16-08-2019, 06:58 PM
योग मेरी बात सुनकर अचम्भे से मेरी और देखते ही रह गए। उनको मेरे शब्दों पर शायद विश्वास नहीं हो रहा था। उनको विश्वास नहीं हुआ की मैं वही औरत थी जो योग ने जब कहा की वह मुझे चोदना चाहता था तो आग बबूला हो गयी थी और उनसे नफ़रत करने लगी थी वही औरत आज सामने चल कर उनसे चुदवा ने के लिए आमंत्रित कर रही थी। योग के चेहरे पर अजीबोगरीब भाव दिखने लगे l मैंने योग का हाथ मेरे स्तनों पर रखा और कहा, "योग मैं मजाक नहीं कर रही। मैं वाकई में तुमसे तुम्हारे मोटे लण्ड से चुदना चाहती हूँ। मैं इस लिए नहीं कह रही हूँ की तुमने मेरे प्रोग्राम को स्वीकार किया है और मुझे पूरी सहायता करने का वादा किया है, पर इस लिए की मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूँ। मैं हमेशा तुमसे चुदवाना चाहती थी। जब हम लिफ्ट में फँस गए थे तब मैं चाहती थी की तुम मुझे वहीँ चोद देते। पर वह हो नहीं पाया। बाद में मैं ग़लतफ़हमी के कारण तुम्हारे करीब आ नहीं पायी, और मेरी दिल की बात तुम्हें कह नहीं पायी l जब तुमने मुझे चोदने के लिए उस कैफे में कहा था तो तुम्हें पता नहीं था की मैं तुमसे चुदवाने के लिए कितनी तड़पी थी। पर वही ग़लतफ़हमी के कारण मैंने तुम्हें दुत्कार दिया था। अब मैं अपनी गलती सुधारना चाहती हूँ।" योग ने मेरी और प्यार और कुछ लोलुपता भरी नजर से देखा। मैं उनकी नजर देख कर शर्मा गयी। उन्होंने वही प्यार भरी नजर से मुझे देखा जो पहली बार मिलने पर देखा था। उनको मुझमें अपनी पत्नी नजर आ रही थी। मुझे इससे कोई शिकायत नहीं थी। मैं उस रात उनकी पत्नी ही बनना चाहती थी। मैं उनको उस रात एक पत्नी का सुख देना चाहती थी। मेरे घुटनों और पीठ के निचे अपने बाजू रखकर योग ने आगे बढ़कर मुझे बड़ी आसानी से ऊपर उठा लिया। उनकी उंगलियां मेरे स्तनों को छू रहीं थीं।
वह मुझे उठा कर अपने शयन कक्ष में ले आये और मुझे बड़े प्यारसे बिस्तरे पर हलकेसे लिटाया। जैसे ही योग ने मुझे अपनी बाँहों में ऊपर उठाया की मैंने योग के होठोँ पर अपने होंठ रख दिए। उनके सर को मेरे दोनों हाथों में पकड़ कर मैंने उनके मुंह को मेरे मुंह से जोड़ दिया। मेरे ऐसे आवेग पूर्ण वर्ताव से योग थोड़े से सकते में आ गये की अचानक मुझे यह क्या हुआ? पर फिर उन्होंने भी मेरे होंठों से अपने होँठ भींच दिए और हम दोनों प्रगाढ़ चुम्बन में जुड़ गए। योग इतने उत्तेजित होगये थे और मेरे होँठों से अपने होँठ इतनी सख्ती से भींच दिए और हम इतनी देर तक एक दूसरे से होँठ से होँठ मिलाकर चिपके रहे की मेरे लिए साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था। योग मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर उसे अंदर बाहर कर रहा था। मैं उनकी जीभ को चूस कर उसका स्वाद ले रही थी। उनके मुंहकी लार मेरे मुंह में आरही थी और मुझे बड़ी सुहानी लग रहीथी। मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे योग मुझे जीभ से ही चोद रहे हों और उनकी लार जैसे उनके लण्ड से रिस रहा पूर्व स्राव हो। जब मेरी साँस रुकने लगी तो हम अलग हुए। मैं ताजा हवा में साँस में लेने की कोशिश कर रही थी तो बोले, "श्रीमती जी, आपका तोहफा तैयार है। "
योग निचे झुके और मेरे गाल पर, मेरी गर्दन पर और मेरी छाती पर गिरी शैम्पेन को वह चाटने लगे। उनका एक हाथ मेरी त्वचा और मेरे ब्लाउज और ब्रा के बिच में से उन्होंने घुसाया और मेरे स्तनोँ को अपनी उँगलियों के बिच दबाने लगे। उनके हाथ में मेरी फूली हुई निप्पलेँ आयी और वह उन्हें चींटा भरने और दबाने लगे। मेरी इतनी फूली हुई निप्पलेँ महसूस कर वह हैरान रह गए और बोले, "बापरे! तुम्हारी निप्पलेँ तो देखो! कितनी फूली हुई हैं? तुमतो एकदम गरम हो रही हो!" मैंने उनकी और देखा और हँस कर कहा, "योग, तुम तो मुझे अपना तोहफा देने में बिलकुल समय गँवाना नहीं चाहते हो।" योग ने कहा, "मुझे मेरी माँ ने एक बड़ी अच्छी सलाह दी थी की बेटा अच्छे काम करने में देर नहीं करनी चाहिए।" योग ने मेरे ब्लाउज के ऊपर के बटनों को खोलने के लिए फंफोशना शुरू किया। और आखिर में एक के बाद एक ऊपर के बटन खोल ही डाले। मैंने अपना ब्लाउज पूरा खोल दिया और बाहर निकाल फेंका। योग ने तुरंत पीछे हाथ डाल कर मेरी ब्रा की पट्टियां खोल डाली। मैंने योग को अपने पास खींचा और मेरा हाथ उसके पाजामे में हाथ दाल कर उसका लण्ड मेरे हाथ में पकड़ा। बापरे! योग का लण्ड जो मैंने सपने में देखा था उससे कम नहीं था। योग की उत्तेजना और कामुकता का अंदाजा उसके लण्ड की सख्ताई और लम्बाई से साफ़ साफ़ लगाया जा सकता था।
मेरे कंपनी ज्वाइन करने के बाद योग ने किसी भी औरत को नहीं चोदा था यह बात मैं जान चुकी थी। इसका मतलब यह हुआ की योग ने करीब करीब छह महीने से किसी भी औरत को नहीं चोदा था। यह योग की उत्तेजना से साफ़ दिख रहा था। योग के लण्ड पर उसका पूर्व स्राव पूरी तरह फैला हुआ था। मेरे हाथ लगते ही योग के बदन काँप उठा। मेरी हथेली योग के पूर्व स्राव की चिकनाहट से भर गयी। मुझे बरबस ही अजित के लण्ड के आसपास फैली चिकनाहट की याद आयी। उस बेचारे ने भी तो कोई भी औरत को करीब छः महीने से नहीं चोदा था।
वह मुझे उठा कर अपने शयन कक्ष में ले आये और मुझे बड़े प्यारसे बिस्तरे पर हलकेसे लिटाया। जैसे ही योग ने मुझे अपनी बाँहों में ऊपर उठाया की मैंने योग के होठोँ पर अपने होंठ रख दिए। उनके सर को मेरे दोनों हाथों में पकड़ कर मैंने उनके मुंह को मेरे मुंह से जोड़ दिया। मेरे ऐसे आवेग पूर्ण वर्ताव से योग थोड़े से सकते में आ गये की अचानक मुझे यह क्या हुआ? पर फिर उन्होंने भी मेरे होंठों से अपने होँठ भींच दिए और हम दोनों प्रगाढ़ चुम्बन में जुड़ गए। योग इतने उत्तेजित होगये थे और मेरे होँठों से अपने होँठ इतनी सख्ती से भींच दिए और हम इतनी देर तक एक दूसरे से होँठ से होँठ मिलाकर चिपके रहे की मेरे लिए साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था। योग मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर उसे अंदर बाहर कर रहा था। मैं उनकी जीभ को चूस कर उसका स्वाद ले रही थी। उनके मुंहकी लार मेरे मुंह में आरही थी और मुझे बड़ी सुहानी लग रहीथी। मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे योग मुझे जीभ से ही चोद रहे हों और उनकी लार जैसे उनके लण्ड से रिस रहा पूर्व स्राव हो। जब मेरी साँस रुकने लगी तो हम अलग हुए। मैं ताजा हवा में साँस में लेने की कोशिश कर रही थी तो बोले, "श्रीमती जी, आपका तोहफा तैयार है। "
योग निचे झुके और मेरे गाल पर, मेरी गर्दन पर और मेरी छाती पर गिरी शैम्पेन को वह चाटने लगे। उनका एक हाथ मेरी त्वचा और मेरे ब्लाउज और ब्रा के बिच में से उन्होंने घुसाया और मेरे स्तनोँ को अपनी उँगलियों के बिच दबाने लगे। उनके हाथ में मेरी फूली हुई निप्पलेँ आयी और वह उन्हें चींटा भरने और दबाने लगे। मेरी इतनी फूली हुई निप्पलेँ महसूस कर वह हैरान रह गए और बोले, "बापरे! तुम्हारी निप्पलेँ तो देखो! कितनी फूली हुई हैं? तुमतो एकदम गरम हो रही हो!" मैंने उनकी और देखा और हँस कर कहा, "योग, तुम तो मुझे अपना तोहफा देने में बिलकुल समय गँवाना नहीं चाहते हो।" योग ने कहा, "मुझे मेरी माँ ने एक बड़ी अच्छी सलाह दी थी की बेटा अच्छे काम करने में देर नहीं करनी चाहिए।" योग ने मेरे ब्लाउज के ऊपर के बटनों को खोलने के लिए फंफोशना शुरू किया। और आखिर में एक के बाद एक ऊपर के बटन खोल ही डाले। मैंने अपना ब्लाउज पूरा खोल दिया और बाहर निकाल फेंका। योग ने तुरंत पीछे हाथ डाल कर मेरी ब्रा की पट्टियां खोल डाली। मैंने योग को अपने पास खींचा और मेरा हाथ उसके पाजामे में हाथ दाल कर उसका लण्ड मेरे हाथ में पकड़ा। बापरे! योग का लण्ड जो मैंने सपने में देखा था उससे कम नहीं था। योग की उत्तेजना और कामुकता का अंदाजा उसके लण्ड की सख्ताई और लम्बाई से साफ़ साफ़ लगाया जा सकता था।
मेरे कंपनी ज्वाइन करने के बाद योग ने किसी भी औरत को नहीं चोदा था यह बात मैं जान चुकी थी। इसका मतलब यह हुआ की योग ने करीब करीब छह महीने से किसी भी औरत को नहीं चोदा था। यह योग की उत्तेजना से साफ़ दिख रहा था। योग के लण्ड पर उसका पूर्व स्राव पूरी तरह फैला हुआ था। मेरे हाथ लगते ही योग के बदन काँप उठा। मेरी हथेली योग के पूर्व स्राव की चिकनाहट से भर गयी। मुझे बरबस ही अजित के लण्ड के आसपास फैली चिकनाहट की याद आयी। उस बेचारे ने भी तो कोई भी औरत को करीब छः महीने से नहीं चोदा था।