16-08-2019, 03:19 PM
दोस्तों मेरा नाम रोहित है और मैं कंचन दीदी से १० साल छोटा हूँ. पर कंचन दीदी मेरे सपनो की रानी है. हर रात मैं उन्हें चोदने का ख्वाब देखता रहता हूँ. और वो ख्वाब जल्द ही पूरा हुआ.
एक बार मेरे घरवाले एक रिलेटिव के यहाँ गए हुए थे. घर पर सिर्फ मैं और कंचन दीदी ही थे. मैं अपने रूम में पढाई कर रहा था. तभी दीदी मेरे कमरे में आयी.
दीदी: क्या रोहित तू दिन भर सिर्फ पढता ही रहता है… मैं बोर हो रही हूँ
मैं: हाँ दीदी एग्जाम आने वाले है
दीदी: अरे यार कुछ मस्ती भी किया कर हमेशा किताबो में घुसा रहता है.. चल मैं चाय बना रही हूँ फिर अपन गप्पे लड़ाते है
दीदी किचन में चाय बनाने लगी. कंचन दीदी ने आज ब्लू कलर की साड़ी पहनी थी. गोरे बदन पर ट्रांसपेरेंट साड़ी बहुत मस्त लग रही थी. दीदी का बैक मेरी तरफ था. जो पूरी तरह से खुला हुआ था सिर्फ एक डोर से ब्लाउज बंधी हुई थी. दीदी की नंगी गोरी पीठ बहुत ही सेक्सी लग रही थी. साड़ी में कसी दीदी की भारी गांड देखकर मेरे अंदर का शैतान जाग रहा था. मैं दीदी की बड़ी गांड को मारने के सपने देख रहा था. इतनी विशालकाय चुत्तड़ किसी का भी इमां हिला सकती है.
दीदी तब तक चाय बना चुकी थी, जब वो चाय देने के लिए झुकी तो मुझे उनकी बड़ी बड़ी चूचियां के दर्शन हो गए. दीदी मेरे बगल में बैठ गयी और बातें करनी लगी. उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा हटा हुआ था जिससे से उनका क्लीवेज साफ़ साफ़ दिख रहा था और आधे से ज्यादा चूचियां नंगी थे. मैं चुप चुप कर उनकी चूचियों के साइज नाप रहा था.
दीदी: और भाई कैसा चल रहा है कॉलेज
मैं: बढ़िया दीदी
दीदी: और दोस्त बनाये की नहीं कॉलेज में
मैं: हाँ दीदी कुछ दोस्त बने है पर कम है
दीदी: और गर्लफ्रेंड?
मैं: क्या दीदी आप भी
दीदी: अरे मैं सीरियसली पूछ रही हूँ, तेरी उम्र में तो लड़के गर्लफ्रेंड के साथ घूमते है
मैं: नहीं दीदी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है
दीदी: इसलिए घर पर पड़ा रहता है.. गर्लफ्रेंड बना ले और घुमा कर
मैं: नहीं दीदी मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है
दीदी: क्या तुझे लड़कियों में इंटरेस्ट नहीं है?
मैं: दीदी मुझे अपनी उम्र की लड़कियां पसंद नहीं आती
दीदी: अरे यार… फिर तुम्हे कौन अच्छी लगती है
मैं: मुझे दीदी थोड़ी बड़ी लड़की पसंद आती है… ३० से उप्पर वाली
दीदी: अच्छा तुझे औरतो में इंटरेस्ट है… क्या अच्छा लगता है उनमे
मैं: क्या दीदी आप मुझे बेशर्म बना रही हो
दीदी: अरे भाई मैं तो तेरी दोस्त हूँ … तू मुझे बेझिझक बता सकता है.
मैं: ठीक है दीदी … शादीशुदा औरतो का बदन हर जगह से भरा हुआ होता है
दीदी: खुल के बता भाई
मैं: दीदी मुझे औरतो की बड़ी बड़ी चूचियां और भारी गांड अच्छी लगती है
दीदी: ओह्ह्ह्हह ऐसा है… तू तो साला बड़ा हरामी निकला..
मैं: क्या दीदी…
मैं बात करते हुए दीदी की चूचियों को ताड़ रहा था. दीदी की सांसे तेज चलनी लगी थी, सायद मेरी बातों से वो गरम हो रही थी. हर सांस के साथ चूचियां हवा में उछल रही थी.
एक बार मेरे घरवाले एक रिलेटिव के यहाँ गए हुए थे. घर पर सिर्फ मैं और कंचन दीदी ही थे. मैं अपने रूम में पढाई कर रहा था. तभी दीदी मेरे कमरे में आयी.
दीदी: क्या रोहित तू दिन भर सिर्फ पढता ही रहता है… मैं बोर हो रही हूँ
मैं: हाँ दीदी एग्जाम आने वाले है
दीदी: अरे यार कुछ मस्ती भी किया कर हमेशा किताबो में घुसा रहता है.. चल मैं चाय बना रही हूँ फिर अपन गप्पे लड़ाते है
दीदी किचन में चाय बनाने लगी. कंचन दीदी ने आज ब्लू कलर की साड़ी पहनी थी. गोरे बदन पर ट्रांसपेरेंट साड़ी बहुत मस्त लग रही थी. दीदी का बैक मेरी तरफ था. जो पूरी तरह से खुला हुआ था सिर्फ एक डोर से ब्लाउज बंधी हुई थी. दीदी की नंगी गोरी पीठ बहुत ही सेक्सी लग रही थी. साड़ी में कसी दीदी की भारी गांड देखकर मेरे अंदर का शैतान जाग रहा था. मैं दीदी की बड़ी गांड को मारने के सपने देख रहा था. इतनी विशालकाय चुत्तड़ किसी का भी इमां हिला सकती है.
दीदी तब तक चाय बना चुकी थी, जब वो चाय देने के लिए झुकी तो मुझे उनकी बड़ी बड़ी चूचियां के दर्शन हो गए. दीदी मेरे बगल में बैठ गयी और बातें करनी लगी. उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा हटा हुआ था जिससे से उनका क्लीवेज साफ़ साफ़ दिख रहा था और आधे से ज्यादा चूचियां नंगी थे. मैं चुप चुप कर उनकी चूचियों के साइज नाप रहा था.
दीदी: और भाई कैसा चल रहा है कॉलेज
मैं: बढ़िया दीदी
दीदी: और दोस्त बनाये की नहीं कॉलेज में
मैं: हाँ दीदी कुछ दोस्त बने है पर कम है
दीदी: और गर्लफ्रेंड?
मैं: क्या दीदी आप भी
दीदी: अरे मैं सीरियसली पूछ रही हूँ, तेरी उम्र में तो लड़के गर्लफ्रेंड के साथ घूमते है
मैं: नहीं दीदी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है
दीदी: इसलिए घर पर पड़ा रहता है.. गर्लफ्रेंड बना ले और घुमा कर
मैं: नहीं दीदी मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है
दीदी: क्या तुझे लड़कियों में इंटरेस्ट नहीं है?
मैं: दीदी मुझे अपनी उम्र की लड़कियां पसंद नहीं आती
दीदी: अरे यार… फिर तुम्हे कौन अच्छी लगती है
मैं: मुझे दीदी थोड़ी बड़ी लड़की पसंद आती है… ३० से उप्पर वाली
दीदी: अच्छा तुझे औरतो में इंटरेस्ट है… क्या अच्छा लगता है उनमे
मैं: क्या दीदी आप मुझे बेशर्म बना रही हो
दीदी: अरे भाई मैं तो तेरी दोस्त हूँ … तू मुझे बेझिझक बता सकता है.
मैं: ठीक है दीदी … शादीशुदा औरतो का बदन हर जगह से भरा हुआ होता है
दीदी: खुल के बता भाई
मैं: दीदी मुझे औरतो की बड़ी बड़ी चूचियां और भारी गांड अच्छी लगती है
दीदी: ओह्ह्ह्हह ऐसा है… तू तो साला बड़ा हरामी निकला..
मैं: क्या दीदी…
मैं बात करते हुए दीदी की चूचियों को ताड़ रहा था. दीदी की सांसे तेज चलनी लगी थी, सायद मेरी बातों से वो गरम हो रही थी. हर सांस के साथ चूचियां हवा में उछल रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.