15-08-2019, 09:55 PM
वह मान चुकी थी कि अब उसका इन तीनो से चुदवाना ही उसकी नियत है | इसको लेकर उसके अंदर न कोई शौक था ना ही कोई डर था ना ही कोई भावना थी आखिर लंड ही तो हैं लंड चूत में ही तो जायेगें | क्या घट जायेगा मेरी चूत का अगर कुछ देर ये मुझे चोद लेगें | अब तक मैंने तो पूरी कोशिश करी इनसे बचने की कोई रास्ता नहीं है तो क्या कर सकती हूं कोई नहीं आने वाला उसे बचाने के लिए यही सोचकर उसने अपनी आंखें बंद कर ली | जग्गू को उसकी चूत चूसते हुए भी काफी देर हो गई थी रीमा का जिस्म काफी गर्म हो गया था इसी बीच रीमा ने अपनी आंखें खोली और जग्गू की तरफ झुकते हुए उसके फड़कते लंड को पकड़ लिया | जग्गू रीमा की चूत में बुरी तरह से खो चूका था उसे रीमा द्वारा इस तरह से डिस्टर्ब करना पसंद नहीं आया लेकिन रीमा के हाथ में अपना लंड देख जग्गू सीधा हो गया | रीमा कुर्सी पर बैठे बैठे ही आगे को थोडा झुकी और जग्गू के लंड को अपने मुहँ के रसीले ओंठो से जकड लिया | दोनों लड़के और जग्गू हैरान रह गए | एक लड़का उत्साह से बोला - अरे बॉस अब तो लग रहा है रीमा मैडम बुरी तरह से गर्म हो गई है |
जग्गू थोड़ा दुविधा में था, इ वो पहले ही रीमा की चूत चूसकर मस्तियाया हुआ था ऊपर से इस तरह से रीमा का उसके लंड को लेकर चूसने से उसका गुस्सा पता नहीं कहाँ फुर्र हो गया |
जग्गू - आह मैडम क्या चूसती हो लंड को, आप कमाल हो सच में कमाल हो | आह आह आह आह आह |
बाकी दोनों लड़के भी अपने लंड हिलाते हुए रीमा के पास आ गए | रीमा के मुहँ के पास अब तीन तने हुए लंड थे | एल उसके मुहँ में था और बाकि दोनों को रीमा ने अपने एक एक हाथ में लेकर मुठियाना शुरू कर दिया | उन लड़कों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतनी हसीन खूबसूरत औरत उनके लड़कों को मसल रही है | रीमा ने जग्गू के लंड को छोड़ दुसरे के लंड को चुसना शुरू कर दिया और उसके लंड को हाथ में भरकर मसलने लगी | यह सच था रीमा ने आखिर में उन तीनों लड़कों के लंडो को मुहँ में लेकर चूसना शुरू कर दिया था वह बारी-बारी से तीनों के लंड को अपने मुंह में ले रही थी और वो तीनों तो जैसे जन्नत ही पहुंच गए थे जग्गू को भी यकीन नहीं हो रहा था कि यह क्या हो रहा है उसका रीमा की चूत को चोदने का सपना पल पल दूर होता जा रहा था लेकिन अभी वो जन्औनत की सैर कर रहा था इसलिए उसके दिमाग में रीमा की चूत चोदने का कोई ख्रयाल भी नहीं आ रहा था | रीमा भी पूरी तरह से हार मानकर उन लड़कों से खेलने लगी थी उसे भी उनके लंडो से खेलने में अब मजा आने लगा था वह बारी-बारी से तीनों लड़कों को हाथ में लेकर के मुंह में लेती और अच्छे से चुस्ती थी तीनों के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी थी तीनों की हालत देखने वाली थी |
इतनी खूबसूरत हसीन मस्त औरत से लंड चुसवाने का जवानी की आग बढ़ाने का मजा ही कुछ और था | तीनो ये सब देखकर उत्तेजना के चरम पर पंहुच गए | जग्गू के मुकाबले बाकी दोनों लड़कों के लंड बड़े थे लेकिन रीमा बारी बारी से तीनों के लंड अपने मुंह में ले रही थी और इसी बीच में तीनों के लंड में अकड़न बहुत कड़क हो गई थी | तीनो में से एक लड़का बोला मैडम अब तो बस अपनी चूत खोली दो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है अब तो आप को चोदने का मन मुझे भी करने लगा है जग्गू का तो मुझे पता नहीं लेकिन मैं आप को चोदना चाहता हूं प्लीज और मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूं मैं आपके साथ कोई जबर्दस्ती नहीं करूंगा आप प्लीज इस लंड पर कुछ तरस खाओ |
रीमा - इतनी भी जल्दी क्या है , जवान हो दो तीन राउंड तो आराम से निपटा दोगे | अभी तो मेरा मन मलाई खाने का है |
लड़का - लेकिन मैडम |
रीमा उसकी बात काटती हुई बोली - चिंता क्यों करते हो, दुसरे तीसरे राउंड के लिए मै ही खड़ा करूंगी | आज अपनी जवानी जीभर के भोगोगे | ऐसा चुदाई का मजा दूँगी की जिंदगी भर नहीं भूल पावोगे | अभी मुहँ में ही निपट लो अगला राउंड चूत का होगा |
रीमा की बात सुनकर उस लडके का जोश और बढ़ गया - रीमा मैडम तो हमें आज ही पूरा स्वर्ग दिखाएंगी |
जोश जोश में उसकी उत्तेजना और बढ़ गयी | रीमा ने भी उसके लंड को कसकर चुसना शुरू कर दिया | अब उसके मुह से अनगिनत कराहे निकलने लगी | जग्गू रीमा को ऐसे लंड चूसते हुए पहले भी देख चूका था इसलिए वो हैरान नहीं था लेकिन रीमा की इस अदा पर सम्मोहित जरुर हो गया था | रीमा दोनो कसकर उस लडके का लंड चूसने लगी और अपने हाथ से मसलने लगी | वो लड़का पहले ही उत्तेजना से सरोबार था | रीमा के हाथ की सख्त जकड़न और उसके रसीले ओंठो की कसावट का मर्दन ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया | उसकी पिचकारी छुटने लगी | रीमा ने मुहँ खोल दिया और उसके सफ़ेद गाढे रस की एक एक बूँद गटक गयी | इसके बाद उसने जग्गू का लंड थाम लिया | जग्गू अभी झड़ना नहीं चाहता था |
रीमा - चूत अगले राउंड में चोदना |
जग्गू - नहीं मेरा दूसरी बार खड़ा न हुआ तो |
रीमा - मै किसलिए हूँ |
जग्गू पीछे हट गया - इसका चूस के इसकी पिचकारी छुटाओ, मै तो तुमारी चूत में ही पिचकारी छोडूंगा | मुझे बाथरूम लगी है मै निपट कर आता हूँ | जग्गू झड चुके लड़के के साथ मुतने चला गया |
रीमा ने दूसरे लड़के का लंड थाम लिया और कसकर चूसने लगी | वो लड़का भी अपनी उत्तेजना के चरम पर था | रीमा के रसीले ओंठो की सख्त मालिश ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाया | और उसकी पिचकारी भी छुटना शुरू हो गयी, रीमा उसका भी सफ़ेद रस गटक कर पी गयी | वो हांफता हुआ रीमा की कुर्सी के पास बैठ गया और रीमा की जांघ पर सर रख दिया | रीमा अब कमरे में अकेली थी और वो लड़का जो झड़ने के बाद अपनी सांसे काबू करने में लगा था | रीमा कुर्सी से उठी और तेजी से उसने जमीन पर रखी गन उठा ली | इससे पहले वो लड़का कोई हरकत कर पाता रीमा ने वो गन उसकी कनपटी पर तान दी |
इससे पहले रीमा कुछ कहती, करती बाहर से अंधाधुंध गोली चलने की आवाज सुनाई पड़ी | चार पांच बार धांय धांय रीमा के कानो में पड़ा | रीमा ने जल्दी से उस लड़के को ठीक अपने आगे किया और उसके पीछे गन लगा दी और दरवाजे की ओर को हो गयी | वो कुछ कदम ही आगे बढ़ी थी की एक आदमी चीते की तरह छलांग लगाते हुए तेजी से आया और रीमा की तरफ चार पांच गोलियां दाग दी | रीमा उस लड़के के पीछे थी इसलिए सारी गोलियां उसके सीने में पैबस्त हो गयी | एक पल को तो रीमा उसकी पीठ के पीछे छिप गयी | फिर पता नहीं कहाँ से अचानक उसमे इतनी हिम्मत आ गयी की उसने गन से लड़के की आड़ से सामने वाले पर फायर कर दिया | वो इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं था | उसे दो गोली लगी | एक गर्दन में एक सीने में | वो वही लुढ़क गया | रीमा की धड़कने तेज थी, आंखे फटी पड़ी थी कमरे में जो हुआ उसे देखकर | रीमा को खुद नहीं पता चला की उसने क्या किया कैसे किया | अभी न डरने का वक्त था न सोचने का |
रीमा डरते डरते दरवाजे के पास तक गयी | उसने गोली से घायल लड़के को ढाल बना रखा था | उसने बाहर झांककर देखा उसे कोई नहीं दिखाई दिया | तब तक लड़का मरने की कगार पर पहुँच गया था | रीमा ने लड़के को छोड़ दिया जो अपनी आखिरी सांसे गिन रहा था | रीमा जमीन पर रेगती हुई दरवाजे से बाहर निकली | वहां उसे कोई नहीं नजर आया | थोड़ी दूर पर जाकर देखा, तो जग्गू और लड़का जमीन पर पड़े है | जग्गू तो शायद मर भी गया था क्योंकि उसके गोली सीधे माथे पर लगी थी | जबकि लड़का अभी कराह रहा था | लेकिन उसे भी कई गोलियां लगी थी | रीमा को तो यकीं ही नहीं हो रहा था क्या से क्या हो गया एक पल में पलक झपकते ही | जिन जवान लड़को के खड़े लंडो से अभी कुछ देर पहले वो वासना का खेल खेल रही थी वो अभी बिलकुल निस्तेज मुरझाये पड़े थे और उनके जिस्मो की जान बस निकलने वाली ही थी |
रीमा के होश फाख्ता हो गए | अब वो क्या करे | कहाँ आकर फंस गयी | कुछ देर तक शुन्य बनकर खड़ी रही, कुछ समझ अनहि आया क्या हुआ कैसे हुआ | सामने दो जवान जिस्मो की नंगी लाशे पड़ी थी और सामने एक पूरी नंगी औरत अपने हाथ में गन लिए बिलकुल निस्तेज शुन्य बनकर खड़ी थी | रीमा उन दोनों के सूखे लंडो को एक बार देखा और फिर तेजी से अन्दर आई | उसने अपने सारे कपड़े बटोरे | गनीमत थी की जग्गू की बात न मानकर उसकी साड़ी को लड़को ने नहीं फाड़ा था | उसे झट से किसी तरह अपने चारो ओर साड़ी लपेटी और बाकि सारे कपड़े इकठे किये और अपने पेटीकोट में लपेट लिए | हाथ में गन थी | तीन लड़को की नंगी लाशे और एक हमलावर जी लाश और रीमा के साड़ी से छन छन कर दीखता उसका खूबसूरत बदन |
उसके पास तो फ़ोन भी नहीं था | आखिर कहाँ जाये किसे फ़ोन करे | काफी देर तक वही शुन्य बनी बैठी रही | बाहर घनघोर रात हो गयी थी | रीमा ने पुरे मकान का मुआयना किया | उसने बाहर के बल्ब बंद कर दिए | लड़को और जग्गू के कपड़ो में जरुरी सामान ढूढ़ने लगी | फ़ोन तो नहीं मिला लेकिन उसे एक टौर्च जरुर मिल गयी |
शाम से लेकर अब तक जो भी हुआ रीमा की सोच समझ से परे था | रीमा रात में कही जा नहीं सकती थी लेकिन यहाँ रुकना भी उसे ठीक नहीं लगा | यहाँ चार लाशे पड़ी थी, और बाहर जंगल में जंगली जानवरों का खतरा था | अपनी फूटी किस्मत पर रीमा रोने लगी | कहाँ आकर फंस गयी | पता नहीं किसी को पता भी चला होगा की मै यहाँ इस मुसीबत में फंस गयी हूँ या नहीं |
उधर जब ऑफिस बॉय रीमा की गाड़ी का पंचर बनाकर उसकी गाडी देने उसके घर गया तो कई बार बेल बजाने के बाद कोई बाहर नहीं आया | उसने फ़ोन मिलाया लेकिन वो तो स्विच ऑफ जा रहा था | उसने लैंडलाइन पर फ़ोन किया घंटी तो जा रही थी लेकिन कोई उठा नहीं रहा था | उसने हारकर अपने बॉस को ऑफिस में फ़ोन मिलाया, उसके बॉस ने रीमा के इमरजेंसी कांटेक्ट नंबर पर फ़ोन किया तो फ़ोन रोहित ने उठाया | उन्होंने रोहित को पूरी बात बताई | रोहित ने अनिल को फ़ोन मिलाया | अनिल दौड़े दौड़े रीमा के घर आये लेकिन रीमा तो यहाँ नहीं थी | उन्होंने रोहित को अपडेट दिया और रीमा की जीपीएस लोकेशन देखने लगे | उसका फ़ोन स्विच off था जीपीएस शहर के बाहरी किनारे पर एक पेट्रोल पंप के पास की बता रहा था | उसके बाद लास्ट लोकेशन शहर के उत्तर जंगल की तरफ जाने वाली सड़क का मिला | शहर के टॉप सिक्युरिटी अफसर को इत्तला कर दी गयी | वो दल बल के साथ भागे भागे आये | रीमा की लास्ट लोकेशन के आधार पर आधी रात से सिक्युरिटी रीमा को ढूढ़ने निकली | अनिल ने बताया उन्होंने एक ट्रांसमीटर रीमा के हर सैंडल में छिपा दिया है जो 24 घंटे में एक बार सिग्नल देता है | आखिर सिग्नल उसने शाम 6 बजे दिया था | अब अगला सिग्नल उनको अगली शाम को मिलेगा |
रीमा उस खंडहर मकान में बैठी सुबुकती रही | पता नहीं कब उसकी आंख लग गयी | सुबह जैसे पौ फटने को हुई रीमा की आंख खुल गयी | सर भारी हो रहा था, बदन टूट रहा था | लेकिन रीमा वहां से निकल भागी | उसे नहीं पता था कहाँ जाना है लेकिन जंगल की एक पगडण्डी पर वो बढ़ चली | बदन पर कपड़ो के नाम पर बस एक साड़ी थी और पैरो में सैंडल | रीमा बदहवास सी चली जा रही थी, उसे नहीं पता था की वो कहाँ जा रही है लेकिन उस मनहूस खंडहर से जीतनी दूर हो सके वो जाना चाहती थी | एक घंटा चलने के बाद उसे एक छोटा सा गाव दिखाई दिया | बाद में जब आगे बढ़ी तो वो गाँव कब एक छोटा सा क़स्बा ज्यादा लग रहा था | इससे पहले वो पगडण्डी पार कर वो गाव की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर आती | पीछे से किसी ने उसको चीते की फुर्ती से दबोच लिया |
जग्गू थोड़ा दुविधा में था, इ वो पहले ही रीमा की चूत चूसकर मस्तियाया हुआ था ऊपर से इस तरह से रीमा का उसके लंड को लेकर चूसने से उसका गुस्सा पता नहीं कहाँ फुर्र हो गया |
जग्गू - आह मैडम क्या चूसती हो लंड को, आप कमाल हो सच में कमाल हो | आह आह आह आह आह |
बाकी दोनों लड़के भी अपने लंड हिलाते हुए रीमा के पास आ गए | रीमा के मुहँ के पास अब तीन तने हुए लंड थे | एल उसके मुहँ में था और बाकि दोनों को रीमा ने अपने एक एक हाथ में लेकर मुठियाना शुरू कर दिया | उन लड़कों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतनी हसीन खूबसूरत औरत उनके लड़कों को मसल रही है | रीमा ने जग्गू के लंड को छोड़ दुसरे के लंड को चुसना शुरू कर दिया और उसके लंड को हाथ में भरकर मसलने लगी | यह सच था रीमा ने आखिर में उन तीनों लड़कों के लंडो को मुहँ में लेकर चूसना शुरू कर दिया था वह बारी-बारी से तीनों के लंड को अपने मुंह में ले रही थी और वो तीनों तो जैसे जन्नत ही पहुंच गए थे जग्गू को भी यकीन नहीं हो रहा था कि यह क्या हो रहा है उसका रीमा की चूत को चोदने का सपना पल पल दूर होता जा रहा था लेकिन अभी वो जन्औनत की सैर कर रहा था इसलिए उसके दिमाग में रीमा की चूत चोदने का कोई ख्रयाल भी नहीं आ रहा था | रीमा भी पूरी तरह से हार मानकर उन लड़कों से खेलने लगी थी उसे भी उनके लंडो से खेलने में अब मजा आने लगा था वह बारी-बारी से तीनों लड़कों को हाथ में लेकर के मुंह में लेती और अच्छे से चुस्ती थी तीनों के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी थी तीनों की हालत देखने वाली थी |
इतनी खूबसूरत हसीन मस्त औरत से लंड चुसवाने का जवानी की आग बढ़ाने का मजा ही कुछ और था | तीनो ये सब देखकर उत्तेजना के चरम पर पंहुच गए | जग्गू के मुकाबले बाकी दोनों लड़कों के लंड बड़े थे लेकिन रीमा बारी बारी से तीनों के लंड अपने मुंह में ले रही थी और इसी बीच में तीनों के लंड में अकड़न बहुत कड़क हो गई थी | तीनो में से एक लड़का बोला मैडम अब तो बस अपनी चूत खोली दो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है अब तो आप को चोदने का मन मुझे भी करने लगा है जग्गू का तो मुझे पता नहीं लेकिन मैं आप को चोदना चाहता हूं प्लीज और मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूं मैं आपके साथ कोई जबर्दस्ती नहीं करूंगा आप प्लीज इस लंड पर कुछ तरस खाओ |
रीमा - इतनी भी जल्दी क्या है , जवान हो दो तीन राउंड तो आराम से निपटा दोगे | अभी तो मेरा मन मलाई खाने का है |
लड़का - लेकिन मैडम |
रीमा उसकी बात काटती हुई बोली - चिंता क्यों करते हो, दुसरे तीसरे राउंड के लिए मै ही खड़ा करूंगी | आज अपनी जवानी जीभर के भोगोगे | ऐसा चुदाई का मजा दूँगी की जिंदगी भर नहीं भूल पावोगे | अभी मुहँ में ही निपट लो अगला राउंड चूत का होगा |
रीमा की बात सुनकर उस लडके का जोश और बढ़ गया - रीमा मैडम तो हमें आज ही पूरा स्वर्ग दिखाएंगी |
जोश जोश में उसकी उत्तेजना और बढ़ गयी | रीमा ने भी उसके लंड को कसकर चुसना शुरू कर दिया | अब उसके मुह से अनगिनत कराहे निकलने लगी | जग्गू रीमा को ऐसे लंड चूसते हुए पहले भी देख चूका था इसलिए वो हैरान नहीं था लेकिन रीमा की इस अदा पर सम्मोहित जरुर हो गया था | रीमा दोनो कसकर उस लडके का लंड चूसने लगी और अपने हाथ से मसलने लगी | वो लड़का पहले ही उत्तेजना से सरोबार था | रीमा के हाथ की सख्त जकड़न और उसके रसीले ओंठो की कसावट का मर्दन ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया | उसकी पिचकारी छुटने लगी | रीमा ने मुहँ खोल दिया और उसके सफ़ेद गाढे रस की एक एक बूँद गटक गयी | इसके बाद उसने जग्गू का लंड थाम लिया | जग्गू अभी झड़ना नहीं चाहता था |
रीमा - चूत अगले राउंड में चोदना |
जग्गू - नहीं मेरा दूसरी बार खड़ा न हुआ तो |
रीमा - मै किसलिए हूँ |
जग्गू पीछे हट गया - इसका चूस के इसकी पिचकारी छुटाओ, मै तो तुमारी चूत में ही पिचकारी छोडूंगा | मुझे बाथरूम लगी है मै निपट कर आता हूँ | जग्गू झड चुके लड़के के साथ मुतने चला गया |
रीमा ने दूसरे लड़के का लंड थाम लिया और कसकर चूसने लगी | वो लड़का भी अपनी उत्तेजना के चरम पर था | रीमा के रसीले ओंठो की सख्त मालिश ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाया | और उसकी पिचकारी भी छुटना शुरू हो गयी, रीमा उसका भी सफ़ेद रस गटक कर पी गयी | वो हांफता हुआ रीमा की कुर्सी के पास बैठ गया और रीमा की जांघ पर सर रख दिया | रीमा अब कमरे में अकेली थी और वो लड़का जो झड़ने के बाद अपनी सांसे काबू करने में लगा था | रीमा कुर्सी से उठी और तेजी से उसने जमीन पर रखी गन उठा ली | इससे पहले वो लड़का कोई हरकत कर पाता रीमा ने वो गन उसकी कनपटी पर तान दी |
इससे पहले रीमा कुछ कहती, करती बाहर से अंधाधुंध गोली चलने की आवाज सुनाई पड़ी | चार पांच बार धांय धांय रीमा के कानो में पड़ा | रीमा ने जल्दी से उस लड़के को ठीक अपने आगे किया और उसके पीछे गन लगा दी और दरवाजे की ओर को हो गयी | वो कुछ कदम ही आगे बढ़ी थी की एक आदमी चीते की तरह छलांग लगाते हुए तेजी से आया और रीमा की तरफ चार पांच गोलियां दाग दी | रीमा उस लड़के के पीछे थी इसलिए सारी गोलियां उसके सीने में पैबस्त हो गयी | एक पल को तो रीमा उसकी पीठ के पीछे छिप गयी | फिर पता नहीं कहाँ से अचानक उसमे इतनी हिम्मत आ गयी की उसने गन से लड़के की आड़ से सामने वाले पर फायर कर दिया | वो इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं था | उसे दो गोली लगी | एक गर्दन में एक सीने में | वो वही लुढ़क गया | रीमा की धड़कने तेज थी, आंखे फटी पड़ी थी कमरे में जो हुआ उसे देखकर | रीमा को खुद नहीं पता चला की उसने क्या किया कैसे किया | अभी न डरने का वक्त था न सोचने का |
रीमा डरते डरते दरवाजे के पास तक गयी | उसने गोली से घायल लड़के को ढाल बना रखा था | उसने बाहर झांककर देखा उसे कोई नहीं दिखाई दिया | तब तक लड़का मरने की कगार पर पहुँच गया था | रीमा ने लड़के को छोड़ दिया जो अपनी आखिरी सांसे गिन रहा था | रीमा जमीन पर रेगती हुई दरवाजे से बाहर निकली | वहां उसे कोई नहीं नजर आया | थोड़ी दूर पर जाकर देखा, तो जग्गू और लड़का जमीन पर पड़े है | जग्गू तो शायद मर भी गया था क्योंकि उसके गोली सीधे माथे पर लगी थी | जबकि लड़का अभी कराह रहा था | लेकिन उसे भी कई गोलियां लगी थी | रीमा को तो यकीं ही नहीं हो रहा था क्या से क्या हो गया एक पल में पलक झपकते ही | जिन जवान लड़को के खड़े लंडो से अभी कुछ देर पहले वो वासना का खेल खेल रही थी वो अभी बिलकुल निस्तेज मुरझाये पड़े थे और उनके जिस्मो की जान बस निकलने वाली ही थी |
रीमा के होश फाख्ता हो गए | अब वो क्या करे | कहाँ आकर फंस गयी | कुछ देर तक शुन्य बनकर खड़ी रही, कुछ समझ अनहि आया क्या हुआ कैसे हुआ | सामने दो जवान जिस्मो की नंगी लाशे पड़ी थी और सामने एक पूरी नंगी औरत अपने हाथ में गन लिए बिलकुल निस्तेज शुन्य बनकर खड़ी थी | रीमा उन दोनों के सूखे लंडो को एक बार देखा और फिर तेजी से अन्दर आई | उसने अपने सारे कपड़े बटोरे | गनीमत थी की जग्गू की बात न मानकर उसकी साड़ी को लड़को ने नहीं फाड़ा था | उसे झट से किसी तरह अपने चारो ओर साड़ी लपेटी और बाकि सारे कपड़े इकठे किये और अपने पेटीकोट में लपेट लिए | हाथ में गन थी | तीन लड़को की नंगी लाशे और एक हमलावर जी लाश और रीमा के साड़ी से छन छन कर दीखता उसका खूबसूरत बदन |
उसके पास तो फ़ोन भी नहीं था | आखिर कहाँ जाये किसे फ़ोन करे | काफी देर तक वही शुन्य बनी बैठी रही | बाहर घनघोर रात हो गयी थी | रीमा ने पुरे मकान का मुआयना किया | उसने बाहर के बल्ब बंद कर दिए | लड़को और जग्गू के कपड़ो में जरुरी सामान ढूढ़ने लगी | फ़ोन तो नहीं मिला लेकिन उसे एक टौर्च जरुर मिल गयी |
शाम से लेकर अब तक जो भी हुआ रीमा की सोच समझ से परे था | रीमा रात में कही जा नहीं सकती थी लेकिन यहाँ रुकना भी उसे ठीक नहीं लगा | यहाँ चार लाशे पड़ी थी, और बाहर जंगल में जंगली जानवरों का खतरा था | अपनी फूटी किस्मत पर रीमा रोने लगी | कहाँ आकर फंस गयी | पता नहीं किसी को पता भी चला होगा की मै यहाँ इस मुसीबत में फंस गयी हूँ या नहीं |
उधर जब ऑफिस बॉय रीमा की गाड़ी का पंचर बनाकर उसकी गाडी देने उसके घर गया तो कई बार बेल बजाने के बाद कोई बाहर नहीं आया | उसने फ़ोन मिलाया लेकिन वो तो स्विच ऑफ जा रहा था | उसने लैंडलाइन पर फ़ोन किया घंटी तो जा रही थी लेकिन कोई उठा नहीं रहा था | उसने हारकर अपने बॉस को ऑफिस में फ़ोन मिलाया, उसके बॉस ने रीमा के इमरजेंसी कांटेक्ट नंबर पर फ़ोन किया तो फ़ोन रोहित ने उठाया | उन्होंने रोहित को पूरी बात बताई | रोहित ने अनिल को फ़ोन मिलाया | अनिल दौड़े दौड़े रीमा के घर आये लेकिन रीमा तो यहाँ नहीं थी | उन्होंने रोहित को अपडेट दिया और रीमा की जीपीएस लोकेशन देखने लगे | उसका फ़ोन स्विच off था जीपीएस शहर के बाहरी किनारे पर एक पेट्रोल पंप के पास की बता रहा था | उसके बाद लास्ट लोकेशन शहर के उत्तर जंगल की तरफ जाने वाली सड़क का मिला | शहर के टॉप सिक्युरिटी अफसर को इत्तला कर दी गयी | वो दल बल के साथ भागे भागे आये | रीमा की लास्ट लोकेशन के आधार पर आधी रात से सिक्युरिटी रीमा को ढूढ़ने निकली | अनिल ने बताया उन्होंने एक ट्रांसमीटर रीमा के हर सैंडल में छिपा दिया है जो 24 घंटे में एक बार सिग्नल देता है | आखिर सिग्नल उसने शाम 6 बजे दिया था | अब अगला सिग्नल उनको अगली शाम को मिलेगा |
रीमा उस खंडहर मकान में बैठी सुबुकती रही | पता नहीं कब उसकी आंख लग गयी | सुबह जैसे पौ फटने को हुई रीमा की आंख खुल गयी | सर भारी हो रहा था, बदन टूट रहा था | लेकिन रीमा वहां से निकल भागी | उसे नहीं पता था कहाँ जाना है लेकिन जंगल की एक पगडण्डी पर वो बढ़ चली | बदन पर कपड़ो के नाम पर बस एक साड़ी थी और पैरो में सैंडल | रीमा बदहवास सी चली जा रही थी, उसे नहीं पता था की वो कहाँ जा रही है लेकिन उस मनहूस खंडहर से जीतनी दूर हो सके वो जाना चाहती थी | एक घंटा चलने के बाद उसे एक छोटा सा गाव दिखाई दिया | बाद में जब आगे बढ़ी तो वो गाँव कब एक छोटा सा क़स्बा ज्यादा लग रहा था | इससे पहले वो पगडण्डी पार कर वो गाव की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर आती | पीछे से किसी ने उसको चीते की फुर्ती से दबोच लिया |