की दोनों टांगों के बीच....
थोड़ी देर बाद चंचल बहुत उत्तेजित हो जाती है जिसके चलते चंचल की कमर धनुष के समान मुड़ने लगती है। इतना उत्तेजक दृश्य देख कर बाहर बैठे लोगों ने तालियां बजा दी। तालियों की आवाज चंचल तक भी जा रही थी जिससे चंचल और भी शर्म से पानी पानी हो जाती है।
अब समीर चंचल को उसी बिस्तर पर एक विशेष एंगल में मोड़ कर घोड़ी बना देता है और पीछे से अपने लन्ड को चंचल की चूत पर धीरे धीरे रगड़ता है। चंचल आंखें बंद किये इस लम्हे को भरपूर तरह से जी रही थी कि बाहर की तरफ लाइट जल जाती है।
अब आलम ये था कि चंचल अंदर से बाहर सब कुछ देख सकती थी। और बाहर वाले भी अंदर सब कुछ देख सकते थे। बस समीर और चंचल इस वक़्त चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे। करीब 5 मिनट बाद समीर अपने लन्ड का टोपा चंचल की चूत में घुसा देता है जिससे चचंल की हल्की सी आह निकल जाती है।
तभी चंचल पीछे मुड़ कर समीर की तरफ देखती है और हल्के से मुस्कुरा देती है। ये एक तरह से इशारा था समीर को की वो अब पूरी तरह से चंचल में समा जाए। समीर भी बिना देर किये हल्के हल्के धक्कों के साथ ओरी तरह से चंचल में समा जाता है। अचानक से चंचल की आंखें खुलती है। वो देखती है कि उसके सामने तकरीबन 10 से 20 लोग है क्या बुड्ढे क्या जवान सभी उसे देख रहे है।
सबके पेंट में तंबू बना हुआ है। तभी दूसरी लाइन में बैठे एक शख्स पर चंचल की नज़र जाती है तो चंचल की हवाईयां उड़ जाती है।
चंचल: सुरेश.....?
समीर: क्या....... कुछ बोला
चंचल: हटो समीर...
समीर लगातार चंचल की चूत में धक्के मारते हुए...
समीर: चंचल अगर इस वक़्त मैं हटा या हम लोग रुक गए तो मुझे 390 करोड़ का नुकसान होगा।
चंचलहौले से) मेरे पति....
समीर: कौन सुरेश... ???? यहां??? हो ही नही सकता.. और वैसे भी तुमने मास्क पहना है वो हो भी तो पहचान नही सकता।
चंचल: आह समीर..... प्लीज..... मैं......
समीर काफी तेज धक्के मारने लगता है....
तभी सुरेश एक बोर्ड उठाता है और उस पर तकरीबन 2.60 लाख रुपये लिखे थे.. एक आदमी जी उस कमरे के। भाहर था एक बजर बजा देता है उसके तुरंत बाद समीर और चंचल वाले कमरे में लाइट ऑफ हो जाती है... समीर अभी भी चंचल की चुदाई कर ही रह था कि चंचल तुरंत समीर को धक्का देकर अपने कोड़े पहनने लगती है।। करीब 7.30 मिनट में चंचल तैयार होकर अपने घर की तरफ़ निकल जाती है।
समीर जो कुछ देर पहले तक चंचल के सामने बहुत गंभीर था उसके पति को लेकर अब होले होले से मुस्कुरा रहा था।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html
[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
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Hawas ka ghulam
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