16-08-2019, 02:52 PM
योग को मेरा यह कार्यकलाप या कारीगरी बहुत भाई क्यूंकि उसका पूरा बदन मचलने लगा। योग का पूर्व रस रिसने लगा और ना चाहते हुए भी मेरे गले में नीचे उतरने लगा। पहले तो मेरा मन किया की मैं उसे थूंक दूँ, पर कैसे? योग का इतना मोटा लण्ड मेरे मुंह में जो फँसा हुआ था। मुझे योग का रस निगलना ही पड़ा और मुझे बुरा नहीं लगा। पहले उसका स्वाद थोड़ा अजीब सा जरूर लगा पर निगलते हुए बाद में मुझे अच्छा लगने लगा। मैं सोचने लगी की जो कई पोर्न वीडियो में दिखाते हैं की लडकियां मर्दों के वीर्य को निगल कर खुश होती हैं शायद ठीक ही है। योग ने फिर मेरे मुंह को धीरे धीरे चोदना शुरू किया। साथ साथ में उसके दोनों हाथ मेरी फूली हुई निप्पलोँ को मसलने लगे। मेरे दोनों स्तन से योग के हाथ ऐसे खेलने लगे जैसे की वह रबर के बॉल हों। योग उत्तेजना में मेरे स्तनों को इतने जोर से दबाने लगे की मुझे इतना ज्यादा दर्द महसूस हुआ की मुंह में योग का लण्ड होते हुए भी मेरे मुंह से दबी हुई चीख़ निकल पड़ी। योग शायद समझा की मैं ज्यादा ही उत्तेजित हो रही थी। योग ने मुंह चोदने की रफ़्तार बढ़ाई तो मेरा जबड़ा दर्द करने लगा। मैने कभी मेरा मुंह इतना ज्यादा इतने अधिक समय के लिए नहीं खोला था। अगर मैं ज्यादा देर ऐसे ही रहती तो मुझे कुछ ना कुछ हो जाता।
मैंने धीरे से मेरा मुंह पीछे खींचा। योग का लण्ड बाहर निकल आया। मुझे योग के हाथोँ से और थप्पड़ नहीं खाने थे इस लिए मुझे कुछ न कुछ तो करना ही था। मैं एकदम बिस्तर पर लेट गयी और योग को पकड़ कर मेरे ऊपर सवार होने के लिए अपनी और खींचा और कहा, "अब मैं तुम्हारे लण्ड से चुदवाने के लिए और इंतजार नहीं कर सकती। प्लीज मुझे और मत तड़पाओ और अपना यह मोटा लण्ड जल्दी मेरी गीली चूत में डालो। मैं कितने समय से तुम्हारे लण्ड से चुदवाने के सपने देख रही हूँ।" योग मेरी बिनती सुनकर खुश नजर आये और मेरी और देख कर वही लोलुपता भरी हँसी मुझे उनके चेहरे पर दिखी। उनके पुरुषत्व पूर्ण अहम् को यह सुनकर शायद संतिष्टि हुई और मैं उस करारे थप्पड़ से बच गयी। पर अब मेरे लिए और समस्या थी। योग के घोड़े जैसे लण्ड को मुंह में लेना एक बात थी पर चूत में डलवाना कुछ और। मेरी चूत का छिद्र इस घोड़े के लण्ड को ले पायेगा या नहीं वह एक बड़ी ही विषम स्थिति थी। मेरा मुंह तो अभी उस दर्द से उभर नहीं पाया था और अब मेरी चूत पर वार होना था। मेर पुरे बदन में कम्पन फ़ैल रही थी। यह डर के मारे थी या फिर उत्तेजना के मारे यह कहना मुश्किल था। पर मुझे चुदवाना ना तो था ही। उस में कोई शक नहीं था। दर्द तो बर्दास्त करना ही पडेगा चाहे मेरी चूत फट क्यों नहीं जाय। मैं मानसिक रूप से तैयार हो रही थी। मुझे इससे भी बड़ा खतरा यह नज़र आ रहा था की कहीं योग मेरी गाँड़ मारने की कोशिश ना करे।
ऐसा हुआ तो तो मैं मर ही जाउंगी क्यूंकि मेरे पति ने एक बार कोशिश की थी जिसके कारण मेरी गाँड़ में से इतना खून निकला था की मेरे पति की तो जान हथेली में आ गयी थी। मैं सात दिन तक बीमार रही थी। तब से मेरे पति ने कभी भी मेरी गाँड़ मारने की बात सोची भी नहीं थी। योग मेरी टाँगें फैला कर बिच में आये और अपने लण्ड को मेरी पानी बहा रही चूत के छिद्र पर पोजीशन किया। मैंने चैन की साँस ली की चलो उस समय तो योग मेरी गाँड़ मरने की बात नहीं सोच रहे थे। योग ने मेरी जाँघें उठायी और अपने कंधे पर रखीं। उन्होंने मेरी और अपना वही बीभत्स हास्य करते हुए देखा। मेरी चूत में क्या हो रहा था उसका विवरण करना मेरे लिए बड़ा मुश्किल है।
आज के दिन भी जब मैं मेरे मन की उस समय की हालत के बारे में सोचती हूँ तो मेरे जहन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती है। पर मुझे योग को देर कर के नाराज भी तो नहीं करना था। मैंने योग का लण्ड अपनी उँगलियों में पकड़ा और प्यार से मेरी चूत की पंखुड़ियों पर हलके से रगड़ा। फिर मैंने अपनी चूत की पंखुड़ियों को थोड़ा सा फैलाया और मेरी उंगली उसमें डाली। मैं अपने स्त्री रस का रिसना महसूस कर रही थी। मेरी चूत में से जैसे रस की धारा बाह रही थी। मेरे योगराज के लण्ड को मेरी चूत की सतह पर योग का लण्ड रगड़ ने से मैंने महसूस किया की वह चिकनाहट से लदा लद लिपटा हुआ था। मुझे थोड़ा सा ढाढस हुआ की शुरुआत में तो मुझे उतनी तकलीफ नहीं होगी। योग भयानक आँखें निकालकर मुझे ताक रहे थे और अपना फनफनाता लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ने की लिए मचल रहे थे। उन्होंने अपना लण्ड घुसेड़ते हुए मेरी और वही बीभत्स पूर्ण हास्य के साथ देखा और उनका वह सुनहरा दाँत एक बार फिर देख कर मैं डर के मारे काँप उठी। वह ऐसे देख रहे थे जैसे कोई विजेता जीती हुई ट्रॉफी के साथ पोज़ दे रहा हो। मैं योग का यह भयावह रूप और उसके ऊपर अपने इतने मोटे और लम्बे लंड को हवा में हिलते हुए देख कर मेरा क्या हाल हुआ होगा उसका अंदाज़ आप नहीं लगा सकते। पर फिर मुझे एक कहावत याद आयी की "अगर आपके साथ जबरदस्ती हो रही हो और आप इसके बारे में कुछ भी नहीं करने की स्थिति में हो तो उसे एजॉय कीजिये।
मैंने धीरे से मेरा मुंह पीछे खींचा। योग का लण्ड बाहर निकल आया। मुझे योग के हाथोँ से और थप्पड़ नहीं खाने थे इस लिए मुझे कुछ न कुछ तो करना ही था। मैं एकदम बिस्तर पर लेट गयी और योग को पकड़ कर मेरे ऊपर सवार होने के लिए अपनी और खींचा और कहा, "अब मैं तुम्हारे लण्ड से चुदवाने के लिए और इंतजार नहीं कर सकती। प्लीज मुझे और मत तड़पाओ और अपना यह मोटा लण्ड जल्दी मेरी गीली चूत में डालो। मैं कितने समय से तुम्हारे लण्ड से चुदवाने के सपने देख रही हूँ।" योग मेरी बिनती सुनकर खुश नजर आये और मेरी और देख कर वही लोलुपता भरी हँसी मुझे उनके चेहरे पर दिखी। उनके पुरुषत्व पूर्ण अहम् को यह सुनकर शायद संतिष्टि हुई और मैं उस करारे थप्पड़ से बच गयी। पर अब मेरे लिए और समस्या थी। योग के घोड़े जैसे लण्ड को मुंह में लेना एक बात थी पर चूत में डलवाना कुछ और। मेरी चूत का छिद्र इस घोड़े के लण्ड को ले पायेगा या नहीं वह एक बड़ी ही विषम स्थिति थी। मेरा मुंह तो अभी उस दर्द से उभर नहीं पाया था और अब मेरी चूत पर वार होना था। मेर पुरे बदन में कम्पन फ़ैल रही थी। यह डर के मारे थी या फिर उत्तेजना के मारे यह कहना मुश्किल था। पर मुझे चुदवाना ना तो था ही। उस में कोई शक नहीं था। दर्द तो बर्दास्त करना ही पडेगा चाहे मेरी चूत फट क्यों नहीं जाय। मैं मानसिक रूप से तैयार हो रही थी। मुझे इससे भी बड़ा खतरा यह नज़र आ रहा था की कहीं योग मेरी गाँड़ मारने की कोशिश ना करे।
ऐसा हुआ तो तो मैं मर ही जाउंगी क्यूंकि मेरे पति ने एक बार कोशिश की थी जिसके कारण मेरी गाँड़ में से इतना खून निकला था की मेरे पति की तो जान हथेली में आ गयी थी। मैं सात दिन तक बीमार रही थी। तब से मेरे पति ने कभी भी मेरी गाँड़ मारने की बात सोची भी नहीं थी। योग मेरी टाँगें फैला कर बिच में आये और अपने लण्ड को मेरी पानी बहा रही चूत के छिद्र पर पोजीशन किया। मैंने चैन की साँस ली की चलो उस समय तो योग मेरी गाँड़ मरने की बात नहीं सोच रहे थे। योग ने मेरी जाँघें उठायी और अपने कंधे पर रखीं। उन्होंने मेरी और अपना वही बीभत्स हास्य करते हुए देखा। मेरी चूत में क्या हो रहा था उसका विवरण करना मेरे लिए बड़ा मुश्किल है।
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