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Adultery चुनौती... (Complete)
#41
मैंने कहा, "हाँ, माँ की दी हुई सिख तुम कैसे अमल में ला रहे हो यह साफ़ दिखता है।" उस रात को तो यह बदन सिर्फ मेरा ही था, यह सोच कर मैं रोमाँच अनुभव कर रही थी। मैं उस रात सिर्फ उनकी बनकर रहना चाहती थी और चाहती थी की उस रात के लिए वह सिर्फ मेरे हों। मैं उनका पूरा बदन का स्पर्श उपरसे और अंदर से अनुभव करना चाहती थी। मैं उस रात के लिए उनका चोदने का खिलौना बनना चाहती थी। मैंने उनकी और देखा तो पाया की वह भी मुझे टकटकी लगा कर देख रहे थे। ख़ास तौर पर उनकी नजर मेरे पतलून पर थी। वह थोड़ा झुके और मेरी पतलून की रबर वाली खींचने वाली बेल्ट को नीचे खिसकाने लगे। योग के हाथ मेरी पतलून पर चले गए और अगले ही पल वो उसे निचे की तरफ खिसकाने लगे l मैंने झुक कर अपने हाथ एवं पॉंव से मेरी पतलून को निकाल दिया। अब सिर्फ पैंटी में खड़े हुए मैं कुछ शर्म के मारे अजीब सा महसूस कर रही थी। योग ने मुझे ऊपर से निचे तक देख कर कहा, "जानूं आपने तो कुछ नहीं देखा। देख तो मैं रहा हूँ। यह नजारा कोई मनमोहक सपने से कम नहीं है।" मैंने देखा की योग की नजर मेरी जाँघों के बिच में बने हुए त्रिकोणाकार के बिच में मेरी साफ़ सुथरी चिकनी चूत पर मंडरा रही थी। योग ने अपना हाथ मेरी चूत के टीले के ऊपर फिराना शुरू किया। उन्होंने महसूस किया की मैं मेरी चूत को पहले से ही शेव करके एकदम साफ़ कर के आयी थी। तो उन्होंने फिर कहा, "देखो, मेरी रानी तो अपनी चूत भी साफ़ करके आयी है। इसका मतलब यह हुआ की तुम तो पहले से ही मेरा रेप करने का प्रोग्राम बनाके आयी हो।" मैं योग की बात सुनकर हँस पड़ी और बोली, "मैं जानती थी तुम मेरे चंगुल से छटक कर कहीं नहीं जा सकते।"

योग ने मेरी चूत में दो उंगलियां डालनी चाहि तो मैं उत्तेजना के मारे काँप उठी। मेरी चूत में से तो जैसे फव्वारा सा निकला जा रहा था। योग की उंगलियां पूरी गीली होगयीं। मेरे देखते ही देखते योग ने अपनी उँगलियाँ अपने मुंह में डाली और मेरा रस चाट गया। फिर योग झुक कर मेरी टाँगों के बीचमें आगये और उनको फैला ना चाहा। मैं शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी। मैंने मेरी जांघें फिर सेसमेट लीं, तो योग ने मेरी और देखा और मुस्करा कर बोले, "जानूं, अब क्या लाज और शरम? छोडो यह सब। अब जब तुम्हें चुदना ही है तो शर्माना क्या? अब मैं तुम्हें चोदूंगा और मेरी जान शरमा ने से काम नहीं चलेगा।" उन्होंने फिर मेरी टांगें फैलाई। मैंने इस बार कोई विरोध नहीं किया। वह मेरे प्रेम छिद्र की जांच करने में जुट गए। मैं उनका इरादा समझ गयी। वह देखना चाहते थे की क्या उनका बड़े घोड़े जैसा लण्ड मैं ले पाउंगी या नहीं। योग ने मुझे अपनी बाँहों में लेकर पीछे से मेरी गाँड़ के गालोँ को महसूस करने लगे। थोड़ी देर उन्हें सहलाने के बाद वह बोले, "वाह! क्या कमाल की तुम्हारी गाँड़ है। कितनी चिकनी, कितनी कोमल और फिर भी कितनी करारी। मैं इन्हें चूमना चाहता हूँ। मैंने फ़ौरन जवाब दिया, "लो भाई, नेकी और पूछ पूछ! मैं आपकी हूँ, मेरा पूरा बदन आपका है और मेरा सब कुछ आपका है। योग ने मुझे घुमा दिया। मैं अपना मुंह पलंग की और कर मेरी गाँड़ छत की और कर के सो गयी। टेड ने झुक कर मेरी गाँड़ पर अपने होँठ रखे और वह मेरी गाँड़ के गालोँ को चूमने लगे।


उन्होंने मेरी गाँड़ पर करीब दो या तीन मिनिट तक अपने होँठ चिपका कर रखे और मेरी गाँड़ को चूमते ही रहे। बिच बिच में वह अपने मुंह की लार भी मेरी गाँड़ पर फैलाते रहे। वह मेरी गाँड़ को सहलाते रहे और धीरे से उन्होंने अपनी दो उँगलियाँ फिर से मेरी चूत में डाली। मेरी गाँड़ के बिच की दरार में जब वह उंगलिया डालते, तो मैं चौंक उठती। मैं डर जाती की कहीं योग मेरी गाँड़ मारने का प्लान तो नहीं बना रहे? मेरा चौंकना योग को अनोखी उत्तेजना देता था। शायद इस लिए वह थोड़ी थोड़ी देर के बाद मेरी गाँड़ की दरार में उंगली डाल देते। मैं धीरे धीरे समझ गयी की योग मुझे छेड़ना चाहते थे। उन्हें भी शायद गाँड़ मारना पसंद नहीं था। योग जब भी मेरे नंगे बदन की और देखते थे तब उनकी आँखों में मैंने एक भाव देखा। जैसे चकोर चन्द्रमा को एकटक देखता रहता है वैसे ही मेरे नंगे बदन को योग देखते रहते थे। यही बात तो वह लड़की ने मुझे कही थी। उसने कहा था की योग मुझे चकोर जैसे चाँद को देखता है अथवा जब वह नहीं होता तो उसका इन्तेजार करता है ऐसे ही देखते रहते या फिर मेरा इन्तेजार करते थे। मैं चाहती थी की कब वह वक्त आये की योग मेरी प्यासी चूत में अपना मोटा लण्ड पेलना शुरू करें पर योग थे की मेरे नंगे बदन को देख कर उन का दिल ही नहीं भर रहा था।

मेरी गाँड़ से अच्छी तरह से खेलने के बाद उन्होंने मुझे पलटा और मुझे मेरी गाँड़ और पीठ पर बिस्तर पर लिटा दिया। अब वह मेरे बालों से लेकर मेरी जाँघों के बिच खिला हुआ मेरी चूत का त्रिकोणाकार देखने लगे। पहले उन्होंने मेरी आँखें चुमी। काफी देर तक वह मेरी आँखें और मेरी गर्दन को चूमते रहे। फिर उन्होंने मेरे पके हुए फल के सम्मान दो स्तन गुम्बजोँ को देखा। थोड़ी देर देखते ही रहे। मैंने उनकी चकोर जैसी आँखों का राज जानना चाहती थी। मुझ से पूछे बिना रहा ना गया। मैंने योग से पूछा, "योग मेरे सवाल का सच्चा जवाब दोगे?" योग ने मेरी और अचरज से देखा और हाँ कहा तो मैंने पूछा, "यह तुम मुझे ऐसे एकटक क्यों देख रहे हो?" योग ने बिना झिझके जवाब दिया, "तुमने मुझे सच बोलन के लिए कहा है। तो मैं बताता हूँ की तुम ऐसे लेटी हुई बिलकुल हूबहू मेरी बीबी कनिका ही लग रही हो। मुझे माफ़ करना पर उसकी याद मेरे जहन से जा नहीं रही।
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चुनौती... (Complete) - by usaiha2 - 16-08-2019, 12:23 PM
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RE: चुनौती... (Complete) - by bhavna - 08-10-2020, 01:06 AM
RE: चुनौती... (Complete) - by usaiha2 - 01-08-2021, 03:53 PM



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