16-08-2019, 02:51 PM
मेरे पति को मेरी खुली चुनौती Ch. 04
मैं पलंग पर नंगी लेटी हुई थी और जोर से रो रही थी और उन का अगला कदम क्या होगा उसका इंतजार कर रही थी। योग ने मुझे नंगी लेटे हुए देखा तो उनके चेहरे पर एक ऐसा संतोष जनक भाव मैंने देखा जो एक शिकारी के चेहरे पर कोई तगड़ा शिकार करने पर होता है। शिकारी यह सोचता है की अब उसे कई दिनों तक कोई और शिकार करने की जरुरत नहीं होगी। मेरे जोर से सिसक कर रोने पर योग चिल्ला कर मुझे चुप रहने के लिए बोले। पर तब भी जब मैं चुप ना हुई तो योग ने अपना हाथ उठाकर मेरे गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारा। मेरे गाल उनके करारे थप्पड़ से लाल हो गए और मुझे गाल पर तीखी जलन का दर्द महसूस हुआ। मैं योग की और देख कर चिल्लाई और बोल पड़ी, "मुझे चोदना है तो चोदो पर मुझे डराओ मत और मारो मत प्लीज!" योग के चेहरे पर फिर वही बीभत्स हँसी मैंने देखि जिसमें फिर वही सुनेहरा दाँत भी दिखा। मैं पलंग पर बैठ गयी और योग का पजामा पकड़ कर चिल्लाई, "योग आओ और मुझे चोदो पर इस तरह जलील मत करो मुझे।"
योग ने बड़े ही रूखे अंदाज में जवाब दिया, "तुम्हें मैं चोदूँगा जरूर। ओ चोदू कुतिया। तू मुझे, इस योगराज को प्रभावित करने की कोशिश कर रही थी? मैं पहले से ही जानता था की यह सब सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का तुम्हारा ड्रामा मेरे इस मोटे तगड़े लण्ड से चुदवाने का बहाना मात्र था। था की नहीं?" मैं योग की बातों का जवाब देने की स्थिति में नहीं थी। उसने मुझे नंगी कर दिया था और मैं उसके पलंग पर नंगी लेटी हुई उनसे चुदवाने का इंतजार करते हुए पड़ी थी। योग वास्तव में तो गलत नहीं थे। मेरे जहन में उनके मोटे लौड़े से चुदवाने की चाहत तो थी ही। मैं जानती थी की योग अच्छी तरह से चुदाई कर सकता था। उस लड़की ने भी मुझे यह बताया था। योग ने अपना पजामा मेरे सामने ही जल्दी से खोला और उसमें से उसका फनफनाता हुआ तगड़ा लौड़ा कूद के उछाल कर बाहर निकल पड़ा। मैं योग के खड़े मोटे कड़क लण्ड को देखे बगैर रह नहीं पायी। जिस तरह से वह खड़ा हुआ ऊपर की और मुड़ा हुआ काले बालों के बिच खड़ा सर उठाये ऐसे दिख रहा था, जैसे एक शेर घाँस के खेतमें आसपास चारा चरति हुई हिरणियों को देख रहा हो। उस समय मुझ में कुछ ज्यादा सोचने की क्षमता नहीं थी। योग का लण्ड जानता था की एक चूत उससे चुदवाने का बेबसी से इंतजार कर रही थी। योग के लण्ड का गुलाबी कुकुर मुत्ता सामान लौड़े का सर इतना मोटा और फुला हुआ था की मैं उसे बरबस अपने हाथों में लेने से अपने आपको रोक नहीं पायी। योग का लण्ड बिलकुल मेरे होंठों के सामने था। वह मरे मुंह के सामने ऐसे हिल रहा था, जैसे वह मेरे होँठों के बिच जाने के लिए बेताब हो रहा हो।
मैंने भय के मारे योग की और देखा। योग ने मेरी और भाव शून्य नजर से देखा। वह इसी उम्मीद में खड़े थे की मैं उनके लण्ड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसूं। मैं बड़े ही अस्मजस में पड़ गयी। जो योग के लण्ड का साइज था उसे देखते हुए यह तय था की मेरे छोटे से मुंह में उसका इतना चौड़ा लण्ड पूरी तरह से घुस सकना नामुमकिन था। मैंने कभी सपने में भी यह नहीं सिचा था की कोई इंसान का इतना मोटा और लंबा लण्ड हो सकता है। ऐसा लगता था जैसे वह इंसान का नहीं घोड़े का लण्ड हो। मैंने कभी घोड़े का लण्ड देखा था। योग का लंड उससे बहुत ज्यादा कम नहीं होगा। मुझे उसे मुंह में लेना ही होगा वरना मेरे गाल पर एक और थप्पड़ खाने की हालात में मैं नहीं थी। पर मुझे कोशिश तो करने ही पड़ेगी। मैंने योग का लण्ड अपने हाथों में लिया और उसकी गोलाई के ऊपर मैं अपनी उंगलियां घुमाने लगी, जिससे की उसके छेड़ में रिस रहा उसका पूर्व रस पूरी गोलाई में अच्छी तरह फैले। उसके लण्ड के बड़े बिजली के बल्ब के समान उसके लण्ड के शिरोभाग से लण्ड की पूरी लम्बाई तक हलके नीले रंग वाली नसे फैली हुई नज़र आ रहीं थीं। उसके लण्ड का बल्ब जैसा अग्र भाग चमकते हुए गुलाबी रंग का था। मैंने हलके से उसके लण्ड को ढकती हुई ऊपरी चमड़ी को अपनी मुठी में रख कर दबाया और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी। मेरी मुठी योग के लण्ड को ठीक तरह से पकड़ नहीं पा रही थी। जब मैं कुछ देर तक योग का लण्ड हाथ से सहलाती रही तो योग थोड़ा सा अधीर हो उठा। उसने अपना लण्ड मेरे मुंह के पास लाया जिससे मुझे बरबस अपना मुंह जितना हो सके उतना चौड़ा कर खोलना पड़ा और तुरन्त ही योग का मोटा और लम्बा लौड़ा मेरे मुंह में घुस गया।
मुझे मेरे मुंह में से मेरी जिह्वा को ऐसे गोल रखना पड़ा जिससे योग की लण्ड को गलती से भी कहीं दाँतों की खरोच ना आये। मुझे दुबारा योग का करारा थप्पड़ नहीं खाना था। मैंने अपना जबड़ा जितना हो सके इतना खोला। मेरा जबड़ा भी दर्द करने लगा था। मुझे कभी भी लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगता था। पता नहीं मर्दों को इसमें क्या मजा आता होगा? मैं अपने होंठ और जीभ योग के लण्ड के इर्द गिर्द घुमाती रही।
मैं पलंग पर नंगी लेटी हुई थी और जोर से रो रही थी और उन का अगला कदम क्या होगा उसका इंतजार कर रही थी। योग ने मुझे नंगी लेटे हुए देखा तो उनके चेहरे पर एक ऐसा संतोष जनक भाव मैंने देखा जो एक शिकारी के चेहरे पर कोई तगड़ा शिकार करने पर होता है। शिकारी यह सोचता है की अब उसे कई दिनों तक कोई और शिकार करने की जरुरत नहीं होगी। मेरे जोर से सिसक कर रोने पर योग चिल्ला कर मुझे चुप रहने के लिए बोले। पर तब भी जब मैं चुप ना हुई तो योग ने अपना हाथ उठाकर मेरे गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारा। मेरे गाल उनके करारे थप्पड़ से लाल हो गए और मुझे गाल पर तीखी जलन का दर्द महसूस हुआ। मैं योग की और देख कर चिल्लाई और बोल पड़ी, "मुझे चोदना है तो चोदो पर मुझे डराओ मत और मारो मत प्लीज!" योग के चेहरे पर फिर वही बीभत्स हँसी मैंने देखि जिसमें फिर वही सुनेहरा दाँत भी दिखा। मैं पलंग पर बैठ गयी और योग का पजामा पकड़ कर चिल्लाई, "योग आओ और मुझे चोदो पर इस तरह जलील मत करो मुझे।"
योग ने बड़े ही रूखे अंदाज में जवाब दिया, "तुम्हें मैं चोदूँगा जरूर। ओ चोदू कुतिया। तू मुझे, इस योगराज को प्रभावित करने की कोशिश कर रही थी? मैं पहले से ही जानता था की यह सब सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का तुम्हारा ड्रामा मेरे इस मोटे तगड़े लण्ड से चुदवाने का बहाना मात्र था। था की नहीं?" मैं योग की बातों का जवाब देने की स्थिति में नहीं थी। उसने मुझे नंगी कर दिया था और मैं उसके पलंग पर नंगी लेटी हुई उनसे चुदवाने का इंतजार करते हुए पड़ी थी। योग वास्तव में तो गलत नहीं थे। मेरे जहन में उनके मोटे लौड़े से चुदवाने की चाहत तो थी ही। मैं जानती थी की योग अच्छी तरह से चुदाई कर सकता था। उस लड़की ने भी मुझे यह बताया था। योग ने अपना पजामा मेरे सामने ही जल्दी से खोला और उसमें से उसका फनफनाता हुआ तगड़ा लौड़ा कूद के उछाल कर बाहर निकल पड़ा। मैं योग के खड़े मोटे कड़क लण्ड को देखे बगैर रह नहीं पायी। जिस तरह से वह खड़ा हुआ ऊपर की और मुड़ा हुआ काले बालों के बिच खड़ा सर उठाये ऐसे दिख रहा था, जैसे एक शेर घाँस के खेतमें आसपास चारा चरति हुई हिरणियों को देख रहा हो। उस समय मुझ में कुछ ज्यादा सोचने की क्षमता नहीं थी। योग का लण्ड जानता था की एक चूत उससे चुदवाने का बेबसी से इंतजार कर रही थी। योग के लण्ड का गुलाबी कुकुर मुत्ता सामान लौड़े का सर इतना मोटा और फुला हुआ था की मैं उसे बरबस अपने हाथों में लेने से अपने आपको रोक नहीं पायी। योग का लण्ड बिलकुल मेरे होंठों के सामने था। वह मरे मुंह के सामने ऐसे हिल रहा था, जैसे वह मेरे होँठों के बिच जाने के लिए बेताब हो रहा हो।
मैंने भय के मारे योग की और देखा। योग ने मेरी और भाव शून्य नजर से देखा। वह इसी उम्मीद में खड़े थे की मैं उनके लण्ड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसूं। मैं बड़े ही अस्मजस में पड़ गयी। जो योग के लण्ड का साइज था उसे देखते हुए यह तय था की मेरे छोटे से मुंह में उसका इतना चौड़ा लण्ड पूरी तरह से घुस सकना नामुमकिन था। मैंने कभी सपने में भी यह नहीं सिचा था की कोई इंसान का इतना मोटा और लंबा लण्ड हो सकता है। ऐसा लगता था जैसे वह इंसान का नहीं घोड़े का लण्ड हो। मैंने कभी घोड़े का लण्ड देखा था। योग का लंड उससे बहुत ज्यादा कम नहीं होगा। मुझे उसे मुंह में लेना ही होगा वरना मेरे गाल पर एक और थप्पड़ खाने की हालात में मैं नहीं थी। पर मुझे कोशिश तो करने ही पड़ेगी। मैंने योग का लण्ड अपने हाथों में लिया और उसकी गोलाई के ऊपर मैं अपनी उंगलियां घुमाने लगी, जिससे की उसके छेड़ में रिस रहा उसका पूर्व रस पूरी गोलाई में अच्छी तरह फैले। उसके लण्ड के बड़े बिजली के बल्ब के समान उसके लण्ड के शिरोभाग से लण्ड की पूरी लम्बाई तक हलके नीले रंग वाली नसे फैली हुई नज़र आ रहीं थीं। उसके लण्ड का बल्ब जैसा अग्र भाग चमकते हुए गुलाबी रंग का था। मैंने हलके से उसके लण्ड को ढकती हुई ऊपरी चमड़ी को अपनी मुठी में रख कर दबाया और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी। मेरी मुठी योग के लण्ड को ठीक तरह से पकड़ नहीं पा रही थी। जब मैं कुछ देर तक योग का लण्ड हाथ से सहलाती रही तो योग थोड़ा सा अधीर हो उठा। उसने अपना लण्ड मेरे मुंह के पास लाया जिससे मुझे बरबस अपना मुंह जितना हो सके उतना चौड़ा कर खोलना पड़ा और तुरन्त ही योग का मोटा और लम्बा लौड़ा मेरे मुंह में घुस गया।
मुझे मेरे मुंह में से मेरी जिह्वा को ऐसे गोल रखना पड़ा जिससे योग की लण्ड को गलती से भी कहीं दाँतों की खरोच ना आये। मुझे दुबारा योग का करारा थप्पड़ नहीं खाना था। मैंने अपना जबड़ा जितना हो सके इतना खोला। मेरा जबड़ा भी दर्द करने लगा था। मुझे कभी भी लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगता था। पता नहीं मर्दों को इसमें क्या मजा आता होगा? मैं अपने होंठ और जीभ योग के लण्ड के इर्द गिर्द घुमाती रही।