16-08-2019, 12:34 PM
जब तक अजित था तो सुबह मेट्रो में जाते समय घर से निकलते ही पता नहीं क्यों, मुझमें अजीब सी ऊर्जा आती थी और मेरे पॉंव अजित को मिलने की आश में दौड़ने लगते थे। अजित के जाने से वह ऊर्जा गायब हो गयी। अब मेरे पति के बिना मेरी रातें और अजित के बिना मेरी सुबह सुनी हो गयी। ऑफिस में दिन तो गुजर जाता था पर घरमें वापस आने के बाद अकेलेपन में रात गुजारना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल था। पति के बाहर रहने से मुझे जातीय कामना की असंतुष्टि और अँधेरे के डर के मारे बड़ी बेचैनी हो रही थी। पर मैं उसे बड़ी हिम्मत से झेल रही थी।
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कुछ दिनों के बाद पति से फोन पर बात करना भी मुश्किल हो गया। मैं जब भी फ़ोन करती, मेरे पति यह कह कर जल्दी में फ़ोन काट देते की वह मीटिंग में हैं। मेरी समझ में यह नहीं आ रहा था की इतनी रात गए कौनसी मीटिंग चल रही होगी? पहले तो कभी ऐसा नहीं होता था। मुझे शक होने लगा की हो ना हो मेरे पति का शायद कोई औरत से चक्कर चल रहा था। मेरे पतिको मैं भली भाँती जानती थी। मेरे पति जैसा वीर्यवान परुष औरत की चूत के बिना इतने दिन रह सके यह बात मुझे हजम होने वाली नहीं थी। यह बात ख़ास कर उनके हेड ऑफिस बेंगलोर में होती थी। मेरा यह वहम तब पक्का हुआ जब एक रात मैंने फ़ोन मिलाया और उन्होंने कहा की वह मीटिंग में है, तो पीछे से किसी औरत की जोर से ठहाके मार कर हंसने की आवाज आयी और मैंने उस औरत बोलते हुए साफ़ साफ़ सूना की "झूठे कहीं के। अपनी बीबी को बेवकूफ बना रहे हो? तुम मीटिंग में हो या मैटिंग में?" (मैटिंग का मतलब होता है मर्द और औरत का चोदना) मेरे पति ने आगे मुझसे बात किये बिना ही तुरंत फ़ोन काट दिया।
उस रात के बाद कुछ दिनों तक ना तो मैंने फ़ोन किया ना ही मेरे पति ने। मेरी रातों की नींद हराम हो गयी। सारी सारी रात भर मैं कमरे में बत्ती जला कर बैठी रहती और अपनी किस्मत को कोसती रहती थी। फिर मैंने तय किया की ऐसे तो जिंदगी जी नहीं जाती। मेर पिता जी ने मुझे बड़ी हिम्मतवान बनने की ट्रेनिंग दी थी। मैंने अपना मन पक्का किया और मेरे पति के लौटने के बाद पहली ही रात को मैंने उन्हें आड़े हाथोँ लिया। मैंने उन्हें धड़ल्ले से पूछा की "राज, सच सच बताना, तुम किसको चोद रहे थे?"
पहले तो मेरे पति इधर उधर की बातें बनाते रहे, पर जब मैंने उनसे यह कहा की, "देखो, पानी अब सर से ऊपर जा रहा है। मैं भली भाँती जानती हूँ की उस रात तुम कोई औरत को जरूर चोद रहे थे। वह मैंने उस औरत के मुंह से साफ़ साफ़ सूना था। अब छुपाने से कोई लाभ नहीं। मैं तुमसे इस लिए इतनी नाराज नहीं हूँ की तुम उस औरत को चोद रहे थे l मैं जानती हूँ की तुमसे चूत को चोदे बगैर ज्यादा दिन रहा नहीं जा सकता। मैं इसलिए ज्यादा नाराज हूँ की तुम यह बात मुझसे छुपाते रहे। अगर तुम मुझसे नहीं छुपाते और अपना गुनाह कुबूल कर लेते तो मैं तुम्हें माफ़ भी कर देती। अब साफ़ साफ़ बता दो वरना मैं इसी वक्त यह घर छोड़ कर जा रही हूँ। मैं तुम्हें तलाक का नोटिस मेरे वकील के द्वारा भिजवा दूंगी। अगर तुमने अभी मान लिया की तुम कोई औरत को चोद रहे थे, तो मैं तुम्हें माफ़ भी कर सकती हूँ।"
राज ने जब यह सूना तो उसकी सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। उसकी आँखें नम हो गयी। वह थोड़ी देर चुप रहा और फिर मेरा हाथ पकड़ कर बोला, "प्रिया डार्लिंग, देखो तुमने वचन दिया है की तुम मुझे माफ़ कर दोगी तो मैं बताता हूँ की मैं उस समय अपनी सेक्रेटरी के साथ था।"
मैंने पूछा, "साफ़ साफ क्यों नहीं कहते की तुम अपनी सेक्रेटरी को चोद रहे थे?" तब मेरे पति ने अपनी मुंडी हिलाकर हामी भरी। मेरे पति की बात सुनकर मैं तिलमिला उठी। मुझे बड़ा ही करारा सदमा लगा। मैं भी मेरे पति के बगैर अकेली महसूस कर रही थी। मेरी चूत भी सारी रात चुदाई के बिना बेचैन हो कर मचलती रहती थी। मैंने कहा, "कमाल है! तुम चूत के बिना नहीं रह सकते? और मेरा क्या? मैं यहां तुम्हारे बिना कैसे इतने दिन गुजार रही हूँ? कभी सोचा तुमने?" तब मेरे पति ने मेरी और सहमे हुए देखा और उसके मन की बात उसके मुंह से निकल ही पड़ी।
वह बोला, "मुझे क्या पता तुम भी किसी से चुदवा नहीं रही हो? मैं जानता हूँ की तुम भी तो लौड़े के बिना रह नहीं सकती? मैं जानता हूँ की तुम्हारा एक मर्द के साथ चक्कर चल रहा है। तुम रोज उसके साथ जाती हो। सच है की नहीं? बोलो?"
मेरे पति ने अपनी कमजोरी छिपाने के लिए मुझपर इतना बड़ा इल्जाम सहज में ही लगा दिया, यह बात सुनकर मेरे पाँव के निचे से ज़मीन खिसक गयी। मैं कितनी मुश्किल से अपनी रातें गुजार रही थी। और मेरे पति ने एक ही झटके में मुझे एक पत्नी से राँड़ बना दिया! जो काम करने के बारे में मैंने सोचा भी नहीं था, उसका दोषा-रोपण बिना जाने मेरे पति ने मेरे सर पर कितनी आसानी से मँढ़ दिया? वाह! यह दुनिया!! कमाल यह सब सम्बन्ध!!! अरे! आखिर शादी भी तो एक पवित्र बंधन है! कोई भला कैसे इसे इतने हलके से ले सकता है? मैंने कहा, "हाँ रोज उसके साथ जाती हूँ। पर तुमने यह कैसे सोच लिया की मेरा उस के साथ चक्कर चल रहा है? क्या हर बार कोई औरत कोई मर्द के साथ जाए तो यह मान लेना चाहिए की उनका चक्कर चल रहा है? फिर तो तुम्हारा तो सैंकड़ो औरतों के साथ चक्कर चल रहा होगा? तुम्हारा दफ्तर तो लड़कियों से भरा पड़ा है।"
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कुछ दिनों के बाद पति से फोन पर बात करना भी मुश्किल हो गया। मैं जब भी फ़ोन करती, मेरे पति यह कह कर जल्दी में फ़ोन काट देते की वह मीटिंग में हैं। मेरी समझ में यह नहीं आ रहा था की इतनी रात गए कौनसी मीटिंग चल रही होगी? पहले तो कभी ऐसा नहीं होता था। मुझे शक होने लगा की हो ना हो मेरे पति का शायद कोई औरत से चक्कर चल रहा था। मेरे पतिको मैं भली भाँती जानती थी। मेरे पति जैसा वीर्यवान परुष औरत की चूत के बिना इतने दिन रह सके यह बात मुझे हजम होने वाली नहीं थी। यह बात ख़ास कर उनके हेड ऑफिस बेंगलोर में होती थी। मेरा यह वहम तब पक्का हुआ जब एक रात मैंने फ़ोन मिलाया और उन्होंने कहा की वह मीटिंग में है, तो पीछे से किसी औरत की जोर से ठहाके मार कर हंसने की आवाज आयी और मैंने उस औरत बोलते हुए साफ़ साफ़ सूना की "झूठे कहीं के। अपनी बीबी को बेवकूफ बना रहे हो? तुम मीटिंग में हो या मैटिंग में?" (मैटिंग का मतलब होता है मर्द और औरत का चोदना) मेरे पति ने आगे मुझसे बात किये बिना ही तुरंत फ़ोन काट दिया।
उस रात के बाद कुछ दिनों तक ना तो मैंने फ़ोन किया ना ही मेरे पति ने। मेरी रातों की नींद हराम हो गयी। सारी सारी रात भर मैं कमरे में बत्ती जला कर बैठी रहती और अपनी किस्मत को कोसती रहती थी। फिर मैंने तय किया की ऐसे तो जिंदगी जी नहीं जाती। मेर पिता जी ने मुझे बड़ी हिम्मतवान बनने की ट्रेनिंग दी थी। मैंने अपना मन पक्का किया और मेरे पति के लौटने के बाद पहली ही रात को मैंने उन्हें आड़े हाथोँ लिया। मैंने उन्हें धड़ल्ले से पूछा की "राज, सच सच बताना, तुम किसको चोद रहे थे?"
पहले तो मेरे पति इधर उधर की बातें बनाते रहे, पर जब मैंने उनसे यह कहा की, "देखो, पानी अब सर से ऊपर जा रहा है। मैं भली भाँती जानती हूँ की उस रात तुम कोई औरत को जरूर चोद रहे थे। वह मैंने उस औरत के मुंह से साफ़ साफ़ सूना था। अब छुपाने से कोई लाभ नहीं। मैं तुमसे इस लिए इतनी नाराज नहीं हूँ की तुम उस औरत को चोद रहे थे l मैं जानती हूँ की तुमसे चूत को चोदे बगैर ज्यादा दिन रहा नहीं जा सकता। मैं इसलिए ज्यादा नाराज हूँ की तुम यह बात मुझसे छुपाते रहे। अगर तुम मुझसे नहीं छुपाते और अपना गुनाह कुबूल कर लेते तो मैं तुम्हें माफ़ भी कर देती। अब साफ़ साफ़ बता दो वरना मैं इसी वक्त यह घर छोड़ कर जा रही हूँ। मैं तुम्हें तलाक का नोटिस मेरे वकील के द्वारा भिजवा दूंगी। अगर तुमने अभी मान लिया की तुम कोई औरत को चोद रहे थे, तो मैं तुम्हें माफ़ भी कर सकती हूँ।"
राज ने जब यह सूना तो उसकी सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। उसकी आँखें नम हो गयी। वह थोड़ी देर चुप रहा और फिर मेरा हाथ पकड़ कर बोला, "प्रिया डार्लिंग, देखो तुमने वचन दिया है की तुम मुझे माफ़ कर दोगी तो मैं बताता हूँ की मैं उस समय अपनी सेक्रेटरी के साथ था।"
मैंने पूछा, "साफ़ साफ क्यों नहीं कहते की तुम अपनी सेक्रेटरी को चोद रहे थे?" तब मेरे पति ने अपनी मुंडी हिलाकर हामी भरी। मेरे पति की बात सुनकर मैं तिलमिला उठी। मुझे बड़ा ही करारा सदमा लगा। मैं भी मेरे पति के बगैर अकेली महसूस कर रही थी। मेरी चूत भी सारी रात चुदाई के बिना बेचैन हो कर मचलती रहती थी। मैंने कहा, "कमाल है! तुम चूत के बिना नहीं रह सकते? और मेरा क्या? मैं यहां तुम्हारे बिना कैसे इतने दिन गुजार रही हूँ? कभी सोचा तुमने?" तब मेरे पति ने मेरी और सहमे हुए देखा और उसके मन की बात उसके मुंह से निकल ही पड़ी।
वह बोला, "मुझे क्या पता तुम भी किसी से चुदवा नहीं रही हो? मैं जानता हूँ की तुम भी तो लौड़े के बिना रह नहीं सकती? मैं जानता हूँ की तुम्हारा एक मर्द के साथ चक्कर चल रहा है। तुम रोज उसके साथ जाती हो। सच है की नहीं? बोलो?"
मेरे पति ने अपनी कमजोरी छिपाने के लिए मुझपर इतना बड़ा इल्जाम सहज में ही लगा दिया, यह बात सुनकर मेरे पाँव के निचे से ज़मीन खिसक गयी। मैं कितनी मुश्किल से अपनी रातें गुजार रही थी। और मेरे पति ने एक ही झटके में मुझे एक पत्नी से राँड़ बना दिया! जो काम करने के बारे में मैंने सोचा भी नहीं था, उसका दोषा-रोपण बिना जाने मेरे पति ने मेरे सर पर कितनी आसानी से मँढ़ दिया? वाह! यह दुनिया!! कमाल यह सब सम्बन्ध!!! अरे! आखिर शादी भी तो एक पवित्र बंधन है! कोई भला कैसे इसे इतने हलके से ले सकता है? मैंने कहा, "हाँ रोज उसके साथ जाती हूँ। पर तुमने यह कैसे सोच लिया की मेरा उस के साथ चक्कर चल रहा है? क्या हर बार कोई औरत कोई मर्द के साथ जाए तो यह मान लेना चाहिए की उनका चक्कर चल रहा है? फिर तो तुम्हारा तो सैंकड़ो औरतों के साथ चक्कर चल रहा होगा? तुम्हारा दफ्तर तो लड़कियों से भरा पड़ा है।"