18-08-2019, 04:57 PM
कोहबर की शर्त
" कोहबर की बात भूल गए "
मैंने उन्हें फिर याद दिलाया।
" एकदम नहीं , कोहबर की बात कैसे भूल सकता हूँ मैं , ... एक एक चीज याद है अब तक "
वो मुस्कराते हुए बोले।
सच में कोहबर में जबरदस्त रगड़ाई हुयी थी उनकी साली सलहज तो छोड़िये , सास लोगों ने भी ,...
क्या क्या नहीं करवाया , कहवाया ,... और सबसे ज्यादा निशाने पर थी ,
और कौन ,... वही कच्चे टिकोरे वाली , ...एलवल वाली उनकी ममेरी बहन , ...
गुड्डी।
असल में बात ये थी की मेरी दोनों छोटी बहने, मौसी चाची और मामी बुआ की बेटियां सब एकदम तैयार थीं ,
जूता चुराई के लिए।
लेकिन इनकी बहने भी , ... ये जूता पहन के आये ही नहीं ,
लेकिन मंडप में इनकी बहने खूब हल्ला कर रही थीं , जूता यहीं मंडप में ही , ढूंढ सके तो ढूंढ लो।
और बाद में शक गुड्डी पर ही हुआ , वो अपनी स्कर्ट के अंदर छुपा के बैठी थी , एकदम मासूम बनी।
लेकिन छुटकी को शक हुआ , पर कहीं दिख नहीं रहा था।
लेकिन मेरी बहनें थी और रीतू भाभी की कप्तानी , संजय मेरे कजिन ने पानी पिलाने के चक्कर में ठीक से उसकी स्कर्ट के ऊपर ही पानी गिरा दिया , बस वो गुस्से में एक झटके में खड़ी हुयी
और पहले से तैयार छुटकी जूते लेकर चम्पत।
रीतू भाभी ने कोहबर में इनसे यही सवाल पहले पूछा
" आपकी शकल आपकी ममेरी बहन , उस गुड्डी से इतनी कैसे मिलती है। "
ये बेचारे क्या जवाब देते , समझ तो रहे थे असली इशारा किस तरफ है ,
लेकिन उनकी सास आ गयीं उनकी तरफ से बोलीं ,
" अरे इसमें कोई पुछ्ने की बात है , अरे समधन हमारी मायके में रक्षाबंधन में गयीं ,
बस वहीँ इनके मामा ने , समधन के भैया ने ,..., कर दी चढ़ाई , और उनकी गलती क्या , बचपन का चक्कर ,... बस नौ महीने बाद ये मैदान में ,... है न भैया यही बात। न बिस्वास हो तो लौटना और समधन से पूछ लेना ,
छिनार वो जाहें जीतनी हो लेकिन बात सच सच बोलती हैं। "
" तो ये अपने मामा के जाए हैं ,... "
एक गांव की औरत ने खोल के बोल दिया ,
पर बुआ हमारी , वो तो एकदम ,... इन्हे समझाते बोलीं ,
" अरे तो कउनो बात नहीं भैया , काहें मुंह लटकाये हो , ऊ तोहार माई चोद दिहे , तू उनकर बिटिया चोद दे , अब अच्छी खासी चोदवावे लायक तो हो गयी हैं , "
रीतू भाभी बोलीं , " अरे बुआ आप तो एंकर मन की बात कह दी , इहै तो यह चाह रहे हैं , "
और मम्मी ने बात पूरी की ,
" ठीक है , तो पहला मौका मिलते ही कर कर देना उसका उद्घाटन , ... अरे तोहरे शहर में ही तो रहती है , कउनो परेशनी है
तो बस अभिन यहीं बुलाई के सब तोहरी साली सरहज के सामने , करवा देतीं हूँ ,
बहुत रिरयायेगी न तो हम लोग हैं पकड़ लेंगे हाथ पैर कहो तो बुलवाऊं अभी ,... "
और मम्मी ने हमारी नाउन जिससे सभी पनाह मानते थे , चंपा , रीतू भाभी की समौरिया होगी ,...
उसको लगा दिया काम पे ,
" चंपा ज़रा जनवासे में जाओ और उनकी ममेरी छोटी बहन है न उसे बुला लाओ . कह देना एक रस्म है जिसमें कुँवारी छोटी बहन की जरूरत पड़ती है , बस थोड़ी देर के आओ , नेग भी मिलेगा। और हाँ कोई और न आने पाए उसके साथ। "
अब इनकी हालात खराब , वैसे भी साली सलहज ने इनके कपडे काफी उतरवा दिए थे , काफी दुर्गत हो रही थी ,
और कहीं सच में ,...
" नहीं नहीं मत बुलाइये उसे ,... " घबड़ा कर ये बोले।
" अच्छा ठीक है , लेकिन बुआ की बात याद रखना छोड़ना मत उसको ,... "
मम्मी बोलीं और कोहबर की कोई और रस्म शुरू हो गयी।
मैं वही बात याद दिला रही थी और उन्हें अच्छी तरह से याद था।
और तभी मेरी निगाह प्लेट की ओर पड़ गयी दो मोटे मोटे लड्डू अभी भी बचे थे।
बस एक मेरे मुंह में , और मेरे मुंह से उनके मुंह में ,.... उनका मुंह बंद कराते मैं बोली ,
' चल यार होली में तेरी उस ममेरी बहन के कच्चे टिकोरे कुतरवाउंगी , लेकिन तब तक वो सोच सोच के ये लड्डू गपक लो "
और आधे से ज्यादा लड्डू उनके मुंह में ,... और साथ में मेरी जीभ भी ,... उसे ठेलती ,
लेकिन मुझे इन लड्डुओं का स्वाद कुछ अलग सा लग रहा था ,... थोड़ी देर मैं अपने दिमाग को कुरेदती रही , और ४४० वाट का बल्ब जला ,
ऐसा ही , इनकी सलहज ने , जब मैं नौवें में थी , इनकी सलहज ने मुझे ,.... मैं स्वाद पहचान गयी , भांग की गोली ,... लेकिन इसमें गोली नहीं गोला पड़ा था , डबल डोज़ , ... लेकिन तब तक दोनों लड्डू हम दोनों ने ,... मैं समझ गयी ये शरारत किसकी थी ,... और किसकी , मेरी मंझली ननद की , ... और भांग का असर मुझसे ज्यादा उनके ऊपर हो रहा था , जो थोड़ी बहुत झिझक लाज हिचक थी सब गायब ,... और आज वो भी एकदम खुलकर ,...
यही तो वो चाहते थे और मैं भी ,...
मैं अपने सैंया की गोद में बैठी , मजे से , मजे ले रही थी , और उनके दोनों हाथ , और कहाँ ,... एक मेरे जोबन पर और दूसरा मेरी गुलाबो पर , रगड़ता मसलता , ...
कभी उन्हें चिढ़ाती उनकी उस ममेरी बहना का नाम
लेकर तो कभी अपने चूतड़ से , चूतड़ के नीचे दबे मूसलचंद को रगड़ देती , और वो भी , जैसे बगावत और जॉबन जितना दबाओ उतना उभरते हैं ,
उसी तरह उनके घोड़े की भी वही हालत हो रही थी , पर मुझे क्या ,...
अब मैं कौन उससे डरती थी , हाँ दर्द होगा , थोड़ा चीखू चिल्लाऊंगी ,
पर अब मुझे डर नहीं था की मेरे चीखने चिल्लाने पर ये लड़का रुकेगा ,... मैंने उन्ही अपनी कसम धरा दी थी , ...
चाहे मैं बेहोश जा होऊँ दर्द से , कितना भी चीखू चिल्लाऊं ,... अगर तुम रुके , ...धीमे भी हुए न तो बस समझ लो , तुझे मेरी कसम ,...
और तभी मुझे याद आयी शाम को जो मैंने उनका मस्तराम का खजाना खोजा था ,
जिस तरह से उसके पन्ने बार बार पढ़े लग रहे थे , बीच बीच में चिपके थे , ...
मैं समझ गयी थी , इसे क्या सुनना अच्छा लगता है , ...
और आज हमने जो अपनी ननदों और सास को ,
इनकी माँ बहनों को खुल खुल करके गारी सुनाई थीं , वो सब इसी लड़के के मजे के लिए थी ,
और ऊपर से मंझली ननद ने जो भांग के ये लड्डू वो भी चार चार , ... बची खुची ,... झिझक भी
और मैंने बिस्तर के के नीचे हाथ डाल कर वो सब किताबें निकालीं , लेकिन सबसे ऊपर एक फोटो वाली किताबें ,...
मेरे लिए कोई नयी नहीं थी , गाँव के मेले में से , असली कोकशास्त्र , ८४ आसन , ... सब के सब रीतू भाभी के पास , ... और कितनी दुपहरियाँ मैंने उनके साथ , एक एक पोज के बारे में इनकी सलहज में इस किशोरी को , ... क्या फायदे हैं , लड़के को किस में ज्यादा मज़ा आता है , ... लड़की को क्या करना चाहिए ,...
एक एक चीज़ , पन्ने वो पलट रहे थे , देख मैं रही थी उनके साथ साथ , ...
पर एक पन्ने पर वो रुक गए , एक लड़की निहुरि , झुकी , और मर्द उसका , पीछे से ,... निहुरा कर घुसेड़े हुए ,... उनकी निगाह वहीँ चिपकी ,
मुझे तो इसका नाम भी याद था , क्या तो नाम बताया था , भाभी ने , ...ये भी की भैया को ये बहुत पसंद है , हफते में चार पांच दिन तो इसी तरह ,... हाँ याद आया , डॉगी पोज़ ,...
" हे इत्ते ध्यान से क्या देख रहे हो , मेरी ननद की , उस गुड्डी एलवल वाली की क्या इसी तरह लोगे , पहली बार ऐसे ही करोगे ,... " मैंने छेड़ा और वो
कचकचा के मेरे गाल काटते बोले ,
" ननद की नहीं , तेरी ननद की तो बाद में देखी जायेगी , अभी तो उसकी भाभी के साथ करूंगा , ... "
लेकिन मैं इतनी आसानी से उन्हें छोड़ने वाली नहीं थी , उनके होंठों को अपने होंठों के बीच भींच कर , काट के मैं बोली ,
" ज्जा ज्जा , बोलने की हिम्मत तो पड़ नहीं रही है , बड़े आये करने वाले ,... क्या करोगे जरा बोलो तो मेरे सुगना ,... "
अब आग में घी पड़ गया था , हलके से हिम्मत कर के बोले ,
" चोदुँगा ,... "
" क्या मैंने नहीं सूना , जरा जोर से बोल न , " मैंने फिर उकसाया , और अब वो खुल के बोले
" चोदुँगा उसकी भाभी को , ... "
" तो ठीक है मेरे रज्जा , चोद दो न , आज उसकी भाभी को चोद लो , और जल्द मैं उस भाभी की ननदिया को चोद देना , ... एकदम सही कहा तूने ,... "
उनकी बहन का ,
ख़ास तौर से उस एलवल वाली का
नाम लेने का असर हुआ जो मैं सोचती थी ,
" कोहबर की बात भूल गए "
मैंने उन्हें फिर याद दिलाया।
" एकदम नहीं , कोहबर की बात कैसे भूल सकता हूँ मैं , ... एक एक चीज याद है अब तक "
वो मुस्कराते हुए बोले।
सच में कोहबर में जबरदस्त रगड़ाई हुयी थी उनकी साली सलहज तो छोड़िये , सास लोगों ने भी ,...
क्या क्या नहीं करवाया , कहवाया ,... और सबसे ज्यादा निशाने पर थी ,
और कौन ,... वही कच्चे टिकोरे वाली , ...एलवल वाली उनकी ममेरी बहन , ...
गुड्डी।
असल में बात ये थी की मेरी दोनों छोटी बहने, मौसी चाची और मामी बुआ की बेटियां सब एकदम तैयार थीं ,
जूता चुराई के लिए।
लेकिन इनकी बहने भी , ... ये जूता पहन के आये ही नहीं ,
लेकिन मंडप में इनकी बहने खूब हल्ला कर रही थीं , जूता यहीं मंडप में ही , ढूंढ सके तो ढूंढ लो।
और बाद में शक गुड्डी पर ही हुआ , वो अपनी स्कर्ट के अंदर छुपा के बैठी थी , एकदम मासूम बनी।
लेकिन छुटकी को शक हुआ , पर कहीं दिख नहीं रहा था।
लेकिन मेरी बहनें थी और रीतू भाभी की कप्तानी , संजय मेरे कजिन ने पानी पिलाने के चक्कर में ठीक से उसकी स्कर्ट के ऊपर ही पानी गिरा दिया , बस वो गुस्से में एक झटके में खड़ी हुयी
और पहले से तैयार छुटकी जूते लेकर चम्पत।
रीतू भाभी ने कोहबर में इनसे यही सवाल पहले पूछा
" आपकी शकल आपकी ममेरी बहन , उस गुड्डी से इतनी कैसे मिलती है। "
ये बेचारे क्या जवाब देते , समझ तो रहे थे असली इशारा किस तरफ है ,
लेकिन उनकी सास आ गयीं उनकी तरफ से बोलीं ,
" अरे इसमें कोई पुछ्ने की बात है , अरे समधन हमारी मायके में रक्षाबंधन में गयीं ,
बस वहीँ इनके मामा ने , समधन के भैया ने ,..., कर दी चढ़ाई , और उनकी गलती क्या , बचपन का चक्कर ,... बस नौ महीने बाद ये मैदान में ,... है न भैया यही बात। न बिस्वास हो तो लौटना और समधन से पूछ लेना ,
छिनार वो जाहें जीतनी हो लेकिन बात सच सच बोलती हैं। "
" तो ये अपने मामा के जाए हैं ,... "
एक गांव की औरत ने खोल के बोल दिया ,
पर बुआ हमारी , वो तो एकदम ,... इन्हे समझाते बोलीं ,
" अरे तो कउनो बात नहीं भैया , काहें मुंह लटकाये हो , ऊ तोहार माई चोद दिहे , तू उनकर बिटिया चोद दे , अब अच्छी खासी चोदवावे लायक तो हो गयी हैं , "
रीतू भाभी बोलीं , " अरे बुआ आप तो एंकर मन की बात कह दी , इहै तो यह चाह रहे हैं , "
और मम्मी ने बात पूरी की ,
" ठीक है , तो पहला मौका मिलते ही कर कर देना उसका उद्घाटन , ... अरे तोहरे शहर में ही तो रहती है , कउनो परेशनी है
तो बस अभिन यहीं बुलाई के सब तोहरी साली सरहज के सामने , करवा देतीं हूँ ,
बहुत रिरयायेगी न तो हम लोग हैं पकड़ लेंगे हाथ पैर कहो तो बुलवाऊं अभी ,... "
और मम्मी ने हमारी नाउन जिससे सभी पनाह मानते थे , चंपा , रीतू भाभी की समौरिया होगी ,...
उसको लगा दिया काम पे ,
" चंपा ज़रा जनवासे में जाओ और उनकी ममेरी छोटी बहन है न उसे बुला लाओ . कह देना एक रस्म है जिसमें कुँवारी छोटी बहन की जरूरत पड़ती है , बस थोड़ी देर के आओ , नेग भी मिलेगा। और हाँ कोई और न आने पाए उसके साथ। "
अब इनकी हालात खराब , वैसे भी साली सलहज ने इनके कपडे काफी उतरवा दिए थे , काफी दुर्गत हो रही थी ,
और कहीं सच में ,...
" नहीं नहीं मत बुलाइये उसे ,... " घबड़ा कर ये बोले।
" अच्छा ठीक है , लेकिन बुआ की बात याद रखना छोड़ना मत उसको ,... "
मम्मी बोलीं और कोहबर की कोई और रस्म शुरू हो गयी।
मैं वही बात याद दिला रही थी और उन्हें अच्छी तरह से याद था।
और तभी मेरी निगाह प्लेट की ओर पड़ गयी दो मोटे मोटे लड्डू अभी भी बचे थे।
बस एक मेरे मुंह में , और मेरे मुंह से उनके मुंह में ,.... उनका मुंह बंद कराते मैं बोली ,
' चल यार होली में तेरी उस ममेरी बहन के कच्चे टिकोरे कुतरवाउंगी , लेकिन तब तक वो सोच सोच के ये लड्डू गपक लो "
और आधे से ज्यादा लड्डू उनके मुंह में ,... और साथ में मेरी जीभ भी ,... उसे ठेलती ,
लेकिन मुझे इन लड्डुओं का स्वाद कुछ अलग सा लग रहा था ,... थोड़ी देर मैं अपने दिमाग को कुरेदती रही , और ४४० वाट का बल्ब जला ,
ऐसा ही , इनकी सलहज ने , जब मैं नौवें में थी , इनकी सलहज ने मुझे ,.... मैं स्वाद पहचान गयी , भांग की गोली ,... लेकिन इसमें गोली नहीं गोला पड़ा था , डबल डोज़ , ... लेकिन तब तक दोनों लड्डू हम दोनों ने ,... मैं समझ गयी ये शरारत किसकी थी ,... और किसकी , मेरी मंझली ननद की , ... और भांग का असर मुझसे ज्यादा उनके ऊपर हो रहा था , जो थोड़ी बहुत झिझक लाज हिचक थी सब गायब ,... और आज वो भी एकदम खुलकर ,...
यही तो वो चाहते थे और मैं भी ,...
मैं अपने सैंया की गोद में बैठी , मजे से , मजे ले रही थी , और उनके दोनों हाथ , और कहाँ ,... एक मेरे जोबन पर और दूसरा मेरी गुलाबो पर , रगड़ता मसलता , ...
कभी उन्हें चिढ़ाती उनकी उस ममेरी बहना का नाम
लेकर तो कभी अपने चूतड़ से , चूतड़ के नीचे दबे मूसलचंद को रगड़ देती , और वो भी , जैसे बगावत और जॉबन जितना दबाओ उतना उभरते हैं ,
उसी तरह उनके घोड़े की भी वही हालत हो रही थी , पर मुझे क्या ,...
अब मैं कौन उससे डरती थी , हाँ दर्द होगा , थोड़ा चीखू चिल्लाऊंगी ,
पर अब मुझे डर नहीं था की मेरे चीखने चिल्लाने पर ये लड़का रुकेगा ,... मैंने उन्ही अपनी कसम धरा दी थी , ...
चाहे मैं बेहोश जा होऊँ दर्द से , कितना भी चीखू चिल्लाऊं ,... अगर तुम रुके , ...धीमे भी हुए न तो बस समझ लो , तुझे मेरी कसम ,...
और तभी मुझे याद आयी शाम को जो मैंने उनका मस्तराम का खजाना खोजा था ,
जिस तरह से उसके पन्ने बार बार पढ़े लग रहे थे , बीच बीच में चिपके थे , ...
मैं समझ गयी थी , इसे क्या सुनना अच्छा लगता है , ...
और आज हमने जो अपनी ननदों और सास को ,
इनकी माँ बहनों को खुल खुल करके गारी सुनाई थीं , वो सब इसी लड़के के मजे के लिए थी ,
और ऊपर से मंझली ननद ने जो भांग के ये लड्डू वो भी चार चार , ... बची खुची ,... झिझक भी
और मैंने बिस्तर के के नीचे हाथ डाल कर वो सब किताबें निकालीं , लेकिन सबसे ऊपर एक फोटो वाली किताबें ,...
मेरे लिए कोई नयी नहीं थी , गाँव के मेले में से , असली कोकशास्त्र , ८४ आसन , ... सब के सब रीतू भाभी के पास , ... और कितनी दुपहरियाँ मैंने उनके साथ , एक एक पोज के बारे में इनकी सलहज में इस किशोरी को , ... क्या फायदे हैं , लड़के को किस में ज्यादा मज़ा आता है , ... लड़की को क्या करना चाहिए ,...
एक एक चीज़ , पन्ने वो पलट रहे थे , देख मैं रही थी उनके साथ साथ , ...
पर एक पन्ने पर वो रुक गए , एक लड़की निहुरि , झुकी , और मर्द उसका , पीछे से ,... निहुरा कर घुसेड़े हुए ,... उनकी निगाह वहीँ चिपकी ,
मुझे तो इसका नाम भी याद था , क्या तो नाम बताया था , भाभी ने , ...ये भी की भैया को ये बहुत पसंद है , हफते में चार पांच दिन तो इसी तरह ,... हाँ याद आया , डॉगी पोज़ ,...
" हे इत्ते ध्यान से क्या देख रहे हो , मेरी ननद की , उस गुड्डी एलवल वाली की क्या इसी तरह लोगे , पहली बार ऐसे ही करोगे ,... " मैंने छेड़ा और वो
कचकचा के मेरे गाल काटते बोले ,
" ननद की नहीं , तेरी ननद की तो बाद में देखी जायेगी , अभी तो उसकी भाभी के साथ करूंगा , ... "
लेकिन मैं इतनी आसानी से उन्हें छोड़ने वाली नहीं थी , उनके होंठों को अपने होंठों के बीच भींच कर , काट के मैं बोली ,
" ज्जा ज्जा , बोलने की हिम्मत तो पड़ नहीं रही है , बड़े आये करने वाले ,... क्या करोगे जरा बोलो तो मेरे सुगना ,... "
अब आग में घी पड़ गया था , हलके से हिम्मत कर के बोले ,
" चोदुँगा ,... "
" क्या मैंने नहीं सूना , जरा जोर से बोल न , " मैंने फिर उकसाया , और अब वो खुल के बोले
" चोदुँगा उसकी भाभी को , ... "
" तो ठीक है मेरे रज्जा , चोद दो न , आज उसकी भाभी को चोद लो , और जल्द मैं उस भाभी की ननदिया को चोद देना , ... एकदम सही कहा तूने ,... "
उनकी बहन का ,
ख़ास तौर से उस एलवल वाली का
नाम लेने का असर हुआ जो मैं सोचती थी ,