16-08-2019, 07:30 PM
जब योग ने मुझे बिस्तर से निचे उतारते हुए देखा तो पूछा "क्या बात है?"
मैंने कहा, "तुमने तो उस गन्दी औरत को अपने जीवन से और जहन से निकाल फेंका और (मैंने अपने बदन की और इशारा करते हुए कहा) इस नयी मुसीबत को गले लगा लिया। पर मुझे भी एक हिसाब चुकाना है। मुझे भी एक नासमझ मर्द को सबक सिखाना है। आप लेटे रहो। मुझे आपसे और भी कई बार चुदाई करानी है। बस मैं गयी और आयी।"
ऐसा बोलकर मैंने साथ में ही मेज पर रखे हुए मेरे सेल फ़ोन को लेकर मेरे पति को एक सन्देश भेजा। मैंने लिखा,
"मेरे प्यारे पति देव।
आपने मुझे एक बहुत ही बढ़िया सबक सीखा दिया है। हम शादी शुदा होते हुए भी आप किसी स्त्री को चोदते रहे और मुझ से झूठ बोलकर यह बात छिपाते रहे। रंगे हाथों पकडे जाने पर उलटा आपने मुझ पर ही बेबुनियाद इल्जाम लगा दिया। आपने मुझे सिखाया की शादीकी सौगंध और वचनों का कोई मूल्य या मायने नहीं है। हम शादी शुदा रहते हुए भी अपने तन की भूख किसी और से शांत करवा सकते हैं। तो फिर आप मेरी खुली चुनौती सुनिए। अब मैं आपसे खुल्लम खुल्ला कहती हूँ की मैं मेरे एक अति प्रिय मर्द को ना सिर्फ प्यार करने लगी हूँ बल्कि उनसे खूब मजे से चुदवा भी रही हूँ। मैं उनसे अभी अभी चुद कर आयी हूँ और यह मेसेज आपको भेज रही हूँ। आप मेरे इस खत को जाहिर कर सकते हैं। मैं आपको तलाक देने के लिए बाध्य नहीं कर रही। आप अगर मुझे तलाक देना चाहे तो दे सकते हैं। मुझे आपसे कोई जीविका या आर्थिक आरक्षण नहीं चाहिए। अगर आप मेरे साथ रहना चाहते हों तो हमें आज़ादी रहेगी की हम दोनों शादी शुदा होते हुए भी किसी और को चोद या किसी और से चुदवा सकते हैं। निर्णय आपको लेना है। आखिर में मैं आपको बस कुछ पंक्तियाँ पढ़ाना चाहती हूँ। गौर फरमाइयेगा।
यदि हम नरम हैं तो शोले सम हम गरम भी तो है। यदि हम नार* हैं तो खड़ग और तलवार भी तो हैं।
समझना ना हमें तुम भूल से भी मुर्ख और दुर्बल। दिल में प्यार है तो साथ में धिक्कार भी तो है।
* नार = नारी, स्त्री
आपकी कानूनन पत्नी!
प्रिया"
मैसेज एक बार फिर पढ़ने के बाद मैंने उसे मेरे पति के सेल फ़ोन पर भेज दिया। फिर मैं धीरे से मेरे सो रहे प्रियतम के पास गयी और उनका थोड़ा ढीला पर उतना ही मोटा और लंबा लण्ड पकड़ कर उसे हिलाने लगी, ताकि वह फिर कड़क हो जाए और मैं फिर एक बार उनसे उतने ही प्यार और तूफ़ान के साथ दुबारा चुद सकूँ।
मैंने कहा, "तुमने तो उस गन्दी औरत को अपने जीवन से और जहन से निकाल फेंका और (मैंने अपने बदन की और इशारा करते हुए कहा) इस नयी मुसीबत को गले लगा लिया। पर मुझे भी एक हिसाब चुकाना है। मुझे भी एक नासमझ मर्द को सबक सिखाना है। आप लेटे रहो। मुझे आपसे और भी कई बार चुदाई करानी है। बस मैं गयी और आयी।"
ऐसा बोलकर मैंने साथ में ही मेज पर रखे हुए मेरे सेल फ़ोन को लेकर मेरे पति को एक सन्देश भेजा। मैंने लिखा,
"मेरे प्यारे पति देव।
आपने मुझे एक बहुत ही बढ़िया सबक सीखा दिया है। हम शादी शुदा होते हुए भी आप किसी स्त्री को चोदते रहे और मुझ से झूठ बोलकर यह बात छिपाते रहे। रंगे हाथों पकडे जाने पर उलटा आपने मुझ पर ही बेबुनियाद इल्जाम लगा दिया। आपने मुझे सिखाया की शादीकी सौगंध और वचनों का कोई मूल्य या मायने नहीं है। हम शादी शुदा रहते हुए भी अपने तन की भूख किसी और से शांत करवा सकते हैं। तो फिर आप मेरी खुली चुनौती सुनिए। अब मैं आपसे खुल्लम खुल्ला कहती हूँ की मैं मेरे एक अति प्रिय मर्द को ना सिर्फ प्यार करने लगी हूँ बल्कि उनसे खूब मजे से चुदवा भी रही हूँ। मैं उनसे अभी अभी चुद कर आयी हूँ और यह मेसेज आपको भेज रही हूँ। आप मेरे इस खत को जाहिर कर सकते हैं। मैं आपको तलाक देने के लिए बाध्य नहीं कर रही। आप अगर मुझे तलाक देना चाहे तो दे सकते हैं। मुझे आपसे कोई जीविका या आर्थिक आरक्षण नहीं चाहिए। अगर आप मेरे साथ रहना चाहते हों तो हमें आज़ादी रहेगी की हम दोनों शादी शुदा होते हुए भी किसी और को चोद या किसी और से चुदवा सकते हैं। निर्णय आपको लेना है। आखिर में मैं आपको बस कुछ पंक्तियाँ पढ़ाना चाहती हूँ। गौर फरमाइयेगा।
यदि हम नरम हैं तो शोले सम हम गरम भी तो है। यदि हम नार* हैं तो खड़ग और तलवार भी तो हैं।
समझना ना हमें तुम भूल से भी मुर्ख और दुर्बल। दिल में प्यार है तो साथ में धिक्कार भी तो है।
* नार = नारी, स्त्री
आपकी कानूनन पत्नी!
प्रिया"
मैसेज एक बार फिर पढ़ने के बाद मैंने उसे मेरे पति के सेल फ़ोन पर भेज दिया। फिर मैं धीरे से मेरे सो रहे प्रियतम के पास गयी और उनका थोड़ा ढीला पर उतना ही मोटा और लंबा लण्ड पकड़ कर उसे हिलाने लगी, ताकि वह फिर कड़क हो जाए और मैं फिर एक बार उनसे उतने ही प्यार और तूफ़ान के साथ दुबारा चुद सकूँ।
आशा है आप सब को मेरी कहानी पसंद आई होगी, आप सभी की प्रतिक्रियाओं का इतेजार रहेगा!
THE END...???