18-08-2019, 03:12 PM
रसमलाई
मुझे उनकी सलहज की , और दुलारी की एक बात याद आयी , ....
और जब उन्होंने बाहर निकाल लिया मैंने उन्हें अपनी बाँहों के इशारे से अपने ऊपर से हटने से रोक लिया ,....
और उनके सर को पकड़ कर अपने होंठों पर , फिर अपने दोनों उभारों पर , ...और फिर ,...
और फिर , ...और नीचे ,... और नीचे
सीधे मेरी दोनों फैली खुली जाँघों के बीच , जहाँ मेरी ओखल में उनका मूसल दनादन चल रहा , सटासट , गपागप ,
एक पल के लिए वो थोड़ा सहमे , ... थोड़ा झिझके , ...
अभी पल भर पहले ही तो उनके मूसल ने कटोरी भर रबड़ी मलाई वहां ऊगली थी , ... गाढ़ी थक्केदार ,....
पर सब कुछ अब उनके बस में थोड़े ही था , मैं किस लिए थी ,
सँडसी से भी कड़ी पकड़ मेरी गोरी मखमली जाँघों की थी , अब वो अपना सर छुड़ा नहीं सकते थे , ...
और ऊपर से मैंने कस के उनके सर को पकड़ के अपनी गुलाबो पर दबा रखा था ,... लेकिन बस पल दो पल , ...
उसके बाद तो वो खुद ही , ...
उनकी जीभ की टिप ने जैसे मेरी गुलाबो के चारो ओर चक्कर काटना शुरू किया ,
जैसे लौंडे नयी नयी जवान होती लड़की के घर के चारो ओर चक्कर काटते हैं ,
और मैं गिनगीना गयी , सिसकने लगी ,...
मेरे लिए ये एक नया मजा था , सुना तो बहुत था , भौजाइयों से , लेकिन आज पहली बार ,
और कुछ देर में उनकी जीभ मेरी चूत पर ऊपर से नीचे , नीचे से ऊपर कभी बहुत धीमे धीमे ,
मजे लेती तो कभी तेजी से ,... सपड़ सपड़
उनकी उँगलियों और उस मोटे खूंटे ने तो मेरी गुलाबो को बहुत मजे दिए थे लेकिन होंठ पहली बार , ...
और फिर ,... वो हुआ ,... क्या कहूं ,... बस मैं पागल नहीं हुयी ,
दोनों होंठों के बीच मेरे निचले दोनों होंठों को दबा कर ,...
क्या चूसा उन्होंने ,... आग लग गयी देह में ,...कम से कम पांच मिनट तक और फिर ,
उनकी जीभ भी इस खेल तमाशे में आ गयी , दोनों फांको को फैला कर , ...
जीभ उन्होंने अंदर घुसेड़ दी , जैसे कोई आम की फांक को फैला कर ,
सपड़ सपड़ चूसे चाटे , बस एकदम उसी तरह ,
उनके होंठ अभी भी कस के चूस रहे थे और जीभ मेरी चूत के अंदर घुसी गोल गोल ,
मैं चूतड़ पटक रही थी सिसक रही थी उछल रही थी ,
पर वो लड़का न एक बार चालू हो गया तो बस ,...
मैं मान गयी ये लड़का देखने में भले जितना सीधा लगे , पर है नंबरी चोदू और उससे भी बढ़कर चूत चटोरा ,
अब उन्हें इस बात का फरक नहीं पड़ रहा था की मेरी चूत में उनका वीर्य भरा है , बल्कि बाहर तक छलक रहा है ,...
उनकी जीभ अंदर घुस कर धमाल मचा रही थी ,
जैसे कोई खीर के कटोरे से आखिरी बूँद तक खीर चाट रहा हो एकदम वैसे ही।
बीस मिनट से ज्यादा ,.. मुझे बार बार अपनी रीतू भौजी , उनकी सलहज की बात याद आ रही थी , ... आज सुबह ही तो ,
" चल तूने चमचम तो चूस लिया , लेकिन उसे अपनी रसमलाई चटाई की नहीं , ... एक बार चटा दो न , मेरी कसम पक्का तेरा , असल जोरू का गुलाम हो जायेगा। "
मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया , वो तो वैसे ही हैं ,
पर मैं सोच लिया था रीतू भौजी की बात ,... दम होता है उसमें ,
और आज क्या मस्त रसमलाई चाटी चूसी इन्होने , ....
एक बार काम की गर्मी कुछ कमी हुयी न तो फिर जाड़ा भी वापस आ गया और लाज भी ,
झट से मैंने रजाई फर्श से उठा कर अपने इनके चारों ओर लिपट गयी और इनके सीने में दुबक गयी।
कुछ देर तक तो हम दोनों चुप रहे , देह की गर्मी और रजाई का मजा लेते रहे ,
लेकिन आज मैं इन्हे छेड़ने पर तुली थी अपनी उस एलवल वाली कच्ची कली ननद का नाम ले ले कर छेड़ने में ,
' क्यों उस कच्ची कली की कच्ची अमिया की याद आ रही है , सच में कुतरने में बहुत मज़ा आएगा। अरे सिर्फ कच्ची अमिया क्यों गुड्डी रानी की कच्ची कली
को भी फूल बनाने का काम तेरे ही जिम्मे आएगा"
मुझे उनकी सलहज की , और दुलारी की एक बात याद आयी , ....
और जब उन्होंने बाहर निकाल लिया मैंने उन्हें अपनी बाँहों के इशारे से अपने ऊपर से हटने से रोक लिया ,....
और उनके सर को पकड़ कर अपने होंठों पर , फिर अपने दोनों उभारों पर , ...और फिर ,...
और फिर , ...और नीचे ,... और नीचे
सीधे मेरी दोनों फैली खुली जाँघों के बीच , जहाँ मेरी ओखल में उनका मूसल दनादन चल रहा , सटासट , गपागप ,
एक पल के लिए वो थोड़ा सहमे , ... थोड़ा झिझके , ...
अभी पल भर पहले ही तो उनके मूसल ने कटोरी भर रबड़ी मलाई वहां ऊगली थी , ... गाढ़ी थक्केदार ,....
पर सब कुछ अब उनके बस में थोड़े ही था , मैं किस लिए थी ,
सँडसी से भी कड़ी पकड़ मेरी गोरी मखमली जाँघों की थी , अब वो अपना सर छुड़ा नहीं सकते थे , ...
और ऊपर से मैंने कस के उनके सर को पकड़ के अपनी गुलाबो पर दबा रखा था ,... लेकिन बस पल दो पल , ...
उसके बाद तो वो खुद ही , ...
उनकी जीभ की टिप ने जैसे मेरी गुलाबो के चारो ओर चक्कर काटना शुरू किया ,
जैसे लौंडे नयी नयी जवान होती लड़की के घर के चारो ओर चक्कर काटते हैं ,
और मैं गिनगीना गयी , सिसकने लगी ,...
मेरे लिए ये एक नया मजा था , सुना तो बहुत था , भौजाइयों से , लेकिन आज पहली बार ,
और कुछ देर में उनकी जीभ मेरी चूत पर ऊपर से नीचे , नीचे से ऊपर कभी बहुत धीमे धीमे ,
मजे लेती तो कभी तेजी से ,... सपड़ सपड़
उनकी उँगलियों और उस मोटे खूंटे ने तो मेरी गुलाबो को बहुत मजे दिए थे लेकिन होंठ पहली बार , ...
और फिर ,... वो हुआ ,... क्या कहूं ,... बस मैं पागल नहीं हुयी ,
दोनों होंठों के बीच मेरे निचले दोनों होंठों को दबा कर ,...
क्या चूसा उन्होंने ,... आग लग गयी देह में ,...कम से कम पांच मिनट तक और फिर ,
उनकी जीभ भी इस खेल तमाशे में आ गयी , दोनों फांको को फैला कर , ...
जीभ उन्होंने अंदर घुसेड़ दी , जैसे कोई आम की फांक को फैला कर ,
सपड़ सपड़ चूसे चाटे , बस एकदम उसी तरह ,
उनके होंठ अभी भी कस के चूस रहे थे और जीभ मेरी चूत के अंदर घुसी गोल गोल ,
मैं चूतड़ पटक रही थी सिसक रही थी उछल रही थी ,
पर वो लड़का न एक बार चालू हो गया तो बस ,...
मैं मान गयी ये लड़का देखने में भले जितना सीधा लगे , पर है नंबरी चोदू और उससे भी बढ़कर चूत चटोरा ,
अब उन्हें इस बात का फरक नहीं पड़ रहा था की मेरी चूत में उनका वीर्य भरा है , बल्कि बाहर तक छलक रहा है ,...
उनकी जीभ अंदर घुस कर धमाल मचा रही थी ,
जैसे कोई खीर के कटोरे से आखिरी बूँद तक खीर चाट रहा हो एकदम वैसे ही।
बीस मिनट से ज्यादा ,.. मुझे बार बार अपनी रीतू भौजी , उनकी सलहज की बात याद आ रही थी , ... आज सुबह ही तो ,
" चल तूने चमचम तो चूस लिया , लेकिन उसे अपनी रसमलाई चटाई की नहीं , ... एक बार चटा दो न , मेरी कसम पक्का तेरा , असल जोरू का गुलाम हो जायेगा। "
मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया , वो तो वैसे ही हैं ,
पर मैं सोच लिया था रीतू भौजी की बात ,... दम होता है उसमें ,
और आज क्या मस्त रसमलाई चाटी चूसी इन्होने , ....
एक बार काम की गर्मी कुछ कमी हुयी न तो फिर जाड़ा भी वापस आ गया और लाज भी ,
झट से मैंने रजाई फर्श से उठा कर अपने इनके चारों ओर लिपट गयी और इनके सीने में दुबक गयी।
कुछ देर तक तो हम दोनों चुप रहे , देह की गर्मी और रजाई का मजा लेते रहे ,
लेकिन आज मैं इन्हे छेड़ने पर तुली थी अपनी उस एलवल वाली कच्ची कली ननद का नाम ले ले कर छेड़ने में ,
' क्यों उस कच्ची कली की कच्ची अमिया की याद आ रही है , सच में कुतरने में बहुत मज़ा आएगा। अरे सिर्फ कच्ची अमिया क्यों गुड्डी रानी की कच्ची कली
को भी फूल बनाने का काम तेरे ही जिम्मे आएगा"