16-08-2019, 02:46 PM
तो मेरा दिमाग बोल उठा, "अरे लड़की, तू तो योग को सबक सिखाना चाहती थीं ना? तो अब क्या हो गया?" काफी कुछ गुथम गुत्थी के बाद मैंने तय किया की आखिर में साँढ़ को सींग से पकड़ना ही पडेगा। योग से आमने सामने हुए बगैर बात बनेगी नहीं। मैंने मन ही मन पक्का इरादा कर लिया की कुछ भी हो जाय मैं ऐसे इंसान को कभी भी अपना बदन सौंप नहीं सकती। पर मैं उसे मिलूंगी जरूर और उसे दिखाउंगी की मैं कोई ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ। मैं अपने इरादे में सुद्रढ़ रहूंगी। यह तय कर मैंने योग से फ़ोन पर शाम को कॉफी शॉप में मिलने का प्रोग्राम बनाया। योग मुझ से मिलने को राजी हो गए। कॉफी आर्डर करने के बाद मैं योग से मेरे तीखे रवैय्ये के बारे में माफ़ी मांगने लगी l तो योग ने अपने हाथों को घुमा कर कहा, "यह सब फ़ालतू बात छोडो, बोलो तुम्हें क्या चाहिए?"
मैंने कहा मुझे इनकी मदद चाहिए और फिर मैंने उन्हें वह सब कहा जो उनको मैं पहले भी बता चुकी थी। बीच में ही मेरी बात को काटकर वह बोले, "पर मैं आपकी मदद क्यों करूँ?" मुझे पता था की उनका जवाब यही होगा। तब मैंने उन्हें कहा की कंपनीके लिए यह प्रोग्राम बड़ा ही जरुरी है, जिसमें मुझे उनका सहयोग चाहिए। योग ने बड़े ही रूखे अंदाज में कहा, "आपको वाईस प्रेजिडेंट के पास जाने के लिए मैं पहले ही कहा था। वह मेरे भी बॉस हैं। अगर वह कहेंगे तो मुझे आपका काम करना ही पडेगा। आखिर में आपने अभी अभी कहा की आपका काम कंपनी के फायदे में है। तो फिर आप उनके पास क्यों नहीं जाती?" हालांकि मैं जानती थी योग यह सब कहेंगे, पर फिर भी मेरी धीरज जवाब दे रही थी। मैं गुस्से हो रही थी। तब मुझे ख्याल आया की उस प्रोग्राम के पीछे ना सिर्फ मेरी परन्तु मेरे साथीदारों की करियर भी दाँव पर लगी थी। वह सब मुझ से यह उम्मीद कर रहे थे की जैसे तैसे मैं इस प्रोग्राम को लॉन्च करवा सकूँ, क्यूंकि उसकी सफलता पर उनकी नौकरियां और प्रमोशन इत्यादि निर्भर था। मैंने गुस्सा थूक देने में ही हम सबकी बलाई समझी। मैंने सोचा मेरे पास एक ऐसा शस्त्र था जो मैंने इस्तेमाल नहीं किया था। वह था करुणा शस्त्र। मैंने उसका प्रयोग करना उचित समझा। मेरी आँखों में आंसूं आ गये। मैंने कहा, "योग सर, आप क्यों नहीं समझते? इस प्रोग्राम के ऊपर मेरी और हमारी पूरी टीम की करियर निर्भर है। अगर यह प्रोग्राम सफल हो गया तो हमारे सबके करियर बन जायेगे।" यह कहते कहते वाकई में मैं रो पड़ी। उस टाइम मैं कोई ड्रामा नहीं कर रही थी।
मेरे रोते ही योग सर सकते में आ गये। उन्होंने तब मेरी और देखते हुए पूछा, "अच्छा तो यह बात है! चलो ठीक है। मैं तुम्हारी मदद करूंगा। पर बदले में मुझे क्या मिलेगा?" मैं समझ गयी, अब वह बदमाश इंसान अपने आपको बेनकाब कर रहा था। पर मैने सोचा चलो थोड़ा खेल खेल लेते हैं। मैंने अपनी पूरी मिठास और विनम्रता पूर्वक आग्रह दिखते हुए कहा, "सब जानते हैं की हमारी कंपनी में आप एक अग्रगण्य काबिल प्रोग्राम डिज़ाइनर हैं। आप हम से काफी सीनियर भी हैं। आपकी मदद के बिना इस प्रोग्राम का सफल होना मुश्किल है। मैं हमारी टीम की तरफ से आपसे बड़ी विनम्रता से बिनती करने आयी हूँ की आप हमारे लिए ही सही, हमारी प्लीज मदद कीजिये, प्लीज!" मैंने जान बुझ कर दो बार प्लीज कहा। फिर ना चाहते हुए भी मेरे मुंह से निकल ही गया, "योग सर आपकी मदद के लिए मैं और मेरी टीम सदा सर्वदा आपकी बहुत आभारी रहेंगी। अगर हम आपकी कोई भी मदद कर पाएं तो वह हमारा सौभाग्य होगा।"
तो योग सर ने मेरी और सहानुभूति से झुक कर कहा, "जब आपके जैसी बड़ी खूबसूरत और सैक्सी लड़की मुझे दो दो बार प्लीज कहे तो मेरा दिल भी तार तार हो जाता है। आखिर इस ठोस और वीर्यवान बदन में भी एक नरम दिल इंसान बसा हुआ है। पर फिर भी यह पूछना गलत नहीं होगा की आखिर यह सब करने के लिए मुझे क्या मिलेगा।" मुझे गुस्सा तो बड़ा ही आ रहा था पर मैंने अपने आप पर नियत्रण रखा l मैं जानती थी की गुस्सा दिखाने से काम बनेगा नहीं। जब हम करीब करीब अपने गंतव्य पर पहुँच रहे थे तो बात बिगाड़ने से काम नहीं चलेगा। मैंने एक और दाँव खेला। मैं कहा, "योग सर, अगर आपने हमारी मदद की तो मैं आपको वचन देती हूँ की मैं आपकी हमेशा के लिए आभारी रहूंगी और मौका मिला तो मैं आपको आपकी कोई भी तरह की व्यावसायिक मदद जरूर करुँगी। और आपकी मदद का उचित पारितोषिक जरूर दूंगी।" (मैंने सोचा देखते हैं, योग सर पारितोषिक का क्या मतलब निकालते हैं।) योग भी तैयार थे। उन्होंने कहा, "मैं नहीं समझता की मुझे आपकी व्यावसायिक मदद की कोई जरुरत होगी। मैं अपने आप में पूरा सक्षम हूँ। पर हाँ और कई तरीकोंसे तुम मेरी मदद कर सकती हो।" मैं समझ गयी यह चोदू, मुझे अपनी टांगों के बिच में हो रहे दर्द को मिटाने की और इशारा कर रहा था। फिर मैं एक बार और अपनी वासना पूर्ण काल्पनिक दुनिया में खोने लगी।
मैंने कहा मुझे इनकी मदद चाहिए और फिर मैंने उन्हें वह सब कहा जो उनको मैं पहले भी बता चुकी थी। बीच में ही मेरी बात को काटकर वह बोले, "पर मैं आपकी मदद क्यों करूँ?" मुझे पता था की उनका जवाब यही होगा। तब मैंने उन्हें कहा की कंपनीके लिए यह प्रोग्राम बड़ा ही जरुरी है, जिसमें मुझे उनका सहयोग चाहिए। योग ने बड़े ही रूखे अंदाज में कहा, "आपको वाईस प्रेजिडेंट के पास जाने के लिए मैं पहले ही कहा था। वह मेरे भी बॉस हैं। अगर वह कहेंगे तो मुझे आपका काम करना ही पडेगा। आखिर में आपने अभी अभी कहा की आपका काम कंपनी के फायदे में है। तो फिर आप उनके पास क्यों नहीं जाती?" हालांकि मैं जानती थी योग यह सब कहेंगे, पर फिर भी मेरी धीरज जवाब दे रही थी। मैं गुस्से हो रही थी। तब मुझे ख्याल आया की उस प्रोग्राम के पीछे ना सिर्फ मेरी परन्तु मेरे साथीदारों की करियर भी दाँव पर लगी थी। वह सब मुझ से यह उम्मीद कर रहे थे की जैसे तैसे मैं इस प्रोग्राम को लॉन्च करवा सकूँ, क्यूंकि उसकी सफलता पर उनकी नौकरियां और प्रमोशन इत्यादि निर्भर था। मैंने गुस्सा थूक देने में ही हम सबकी बलाई समझी। मैंने सोचा मेरे पास एक ऐसा शस्त्र था जो मैंने इस्तेमाल नहीं किया था। वह था करुणा शस्त्र। मैंने उसका प्रयोग करना उचित समझा। मेरी आँखों में आंसूं आ गये। मैंने कहा, "योग सर, आप क्यों नहीं समझते? इस प्रोग्राम के ऊपर मेरी और हमारी पूरी टीम की करियर निर्भर है। अगर यह प्रोग्राम सफल हो गया तो हमारे सबके करियर बन जायेगे।" यह कहते कहते वाकई में मैं रो पड़ी। उस टाइम मैं कोई ड्रामा नहीं कर रही थी।
मेरे रोते ही योग सर सकते में आ गये। उन्होंने तब मेरी और देखते हुए पूछा, "अच्छा तो यह बात है! चलो ठीक है। मैं तुम्हारी मदद करूंगा। पर बदले में मुझे क्या मिलेगा?" मैं समझ गयी, अब वह बदमाश इंसान अपने आपको बेनकाब कर रहा था। पर मैने सोचा चलो थोड़ा खेल खेल लेते हैं। मैंने अपनी पूरी मिठास और विनम्रता पूर्वक आग्रह दिखते हुए कहा, "सब जानते हैं की हमारी कंपनी में आप एक अग्रगण्य काबिल प्रोग्राम डिज़ाइनर हैं। आप हम से काफी सीनियर भी हैं। आपकी मदद के बिना इस प्रोग्राम का सफल होना मुश्किल है। मैं हमारी टीम की तरफ से आपसे बड़ी विनम्रता से बिनती करने आयी हूँ की आप हमारे लिए ही सही, हमारी प्लीज मदद कीजिये, प्लीज!" मैंने जान बुझ कर दो बार प्लीज कहा। फिर ना चाहते हुए भी मेरे मुंह से निकल ही गया, "योग सर आपकी मदद के लिए मैं और मेरी टीम सदा सर्वदा आपकी बहुत आभारी रहेंगी। अगर हम आपकी कोई भी मदद कर पाएं तो वह हमारा सौभाग्य होगा।"
तो योग सर ने मेरी और सहानुभूति से झुक कर कहा, "जब आपके जैसी बड़ी खूबसूरत और सैक्सी लड़की मुझे दो दो बार प्लीज कहे तो मेरा दिल भी तार तार हो जाता है। आखिर इस ठोस और वीर्यवान बदन में भी एक नरम दिल इंसान बसा हुआ है। पर फिर भी यह पूछना गलत नहीं होगा की आखिर यह सब करने के लिए मुझे क्या मिलेगा।" मुझे गुस्सा तो बड़ा ही आ रहा था पर मैंने अपने आप पर नियत्रण रखा l मैं जानती थी की गुस्सा दिखाने से काम बनेगा नहीं। जब हम करीब करीब अपने गंतव्य पर पहुँच रहे थे तो बात बिगाड़ने से काम नहीं चलेगा। मैंने एक और दाँव खेला। मैं कहा, "योग सर, अगर आपने हमारी मदद की तो मैं आपको वचन देती हूँ की मैं आपकी हमेशा के लिए आभारी रहूंगी और मौका मिला तो मैं आपको आपकी कोई भी तरह की व्यावसायिक मदद जरूर करुँगी। और आपकी मदद का उचित पारितोषिक जरूर दूंगी।" (मैंने सोचा देखते हैं, योग सर पारितोषिक का क्या मतलब निकालते हैं।) योग भी तैयार थे। उन्होंने कहा, "मैं नहीं समझता की मुझे आपकी व्यावसायिक मदद की कोई जरुरत होगी। मैं अपने आप में पूरा सक्षम हूँ। पर हाँ और कई तरीकोंसे तुम मेरी मदद कर सकती हो।" मैं समझ गयी यह चोदू, मुझे अपनी टांगों के बिच में हो रहे दर्द को मिटाने की और इशारा कर रहा था। फिर मैं एक बार और अपनी वासना पूर्ण काल्पनिक दुनिया में खोने लगी।