10-01-2019, 02:08 PM
(This post was last modified: 21-11-2023, 03:30 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अब किसी बहाने से उसे छूने की कोशिश करता।। कामयाब भी हआ एक दोपहर मैं जब वो डाइनिंग हाल में सोफ़े पे कुछ पढ़ते पढ़ते सो गई तो मैंने उसकी खुली हुई नाभि देखि और मुझसे रहा नहीं गया।।
मैन बहु को नींद से जगाने के बहाने उसके पेट पे हाथ फेरा फिर उसकी सॉफ्ट डीप नावेल को भी।। और जब उसकी नींद टूटी तो मैं झट्ट से अपना हाथ उसके हाथ पे रख के उठाने लगा।। वो उठ के बाथरूम चलि गई।
ओ दिन मैं उसकी नावेल के बारे में सोच के ४-५ बार मास्टरबैंग किया।। अब मैं उसे पना चाहता था। उसके बूब्स को मसलना चाहता था, उसकी थाइस को रब करना चाहता था, उसकी जूसी चुत को चाटना चाहता था उसे ख्यालों में तो कई बार चोद चूका था लेकिन हकीकत में शायद अभी देरी थी।
दूसरे दिन सुबह मैंने बहु को मॉर्निंग वाक पे चलने के लिए राज़ी कर लिया। बहु अपने कमरे में गई और मैं बाहर इंतज़ार करता रहा, थोड़ी देर बाद वो एक पिंक कलर के टाइट टीशर्ट और ट्रैक पैंट में सामने आयी। टीशर्ट थोड़ी छोटी होने की वजह से उसकी नावेल मुझे नज़र आ रही थी और टाइट-थिन पैंट में उसकी मांसल थाइस और उसके जांघो के बीच में उसकी भरी-भरी चूत।
थोडी देर इंतज़ार के बाद शमशेर ने दरवाजे पे नॉक दिया और फिर हम तीनो वाक के लिए निकल पड़े।। शमशेर तो बहु के हिप्स का दिवाना था, इस्लिये वो सरोज के दो कदम पीछे चल रहा था।। ताकि वो बहु की मटकती गांड का लुफ्त उठा सके। मैंने साफ़-साफ़ शमशेर को अपना लंड एडजस्ट करते हुए देखा, मेरे भी लण्ड में थोड़ी इरेक्शन थी लेकिन मैं अपनी टाइट अंडरवियर के अंदर इरेक्शन छुपाने में कामयाब रहा।
धूप बहुत तेज़ थी और हम करीब १ घंटे बाद घर आ गए
घर पहुचते ही सरोज बेड पे लेट गई।
सरोज - ओह पापा। बहुत थक गई मैं, कितना धूप था बाहर मैं तो काली हो जाऊंगी।
सरोज बिस्तर पे लेटे हुए बोल रही थी, मैंने पीछे मुड के देखा तो उसकी टीशर्ट काफी ऊपर थी और उसकी नावेल खुली थी। मैं बहु के पास बैठ गया और वो लेटी रही। बहु को मैंने कभी इतने खुलते हुए कभी नहीं देखा था, मैं उसके करीब बैठा था और वो अपनी नावेल खोले मेरे बगल में बेशर्म हो के लेटी रही।
मै - हाँ बहु आज पता नहीं क्यों धूप बहुत तेज़ थी, तुम तो हांफ रही हो।।
सरोज - मुझे इसकी आदत नहीं है पापा, मेरी साँस फुल रही है, देखिये कितना हांफ रही हू। ( सरोज ने करवट लेते हुए अपने गाल से पसीना पोंछते हुए कहा। )
सरोज - पूरा अंदर तक भींग गई हूँ मैं ये देखिये मेरा पेट कितना गरम है।।
मैने बिना देरी किये अपनी हथेली से उसकी पेट को छूने लगा। और फिर उसकी नर्म मुलायम नावेल को छुआ।।
मै - हाँ बहु।। तुम तो बहुत गरम हो गई हो।। (मैंने जान बूझ के डबल मीनिंग में बात की। )
फिर बात करते करते मैंने अपना हाथ उसकी जांघो पे रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा, उसकी तरफ से कोई ऑब्जेक्शन न देख मैंने अब अपना हाथ उसकी इनर थाइस पे रख दिया और सहलाने लगा। अपनी जवान बहु के मांसल थाइस मैंने पहली बार छुआ।। मैंने शायद ही किस्सी लड़की के इतनी मांसल थाइस देखि हो।। और मैं अपनी ही बहु के थाइस सहला रहा था।
उसकी गरम चूत बस २-३ इंच के दूरि पे थी और थोड़ा ऊपर उसके ट्रैक पैंट की ड़ोरी बाहर निकली थी। मन हुआ की वो झुक के अपने दांतो से उसकी ड़ोर को खोल दुं, लेकिन नहि।।।। मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी मेरे लंड को तो जैसे सारे दिन खड़े होने की सजा मिल गई हो। अब बहु बिस्तर से उठ के बैठ गई और मैंने अपना हाँथ हटा लिया। मैं उठा और फ्रिज खोल के पानी की बोतल निकालने लगा। बहु अपने कमरे में चलि गई, करीब आधे घंटे बाद मैं बहु के कमरे में गया। बहु नहाने गई थी उसकी ब्लैक ब्रा और ब्लू पैंटी वहीँ बिस्तर पे पड़ी थी। मैं उसकी पैंटी उठा कर देखने लगा।
पैंटी में थोडा सा दाग था शायद पसीने या फिर उसकी चूत का जुस। मैं उसकी पैंटी को सूँघने लगा।। एक अजीब से एक्साइट करने वाली स्मेल थी। मैंने पैंटी को लेफ्ट हैंड में लिए जीभ से उसकी चूत वाली जगह को चाटने लगा और राइट हैंड में अपना लंड पकड़ के हिलाने लगा। बस कुछ ही देर में मेरे लंड से पानी निकल फर्श और हाथ पे गिर गया। फिर मैंने अपना लंड उसकी पैंटी से पोंछ उसे वहीँ छोड़ कमरे से बाहर निकल गया।।।
बहु ने नहाने के बाद साड़ी पहनी थी वो भी पहली बार उसने साड़ी को अपने नावेल से करीब ३ इंच नीचे बांधे थी न जाने क्योँ, शायद २ दिन पहले जब मैंने उसकी नावेल की तारीफ की थी इसलिए।
बहु मुझे अपनी नावेल बड़ी ही बेशरमी से पूरे दिन दिखाती रहि।। किचन में काम करते वक़्त जब उसने पल्लू कमर में बांधा तो उसकी कमर और पेट का हिस्सा पूरा पूरा खुल गया और वो अधनंगे बदन मेरे सामने बड़े ही बेशरमी से आती जाती रहि।।
रात को मैं और मेरी बहु उसके कमरे में बैठ के बातें कर रहे थे।। क़रीब १० बजे बहु ने डिनर के लिए पुछा मैंने उससे कहा की वो डिनर इसी कमरे में लेती आए। फिर हमदोनो बिस्तर पे बैठे के डिनर किये।। डिनर के बाद बहु किचन में बर्तन साफ़ करने चलि गई और मैं वहीँ बहु के कमरे में सो गया।।
सूबह के क़रीब ५ बजे मेरी नींद खुली कमरे में हलकी हलकी रौशनी थी मैंने देखा बहु मेरे बगल में मेरी ओर पीठ किये सोयी है। मुझे याद आया की रात को डिनर करने के बाद मैं यहीं सो गया, और बहु शायद बाद में मेरे बगल में सो गई। मैंने नोटिस किया बहु एक वाइट कलर के टी-शर्ट पेहने हुए है और बेड के बगल में एक चेयर पे बहु की साड़ी, पेटीकोट, ब्लाउज और सबसे ऊपर ब्लैक कलर की ब्रा पड़ी थी।
मैन बहु को नींद से जगाने के बहाने उसके पेट पे हाथ फेरा फिर उसकी सॉफ्ट डीप नावेल को भी।। और जब उसकी नींद टूटी तो मैं झट्ट से अपना हाथ उसके हाथ पे रख के उठाने लगा।। वो उठ के बाथरूम चलि गई।
ओ दिन मैं उसकी नावेल के बारे में सोच के ४-५ बार मास्टरबैंग किया।। अब मैं उसे पना चाहता था। उसके बूब्स को मसलना चाहता था, उसकी थाइस को रब करना चाहता था, उसकी जूसी चुत को चाटना चाहता था उसे ख्यालों में तो कई बार चोद चूका था लेकिन हकीकत में शायद अभी देरी थी।
दूसरे दिन सुबह मैंने बहु को मॉर्निंग वाक पे चलने के लिए राज़ी कर लिया। बहु अपने कमरे में गई और मैं बाहर इंतज़ार करता रहा, थोड़ी देर बाद वो एक पिंक कलर के टाइट टीशर्ट और ट्रैक पैंट में सामने आयी। टीशर्ट थोड़ी छोटी होने की वजह से उसकी नावेल मुझे नज़र आ रही थी और टाइट-थिन पैंट में उसकी मांसल थाइस और उसके जांघो के बीच में उसकी भरी-भरी चूत।
थोडी देर इंतज़ार के बाद शमशेर ने दरवाजे पे नॉक दिया और फिर हम तीनो वाक के लिए निकल पड़े।। शमशेर तो बहु के हिप्स का दिवाना था, इस्लिये वो सरोज के दो कदम पीछे चल रहा था।। ताकि वो बहु की मटकती गांड का लुफ्त उठा सके। मैंने साफ़-साफ़ शमशेर को अपना लंड एडजस्ट करते हुए देखा, मेरे भी लण्ड में थोड़ी इरेक्शन थी लेकिन मैं अपनी टाइट अंडरवियर के अंदर इरेक्शन छुपाने में कामयाब रहा।
धूप बहुत तेज़ थी और हम करीब १ घंटे बाद घर आ गए
घर पहुचते ही सरोज बेड पे लेट गई।
सरोज - ओह पापा। बहुत थक गई मैं, कितना धूप था बाहर मैं तो काली हो जाऊंगी।
सरोज बिस्तर पे लेटे हुए बोल रही थी, मैंने पीछे मुड के देखा तो उसकी टीशर्ट काफी ऊपर थी और उसकी नावेल खुली थी। मैं बहु के पास बैठ गया और वो लेटी रही। बहु को मैंने कभी इतने खुलते हुए कभी नहीं देखा था, मैं उसके करीब बैठा था और वो अपनी नावेल खोले मेरे बगल में बेशर्म हो के लेटी रही।
मै - हाँ बहु आज पता नहीं क्यों धूप बहुत तेज़ थी, तुम तो हांफ रही हो।।
सरोज - मुझे इसकी आदत नहीं है पापा, मेरी साँस फुल रही है, देखिये कितना हांफ रही हू। ( सरोज ने करवट लेते हुए अपने गाल से पसीना पोंछते हुए कहा। )
सरोज - पूरा अंदर तक भींग गई हूँ मैं ये देखिये मेरा पेट कितना गरम है।।
मैने बिना देरी किये अपनी हथेली से उसकी पेट को छूने लगा। और फिर उसकी नर्म मुलायम नावेल को छुआ।।
मै - हाँ बहु।। तुम तो बहुत गरम हो गई हो।। (मैंने जान बूझ के डबल मीनिंग में बात की। )
फिर बात करते करते मैंने अपना हाथ उसकी जांघो पे रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा, उसकी तरफ से कोई ऑब्जेक्शन न देख मैंने अब अपना हाथ उसकी इनर थाइस पे रख दिया और सहलाने लगा। अपनी जवान बहु के मांसल थाइस मैंने पहली बार छुआ।। मैंने शायद ही किस्सी लड़की के इतनी मांसल थाइस देखि हो।। और मैं अपनी ही बहु के थाइस सहला रहा था।
उसकी गरम चूत बस २-३ इंच के दूरि पे थी और थोड़ा ऊपर उसके ट्रैक पैंट की ड़ोरी बाहर निकली थी। मन हुआ की वो झुक के अपने दांतो से उसकी ड़ोर को खोल दुं, लेकिन नहि।।।। मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी मेरे लंड को तो जैसे सारे दिन खड़े होने की सजा मिल गई हो। अब बहु बिस्तर से उठ के बैठ गई और मैंने अपना हाँथ हटा लिया। मैं उठा और फ्रिज खोल के पानी की बोतल निकालने लगा। बहु अपने कमरे में चलि गई, करीब आधे घंटे बाद मैं बहु के कमरे में गया। बहु नहाने गई थी उसकी ब्लैक ब्रा और ब्लू पैंटी वहीँ बिस्तर पे पड़ी थी। मैं उसकी पैंटी उठा कर देखने लगा।
पैंटी में थोडा सा दाग था शायद पसीने या फिर उसकी चूत का जुस। मैं उसकी पैंटी को सूँघने लगा।। एक अजीब से एक्साइट करने वाली स्मेल थी। मैंने पैंटी को लेफ्ट हैंड में लिए जीभ से उसकी चूत वाली जगह को चाटने लगा और राइट हैंड में अपना लंड पकड़ के हिलाने लगा। बस कुछ ही देर में मेरे लंड से पानी निकल फर्श और हाथ पे गिर गया। फिर मैंने अपना लंड उसकी पैंटी से पोंछ उसे वहीँ छोड़ कमरे से बाहर निकल गया।।।
बहु ने नहाने के बाद साड़ी पहनी थी वो भी पहली बार उसने साड़ी को अपने नावेल से करीब ३ इंच नीचे बांधे थी न जाने क्योँ, शायद २ दिन पहले जब मैंने उसकी नावेल की तारीफ की थी इसलिए।
बहु मुझे अपनी नावेल बड़ी ही बेशरमी से पूरे दिन दिखाती रहि।। किचन में काम करते वक़्त जब उसने पल्लू कमर में बांधा तो उसकी कमर और पेट का हिस्सा पूरा पूरा खुल गया और वो अधनंगे बदन मेरे सामने बड़े ही बेशरमी से आती जाती रहि।।
रात को मैं और मेरी बहु उसके कमरे में बैठ के बातें कर रहे थे।। क़रीब १० बजे बहु ने डिनर के लिए पुछा मैंने उससे कहा की वो डिनर इसी कमरे में लेती आए। फिर हमदोनो बिस्तर पे बैठे के डिनर किये।। डिनर के बाद बहु किचन में बर्तन साफ़ करने चलि गई और मैं वहीँ बहु के कमरे में सो गया।।
सूबह के क़रीब ५ बजे मेरी नींद खुली कमरे में हलकी हलकी रौशनी थी मैंने देखा बहु मेरे बगल में मेरी ओर पीठ किये सोयी है। मुझे याद आया की रात को डिनर करने के बाद मैं यहीं सो गया, और बहु शायद बाद में मेरे बगल में सो गई। मैंने नोटिस किया बहु एक वाइट कलर के टी-शर्ट पेहने हुए है और बेड के बगल में एक चेयर पे बहु की साड़ी, पेटीकोट, ब्लाउज और सबसे ऊपर ब्लैक कलर की ब्रा पड़ी थी।