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Adultery चुनौती... (Complete)
#25
मैं मुश्कल से थोड़ा ही चली थी की योगराज मेरे पीछे भागते हुए आये और पीछे से मेरी कमर अपने दोनों हाथोँ में पकड़ कर मुझे अपनी तरफ घुमा कर बोले, " प्रिया, आई ऍम वैरी सॉरी। प्रिया डार्लिंग, मेरी बात तो सुनो। तुम गुस्से में इतनी सुन्दर लग रही थी की मैं अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पाया। सच बोलता हूँ डार्लिंग तुम इतनी सेक्सी लग रही थी की उस वक्त मेरा मन किया की मैं तुम्हें वहीँ पर...... डालूं।" योगराज ने वह शब्द नहीं बोले जो शायद वह बोलना चाह रहे थे। फिर चारों और नजर घुमाके उन्होंने देखा की कोई नजदीक सुन नहीं सकता था तो वह अपने मुंह को मेरे कान के पास लाकर बड़ी ही धीमी और मीठी आवाज़ में बोले, "प्रिया डार्लिंग, तुम इस अंदाज में इतनी सेक्सी और चुदक्कड़ लग रही हो की वाकई मैं मेरा मन तुम्हें चोदने के लिए बाँवला हो रहा है। डार्लिंग मैं तुम्हें सचमुच चोदना चाहता हूँ।" यह तो योग के असभ्यता की हद ही हो गयी! हालांकि यह सही था की वह मुझे चोदने की बात मेरे कानों में बोले, पर जिन्होंने भी उसे देखा होगा उन्हें साफ़ अंदाज लग ही गया होगा की योग मेरे कानों में क्या कह रहे थे। मुझे समझ नहीं आया की इस आदमी के माफ़ी मांगने की विचित्र तरीके से मैं कैसे निपटूं? वह मुझसे माफ़ी मांग रहे थे या मेरा मजाक उड़ा रहे थे? क्या वह मुझे चुदवाने के लिए निमत्रण दे रहे थे? अगर योग ने मुझे अलग ही माहौल में और अलग ही संजोग में यही चीज़ कही होती तो मैं शायद उसके निमत्रण का सकारात्मक जवाब देती। योग से चुदवाने के बारे में सोचने भर से मेरा गला सूखने लगा और मेरी टाँगे कमजोर पड़ने लगी। मैंने महसूस किया की मेरी टाँगों के बिच में से मेरा स्त्री रस रिसना शुरू हो गया। मेरी निप्पलं फूलने लगीं। पर उसके शब्द याद आते ही मरे मन में गुस्से की ज्वाला भड़क उठी। योग ने मेरा हाल देखा। वह मेरे करीब आये और उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ा। मैं थोड़ी लड़खड़ा गयी तो उन्होंने मुझे कमर से पकड़ा और मैं उनकी बाँहों में झूलती रह गयी। मेरा चेहरा उनके चेहरे के बराबर सामने था। उनकी आँखें मेरी आँखों में झांक रही थीं। हमारे होँठ लगभग चुम्बन की स्थिति में ही थे। शायद मेरी भाव भंगिमा से वह समझ गए थे की जब उन्हों ने मुझे चोदने की बात कही तो मैं नर्वस हो गयी थी। हम दोनों उसी पोज़ में कुछ देर तक खड़े रहे। मैं योग के कार्य कलाप से कुछ अचंभित थी। 

तब अचानक ही योगने एक हाथ से मेरे एक स्तन को मेरे ब्लाउज के उपर से ही अपने हाथ में पकड़ा और उसे दबाने लगे। फिर उन्होंने अपना मुंह निचे किया और मेरे होठोँ से होँठ मिलाकर मुझे चुम्बन करना चाहा। मैं इस अशिष्ट पर आकर्षक मर्द के ऐसे बेधड़क दुस्साहस से हैरान रह गयी। मेरे दिमाग का एक हिस्सा मेरे बदन को योग की बाहों में लिपट कर उसे चुम्बन करना चाहता था, पर दुसरा हिंसा चिल्ला चिल्ला कर योग के चंगुल से भागना चाहता था। मैंने अपने आप को सम्हाला और एक झटके से मैंने उनके हाथ मेरे बदन से हटा दिए। मैं उनसे अलग होकर कुछ व्याकुल आवाज़में बोली, "योग आप यह क्या कर रहे हैं? आप कहीं पागल तो नहीं हो गए?" यह कह कर मैं वहाँ से दूसरी और तेजी से चल पड़ी। मेरी आवाज मेरा गुस्सा कम और नर्वस ज्यादा होने की चुगली खा रही थी। अपनी घबराहट छुपाने और अधिक शर्मिंदगी से बचने के लिए मैं भागकर महिला के वाशरूम की और भागी ताकि योग मेरा पीछा ना कर सके। जब मैं आयने के सामने खड़ी हुई तो मैंने आयने में अपने चेहरे पर साफ़ साफ़ घबराहट देखि। मैं चली थी योग को उलाहना देने और बात एकदम उलटी ही हो गयी। सब के सामने मुझेही शर्मिंदगी से भागना पड़ा। मैं यह साबित करना चाहती थी की मैं एक सफल और काबिल महिला हूँ जो अपना काम भली भाँती जानती है। पर मैं ऐसा कुछ कर नहीं पायी।


वाशरूममें मैंने कुछ मेकअप सा किया और अपने आपको सम्हालने की कोशिश की। पर जब मैं बाहर निकली तो योग को वहीँ खड़े हुए पाकर मैं कुछ लड़खड़ा सी गयी। वह मेरे बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। उसे वहीँ देखकर मैं गुस्से से तिलमिला उठी। मैंने चिल्लाकर सब सुने ऐसी आवाज में कहा, "आप अपने आपको समझते क्या हो? क्या आप कामदेव हो या कोई सुपर हीरो हो जो आपके ज़रा से इशारे पर सारी महिलायें आप के कदम चूमकर आपको आपके साथ एक रात एक बिस्तर पर गुजारने के लिए मिन्नतें करेंगीं?" मैं हैरान तब रह गयी जब योग ने मेरे जवाब में बड़ी ही धीरज और शान्ति से मेरे करीब आकर मेरे कानों में कहा, "सारी औरतें नहीं, मैं मात्र एक ही औरत को अपने बिस्तर में अपने साथ सुला कर बड़े ही प्यार से चोदना चाहता हूँ। और वह तुम हो। मेरी बात मानो प्रिया, मैं सचमुच में ही तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और मैं तुमसे रात रात भर तुम्हारे साथ पलंग में चिपक कर प्यार से चोदना चाहता हूँ। मैं जानता हूँ की तुम भी वही चाहती हो। वह बात अलग है तुम इस बात को स्वीकार करना नहीं चाहती हो।" योग के इस तरह के वर्ताव से मेरी धीरज और शुशीलता अब मेरे नियत्रण से बाहर जा चुकी थी।
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चुनौती... (Complete) - by usaiha2 - 16-08-2019, 12:23 PM
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RE: चुनौती... (Complete) - by bhavna - 08-10-2020, 01:06 AM
RE: चुनौती... (Complete) - by usaiha2 - 01-08-2021, 03:53 PM



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