16-08-2019, 12:42 PM
मैंने अजित से कहा, "अजित यह तुम क्या कर रहे हो? यह ठीक नहीं है। मुझे छोड़ दो।"
अजित ने कहा, "फिर वही छोड़ दो? मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं, मैं तुम्हें चोदुँगा। तुम भी तो यही चाहती हो ना?"
अजित ने मेरे मन की बात कैसे समझ ली यह मैं नहीं जानती? पर यह सच था की मैं भी अजित की खुरदरी और कर्कश भाषा से ज्यादा उत्तेजि हो रही थी। मैं चाहती थी की उस रात अजित मुझे ऐसे गालियाँ और गन्दी भाषा का प्रयोग करे और ऐसे चोदे जैसे मैं अपनी जिंदगी में कभी नहीं चुदी। मैंने कई देसी पोर्न वेब साइट में मर्दों को औरतों को गालियां और अपमान जनक शब्द प्रयोग करते हुए चोदते हुए देखा और पढ़ा था। इससे मैं उत्तेजित हो जाती थी और ऐसा कभी मेरे साथ भी हो यह सोचकर कल्पना में खो जाती थी। उस समय मेरी जाँघों के बिच में से इतना रस झरने लगता था और मेरी निप्पलेँ ऐसी फूल जाती थीं की मैं नहीं बता सकती। मेरे पके स्तनों और फूली हुई निप्पलोँ का स्पर्श अजित को पागल कर रहा था। मुझे इतने कस के बदन से चिपका ने के कारण जब अजित के पुरे बदन में कम्पन हुई सो मैंने भी महसूस की। मैंने देखा की अजित मेरे स्तनोँ को घूर घूर कर देख रहा था।
पतले गीले कपडे में से मेरे स्तन उसे साफ़ साफ़ दिख रहे होंगे। जरूर मेरी फूली हुई निप्पलेँ मेरे हाल की चुगली कर रही होंगीं। मैंने मेरे बदन में महसूस किया की अजित का लण्ड फुलता जा रहा था जो की मेरे जाँघों के बिच टक्कर मार रहा था। उसकी आँखों में कामुकता का पागलपन था जो साफ़ साफ़ संकेत दे रहा था की वह मुझे चोदे बगैर छोड़ेगा नहीं। अजित ने मेरी चिबुक अपनी उँगलियों में पकड़ी और मेरी गर्दन ऊपर की मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोला, "मेरी बीबी मेरे भाई के लण्ड से खुश है और उससे चुदवा रही है। तुम्हारा पति उसकी सेक्रेटरी की चूत से खुश है और उसे चोद रहा है। फिर ऐसा करते हुए भला हमें अपने आपको दोषी क्यों समझना चाहिए? मैं और तुम क्यों ना एक दूसरे को चोद कर अपनी वासना की पूर्ति करें और उन सब को दिखा दें की हम भी कुछ कम नहीं।"
मैंने अजित से कहा, "वह सब छोडो और आप यहां से जाओ। देखो, यह ठीक नहीं है। मैं एक शादी शुदा औरत हूँ और तुम भी तो शादी शुदा हो?"
"क्या मेरी बीबी शादी शुदा नहीं है? क्या तुम्हारा पति शादी शुदा नहीं है? फिर वह क्यों दूसरे की चुदाई करने में लगे हुए हैं? क्या यह कानून तुम पर और मुझ पर ही लागू होता है? उन पर नहीं होता?" अजित ने मुझे पूछा।
मैंने कहा, "मैं यह सब नहीं जानती। पर तुम कुछ भी ऐसा नहीं करोगे बस, मैंने कह दिया तो कह दिया।"
तब मैंने अजित के चेहरे पर निराशा का भाव देखा। मैं मेरे दिल और दिमाग के बिच हो रहे संघर्ष से परेशान थी। मैंने अपनी नज़रे झुका दी। अजित ने फिर मेरी ठुड्डी पकड़ कर ऊपर उठायी और आँखों में आँखें डाल कर बोला, "प्रिया मैं जानता हूँ तुम मेरे लण्ड के लिए तरस रही हो। आज इसी लिए मैंने तुम्हें फ़ोन नहीं किया और तुम्हारे घर में घुस आया ताकि तुम्हें ना बोलने का मौक़ा नहीं मिले l क्यूंकि मैं जानता था की तुम्हारी इच्छा क्या है। पर मैं तुमपर कोई जबरदस्ती नहीं करना चाहता। मैं तुम्हारे मुंह से "हाँ या ना" सुनना चाहता हूँ। बोलो हाँ या ना?"
मैंने अजित की आँखों में आँखें मिलाई और फिर अपनी गर्दन झुका दी और कुछ नहीं बोली। मैंने सोचा मेरे नजरें झुकाने से अजित समझ जाएगा की मुझे उससे चुदवाने में कोई आपत्ति नहीं थी। पर मुझे लगा अजित मेरे मुंह से हाँ कहलवाना चाहता था। मैं भी तो भारतीय नारी थी। मैं अपने मुंह से कहाँ हाँ कहने वाली थी?
अजित ने फिर मेरी गर्दन ऊपर की और उठाई और मेरी और तीखी नजर से जब देखा तो मैंने कहा, "अरे छोडो भी। मैं क्यों हाँ कहूं? तुमने मुझे कोई रोड छाप वेश्या समझ रखा है? मेरी और ऐसी नजर से ना देखो। और दूसरी बात, तुम कठोर और खुरदरे ही अच्छे लगते हो। यह शहर की नकली सभ्यता तुन्हें जँचती नहीं है। तुम्हें मेरे साथ नकली सभ्यता से बात करने की जरुरत नहीं है। तुम्हारी बीबी ने तुम्हारे साथ धोखा किया है ना? तो मुझे तुम अपनी बीबी समझ कर खूब गालियाँ दो। मैं भी तुम्हें आज रात अपना पति समझ कर खूब गालियाँ दूंगी। इससे हमारा मन भी हल्का हो जाएगा।"
अजित ने कहा, "फिर वही छोड़ दो? मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं, मैं तुम्हें चोदुँगा। तुम भी तो यही चाहती हो ना?"
अजित ने मेरे मन की बात कैसे समझ ली यह मैं नहीं जानती? पर यह सच था की मैं भी अजित की खुरदरी और कर्कश भाषा से ज्यादा उत्तेजि हो रही थी। मैं चाहती थी की उस रात अजित मुझे ऐसे गालियाँ और गन्दी भाषा का प्रयोग करे और ऐसे चोदे जैसे मैं अपनी जिंदगी में कभी नहीं चुदी। मैंने कई देसी पोर्न वेब साइट में मर्दों को औरतों को गालियां और अपमान जनक शब्द प्रयोग करते हुए चोदते हुए देखा और पढ़ा था। इससे मैं उत्तेजित हो जाती थी और ऐसा कभी मेरे साथ भी हो यह सोचकर कल्पना में खो जाती थी। उस समय मेरी जाँघों के बिच में से इतना रस झरने लगता था और मेरी निप्पलेँ ऐसी फूल जाती थीं की मैं नहीं बता सकती। मेरे पके स्तनों और फूली हुई निप्पलोँ का स्पर्श अजित को पागल कर रहा था। मुझे इतने कस के बदन से चिपका ने के कारण जब अजित के पुरे बदन में कम्पन हुई सो मैंने भी महसूस की। मैंने देखा की अजित मेरे स्तनोँ को घूर घूर कर देख रहा था।
पतले गीले कपडे में से मेरे स्तन उसे साफ़ साफ़ दिख रहे होंगे। जरूर मेरी फूली हुई निप्पलेँ मेरे हाल की चुगली कर रही होंगीं। मैंने मेरे बदन में महसूस किया की अजित का लण्ड फुलता जा रहा था जो की मेरे जाँघों के बिच टक्कर मार रहा था। उसकी आँखों में कामुकता का पागलपन था जो साफ़ साफ़ संकेत दे रहा था की वह मुझे चोदे बगैर छोड़ेगा नहीं। अजित ने मेरी चिबुक अपनी उँगलियों में पकड़ी और मेरी गर्दन ऊपर की मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोला, "मेरी बीबी मेरे भाई के लण्ड से खुश है और उससे चुदवा रही है। तुम्हारा पति उसकी सेक्रेटरी की चूत से खुश है और उसे चोद रहा है। फिर ऐसा करते हुए भला हमें अपने आपको दोषी क्यों समझना चाहिए? मैं और तुम क्यों ना एक दूसरे को चोद कर अपनी वासना की पूर्ति करें और उन सब को दिखा दें की हम भी कुछ कम नहीं।"
मैंने अजित से कहा, "वह सब छोडो और आप यहां से जाओ। देखो, यह ठीक नहीं है। मैं एक शादी शुदा औरत हूँ और तुम भी तो शादी शुदा हो?"
"क्या मेरी बीबी शादी शुदा नहीं है? क्या तुम्हारा पति शादी शुदा नहीं है? फिर वह क्यों दूसरे की चुदाई करने में लगे हुए हैं? क्या यह कानून तुम पर और मुझ पर ही लागू होता है? उन पर नहीं होता?" अजित ने मुझे पूछा।
मैंने कहा, "मैं यह सब नहीं जानती। पर तुम कुछ भी ऐसा नहीं करोगे बस, मैंने कह दिया तो कह दिया।"
तब मैंने अजित के चेहरे पर निराशा का भाव देखा। मैं मेरे दिल और दिमाग के बिच हो रहे संघर्ष से परेशान थी। मैंने अपनी नज़रे झुका दी। अजित ने फिर मेरी ठुड्डी पकड़ कर ऊपर उठायी और आँखों में आँखें डाल कर बोला, "प्रिया मैं जानता हूँ तुम मेरे लण्ड के लिए तरस रही हो। आज इसी लिए मैंने तुम्हें फ़ोन नहीं किया और तुम्हारे घर में घुस आया ताकि तुम्हें ना बोलने का मौक़ा नहीं मिले l क्यूंकि मैं जानता था की तुम्हारी इच्छा क्या है। पर मैं तुमपर कोई जबरदस्ती नहीं करना चाहता। मैं तुम्हारे मुंह से "हाँ या ना" सुनना चाहता हूँ। बोलो हाँ या ना?"
मैंने अजित की आँखों में आँखें मिलाई और फिर अपनी गर्दन झुका दी और कुछ नहीं बोली। मैंने सोचा मेरे नजरें झुकाने से अजित समझ जाएगा की मुझे उससे चुदवाने में कोई आपत्ति नहीं थी। पर मुझे लगा अजित मेरे मुंह से हाँ कहलवाना चाहता था। मैं भी तो भारतीय नारी थी। मैं अपने मुंह से कहाँ हाँ कहने वाली थी?
अजित ने फिर मेरी गर्दन ऊपर की और उठाई और मेरी और तीखी नजर से जब देखा तो मैंने कहा, "अरे छोडो भी। मैं क्यों हाँ कहूं? तुमने मुझे कोई रोड छाप वेश्या समझ रखा है? मेरी और ऐसी नजर से ना देखो। और दूसरी बात, तुम कठोर और खुरदरे ही अच्छे लगते हो। यह शहर की नकली सभ्यता तुन्हें जँचती नहीं है। तुम्हें मेरे साथ नकली सभ्यता से बात करने की जरुरत नहीं है। तुम्हारी बीबी ने तुम्हारे साथ धोखा किया है ना? तो मुझे तुम अपनी बीबी समझ कर खूब गालियाँ दो। मैं भी तुम्हें आज रात अपना पति समझ कर खूब गालियाँ दूंगी। इससे हमारा मन भी हल्का हो जाएगा।"