16-08-2019, 06:49 PM
योग गंदे और आक्रामक शब्द प्रयोग के साथ अपना तगड़ा लण्ड मेरी नाजुक चूत में उतनी ही आक्रामकता से घुसेड़े जा रहा था। मुझे मेरी चूत में भयंकर शूल सा दर्द हो रहा था। मेरे कपाल पर पसीना बह रहा था। जैसे जैसे योग ने अपना लण्ड मेरी चूत में ज्यादा और ज्यादा घुसेड़ा मेरा दर्द बढ़ता ही गया। पर साथ में वह दर्द मुझे पता नहीं क्या पागलपन सा आनंद भी दे रहा था। ऐसा आनंद मुझे मेरे पति से चुदवाने में कभी नहीं मिला। पर फिर भी मुझे योग की रफ़्तार कम करवाना जरुरी था। मेरी चूत में से खून बह रहा था। अगर योग इसी तरह मुझे चोदते रहे तो खून के बहाव से पूरा बिस्तर गीला होजायेगा और मुझे डर था की दर्द और खून के बहाव से मैं कहीं मर ना जाऊं। दर्द के मारे मैं डर को भूल कर जोर से चिल्ला उठी, "योग, क्या कर रहे हो? तुम्हें थोड़ी सी भी तमीज़ नहीं है क्या? थोड़ा धीरे करो।" जैसे मेरे मुंह से यह शब्द निकले की जैसे मैं डर रही थी वैसा ही हुआ। योग ने अपना हाथ ऊपर किया और एक जबरदस्त तमाचा गाल पर पाने को मैं तैयार हुई। परन्तु मैंने महसूस किया की गाल पर करारा थप्पड़ के बजाय कोई मेरे गाल पर और कन्धों पर हलके फुल्के मुझे टपलियाँ मार रहा था और मुझे झकझोर रहा था। तब फिर मैंने योग की आवाज सुनी। पर उस समय उनकी आवाज बड़ी मधुर और नरम थी। वह कह रहे थे, "उठो डार्लिंग, उठो!" मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था, की मेरे चारों और क्या हो रहा था। मेरा सर चक्कर खा रहा था। मैंने धीरे से अपनी आँखें पूरी खोलीं। मैं एकदम हड़बड़ा कर जाग गयी। योग मेरे सामने पुरे कपडे पहने हुए खड़े थे और मेरी आँखों में आँखें डालकर मुझे जगाने की कोशिश कर रहे थे।
जब मैंने अपने बदन को देखा। मैं भी पुरे कपडे पहने हुए साफ़ सुथरी सोफे पर लंबा हो कर लेटी हुई थी। ना कोई खून ना ही कोई फटे हुए कपडे। हाँ मेरे कपाल पर जरूर पसीना बह रहा था। मैं समझ गयी की मैं नींद में ही योग के साथ आक्रामक चुदाई का सपना देख रही थी। मैंने अपनी आँखें मली और धीरे धीरे लुढ़कती हुई खडी होने की कोशिश करने लगी। योग ने कड़ी होने में मेरी मदत करी!
योग कंप्यूटर पर इतनी देर तक गुथम गुत्थी करने के कारण थके हुए नजर आ रहे थे। वो बड़ी ही मीठी मुस्कान के साथ बोले, "क्या हुआ था प्रिया? तुम सपने में मुझे धीरे धीरे क्या करने को कह रही थी? क्या तुम मुझे तुम्हारा यह प्रोग्राम जल्दी से देख कर खतम करना नहीं चाहती? या फिर तुम कुछ और सपना देख रही थी?" मैं क्या जवाब देती? मेरी तो हालत ही खराब हो रही थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं कहाँ हूँ और मेरे इर्दगिर्द क्या हो रहा है? मैंने योगराज को मुझ पर झुककर मुझे ध्यान से देखते हुए पाया। मेरे दिमाग में उस समय जैसे हज़ारों घंटियाँ बज रही थीं। मैं उस भयावह सपने से उभर नहीं पायी थी। कुछ पल के लिए तो मुझे ऐसा लगा की कहीं योग स तरह प्यार भरी मीठी आवाज बनाकर मुझे धोखा तो नहीं दे रहे? कहीं वह मेरी सहानुभूति पाने की कोशिश तो नहीं कर रहे? कहीं मुझे बहेला फुसला कर मुझे चोरी छुपी चोदने का प्लान तो नहीं कर रहे? कहीं अचानक ही वह मुझे पकड़ कर एक करारा थप्पड़ मेरे गाल पर जड़ कर कहीं मुझे विवश कर मेरी चूत के लिए अपनी भूख वह शांत करना तो नहीं चाहते? पर उनका चेहरा तो कुछ और ही कह रहा था। वह एकदम गंभीर और शांत लग रहे थे। यह तो सपने से उलटी ही बात हो रही थी। मैंने उनके सवाल का जवाब देना टाल ने में ही अपना भला समझा।
मैं उन्हें पूछा, "आपने मेरा प्रोग्राम देखा क्या?" योग जवाब देते हुए कुछ ज्यादा ही गंभीर हो गए। मैंने उस रात के पहले योगराज जी को इतना गंभीर नहीं देखा था। गंभीर होने के उपरान्त वह थोड़ा जज्बाती हो रहे थे ऐसा मुझे लगा। योग के गला जैसे रुंध सा गया जब उन्होंने कहा, "मैंने तुम्हारा प्रोग्राम ना सिर्फ देखा, बल्कि मैंने तुम्हारे प्रोग्राम को इतनी बारीकी से जांचा है की क्या कहूं। मुझे इस बारे में तुमसे कुछ जरुरी बात करनी है।" मेरी जान हथेली में आगयी। एक भयंकर आशंका मेरे पुरे बदन में फ़ैल गयी। मैं समझ गयी की योग ने हमारा प्रोग्राम पूरा नकार दिया था, रिजेक्ट कर दिया था और वह अब बड़ा धमाका करने वाले थे की हमारा प्रोग्राम कूड़े दान में फेंकने के काबिल था। मेरे माथे पर पसीने की बुँदे आने लगीं। मेरी शकल रोनी सी हो गयी। मैं योग का फैसला सुनना नहीं चाहती थी। पर फिर सोचा की आखिर सच का सामना तो हिम्मत के साथ करना ही पडेगा।
योग ने मेरे कन्धों पर एक हाथ रखते हुए कुछ भावुकता भरे स्वर में कहा, "प्रिया डार्लिंग! यह तुम्हारा और तुम्हारी टीमम का डिज़ाइन किया हुआ प्रोग्राम मेरे देखे हुए प्रोग्रामों में से मेरी जिंदगी का सबसे सर्वोत्तम प्रोग्राम है। मेंरी समझ में यह नहीं आता की आप की टीम ने इतना सटीक, संक्षिप्त, सुगठित और फिर भी इतना विस्तृत प्रोग्राम कैसे बनाया? आपके छोटे से दिमाग में इतना प्रोफेशनल प्रोग्राम कैसे बना? प्रिया डार्लिंग, आज तुमने मुझे अपने इस प्रोफेशनलिजम से जित लिया। मैं तुम्हारे काम से मात खा गया।". मैंने देखा की योग सर की आँखों में भाविकता से भरे आंसू छलक रहे थे।
जब मैंने अपने बदन को देखा। मैं भी पुरे कपडे पहने हुए साफ़ सुथरी सोफे पर लंबा हो कर लेटी हुई थी। ना कोई खून ना ही कोई फटे हुए कपडे। हाँ मेरे कपाल पर जरूर पसीना बह रहा था। मैं समझ गयी की मैं नींद में ही योग के साथ आक्रामक चुदाई का सपना देख रही थी। मैंने अपनी आँखें मली और धीरे धीरे लुढ़कती हुई खडी होने की कोशिश करने लगी। योग ने कड़ी होने में मेरी मदत करी!
योग कंप्यूटर पर इतनी देर तक गुथम गुत्थी करने के कारण थके हुए नजर आ रहे थे। वो बड़ी ही मीठी मुस्कान के साथ बोले, "क्या हुआ था प्रिया? तुम सपने में मुझे धीरे धीरे क्या करने को कह रही थी? क्या तुम मुझे तुम्हारा यह प्रोग्राम जल्दी से देख कर खतम करना नहीं चाहती? या फिर तुम कुछ और सपना देख रही थी?" मैं क्या जवाब देती? मेरी तो हालत ही खराब हो रही थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं कहाँ हूँ और मेरे इर्दगिर्द क्या हो रहा है? मैंने योगराज को मुझ पर झुककर मुझे ध्यान से देखते हुए पाया। मेरे दिमाग में उस समय जैसे हज़ारों घंटियाँ बज रही थीं। मैं उस भयावह सपने से उभर नहीं पायी थी। कुछ पल के लिए तो मुझे ऐसा लगा की कहीं योग स तरह प्यार भरी मीठी आवाज बनाकर मुझे धोखा तो नहीं दे रहे? कहीं वह मेरी सहानुभूति पाने की कोशिश तो नहीं कर रहे? कहीं मुझे बहेला फुसला कर मुझे चोरी छुपी चोदने का प्लान तो नहीं कर रहे? कहीं अचानक ही वह मुझे पकड़ कर एक करारा थप्पड़ मेरे गाल पर जड़ कर कहीं मुझे विवश कर मेरी चूत के लिए अपनी भूख वह शांत करना तो नहीं चाहते? पर उनका चेहरा तो कुछ और ही कह रहा था। वह एकदम गंभीर और शांत लग रहे थे। यह तो सपने से उलटी ही बात हो रही थी। मैंने उनके सवाल का जवाब देना टाल ने में ही अपना भला समझा।
मैं उन्हें पूछा, "आपने मेरा प्रोग्राम देखा क्या?" योग जवाब देते हुए कुछ ज्यादा ही गंभीर हो गए। मैंने उस रात के पहले योगराज जी को इतना गंभीर नहीं देखा था। गंभीर होने के उपरान्त वह थोड़ा जज्बाती हो रहे थे ऐसा मुझे लगा। योग के गला जैसे रुंध सा गया जब उन्होंने कहा, "मैंने तुम्हारा प्रोग्राम ना सिर्फ देखा, बल्कि मैंने तुम्हारे प्रोग्राम को इतनी बारीकी से जांचा है की क्या कहूं। मुझे इस बारे में तुमसे कुछ जरुरी बात करनी है।" मेरी जान हथेली में आगयी। एक भयंकर आशंका मेरे पुरे बदन में फ़ैल गयी। मैं समझ गयी की योग ने हमारा प्रोग्राम पूरा नकार दिया था, रिजेक्ट कर दिया था और वह अब बड़ा धमाका करने वाले थे की हमारा प्रोग्राम कूड़े दान में फेंकने के काबिल था। मेरे माथे पर पसीने की बुँदे आने लगीं। मेरी शकल रोनी सी हो गयी। मैं योग का फैसला सुनना नहीं चाहती थी। पर फिर सोचा की आखिर सच का सामना तो हिम्मत के साथ करना ही पडेगा।
योग ने मेरे कन्धों पर एक हाथ रखते हुए कुछ भावुकता भरे स्वर में कहा, "प्रिया डार्लिंग! यह तुम्हारा और तुम्हारी टीमम का डिज़ाइन किया हुआ प्रोग्राम मेरे देखे हुए प्रोग्रामों में से मेरी जिंदगी का सबसे सर्वोत्तम प्रोग्राम है। मेंरी समझ में यह नहीं आता की आप की टीम ने इतना सटीक, संक्षिप्त, सुगठित और फिर भी इतना विस्तृत प्रोग्राम कैसे बनाया? आपके छोटे से दिमाग में इतना प्रोफेशनल प्रोग्राम कैसे बना? प्रिया डार्लिंग, आज तुमने मुझे अपने इस प्रोफेशनलिजम से जित लिया। मैं तुम्हारे काम से मात खा गया।". मैंने देखा की योग सर की आँखों में भाविकता से भरे आंसू छलक रहे थे।