16-08-2019, 02:36 PM
तब मैं उनकी गोद मैं ही बैठ गयी थी। मेरे कूल्हे के निचे उनका खड़ा लण्ड दब रहा था। योग को इससे शायद परेशानी हो रही थी। योग ने मुझे कमर से पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठाया। मुझे पता नहीं चला पर अँधेरे में ही शायद योग ने मेरे स्कर्ट को ऊपर की और खिसकाया और फिर अपना लण्ड मेरी पैंटी में छिपी मेरी चूत को निशाना बनाते हुए मेर दोनों पॉंव को फैला कर बिच में रख दिया और मुझे अपने दोनों पॉंव के बीच में अपनी गोद में बिठा दिया। अगर बिच में पैंटी नहीं होती तो शायद योग का लण्ड मेरी चूत में घुस जाना तय था। बापरे! मैं तो डर और उत्तेजना के मारे काँप रही थी। ऐसा अजीबो गरीब अनुभव जिंदगी में मुझे पहले कभी नहीं हुआ था, जब डर और उन्माद का ऐसा अनूठा मिश्रण हुआ हो। एक और मैं अँधेरे में डर के मारे मरी जा रही थी, तो दूसरी और योग मुझे लिफ्ट में ही चोदने की जैसे पूरी तैयारी कर रहे थे। योग ने इस मौके का फायदा उठाते अपने दोनों हाथ मेरे स्तनों पर रखे और मेरे स्तनों को मेरे टॉप के ऊपर से ही मुझे आश्वासन देते हुए मसलने लगे
एक तरफ योग का लण्ड मेरी गीली चूत को कुरेद रहा था, तो दुसरी और उनके हाथ मेरे स्तनों को मसलने और दबाने में लगे हुए थे। मुझे उस समय अँधेरे से बिलकुल डर नहीं लग रहा था, क्यूंकि मैं जानती थी की योग मुझे इस पोजीशन में छोड़ कर कहीं नहीं जाएंगे। बस वह मुझे यही कह कर सांत्वना देते रहे की, "प्रिया डार्लिंग, डरना मत। अब जल्द ही बिजली आ जायेगी और हम जल्द ही बाहर निकल सकेंगे।" मैं सच कह रही हूँ की अगर योगने उस समय लिफ्टमें मेरी पैंटी खिसका कर अपना मोटा लंड मेरी गीली चूत में डाल दिया होता तो मैं उनका ज़रा भी विरोध नहीं करती। क्योकि शायद मैं इंतजार कर रही थी की योग ऐसा कुछ करे। मेरी साँसे धमनी की तरह फूली हुई तेज चल रही थीं। योग के हाथ मेरे स्तनों का पूरा आनंद ले रहे थे। मैं उस समय ऐसे दिखावा कर रही थी जैसे मैं एकदम डरी हुई थी और योग की हरकतों को नजर अंदाज कर रही थी और योग ऐसे दिखावा कर मेरे स्तनों को जोर से दबा रहे थे जैसे वह मुझे पकड़ रख कर मेरी सहायता कर रहे हों। शायद हम दोनों के मन में बात तो एक ही थी। पर वह दिखावा ऐसा कर रहे थे जैसे वह मुझे सांत्वना देते हुए मेरी छाती पर ढाढस देने के लिए ही अपना हाथ फैला रहे थे। योग ने अपना दुरा हाथ खीसका कर धीरे से मेरी स्कर्ट के निचे मेरी पैंटी पर रखा। वह प्यार से मेरी जाँघों को सहलाने लगे और साथ में सांत्वना के बोल, "बिलकुल डरना नहीं। मैं तुम्हारे साथ हूँ।" बोलना भूलते न थे। मैंने अँधेरे में महसूस किया की योग अपने फुले हुए कड़क लण्ड को अपने हाथमें पकड़ कर सहलाते हुए मेरी पैंटी से रगड़ रहे थे। मुझे ऐसा लगने लगा की योग अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पा रहे थे। मेरी चूत के टीले पर मेरी पैंटी के ऊपर वह अपना हाथ सहलाते तो कभी वह अप्पने लण्ड को सहलाते हुए मेरी पैंटी पर रगड़ते। मैं भी अपना आपा खोने लगी थी, की अचानक लिफ्ट में आँखें चौंधियाने वाला उजाला फ़ैल गया।
इसके पहले की योग और मैं सम्हल पाएं, लिफ्ट अगले माले पर जा रुकी और जब दरवाजा खुला तो कुछ लोग लिफ्ट का इंतजार करते हुए मुझे मेरा स्कर्ट ऊपर की और उठा हुआ और मेरी गीली पैंटी में योग की जांघों के बिच में बैठे हुए उसके लण्ड को मेरी पैंटी को टोचते हुए और योग को मेरे स्तनों को दबाते और मलते हुए देख कर आधे शर्म से और आधे शरारत से मुस्कुराने लगे। तब मैंने अपना स्कर्ट ठीक कर के राज की गोद में से उठकर फ़टाफ़ट लिफ्ट के बाहर भाग कर निकलना ही ठीक समझा।
एक तरफ योग का लण्ड मेरी गीली चूत को कुरेद रहा था, तो दुसरी और उनके हाथ मेरे स्तनों को मसलने और दबाने में लगे हुए थे। मुझे उस समय अँधेरे से बिलकुल डर नहीं लग रहा था, क्यूंकि मैं जानती थी की योग मुझे इस पोजीशन में छोड़ कर कहीं नहीं जाएंगे। बस वह मुझे यही कह कर सांत्वना देते रहे की, "प्रिया डार्लिंग, डरना मत। अब जल्द ही बिजली आ जायेगी और हम जल्द ही बाहर निकल सकेंगे।" मैं सच कह रही हूँ की अगर योगने उस समय लिफ्टमें मेरी पैंटी खिसका कर अपना मोटा लंड मेरी गीली चूत में डाल दिया होता तो मैं उनका ज़रा भी विरोध नहीं करती। क्योकि शायद मैं इंतजार कर रही थी की योग ऐसा कुछ करे। मेरी साँसे धमनी की तरह फूली हुई तेज चल रही थीं। योग के हाथ मेरे स्तनों का पूरा आनंद ले रहे थे। मैं उस समय ऐसे दिखावा कर रही थी जैसे मैं एकदम डरी हुई थी और योग की हरकतों को नजर अंदाज कर रही थी और योग ऐसे दिखावा कर मेरे स्तनों को जोर से दबा रहे थे जैसे वह मुझे पकड़ रख कर मेरी सहायता कर रहे हों। शायद हम दोनों के मन में बात तो एक ही थी। पर वह दिखावा ऐसा कर रहे थे जैसे वह मुझे सांत्वना देते हुए मेरी छाती पर ढाढस देने के लिए ही अपना हाथ फैला रहे थे। योग ने अपना दुरा हाथ खीसका कर धीरे से मेरी स्कर्ट के निचे मेरी पैंटी पर रखा। वह प्यार से मेरी जाँघों को सहलाने लगे और साथ में सांत्वना के बोल, "बिलकुल डरना नहीं। मैं तुम्हारे साथ हूँ।" बोलना भूलते न थे। मैंने अँधेरे में महसूस किया की योग अपने फुले हुए कड़क लण्ड को अपने हाथमें पकड़ कर सहलाते हुए मेरी पैंटी से रगड़ रहे थे। मुझे ऐसा लगने लगा की योग अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पा रहे थे। मेरी चूत के टीले पर मेरी पैंटी के ऊपर वह अपना हाथ सहलाते तो कभी वह अप्पने लण्ड को सहलाते हुए मेरी पैंटी पर रगड़ते। मैं भी अपना आपा खोने लगी थी, की अचानक लिफ्ट में आँखें चौंधियाने वाला उजाला फ़ैल गया।
इसके पहले की योग और मैं सम्हल पाएं, लिफ्ट अगले माले पर जा रुकी और जब दरवाजा खुला तो कुछ लोग लिफ्ट का इंतजार करते हुए मुझे मेरा स्कर्ट ऊपर की और उठा हुआ और मेरी गीली पैंटी में योग की जांघों के बिच में बैठे हुए उसके लण्ड को मेरी पैंटी को टोचते हुए और योग को मेरे स्तनों को दबाते और मलते हुए देख कर आधे शर्म से और आधे शरारत से मुस्कुराने लगे। तब मैंने अपना स्कर्ट ठीक कर के राज की गोद में से उठकर फ़टाफ़ट लिफ्ट के बाहर भाग कर निकलना ही ठीक समझा।