16-08-2019, 12:37 PM
मैं कहनी वाली थी की जब तुमने कह ही दिया है तो अब तो मैं जरूर चक्कर चलाऊंगी। पर मैं चुप रही। मैंने तय किया की मैं जरूर चक्कर चलाऊंगी और फिर अपने पति को माकूल जवाब दूंगी की ना सिर्फ मेरा चक्कर चल रहा था पर मैं उससे चुदवा भी रही थी। मरे पति की उस बात ने मेरी जिंदगी पलट कर रख दी। उस रात तक मैं व्याह के पवित्र वचनों में पूरा विश्वास रखती थी। मैं मानती थी की पर पुरुष से चोरी छुपकर सेक्स करना एक पाप है और उससे भी कहीं ज्यादा वह पति पत्नी के अटूट पर नाजुक बंधन पर गहरा घाव करता है। कोई बंधन अटूट तब तक रहता है जब तक उस पर अविश्वास का घाव ना लगे। मेरे पति ने किसी औरत को चोदा, यह मेरे लिए इतना कटु नहीं था जितना उनका झूठ बोलना। वह किसी औरत के साथ रंगरेलियाँ मनाये उसको भी मैं बर्दाश्त कर लेती, उन्होंने मुझसे झूठ बोला उसको भी मैं झेल लेती, पर उससे भी ज्यादा तो यह था की उन्होंने मुझ पर इल्जाम लगाया की मैं भी उनकी तरह किसी और मर्द से चुदवा रही थी। वह तो हद ही हो गयी।
यदि उन्होंने ने मुझे पहले से कहा होता की "डार्लिंग मुझसे चुदाई किये बिना रहा नहीं जाता और मैं एक औरत को चोदना चाहता हूँ; तो मैं शायद थोड़ा ना नुक्कड़ कर मान भी जाती। पर पकडे जाने के बाद बहाने बाजी करना, झूठ बोलकर उसे छिपाने की कोशिश करना और फिर अपनी पतिव्रता पत्नी पर ही इल्जाम लगाना यह मेरे लिए असह्य बन रहा था। मैं उस रात समझ गयी की व्याह के समय दिए गए वचन, कस्मे और वादे सिर्फ शब्द ही थे जिन्हें ज्यादा गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं थी। पर हाँ साथ साथ मुझे तब एक राहत भी महसूस हुई। मुझे भी तो चुदाई की जरुरत थी। कई रातों अकेले में मैं कोई कड़क लण्ड की जगह एक केले को लेकर उसे अपनी चूत में डालकर उसे रगड़ कर आनंद लेने की कोशिश करते परेशान हो गयी थी। मुझे मेरे पति पर तरस भी आया। वह बेचारे एक रात भी मेरे बगैर नहीं रह सकने वाले इतनी सारी रातें किसी को चोदे बिना कैसे रह सकते थे? मैं समझ गयी की मेरे पति मुझ पर शक कर एक खुली शादी की और इशारा कर रहे थे। एक ऐसी शादी जिसमें पति अथवा पत्नी एक साथ शादी के बंधन में रहते हुए भी, जब भी उन्हें किसी को चोदने का या फिर किसी से चुदवाने का कोई मौक़ा मिले और अगर उन्हें ऐसा करना मन करे तो वह कोई बंधन में बंधे बिना उनको चोद सकते हैं या फिर उनसे चुदवा सकते हैं। अगर वह ऐसा सोचते थे तो मुझे भी उसमें कोई बुराई नहीं लगी; क्यूंकि आखिर कोई भी वीर्यवान पुरुष और कामातुर स्त्री चुदाई के बगैर कितने दिन रह सकते हैं?
यदि उन्होंने ने मुझे पहले से कहा होता की "डार्लिंग मुझसे चुदाई किये बिना रहा नहीं जाता और मैं एक औरत को चोदना चाहता हूँ; तो मैं शायद थोड़ा ना नुक्कड़ कर मान भी जाती। पर पकडे जाने के बाद बहाने बाजी करना, झूठ बोलकर उसे छिपाने की कोशिश करना और फिर अपनी पतिव्रता पत्नी पर ही इल्जाम लगाना यह मेरे लिए असह्य बन रहा था। मैं उस रात समझ गयी की व्याह के समय दिए गए वचन, कस्मे और वादे सिर्फ शब्द ही थे जिन्हें ज्यादा गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं थी। पर हाँ साथ साथ मुझे तब एक राहत भी महसूस हुई। मुझे भी तो चुदाई की जरुरत थी। कई रातों अकेले में मैं कोई कड़क लण्ड की जगह एक केले को लेकर उसे अपनी चूत में डालकर उसे रगड़ कर आनंद लेने की कोशिश करते परेशान हो गयी थी। मुझे मेरे पति पर तरस भी आया। वह बेचारे एक रात भी मेरे बगैर नहीं रह सकने वाले इतनी सारी रातें किसी को चोदे बिना कैसे रह सकते थे? मैं समझ गयी की मेरे पति मुझ पर शक कर एक खुली शादी की और इशारा कर रहे थे। एक ऐसी शादी जिसमें पति अथवा पत्नी एक साथ शादी के बंधन में रहते हुए भी, जब भी उन्हें किसी को चोदने का या फिर किसी से चुदवाने का कोई मौक़ा मिले और अगर उन्हें ऐसा करना मन करे तो वह कोई बंधन में बंधे बिना उनको चोद सकते हैं या फिर उनसे चुदवा सकते हैं। अगर वह ऐसा सोचते थे तो मुझे भी उसमें कोई बुराई नहीं लगी; क्यूंकि आखिर कोई भी वीर्यवान पुरुष और कामातुर स्त्री चुदाई के बगैर कितने दिन रह सकते हैं?