16-08-2019, 07:01 PM
योग का लण्ड मेरे पति के लण्ड से कहीं ज्यादा लम्बा और मोटा था। मेरे पति का लण्ड भी कोई छोटा नहीं था, पर योग के लण्ड के मुकाबले कुछ नहीं था। लिफ्ट में मैंने योग के लंड को महसूस जरूर किया था और उसकी साइज का मुझे भली भांति अंदाज भी हो गया था। पर उस रात मैंने पहेली बार योग के नंगे लण्ड को स्पर्श किया था। उसका इतना मोटा लण्ड पूरी तरह मेरी छोटी सी मुट्ठी में लेना तो संभव नहीं था पर फिर भी मैंने उनके लण्ड की ऊपरी सतह वाली त्वचा को मेरी उँगलियों का घेरा बनाके मुट्ठी में पकड़ा और धीरे धीरे प्यार से उसको उनके लण्ड के डण्डे की लम्बाई पर आगे पीछे करने लगी। मैं योग को बड़े ही प्यार भरी नज़रों से देख रही थी। उनका कई महीनों का या यूँ कहिये की सालों का सपना शायद साकार हो रहा था। वह आँखें मूँदे इस अनुभव का आनंद ले रहे थे। कभी वह अपनी पत्नी कनिका के हाथ के स्पर्श का ऐसा अनुभव लेते थे। उन्होंने शायद सोचा भी नहीं होगा की एक दूसरी औरत जिसकी शकल कनिका से हूबहू मिलती थी वह भी कभी उनके लण्ड को इस तरह सहलाएगी और उनसे चुदने के लिए तैयार होगी। लण्ड का सहलाना मर्दों का वीक स्पॉट होता है यह सब औरतें जानती है। उसको ऐसे हिलाते ही कई ढीले ढाले मर्द तो औरत की मुठी में ही अपना माल छोड़ देते हैं। मेरे लण्ड सहलाते ही योग का पूरा बदन सिहर उठा। उनका लण्ड फुल कर और बड़ा हो गया। उनकी उत्तेजना का अनुभव मैंने मेरे स्तनोँ को जोरसे दबाने के कारण भली भाँती महसूस किया।
उन्होंने झुक कर मेरी दोनों चूँचियों को बारी बारी चूसना शुरू किया। उनको मेरी फूली हुई निप्पलेँ बड़ी भायीं ऐसा मुझे लगा क्यों की वह बारी बारी उनको चूमते और काटते थे। ऐसा काफी देर करते रहने के बाद उन्होंने सर उठाया और मेरी और देखकर बोले, "प्रिया, जानूँ इनको चूसकर तो मजा आ गया। तुम्हारे स्तन कमाल के स्वादु हैं।" मैंने उनकी और देखकर कहा, "लगता है अभी भी तुम अपना शिशुपन भूले नहीं हो।" "अगर इतनी मस्त स्तनोँ और निप्पलोँ वाली माँ अपना दूध पिलाने वाली हो तो भला कौन शिशु बनना नहीं चाहेगा?" योग ने मुस्कराते हुए मेरे स्तनोँ को चूसते हुए जवाब दिया। योग ने अपनी मुट्ठी में मेरे एक स्तन को इतने जोर से दबाया की मेरी चीख निकल गयी। उन्होंने एक उंगली मेरी एक निप्पल पर फिराते हुए कहा, "प्रिया डार्लिंग, तुम्हारे स्तन जैसे स्तन मैंने आज तक नहीं देखे। भगवान ने तुहारे स्तनोँ को सुंदरता का नमूना के जैसे बनाया है। " "और आपके लण्ड के जितना बड़ा लण्ड मैंने कभी ना देखा है और ना ही हाथों में पकड़ा है।" मैंने जवाब में योग से कहा। अचानक मैं यह सोच कर उलझन में पड़ गयी और शर्मा गयी की यह मैंने क्या बोल दिया? अगर योग ने पूछ लिया की मैंने कितने लण्ड पकडे हैं तो मैं क्या जवाब दूंगी? पर योग ने जवाब दिया, "जानूँ, यह लण्ड अब आज से तुम्हारा है।" योग यह कह कर खड़े हुए और उन्होंने अपना पजामा निचे खिसका कर कोने में फेंक दिया। उनका लंबा, मोटा, लोहे के छड़ के सामान कड़क लण्ड मेरी नज़रों के सामने तन कर खड़ा उद्दंड, ऊपर की तरह अपनी नोक उठा कर इधर उधर ऐसे झूल रहा था जैसे गुरुत्वा-कर्षण का नियम उस पर लागू नहीं होता हो। मैंने योग का लण्ड फिर मेरी हथेली में पकड़ा और उसे बड़े प्यार से थोड़ा और फुर्ती से सहलाने लगी। मैंने योग की और देखा तो योग मुस्कराये और मेरे बालों में अपनी उंगलियां डाल कर उनसे खेलने लगे।
मैंने उनसे कहा, "जानूँ जानते हो जब आपने मुझे सपने में से जगाया तो मैं 'धीरे करो धीरे करो' क्यूँ बड़बड़ा रही थी?" योग ने मेरी और प्रश्नात्मक नजर से देखा। मैं शर्मा कर मुस्कुरायी और बोली, "मैं सपना देख रही थी की तुम मुझे बड़े जोर से और दबंगाई से चोद रहे थे और यह तुम्हारा मोटा और लंबा लण्ड मेरी छोटी सी चूत पर कहर ढा रहा था। मैं तुम्हें मेरी यह नाजुक चूत को तुम्हारा यह घोड़े के जैसा लण्ड फाड़ ना दे इस लिए धीरे धीरे चोदने के लिए कह रही थी। " योग ने फिर वही मीठी मुस्कान देकर बोले, "अच्छा मैडम! तो आप यहां मेरे घर में मुझे चोदने और मुझसे चुदवाने के इरादे से ही आयी थीं?" मैंने योग की कमर पकड़ी और बोली, "योग जानूँ, तुम सवाल बहुत ज्यादा पूछते हो। क्या तुम्हारी माँ ने कम बोलो और काम ज्यादा करो उसकी सिख नहीं दी थी?" मैंने योग का कुर्ता उसकी छाती के ऊपर से निकालना चाहा। तो योग ने तुरंत ही अपनी बाहें ऊपर करके निकाल फेंका। मैं योग की निप्पलोँ को चाटना और उसके छाती पर फैले घने बालों को चूमना चाहती थी। योग मुझे अपने और करीब खिंच कर बोले, "मेरी माँ की सिख मैं कैसे अमल करता हूँ यह देखना चाहोगी?" कुर्ता निकालने पर योग अब पूरी तरह नंगे हो चुके थे। उनकी पतली सुगठित कमर और उसके निचे का ढलाव जो उनके पाँवों के बिच उनके लण्ड की और जाता था वह इतना लुभावना और सेक्सी लग रहा था की मैं अपने आप को रोक नहीं पायी और उन के शेव कर के साफ़ किये हुए टीले पर मैंने अपने होँठ रखे और चुम लिया। फिर मैंने मेरा सर ऊपर की और उठाया और मैं योग के सीने पर उनकी दो निप्पलोँ को चूमने और काटने लगी। मेरा हाथ अपने आप ही सरक कर उनकी जाँघों के बिच चला गया और मैं उनके लण्ड के ऊपर के हिस्से का मुआइना करने लगी। उनका कसा हुआ बदन, उनकी सख्त जाँघें, उनकी कड़क गाँड़ और कसरत करने से सख्त हुए उनके स्नायु मेरे शरीर को अजीब सी सिहरन दे रहे थे।
उन्होंने झुक कर मेरी दोनों चूँचियों को बारी बारी चूसना शुरू किया। उनको मेरी फूली हुई निप्पलेँ बड़ी भायीं ऐसा मुझे लगा क्यों की वह बारी बारी उनको चूमते और काटते थे। ऐसा काफी देर करते रहने के बाद उन्होंने सर उठाया और मेरी और देखकर बोले, "प्रिया, जानूँ इनको चूसकर तो मजा आ गया। तुम्हारे स्तन कमाल के स्वादु हैं।" मैंने उनकी और देखकर कहा, "लगता है अभी भी तुम अपना शिशुपन भूले नहीं हो।" "अगर इतनी मस्त स्तनोँ और निप्पलोँ वाली माँ अपना दूध पिलाने वाली हो तो भला कौन शिशु बनना नहीं चाहेगा?" योग ने मुस्कराते हुए मेरे स्तनोँ को चूसते हुए जवाब दिया। योग ने अपनी मुट्ठी में मेरे एक स्तन को इतने जोर से दबाया की मेरी चीख निकल गयी। उन्होंने एक उंगली मेरी एक निप्पल पर फिराते हुए कहा, "प्रिया डार्लिंग, तुम्हारे स्तन जैसे स्तन मैंने आज तक नहीं देखे। भगवान ने तुहारे स्तनोँ को सुंदरता का नमूना के जैसे बनाया है। " "और आपके लण्ड के जितना बड़ा लण्ड मैंने कभी ना देखा है और ना ही हाथों में पकड़ा है।" मैंने जवाब में योग से कहा। अचानक मैं यह सोच कर उलझन में पड़ गयी और शर्मा गयी की यह मैंने क्या बोल दिया? अगर योग ने पूछ लिया की मैंने कितने लण्ड पकडे हैं तो मैं क्या जवाब दूंगी? पर योग ने जवाब दिया, "जानूँ, यह लण्ड अब आज से तुम्हारा है।" योग यह कह कर खड़े हुए और उन्होंने अपना पजामा निचे खिसका कर कोने में फेंक दिया। उनका लंबा, मोटा, लोहे के छड़ के सामान कड़क लण्ड मेरी नज़रों के सामने तन कर खड़ा उद्दंड, ऊपर की तरह अपनी नोक उठा कर इधर उधर ऐसे झूल रहा था जैसे गुरुत्वा-कर्षण का नियम उस पर लागू नहीं होता हो। मैंने योग का लण्ड फिर मेरी हथेली में पकड़ा और उसे बड़े प्यार से थोड़ा और फुर्ती से सहलाने लगी। मैंने योग की और देखा तो योग मुस्कराये और मेरे बालों में अपनी उंगलियां डाल कर उनसे खेलने लगे।
मैंने उनसे कहा, "जानूँ जानते हो जब आपने मुझे सपने में से जगाया तो मैं 'धीरे करो धीरे करो' क्यूँ बड़बड़ा रही थी?" योग ने मेरी और प्रश्नात्मक नजर से देखा। मैं शर्मा कर मुस्कुरायी और बोली, "मैं सपना देख रही थी की तुम मुझे बड़े जोर से और दबंगाई से चोद रहे थे और यह तुम्हारा मोटा और लंबा लण्ड मेरी छोटी सी चूत पर कहर ढा रहा था। मैं तुम्हें मेरी यह नाजुक चूत को तुम्हारा यह घोड़े के जैसा लण्ड फाड़ ना दे इस लिए धीरे धीरे चोदने के लिए कह रही थी। " योग ने फिर वही मीठी मुस्कान देकर बोले, "अच्छा मैडम! तो आप यहां मेरे घर में मुझे चोदने और मुझसे चुदवाने के इरादे से ही आयी थीं?" मैंने योग की कमर पकड़ी और बोली, "योग जानूँ, तुम सवाल बहुत ज्यादा पूछते हो। क्या तुम्हारी माँ ने कम बोलो और काम ज्यादा करो उसकी सिख नहीं दी थी?" मैंने योग का कुर्ता उसकी छाती के ऊपर से निकालना चाहा। तो योग ने तुरंत ही अपनी बाहें ऊपर करके निकाल फेंका। मैं योग की निप्पलोँ को चाटना और उसके छाती पर फैले घने बालों को चूमना चाहती थी। योग मुझे अपने और करीब खिंच कर बोले, "मेरी माँ की सिख मैं कैसे अमल करता हूँ यह देखना चाहोगी?" कुर्ता निकालने पर योग अब पूरी तरह नंगे हो चुके थे। उनकी पतली सुगठित कमर और उसके निचे का ढलाव जो उनके पाँवों के बिच उनके लण्ड की और जाता था वह इतना लुभावना और सेक्सी लग रहा था की मैं अपने आप को रोक नहीं पायी और उन के शेव कर के साफ़ किये हुए टीले पर मैंने अपने होँठ रखे और चुम लिया। फिर मैंने मेरा सर ऊपर की और उठाया और मैं योग के सीने पर उनकी दो निप्पलोँ को चूमने और काटने लगी। मेरा हाथ अपने आप ही सरक कर उनकी जाँघों के बिच चला गया और मैं उनके लण्ड के ऊपर के हिस्से का मुआइना करने लगी। उनका कसा हुआ बदन, उनकी सख्त जाँघें, उनकी कड़क गाँड़ और कसरत करने से सख्त हुए उनके स्नायु मेरे शरीर को अजीब सी सिहरन दे रहे थे।


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