22-08-2019, 12:03 AM
(This post was last modified: 22-08-2019, 09:58 PM by babasandy. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
दोपहर के पहले से ही मेले जाने की तैयारियां पूरी हो गई थी....
पहले एक चूड़ी वाली आयी और मेरी दोनो दीदियों और भाभी को कुहनी तक हरी-हरी चूड़ीयां पहनाई...
अच्छा ई बूझो , चुड़िहारिन ने मेरी प्रियंका दीदी की कलाई को गोल गोल मोड़ते हुए पूछा...
" हमरि तुम्हरी कब , अरे हाथ पकड़ा जब।
चीख चिल्लाहट कब , अरे आधा जाये तब।
और मजा आये कब ,.... ?
बात उनकी पूरी की चम्पा भाभी ने ,
"अरे मजा आये कब , पूरा जाए तब और क्या , आधे तीहे में का मजा।
मेरे गाल गुलाल हो गए... उनकी बात सुनकर... प्रियंका दीदी का भी वही हाल था... बगल में खड़ी मेरी मुस्कुरा रही थी मेरी रूपाली दीदी...
" अरी बिन्नो तोहरी ई ननदिया क बिल में बहुत चींटे काट रहे हैं मोटे मोटे , बहुत खुजली हो रही है , एके बात उसको सूझ रही है " चूड़ी वाली बोली.... उसने मुड़ के चंदा भाभी को देखा..
" अरे रानी एकर मतलब , चूड़ी पहिराना। पहले हाथ पकड़ना , फिर शुरू में जब घुसता है अंदर , चूड़ी जाती है रगड़ती कसी कसी तो कुछ दर्द तो होगा ही।... उसने मेरी प्रियंका दीदी को घूरते हुए कहा..
फिर जब भर हाथ चूडी हो जाती है तो कितना निक लगता है , मजा आता है , हैं की नहीं।दो दर्जन से ऊपर एक एक हाथ में , एकदम कुहनी तक ..... दीदी पर नजरें गड़ाए हुए उसने विस्तार से बताया...
और ऊपर से चम्पा भाभी बोलीं , चुड़िहारिन से ," दो दिन बाद फिर आ जाना ".
ये बात न मुझे समझ में आई न चुड़िहारिन को
लेकिन जब चम्पा भाभी ने अर्थाया तो सब लोग हँसते हँसते ,
(सिवाय मेरे , मेरे पास शर्माने के अलावा कोई रास्ता था क्या )
वो बोलीं ...
"अरे एक रात में तो दो दर्जन की एक दर्जन हो जायेगी , और कुछ खेत में टूटेगी कुछ पलंग पे ,कुछ हमरे देवर के साथ तो कुछ गांव के लड़कों के साथ... प्रियंका दीदी शर्म के मारे लाल हो गई... मेरी चंदा भाभी पूरी बेशर्मी के साथ बोल रही थी...
तब तक कामिनी भाभी भी आ गई.... मेरी चंदा भाभी की छोटी बहन... उनका ससुराल भी हमारे गांव में ही था... उम्र में दो-तीन साल छोटी होगी चंदा भाभी से... पर अदाएं उनके जैसी ही....
और मेरी प्रियंका दीदी की श्रृंगार और छेड़ने दोनों में हिस्सा बटाने लगी।
पावों में महावर और हाथों में रच-रच कर मेंहदी तो लगायी ही, नाखून भी खूब गाढ़े लाल रंगे गये, पावों में घुंघरु वाली पाजेब,
कमर में चांदी की कर्धनी पहनायी गयी मेरी प्रियंका दीदी के और रूपाली दीदी को भी....
" ननद रानी ,तुम्हारे गहनों में सबसे जोरदार यही है। ".. चंदा भाभी बोली मेरे प्रियंका दीदी को.. उनकी पैरों में चांदी की पाजेब की तरफ इशारा करते हुए....
मेरे कुछ समझ में नहीं आया , मैं हॉल में बैठा हुआ चुपचाप टीवी देख रहा था... चंदा भाभी और कामिनी भाभी की बातों को सुनकर भी अनसुना और देख कर भी अनदेखा करने का नाटक कर रहा था...
" अरे छैलों के कंधे पे चढ़ के बोलेगी ये , कभी गन्ने के खेत में तो कभी आम के बाग़ में, इसलिए सबसे पहले ये पाजेब ही पहना रही हूँ। " चंदा भाभी ने मेरी प्रियंका दीदी को पीछे से दबोच लिया और कहा. मेरा तो लंड फुल टाइट हो गया उनकी बात सुनकर..... जबकि उन्होंने ऐसी गंदी बात मेरी प्रियंका दीदी के बारे में कही थी..
कामिनी भाभी मेरी रूपाली दीदी को सजाने संवारने में लगी हुई थी... और खूब छेड़छाड़ कर रही थी... खासकर उनके दूध के साथ...
पहले एक चूड़ी वाली आयी और मेरी दोनो दीदियों और भाभी को कुहनी तक हरी-हरी चूड़ीयां पहनाई...
अच्छा ई बूझो , चुड़िहारिन ने मेरी प्रियंका दीदी की कलाई को गोल गोल मोड़ते हुए पूछा...
" हमरि तुम्हरी कब , अरे हाथ पकड़ा जब।
चीख चिल्लाहट कब , अरे आधा जाये तब।
और मजा आये कब ,.... ?
बात उनकी पूरी की चम्पा भाभी ने ,
"अरे मजा आये कब , पूरा जाए तब और क्या , आधे तीहे में का मजा।
मेरे गाल गुलाल हो गए... उनकी बात सुनकर... प्रियंका दीदी का भी वही हाल था... बगल में खड़ी मेरी मुस्कुरा रही थी मेरी रूपाली दीदी...
" अरी बिन्नो तोहरी ई ननदिया क बिल में बहुत चींटे काट रहे हैं मोटे मोटे , बहुत खुजली हो रही है , एके बात उसको सूझ रही है " चूड़ी वाली बोली.... उसने मुड़ के चंदा भाभी को देखा..
" अरे रानी एकर मतलब , चूड़ी पहिराना। पहले हाथ पकड़ना , फिर शुरू में जब घुसता है अंदर , चूड़ी जाती है रगड़ती कसी कसी तो कुछ दर्द तो होगा ही।... उसने मेरी प्रियंका दीदी को घूरते हुए कहा..
फिर जब भर हाथ चूडी हो जाती है तो कितना निक लगता है , मजा आता है , हैं की नहीं।दो दर्जन से ऊपर एक एक हाथ में , एकदम कुहनी तक ..... दीदी पर नजरें गड़ाए हुए उसने विस्तार से बताया...
और ऊपर से चम्पा भाभी बोलीं , चुड़िहारिन से ," दो दिन बाद फिर आ जाना ".
ये बात न मुझे समझ में आई न चुड़िहारिन को
लेकिन जब चम्पा भाभी ने अर्थाया तो सब लोग हँसते हँसते ,
(सिवाय मेरे , मेरे पास शर्माने के अलावा कोई रास्ता था क्या )
वो बोलीं ...
"अरे एक रात में तो दो दर्जन की एक दर्जन हो जायेगी , और कुछ खेत में टूटेगी कुछ पलंग पे ,कुछ हमरे देवर के साथ तो कुछ गांव के लड़कों के साथ... प्रियंका दीदी शर्म के मारे लाल हो गई... मेरी चंदा भाभी पूरी बेशर्मी के साथ बोल रही थी...
तब तक कामिनी भाभी भी आ गई.... मेरी चंदा भाभी की छोटी बहन... उनका ससुराल भी हमारे गांव में ही था... उम्र में दो-तीन साल छोटी होगी चंदा भाभी से... पर अदाएं उनके जैसी ही....
और मेरी प्रियंका दीदी की श्रृंगार और छेड़ने दोनों में हिस्सा बटाने लगी।
पावों में महावर और हाथों में रच-रच कर मेंहदी तो लगायी ही, नाखून भी खूब गाढ़े लाल रंगे गये, पावों में घुंघरु वाली पाजेब,
कमर में चांदी की कर्धनी पहनायी गयी मेरी प्रियंका दीदी के और रूपाली दीदी को भी....
" ननद रानी ,तुम्हारे गहनों में सबसे जोरदार यही है। ".. चंदा भाभी बोली मेरे प्रियंका दीदी को.. उनकी पैरों में चांदी की पाजेब की तरफ इशारा करते हुए....
मेरे कुछ समझ में नहीं आया , मैं हॉल में बैठा हुआ चुपचाप टीवी देख रहा था... चंदा भाभी और कामिनी भाभी की बातों को सुनकर भी अनसुना और देख कर भी अनदेखा करने का नाटक कर रहा था...
" अरे छैलों के कंधे पे चढ़ के बोलेगी ये , कभी गन्ने के खेत में तो कभी आम के बाग़ में, इसलिए सबसे पहले ये पाजेब ही पहना रही हूँ। " चंदा भाभी ने मेरी प्रियंका दीदी को पीछे से दबोच लिया और कहा. मेरा तो लंड फुल टाइट हो गया उनकी बात सुनकर..... जबकि उन्होंने ऐसी गंदी बात मेरी प्रियंका दीदी के बारे में कही थी..
कामिनी भाभी मेरी रूपाली दीदी को सजाने संवारने में लगी हुई थी... और खूब छेड़छाड़ कर रही थी... खासकर उनके दूध के साथ...