16-08-2019, 02:35 PM
योग की कटार सी तीखी नजरें देखते ही मेरी हालत लड़खड़ा जाने लगी। उनकी कामुक नजर मेरे बदन पर पड़ते ही मेरे पुरे बदन में एक कम्पन सी होने लगती। अब मैं भी उनसे अकेले में मिलने के बेताब होने लगी थी। और मुझे ऐसे कुछ मौके अनायास मिल भी गए। ख़ास तौर से मैं उस सुबह को नहीं भूल सकती जब मुझे ऑफिस पहुँचने में थोड़ी देर हो गयी थी। भागते भागते मैं जब लिफ्ट में दाखिल हुई तो योगराज अकेले वहाँ पहले से ही खड़े थे। मैंने उन्हें "हेलो" कहा और उन्होंने भी थोड़ा सा मुस्का कर मुझे "हाई प्रिया!" कहा। मुझे साफ़ साफ़ याद है की उस दिन मैंने काला स्कर्ट और लूस सफ़ेद टॉप पहन रखा था। मेरे लिफ्ट में दाखिल होते ही लिफ्ट का दरवाजा बंद हुआ। लिफ्ट में मैं और योगराज ही थे। थोड़ा चलते ही अचानक बिजली गुल हो गयी और लिफ्ट में अन्धेरा हो गया। लिफ्ट बीच में ही रुक गयी। अँधेरा होते ही मेरी हालत खराब हो गयी। मेरी साँस घुटने लगी। मैं एकदम मारे डरके घबड़ा उठी और बिना सोचे समझे योगराज को अँधेरे में ढूंढने लगी और उनके बदन को छूते ही हाथ फैला कर उनको पकड़ कर अपने करीब लाने की कोशिश करने लगी। मेरी इस तरह की हरकतें देखकर योगराज भी बड़े अचम्भे में पड़े होंगे। पर मुझ में यह सब सोचने की क्षमता कहाँ थी? मैं तो अँधेरे के डर के मारे चिल्ला उठी, "योग, मुझे बचा लो। मुझे अपनी बाहों में लेलो। छोड़ना मत। मुझे अँधेरे से बहुत डर लगता है। मेरा दम घुट रहा है। तुम कहाँ हो?" यह कह कर मैं उनके बदन पर हाथ फिराने लगी, जिससे मुझे उनका हाथ मिले और उन हाथों के बंधन में मैं बँध जाऊं। उनके लिए तो यह एक सुनहरा मौक़ा था। उनके बदन पर घूम रहे मेरे हाथ को योग ने धीरे से पकड़ कर जैसे अनजाने में ही अपने दो पाँवों के बिच में रख दिया। उनकी पतलून में लटकता हुआ उनका आधा कड़क लण्ड मेरे हाथ में अनायास ही आ गया। मैंने अपने हाथ में योग का लण्ड लिया और उसे महसूस किया। बापरे! उनका आधा ही खड़ा लण्ड भी कितना लंबा और मोटा था यह मैंने बिच में कपड़ा होते हुए भी महसूस किया। मेरे पुरे बदन में एक सिहरन फ़ैल गयी।
मेरी गभराहट देख कर योगराज ने मुझे अपनी बाँहों में खिंच लिया और बोले, "बिलकुल चिंता मत करो प्रिया (मेरा नाम) डार्लिंग, मैं कहीं नहीं जाऊंगा। मैं यहीं हूँ।" उनका हाथ मैंने मेरी कमर के घिरावे पर रखा। उस समय मैं डर से कम और उन्माद भरी उत्तेजना से ज्यादा प्रभावित थी। मैं योग के लण्ड को अनजाने में अनायास ही कुछ देर तक सहलाती रही। मैं फिर यह सोच कर घबरा गयी की कहीं योग मेरे ऐसा करने को मेरी सम्मति ना मान ले। यदि उसे ज़रा सी भी भनक पड़ गयी की मैं भी योग से चुदवाने के लिए तैयार हूँ तो उसको मेरे स्कर्ट को ऊपर उठा कर और मेरी पैंटी को निचे खिसका कर अपनी पतलून की ज़िप खोल कर अपना मोटा लंड मेरी चूत में घुसेड़ने में कोई वक्त नहीं लगेगा। और अगर ऐसा हुआ तो वह मुझे वहीँ लिफ्ट में ही पकड़ कर चोदने लग जाएगा। फिर मैं भी उसे रोक भी नहीं पाउंगी। डर के मारे फ़ौरन मैंने अपना हाथ योग के लण्ड के ऊपर से हटा दिया। मुझे इतना करीब पाकर और ऐसी हरकतें करते हुए महसूस करने पर योग का लण्ड खड़ा हो जाना स्वाभाविक ही था। मेरे उन्नत उरोज उनकी चौड़ी छाती को रगड़ रहे थे। उनका लण्ड एकदम ना सिर्फ खड़ा हो गया बल्कि ऊँचा उठते हुए मेरे दो पॉंव के बिच में टक्कर मारने लगा। जैसे ही मैंने उनके खड़े लण्ड को मेरे पाँव के बिच में महसूस किया की मेरे बदन में डर की जगह उत्तेजना भरी काम की ज्वाला फ़ैल गयी।
मैं उनको जैसे कस कर दबा रही थी तो वह भी तो थोड़े टेढ़े हो कर उनके हाथ मेरी गाँड़ की गोलाई पर घुमाने और मेरे कूल्हों को बड़े प्यार से सेहला ने लगे। उनके टेढ़े होने से उनका लण्ड सीधा ही मेरी चूत में मेरे कपड़ों के बिच में से टोचने लगा। इस का अनुभव होते ही मेरी चूत में से जैसे मेरे स्त्री रस की धारा बहने लगी। तब शायद योगराज को ध्यान आया की उन्होंने अलार्म बटन तो दबाया ही नहीं था। वह मुझे थोड़ा बाजु में खिसकाते हुए बोले, "रुको, मैं ज़रा अलार्म बटन दबाता हूँ।" यह कह कर खिसक कर बटन दबाने के लिए उन्होंने हाथ बढ़ाया और वह अँधेरे में अलार्म का बटन ढूंढने लगे। उनके हटने से मैं एकदम डर गयी। पता नहीं, शायद मेरे मन की गहराईयों में मैं नहीं चाहती थी की वह अलार्म बटन दबाये जिससे की लिफ्ट के दरवाजे जल्दी से खुल जाए और हम बाहर निकल पाएं। मैं घूम गयी और उनका हाथ पकड़ कर अपने सीने से चिपका कर बोली, "नहीं, आप कहीं भी नहीं जाएंगे। मुझसे ज़रा भी दूर मत जाइये।" मैंने योगराज के बदन को मेरे पिछवाड़े से धक्का मार कर लिफ्ट की दिवार के साथ सटा दिया और उनके बदन को कस कर दबा कर खड़ी हो गयी।
तब मेरी गाँड़ उनके खड़े हुए लण्ड को दबा रही थी। उनके दोनों हाथ मेरी छाती पर मेरे उन्नत फुले हुए दो पके हुए आम के फल सामान मेरे स्तनों को जकड़े हुए थे।
इसी हफरा तफ़री में योग निचे फर्श पर फिसल पड़े। क्यूंकि हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड रखा था तो मैं भी उनके साथ फर्श पर फिसल पड़ी। ।
मेरी गभराहट देख कर योगराज ने मुझे अपनी बाँहों में खिंच लिया और बोले, "बिलकुल चिंता मत करो प्रिया (मेरा नाम) डार्लिंग, मैं कहीं नहीं जाऊंगा। मैं यहीं हूँ।" उनका हाथ मैंने मेरी कमर के घिरावे पर रखा। उस समय मैं डर से कम और उन्माद भरी उत्तेजना से ज्यादा प्रभावित थी। मैं योग के लण्ड को अनजाने में अनायास ही कुछ देर तक सहलाती रही। मैं फिर यह सोच कर घबरा गयी की कहीं योग मेरे ऐसा करने को मेरी सम्मति ना मान ले। यदि उसे ज़रा सी भी भनक पड़ गयी की मैं भी योग से चुदवाने के लिए तैयार हूँ तो उसको मेरे स्कर्ट को ऊपर उठा कर और मेरी पैंटी को निचे खिसका कर अपनी पतलून की ज़िप खोल कर अपना मोटा लंड मेरी चूत में घुसेड़ने में कोई वक्त नहीं लगेगा। और अगर ऐसा हुआ तो वह मुझे वहीँ लिफ्ट में ही पकड़ कर चोदने लग जाएगा। फिर मैं भी उसे रोक भी नहीं पाउंगी। डर के मारे फ़ौरन मैंने अपना हाथ योग के लण्ड के ऊपर से हटा दिया। मुझे इतना करीब पाकर और ऐसी हरकतें करते हुए महसूस करने पर योग का लण्ड खड़ा हो जाना स्वाभाविक ही था। मेरे उन्नत उरोज उनकी चौड़ी छाती को रगड़ रहे थे। उनका लण्ड एकदम ना सिर्फ खड़ा हो गया बल्कि ऊँचा उठते हुए मेरे दो पॉंव के बिच में टक्कर मारने लगा। जैसे ही मैंने उनके खड़े लण्ड को मेरे पाँव के बिच में महसूस किया की मेरे बदन में डर की जगह उत्तेजना भरी काम की ज्वाला फ़ैल गयी।
मैं उनको जैसे कस कर दबा रही थी तो वह भी तो थोड़े टेढ़े हो कर उनके हाथ मेरी गाँड़ की गोलाई पर घुमाने और मेरे कूल्हों को बड़े प्यार से सेहला ने लगे। उनके टेढ़े होने से उनका लण्ड सीधा ही मेरी चूत में मेरे कपड़ों के बिच में से टोचने लगा। इस का अनुभव होते ही मेरी चूत में से जैसे मेरे स्त्री रस की धारा बहने लगी। तब शायद योगराज को ध्यान आया की उन्होंने अलार्म बटन तो दबाया ही नहीं था। वह मुझे थोड़ा बाजु में खिसकाते हुए बोले, "रुको, मैं ज़रा अलार्म बटन दबाता हूँ।" यह कह कर खिसक कर बटन दबाने के लिए उन्होंने हाथ बढ़ाया और वह अँधेरे में अलार्म का बटन ढूंढने लगे। उनके हटने से मैं एकदम डर गयी। पता नहीं, शायद मेरे मन की गहराईयों में मैं नहीं चाहती थी की वह अलार्म बटन दबाये जिससे की लिफ्ट के दरवाजे जल्दी से खुल जाए और हम बाहर निकल पाएं। मैं घूम गयी और उनका हाथ पकड़ कर अपने सीने से चिपका कर बोली, "नहीं, आप कहीं भी नहीं जाएंगे। मुझसे ज़रा भी दूर मत जाइये।" मैंने योगराज के बदन को मेरे पिछवाड़े से धक्का मार कर लिफ्ट की दिवार के साथ सटा दिया और उनके बदन को कस कर दबा कर खड़ी हो गयी।
तब मेरी गाँड़ उनके खड़े हुए लण्ड को दबा रही थी। उनके दोनों हाथ मेरी छाती पर मेरे उन्नत फुले हुए दो पके हुए आम के फल सामान मेरे स्तनों को जकड़े हुए थे।
इसी हफरा तफ़री में योग निचे फर्श पर फिसल पड़े। क्यूंकि हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड रखा था तो मैं भी उनके साथ फर्श पर फिसल पड़ी। ।