16-08-2019, 07:20 PM
योग अपना लण्ड मेरी चूत में थोड़ा घुसा कर थम गए थे। योग भी मेरी चूत में अपने लण्ड के घुसने का मजा ले रहे थे। उनके लण्ड को जैसे मेरी चूत की दीवारों ने जकड़ा था वह उसका रसास्वादन कर रहे थे। शायद मेरी चूत की फड़कन उन्हें पागल कर रही थी। या फिर वह मुझे दर्द से थोड़ी देर के लिए राहत दिलाना चाहते थे। दर्द थोड़ा कम होने पर मैंने योग को अपनी गाँड़ ऊपर उठाकर ऊपर की और धक्का दिया और उन्हें महसूस कराया की मैं उनके चोदने का इंतजार कर रही थी। योग ने अपनी आँखें खोली और मुस्कुरा कर मेरी और देखा। उनकी उतनी मीठी मुस्कान देख कर तो मैं वारी वारी गयी। मैंने सोचा ऐसे प्यारे मर्द से तो जिंदगी भर चुदवाया जाये फिर भी कम है। मैंने भी वैसी ही मीठी मुस्कान उन्हें दी। मैं योग को यह भी जताना चाहती थी की मुझे ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था। तब योग को लगा की मैं ज्यादा दर्द नहीं महसूस कर रही थी तो उन्होंने अपना लण्ड और अंदर घुसेड़ा। उनका करीब आधा लण्ड से थोड़ा कम मेरी चूत में घुस चुका था। मेरा दर्द बढ़ता जा रहा था। तब मैंने तय किया की मैं दर्द के बारे में सोचूंगी ही नहीं। मैंने फिर मुस्कुरा कर योग को मेरी गाँड़ को उठाकर ऊपरकी और धक्का दिया। योग ने आधेसे ज्यादा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। उसे फिर वापस खींच कर उन्होंने फिर उसे अंदर घुसेड़ा। अब वह धीरे फिर हलके हलके मुझे चोद रहे थे। उन्होंने फिर भी अपना लण्ड पूरा नहीं घुसेड़ा था। मैंने फिर अपनी गाँड़ ऊपर उठाकर योग को लण्ड और अंदर घुसेड़ने का न्यौता दिया। योग का आधा लण्ड ही मेरी चूत को पूरा भर चुका था। मुझे लगा की योग का लण्ड मेरी चूत में और ज्यादा घुस नहीं पायेगा क्यूंकि शायद वह मेरे गर्भद्वार पर टक्कर मार रहा था। योग के लण्ड को चूत में पाकर मुझ पर एक तरह का पागलपन सवार हो गया था।
मेरा जहन उन्माद के सैलाब में ऊँची लहरों की तरह उछल रहा था। मैं जल्दी ही ढहने वाली थी। मेरा पानी का फव्वारा छूटने वाला था। मैं योग को रोकना नहीं चाहती थी चाहे मेरी चूत फट क्यों ना जाए। मैंने फिर एक धक्का और दिया और योग को उनका लण्ड घुसेड़ने के लिए मजबूर किया। एक और योग जान गए थे की मुझे उनका लण्ड लेने में बड़ा कष्ट हो रहा था। कैसे जान गए यह पता नहीं पर इसी कारण वह लण्ड को घुसड़ने में जल्दी नहीं कर रहे थे। और दूसरी तरफ मैं उनको उन्माद के मारे अपनी गाँड़ उछाल कर जोर से चोदने के लिए बाध्य कर रही थी। मैं साफ़ देख रही थी की योग हीच कीचा रहे थे।मैंने उनसे कहा, "मैं जानती हूँ की आप मुझे दर्द ना हो इस लिए लण्ड घुसेड़ने से हिचकिचा रहे हो। पर यह समझो की अगर मैं आप के कारण प्रेग्नेंट हो गयी, जो की मैं होना चाहती हूँ, तो फिर आप क्या करेंगे? बच्चा तो मैंने ही जनना है। तो चूत तो खुलेगी या फटेगी ही। इस लिए मैं आपसे ख़ास अर्ज करती हूँ की आप ज्यादा सोचो मत और मुझे बेरहमी से चोदो। अगर मुझसे दर्द सहा नहीं जाएगा और आपको रोकना पडेगा तो मैं आपको रोकूंगी। पर अब रुकिए मत प्लीज?" योग ने एक बार और मेरी तरफ देखा और वही मनमोहक मुस्कान देकर मुझे चोदने के लिए तैयार हुए। उन्होंने एक धक्का थोड़े ज्यादा जोर से दिया और मेरी चूत जैसे फट गयी हो ऐसा तीखा दर्द मुझे महसूस हुआ। पर साथ साथ योग का लण्ड जो मेरी चूत की दीवारों को खोलता हुआ मेरी चूत की सुरंग में घुसे जा रहा था उसकी मादक रगड़ से मुझे अद्भुत उत्कट हर्षोन्माद का जो अनुभव हो रहा था वह दर्द से कहीं अधिक था और मैं उस उन्माद भरे पागलपन की अनुभूति को दर्द के कारण कम होने देना नहीं चाहती थी।
धीरे धीरे उन्माद बढ़ता गया और दर्द कम होता गया। योग का लण्ड मेरी चूत को खोलनेमें काफी कामयाब रहा। बस दिक्कत यही थी की योग के लण्ड का अग्र भाग मेरी बच्चे दानी को शायद ठोकर मार रहा था जो दर्द पैदा कर रहा था। पर उसके कारण जो आनंद हो रहा था वह भी तो अवर्णनीय था। मैं योग के साथ साथ अपनी गाँड़ ऊपर उठाकर योग को चोदने के लिए प्रोत्साहित करती रही। योग ने चोदने की गति जैसे बढ़ाई की मेरी गाँड़ और चूत के बीच वाले हिस्से में योग के अण्डकोष की फटकार से "फच्च फच्च" की आवाज से कमरा गूँज उठा। बापरे!! मेरे पति के साथ कभी भी मेरी ऐसी चुदाई नहीं हुई। हाँ अजित के साथ मुझे कुछ उत्तेजक चुदाई का जरूर अनुभव हुआ था। पर योग का लण्ड और उसके प्यार ने मुझे सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था। आज तक किसी का भी लण्ड मेरी चूत की इतनी गहराइयों तक नहीं पहुँच पाया था।
मेरा जहन उन्माद के सैलाब में ऊँची लहरों की तरह उछल रहा था। मैं जल्दी ही ढहने वाली थी। मेरा पानी का फव्वारा छूटने वाला था। मैं योग को रोकना नहीं चाहती थी चाहे मेरी चूत फट क्यों ना जाए। मैंने फिर एक धक्का और दिया और योग को उनका लण्ड घुसेड़ने के लिए मजबूर किया। एक और योग जान गए थे की मुझे उनका लण्ड लेने में बड़ा कष्ट हो रहा था। कैसे जान गए यह पता नहीं पर इसी कारण वह लण्ड को घुसड़ने में जल्दी नहीं कर रहे थे। और दूसरी तरफ मैं उनको उन्माद के मारे अपनी गाँड़ उछाल कर जोर से चोदने के लिए बाध्य कर रही थी। मैं साफ़ देख रही थी की योग हीच कीचा रहे थे।मैंने उनसे कहा, "मैं जानती हूँ की आप मुझे दर्द ना हो इस लिए लण्ड घुसेड़ने से हिचकिचा रहे हो। पर यह समझो की अगर मैं आप के कारण प्रेग्नेंट हो गयी, जो की मैं होना चाहती हूँ, तो फिर आप क्या करेंगे? बच्चा तो मैंने ही जनना है। तो चूत तो खुलेगी या फटेगी ही। इस लिए मैं आपसे ख़ास अर्ज करती हूँ की आप ज्यादा सोचो मत और मुझे बेरहमी से चोदो। अगर मुझसे दर्द सहा नहीं जाएगा और आपको रोकना पडेगा तो मैं आपको रोकूंगी। पर अब रुकिए मत प्लीज?" योग ने एक बार और मेरी तरफ देखा और वही मनमोहक मुस्कान देकर मुझे चोदने के लिए तैयार हुए। उन्होंने एक धक्का थोड़े ज्यादा जोर से दिया और मेरी चूत जैसे फट गयी हो ऐसा तीखा दर्द मुझे महसूस हुआ। पर साथ साथ योग का लण्ड जो मेरी चूत की दीवारों को खोलता हुआ मेरी चूत की सुरंग में घुसे जा रहा था उसकी मादक रगड़ से मुझे अद्भुत उत्कट हर्षोन्माद का जो अनुभव हो रहा था वह दर्द से कहीं अधिक था और मैं उस उन्माद भरे पागलपन की अनुभूति को दर्द के कारण कम होने देना नहीं चाहती थी।
धीरे धीरे उन्माद बढ़ता गया और दर्द कम होता गया। योग का लण्ड मेरी चूत को खोलनेमें काफी कामयाब रहा। बस दिक्कत यही थी की योग के लण्ड का अग्र भाग मेरी बच्चे दानी को शायद ठोकर मार रहा था जो दर्द पैदा कर रहा था। पर उसके कारण जो आनंद हो रहा था वह भी तो अवर्णनीय था। मैं योग के साथ साथ अपनी गाँड़ ऊपर उठाकर योग को चोदने के लिए प्रोत्साहित करती रही। योग ने चोदने की गति जैसे बढ़ाई की मेरी गाँड़ और चूत के बीच वाले हिस्से में योग के अण्डकोष की फटकार से "फच्च फच्च" की आवाज से कमरा गूँज उठा। बापरे!! मेरे पति के साथ कभी भी मेरी ऐसी चुदाई नहीं हुई। हाँ अजित के साथ मुझे कुछ उत्तेजक चुदाई का जरूर अनुभव हुआ था। पर योग का लण्ड और उसके प्यार ने मुझे सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था। आज तक किसी का भी लण्ड मेरी चूत की इतनी गहराइयों तक नहीं पहुँच पाया था।