16-08-2019, 06:47 PM
जब मेरा योग से चुदना तय ही है तो फिर भला मैं हाय हाय क्यों करूँ? क्यों मैं उसे एन्जॉय ना करूँ? वैसे भी मेरी कई महीनों से इच्छा थी की मुझे योग से चुदवाना था। तो फिर मौक़ा मिला ही है तो मैं इस चुदाई का मजा क्यों ना उठाऊं? योग मेरी चूत में अपना लण्ड डालने के लिए उतावले हो रहे थे। मेरी जान हथेली में थी की मैं योग का लंड कैसे ले पाउंगी। इस लिए जरुरी था की योग मेरी चूत, में अपना लण्ड धीरे धीरे डाले। मुझे उसके लिए कुछ न कुछ तो करना ही था। मैंने योग की और देखकर बड़े प्यार से देखा और कहा, "योग ज़रा आराम से प्लीज?" योग ने मेरी और तेज तर्रार नज़र से देखा और पूछा, "आराम से क्या?" मैं समझ गयी की योग मुझसे खुल्लम खुल्ला बात बुलवाना चाहता था। मैंने झिझक ते हुए कहा, "योग मुझे आराम से चोदना प्लीज! प्लीज मुझे आहात मत करना प्लीज? क्या तुम मुझे बार बार चोदना नहीं चाहोगे?" योग उसी बीभत्स तरीके से ठहाका मारकर हंस कर बोला, "क्या बात है! मैं तुन्हें एक बार नहीं बार बार चोदना चाहता हूँ। जब तक तुम बूढीया ना बन जाओ और मैं तुम्हारी चूत का हुलिया बिगाड़ ना बना डालूं तब तक तुम्हें चोदता रहूंगा।" मैंने योग को बड़े प्यार से कहा, "योग डार्लिंग, मैं भी तुम से बार बार चुदवाना चाहती हूँ इसी लिए कहती हूँ की मेहरबानी करके लण्ड प्यार से और धीरे से डालो।"
मेरी बात सुनकर योग फिर एक ठहाका मार कर हँसे और बोले, "ठीक है, मेरी प्यारी राँड़ चलो मैं आपकी यह बात मान लेता हूँ। पर याद रहे, यह आखरी बार हम आपसे नरमी से पेश आएंगे। फिर हम नरमी से नहीं पेश आएंगे क्यूंकि वह हमारी स्टाइल नहीं है।" और फिर वही भयावह हँसी और वही सुनहरा दाँत। योग ने पहला धक्का धीरे से दिया। मुझे अच्छा लगा। योग का लण्ड थोड़ा सा ही घुसा था और काफी मोटा और कड़ा था। पहली बार मुझे ऐसा महसूस हुआ की मैंने वाकई में कोई मरदाना लण्ड को अपनी चूत में महसूस किया था। वह कोई भी मोटे से मोटे केले से भी मोटा था। मुझे मिली एक राहत खतम हो चुकी थी। अब मुझे भुगतना ही था। योग ने एक और धक्का दिया और उस समय मेरी चूत में से कटार की तेज धार से कट ऐसा शूल मझे महसूस हुआ। मेरी चूत योग के लण्ड ने ऐसी जकड राखी थी की उसका और अंदर जाना नामुमकिन था। और फिर भी योग थे की उसे और घुसेड़ने की कोशिश कर रहे थे। मैंने योग से कहा, "योग, प्लीज धीरे से डालो यार। तुम मुझे मार डालोगे क्या?" योग ने मेरे दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में लकड़ रखा था और उन्हें इतनी जोर से दबा कर अपना मोटा लौड़ा वह मेरी चूत में घुसेड़ने के लिए अग्रसर हुआ। उसने एक जोर से कमर से अपने लण्ड को धक्का दिया। उस समय मेरे दिमाग में सिर्फ योग का लण्ड ही था। मैं उसे मेरी चूत को फाड़ते हुए महसूस कर रही थी।
मैं एकदम परेशान हो रही थी। मुझे लगा की मेरी चूत में से खून निकलना शुरू हो गया था। अगर योग ने और एक धक्का जोर से मारा तो वह मेरी चूत की चमड़ी को फाड़ डालेगा और मेरी चूत में से इतना खून बहेगा की खून की कमी के कारण ही मैं मर जाउंगी। मुझे इतनी जल्दी मरना नहीं था। मैं जानती थी योग आसानी से मेरी बात नहीं मानेगा। मैंने योगराज का सर मेरे दोनों हाथों में पकड़ा और उसका मुंह मेरे मुंह पर रख कर मैं उसे चुम्बन देने की लिये प्रेरित किया। मैं जानती थी की योग सीधे स्पष्ट खुल्लम खुल्ला चोदना, चूत, लण्ड ऐसा बोलने से ज्यादा खुश होता था। उसे सेक्स, लिंग, योनि जैसे गोल मोल शब्दों से नफरत थी। जैसे ही हमारे होंठ मिले की मैंने योग के कानों में कहा, "योग तुम्हारा लण्ड इतना मोटा मरदाना है और मेरी चूत छोटी सी जनाना है। थोड़ा रहम करना प्लीज! डार्लिंग, प्लीज थोड़ा सा धीरे से चोदो ना प्लीज?" मैंने फिर वही बार बार प्लीज कहने का फॉर्मूला अपनाया। मुझे लगा की मेरी बिनती का कुछ कुछ असर तो हुआ। योग रुक गया। पर फिर उसने एक और धक्का दिया और उसका मोटा और लंबा लण्ड मेरी चूत में आधा घुस गया। मैं तब सहनशीलता की मर्यादा पार चुकी थी। मैं योग का गला पकड़ा और उसे हिलाते हुए बोली, "तुम सुनते नहीं हो क्या? क्या तुम थोड़ी नरमी नहीं बरत सकते? कैसे प्रेमि हो? तुम्हे अपनी प्रेमिका से प्यार करना आता नहीं क्या?" योग मेरी बात सुनकर ठहाका मार कर हँस पड़ा और बोला, "प्रेम और तुमसे? मेरी जूती से! मैं तुम्हें प्रेम करना नहीं चोदना चाहता हूँ। ओ मेरी रंडी, मैं तुमसे जबरदस्ती करना चाहता हूँ। साली कुतिया। तुम क्या समझती थी? तुम योग से भी ज्यादा स्मार्ट हो? तुम सोचती थी की योग तुम्हारा काम भी करेगा और तुम्हें चोदेगा भी नहीं? तुमने कैसे सोचा की योग तुम्हारी चिकनी चुपड़ी बातों में आ जायेगा और खुद महेनत करके तुम्हें एक सफल महिला प्रोफेशनल का ताज पहनने देगा और खुद अपना अंगूठा चूसता रहेगा? अगर तुमने यह सोचा है तो तुम गलत फहमी में हो।"
मेरी बात सुनकर योग फिर एक ठहाका मार कर हँसे और बोले, "ठीक है, मेरी प्यारी राँड़ चलो मैं आपकी यह बात मान लेता हूँ। पर याद रहे, यह आखरी बार हम आपसे नरमी से पेश आएंगे। फिर हम नरमी से नहीं पेश आएंगे क्यूंकि वह हमारी स्टाइल नहीं है।" और फिर वही भयावह हँसी और वही सुनहरा दाँत। योग ने पहला धक्का धीरे से दिया। मुझे अच्छा लगा। योग का लण्ड थोड़ा सा ही घुसा था और काफी मोटा और कड़ा था। पहली बार मुझे ऐसा महसूस हुआ की मैंने वाकई में कोई मरदाना लण्ड को अपनी चूत में महसूस किया था। वह कोई भी मोटे से मोटे केले से भी मोटा था। मुझे मिली एक राहत खतम हो चुकी थी। अब मुझे भुगतना ही था। योग ने एक और धक्का दिया और उस समय मेरी चूत में से कटार की तेज धार से कट ऐसा शूल मझे महसूस हुआ। मेरी चूत योग के लण्ड ने ऐसी जकड राखी थी की उसका और अंदर जाना नामुमकिन था। और फिर भी योग थे की उसे और घुसेड़ने की कोशिश कर रहे थे। मैंने योग से कहा, "योग, प्लीज धीरे से डालो यार। तुम मुझे मार डालोगे क्या?" योग ने मेरे दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में लकड़ रखा था और उन्हें इतनी जोर से दबा कर अपना मोटा लौड़ा वह मेरी चूत में घुसेड़ने के लिए अग्रसर हुआ। उसने एक जोर से कमर से अपने लण्ड को धक्का दिया। उस समय मेरे दिमाग में सिर्फ योग का लण्ड ही था। मैं उसे मेरी चूत को फाड़ते हुए महसूस कर रही थी।
मैं एकदम परेशान हो रही थी। मुझे लगा की मेरी चूत में से खून निकलना शुरू हो गया था। अगर योग ने और एक धक्का जोर से मारा तो वह मेरी चूत की चमड़ी को फाड़ डालेगा और मेरी चूत में से इतना खून बहेगा की खून की कमी के कारण ही मैं मर जाउंगी। मुझे इतनी जल्दी मरना नहीं था। मैं जानती थी योग आसानी से मेरी बात नहीं मानेगा। मैंने योगराज का सर मेरे दोनों हाथों में पकड़ा और उसका मुंह मेरे मुंह पर रख कर मैं उसे चुम्बन देने की लिये प्रेरित किया। मैं जानती थी की योग सीधे स्पष्ट खुल्लम खुल्ला चोदना, चूत, लण्ड ऐसा बोलने से ज्यादा खुश होता था। उसे सेक्स, लिंग, योनि जैसे गोल मोल शब्दों से नफरत थी। जैसे ही हमारे होंठ मिले की मैंने योग के कानों में कहा, "योग तुम्हारा लण्ड इतना मोटा मरदाना है और मेरी चूत छोटी सी जनाना है। थोड़ा रहम करना प्लीज! डार्लिंग, प्लीज थोड़ा सा धीरे से चोदो ना प्लीज?" मैंने फिर वही बार बार प्लीज कहने का फॉर्मूला अपनाया। मुझे लगा की मेरी बिनती का कुछ कुछ असर तो हुआ। योग रुक गया। पर फिर उसने एक और धक्का दिया और उसका मोटा और लंबा लण्ड मेरी चूत में आधा घुस गया। मैं तब सहनशीलता की मर्यादा पार चुकी थी। मैं योग का गला पकड़ा और उसे हिलाते हुए बोली, "तुम सुनते नहीं हो क्या? क्या तुम थोड़ी नरमी नहीं बरत सकते? कैसे प्रेमि हो? तुम्हे अपनी प्रेमिका से प्यार करना आता नहीं क्या?" योग मेरी बात सुनकर ठहाका मार कर हँस पड़ा और बोला, "प्रेम और तुमसे? मेरी जूती से! मैं तुम्हें प्रेम करना नहीं चोदना चाहता हूँ। ओ मेरी रंडी, मैं तुमसे जबरदस्ती करना चाहता हूँ। साली कुतिया। तुम क्या समझती थी? तुम योग से भी ज्यादा स्मार्ट हो? तुम सोचती थी की योग तुम्हारा काम भी करेगा और तुम्हें चोदेगा भी नहीं? तुमने कैसे सोचा की योग तुम्हारी चिकनी चुपड़ी बातों में आ जायेगा और खुद महेनत करके तुम्हें एक सफल महिला प्रोफेशनल का ताज पहनने देगा और खुद अपना अंगूठा चूसता रहेगा? अगर तुमने यह सोचा है तो तुम गलत फहमी में हो।"