15-08-2019, 09:49 PM
रीमा चुपचाप जंगल में उन किडनैपर के साथ चलती रही, कुछ देर बाद एक मकान दिखा | सभी उस में घुस गए | रीमा को नहीं पता था कि वो कहाँ पर है | उसे बस इतना अंदाजा था की गाड़ी कम से 40 मिनट चलने के बाद यहाँ आई है | इसलिए उसे लग रहा था की वो शहर से कोई 50-60 किमी दूर किसी जंगल के बीचो बीच में है | अन्दर जाकर एक लड़के ने रीमा को कुर्सी पर बैठ दिया और उसके हाथ पाँव दोनों कुर्सी से बांध दिए | दोनों लडके रीमा को बांधने के बाद उससे दूर चले गए | जो उन किडनैपर का लीडर था | उसने बाद में आये आदमी से मुखातिब होते हुए बोला - मैं अपना काम कर दिया, अब मुझे पेमेंट चाहिए |
चौथा आदमी बोला - पेमेंट भी मिलेगी, बिलकुल मिलेगी पूरी मिलेगी | पहले जरा गौर से देख तो लू सही माल लाये हो या नहीं |
वो मास्क पहने पहने रीमा के करीब आया , रीमा को घूरकर निहारा और फिर उसी आदमी के पास चला गया |
चौथा आदमी - माल तो परफेक्ट है बिलकुल | कही कोई खरोंच के निशान तक नहीं | तेरे आदमियों ने इस पर गलत निगाह तो नहीं डाली |
किडनैपर का लीडर - जैसा आपने बोला था बिलकुल वैसा ही किया है, लड़को ने एक नजर ठीक से देखा तक नहीं मैडम को |
तभी पीछे से एक आदमी आया, उसने बाद नीचे पेंट और उपर बनियान पहन रखी थी | मास्क उसने भी पहन रखा था | किडनैपर का लीडर और चौथा आदमी जो बाद में जंगल में मिला था वो दोनों बाहर चले गए |
तभी वो मास्क पहने बनियान वाला आदमी रीमा के पास आया - कैसी हो रीमा मैडम |
रीमा डर सदमे और दहसत से पीली हुई जा रही थी | मारे डर के उसका शरीर कांप राह था | आँखों डरावनी आहट से भयभीत थी | लेकिन जैसे ही वो आवाज रीमा के कान में पड़ी रीमा के कान खड़े हो गए |
रीमा - ये आवाज मै पहचानती हूँ, मैंने कही सुना है इसे |
लड़का - मैडम जरुर सुना होगा, लेकिन अभी मैंने पुछा कैसी हो ?
रीमा का दिमाग तेजी से चलने लगा - जग्गू तू बहन के लौड़े हरामी के लंड तू है क्या ?
रीमा का सारा डर चिंता जैसे फुर्र हो गयी | उसके पीले पड़े चेहरे पर आशा की रोशनी लौटने लगी | जिस जग्गू का उसने मान मर्दन किया था उसको सामने देखते ही उसकी टूटी हिम्मत वापस आ गयी | उसके अन्दर भरी दहसत एक झटके में निकल गयी | अब तक जो उसके दिमाग में अनिश्चितता के जो बादल मंडरा रहे थे वो सब के सब छट गए | रीमा की हिम्मत लौट आई |
मास्क पहने लड़का सकपका गया लेकिन खुद को संभालते हुए बोला - बड़ी तगड़ी यदाद्स्त है रीमा मैडम आपकी | आपने तो एक बार की बोली से ही पहचान लिया |
जग्गू ने अपना मास्क उतार दिया है |
रीमा उसकी ओर देखकर जमीं पट थूक दी - लानत है तेरी ऐसी जिंदगी पर जग्गू, तू पहले भी घटिया था और आगे भी घटिया ही रहेगा | अकेले अकेले तो हिम्मत नहीं है एक औरत से लड़ने की जो इन भाड़े के टट्टू को लाया है |
जग्गू - ज्यादा मत उछलो रीमा मैडम, आज तुमारे जिस्म के एक एक रोम का रस पीकर ही मुझे शांति मिलेगी | आज अकेला नहीं हूँ, मसल दी जावोगी किसी चींटी की तरह |
रीमा - हाँ हाँ बड़ा आया रीमा को मसलने वाला, आज भी तीन हो और उस दिन भो तो तुम तीन थे क्या उखाड़ लिया था, सबकी अकेले गांड मारी थी की नहीं | बता जरा इन भाड़े के टट्टुओं को |
वो दोनों पीछे खड़े रीमा की बात सुनकर हैरान रह गए, एक औरत किसी की गांड कैसे मार सकती है | उनके मुहँ से हंसी छुटते छुटते रह गयी, फिर उनमे से एक दुसरे के कान में फुसफुसाया - ऐसी कहावत है |
रीमा आक्रामक अंदाज में - बताता क्यों नहीं कैसे गांड मार मार के तेरा पिछवाड़ा सुजा दिया था | कैसे मेरे पैरो में गिरकर माफ़ी मांग रहा था | बता न पता तो चले तेरी मर्दानगी के किस्से इन्हें भी | बड़ी बड़ी डींगे मत हांक मुझे तेरी औकात पता है | जग्गू के काटो तो खून नहीं | अब वो दोनों सच मे कनाफूसी करने लगे | एक हिम्मत करके बोला - मैडम आप कैसे किसी की मार सकते हो ......|
जग्गू दहाड़ा - चुप करो माँ के लौड़ो वर्ना यही जिन्दा गड़वा दूंगा |
रीमा के अट्टहास भरा - अरे गधो आजकल सब इंतजाम आता है | रबर के लंड आते है कमर में बांधो और पेल दो | तुम साले गधो को शायद पता नहीं हर चूत का अपना एक लंड होता है | आजकल जो है कंपनियां है वो बहुत बड़े बड़े मोटे मोटे रबड़ के लैंड बनाती हैं मैंने उसे अपनी चूत पर फिट किया था उसे पूरा के पूरा इसकी गांड में घुसेड दिया था मेरे पास तो उसकी रिकॉर्डिंग भी है तुम देखना चाहोगे इसे गांड मरवाने में बहुत मजा आता है इसकी तो मैंने जमकर गांड मारी थी और मजे की बात तो ये है की इसे भी बहुत मजा आ रहा था | बताता क्यों नहीं इन भाड़े के टट्टुओं को | लगता है एक बार में जी नहीं भरा इसलिए दुबारा आ गया एक चूत से अपनी गांड मरवाने |
लड़को को समझ नहीं आ रहा था की रीमा की बात पर हँसे या रोये | उन्हें जग्गू की कहानी सुनकर अन्दर ही अन्दर हंसी तो बहुत आ रही थी लेकिन अगर खुलकर हँसते तो शायद उनकी मौत निश्चित थी | जग्गू को देखकर उनकी हंसी रुक नहीं रही थी, फिर भी एक लड़के ने हिम्मत करके पूछ ही लिया - सर सचमुच में रीमा मैडम ने आपकी गांड मारी थी |
जग्गू का खून खोल गया, वो हाथ भीचता और दांत पीसता हुआ रीमा के पास पहुंचा और उसके बाल जोर से भींच कर उसे धमकाने लगा - तुझे क्या लगता है एक बार तू मुझे पर भरी पड़ गयी तो अपने आप को तीसमार खां समझने लगी | मै अपने शहर के छंटे बदमाश का लौंडा हूँ | आज तेरी ऐसी चीखे निकालूँगा की तू जिंदगी भर को याद रखेगी | तेर हाथ बंधे है पांव बंधे है फिर भी तेरी गांड इतनी उछाल रही है आज तेरी गांड से ही शुरआत करूंगा | देखता हूँ आज तुझे कौन बचाता है यहाँ | तू चीखेगी चिल्लाएगी हाथ पटकेगी पाँव पटकेगी लेकिन आज यहाँ कोई सुनने वाला नहीं होगा | आज न तो तेरे जाल में आने वाला हो न ही तेरी किसी चाल में आने वाला हूँ | आज तेरी चूत और गांड दोनों फाड़ के रख दूंगा |
इसी के साथ उसने तीन चार चमाट रीमा के चेहरे पर जमा दी | रीमा दर्द से बिलबिला गयी | उसकी आँखों से आंसू निकल आये |
रीमा को भी पता था आज मुश्किल हालात है और उसके साथ कुछ भी हो सकता है लेकिन अगर अभी से हिम्मत हार गयी तो कैसे चलेगा | उसे पता था आज जग्गू कुछ भी कर सकता है उसकी जान तक ले सकता है लेकिन रीमा ने अन्दर ही अन्दर खुद को हिम्मत बंधाई | उसने दर्द को बर्दाश्त किया |
उधर दोनों लड़के खुसुर फुसुर करने में लगे थे | उनको इस तरह से देख जग्गू का पारा और चढ़ गया - भोसड़ी वालो एक दुसरे के कान में फुसुर फुसुर करके मूत रहे है जो पूछना है मुझे पूछो, हाँ इसने मारी थी मेरी गांड ............और कुछ |
दोनों की हंसी बड़ी मुश्किल से रुक रही थी | दोनों मुहँ पर हाथ लागए किसी तरह से बड़ी मुश्किल से खुद को रोके हुए थे |
उनको देखकर जग्गू समझ गया वो क्यों खिखिया रहे है - भोसड़ी वालो हँसना बंद करो और इसकी रस्सियाँ चाकू से काट दो | फिर इसके कपडे भी चाकू से चीर दो | आज मै उसकी चूत को चोद चोद कर भोसड़ा बना दूगां | इसकी गांड भी मार मार कर सुजा दूंगा | इसके मुहँ को भी चोदूगा इसकी छाती को भी चोदूगा | आज इसके पुरे जिस्म की ऐसी दुर्गति करूंगा की ये जब भी आईने में खुद को द्खेगी इसे जग्गू याद आयेगा | जब तक जिन्दा रहेगी जग्गू की दरिंदगी भूल नहीं पायेगी | मैं जानवर से भी गया गुजरा हूँ | आज देख तेरे इस गोरे बदन को कैसे नोच नोक के शमशान बना देता हूँ | तू चीखेगी चिल्लाएगी मुझे रहम की भीख मांगेगी लेकिन तुझे सिर्फ मिलेगी दरिंदगी | तू अब से मेरी गुलाम है मेरा झूठा खाएगी, मेरा मूत पीयेगी और मेरी गांड चाटेगी |
रीमा जग्गू की बाते सुनकर अन्दर तक सिहर गयी | उसे अंदाजा हो गया था जग्गू अपने अपमान का जी भर के बदला लेगा और उसके शरीर से हद दर्जे की नीचता के साथ दरिंदगी करेगा | उसकी हिम्मत टूटने लगी थी | आखिर वो करे तो क्या करे | उसे इस वक्त रोहित याद आया और उसकी बात हर मुसीबत में अपना दिमाग जरुरत से ज्यादा चौकन्ना रखो | रीमा को कुछ सूझ नहीं रहा था आखिर क्या करे, कौन सा गेम खेले | उसका पहला दांव कारगर तो था लेकिन अब बेकार हो चूका था |
एल लड़का चाकू लेकर आया और रीमा की रस्सियाँ काटने लगा | उसने जल्द ही रीमा के हाथ और पांव की रस्सियाँ काट दी | रीमा के हाथ पाँव तो आजाद हो गए लेकिन वो कुछ कर नहीं सकती थी क्योंकि उसे सर पर दूसरा सख्स गन लगाये खड़ा था | रस्सियाँ काटते हुए रीमा के खूबसूरत जिस्म की मादक खूसबू उस लड़के के दिमाग में घुस गयी |
वो जग्गू की तरफ मुखातिब होकर बोला - बॉस आप अपने बाद हमें भी दोगे थोड़ा जूठन खाने को |
जग्गू अट्टहास करता हुआ - मिलेगा तुम दोनों को भी मिलेगा | पहले मुझे इसकी चूत को चोद चोद कर भोसड़ा बनाने दो, फिर इसकी गांड को अपने लंड से चीरकर उससे खून निकाल दूंगा फिर तुम दोनों एक साथ अपने दोनों लंड इसकी फटी गांड में घुसा का खूब मारना इसकी गांड | इसके गद्देदार चुताड़ो पर दो लंडो की ठोकर से इसे भी बड़ा मजा आएगा | आज इसको पता चलेगा गांड का दर्द क्या चीज होती है |
वो दोनों उत्साह से भर गए | एक लड़के ने रीमा की साड़ी का पल्लू गिरा दिया | उसके बड़े बड़े उरोज उसके डीप कट ब्लाउज से बाहर झाँकने को बेताब हो रहे थे |
जग्गू - देखो तो साली के दूध कैसे फूल फूल कर कुप्पा हो गए है | बड़ा मजा आएगा इन रुई की तरह नरम उरोजों को मसलने में |
रीमा शर्म और गुस्से से भर गयी | उसने मुहँ घुमा लिया | एक लड़के ने उसके स्तन को पकड़ना चाहा तो रीमा ने उसके ने उसे एक मुक्का जड़ दिया | वो जमीन पर फ़ैल गया | दुसरे आदमी सतर्क हो गया, रीमा ने दरवाजे की तरफ भागने की कोशिश की लेकिन जग्गू ने गन उठकर हवा में फायर कर दिया | रीमा जहाँ थी वही जड़ हो गयी | रीमा के अन्दर डर और दश्सत दोनों घर कर गए | वो डर से कांपने लगी | उसे लग रहा था कही ये सच में न मार दे | और जग्गू के मुहँ से अपने लिए जो दरिंदगी की ख्वाइश सुनी उससे रीमा का धैर्य जवाब दे गया था | रीमा अब क्या करे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था | वो पूरी तरह से बदहवास हो चुकी थी |
जग्गू दहाड़ा - माँ के लौड़ो इसे कुर्सी पर बैठाकर इसके हाथ बांध दो बहुत चलते है इसके हाथ | जमीन पर गिरे हुए लड़के को देखकर - जल्दी उठ माँ के लौड़े वरना अभी तेरी गांड भी मार लेगी और तुझे पता नहीं चलेगा |
वो लड़का जल्दी से उठा और गली देता हुआ रीमा की तरफ बढ़ा - सुन रंडी कुतिया तेरी तो मै वो हालत ..............|
इससे पहले वो कुछ बोलता जग्गू ने उसके मुहँ में गन की नाल घुसेड़ दी - अपनी औकात में रह मादरचोद, ये मेरा शिकार है और तूने अगर जरा सा भी जबान ठेडी करी रीमा मैडम पर तो हलक से जबान खीच लूँगा | भोसड़ी के नौकर है नौकर वाली औकात में रह |
बोल बॉस कौन है यहाँ |
लड़का - जी आप |
जग्गू - चल जो बोला है वो जल्दी से कर |
दोनों रीमा को पकड़ कर ले गए और कुर्उसी पर बिठाकर उसके हाथ कुर्सी से बांध दिए |
जग्गू - चलो उसे नंगी करो |
लड़का - लेकिन बॉस इसके हाथ तो बांधे है कपड़े उतारेंगे कैसे |
जग्गू - भोड़सी के नंगी करने को बोला है, कपडे उतार कर सहेज कर रखने को नहीं | चाकू से काट दो |
फिर कुछ रूककर - काट काट कर छोटे छोटे टुकड़े कर दो | ताकि अगर ये यहाँ से भागना भी चाहे तो इसके जिस्म पर कपड़े का नामो निशान न हो | इसकी साड़ी काट डालो ब्लाउज काट डालो इसका पेटीकोट काट डालो | इसकी पैंटी और ब्रा के इतने टुकड़े करो की कतरन बन जाए |
रीमा अब उन तीनो के सामने असहाय थी | उसके हाथ कसकर कुर्सी से बंधे थे | एक लड़का रीमा के पास आया और उसने रीमा की रस्सी खोल दी और उसके दोनों हाथ ऊपर उठकर एक में बांध दिए |
जग्गू - ये क्या कर रहा है भोसड़ी वाले |
लड़का - बॉस इन हाथो को ऊपर करके उस छल्ले में बांध देता हूँ | फिर इसको खड़े खड़े ही नंगा करता हो | आपको भी इसको चोदने में आसानी होंगी | इसके कुर्सी से चिपके रहने पर पर इसे कैसे चोद पावोगे |
जग्गू - इतनी देर में पहली बार तूने समझदारी की बात करी है | दोनों हाथ बांधकर लटका दो ऊपर फिर चीर कर चिथड़े बना दो इसके कपड़े | उन दोनों लड़को ने रीमा के हाथ को ऊपर बांध दिया फिर उसकी साड़ी उतार कर अलग फेंक दी | एक लड़के ने उसकी ब्लाउज में लगी हुई साड़ी की पिन खोल दें जिससे कि उसकी साड़ी नीचे को गिर गई और ऊपर रीमा का डीप कट ब्लाउज और उसके आधे बाहर को लटक रहे हाहाकारी स्तन बाहर को नुमाया होने को बेताब होने लगे |
एक लड़का रीमा के छाती के उभारो को देख खुद को रोक नहीं पाया - आपकी छाती तो कमाल की है मैडम क्या बड़े बड़े गुदाज सुडौल मम्मे पाए हैं किस्मत से एक बार बस इन्हें दबाने का मौका मिल जाए समझ लो जन्नत की सैर हो गई | बड़ा मजा आएगा ऐसे रस भरे मम्मो को चूसने में |
दूसरा लड़का - रीमा मैडम आप तो बिलकुल अप्सरा जैसी खूबसूरत हो | मेरा बस चले तो मै दिन भर बस आपके बड़े बड़े मम्मो का दूध ही पीता रहू |
जग्गू पीछे से चिल्लाया - सालों मादरचोदो तुमारा फिल्मी डायलॉग खतम हो गया हो तो आगे का काम कर लो | जल्दी जल्दी काम ख़त्म करो वर्ना भोसड़ी वालों यह बहुत हरामन औरत है इतनी हरामी चूत है कि इसने कुछ ना कुछ साला पेच फंसा रखा होगा, तभी बिलकुल गाय की तरह सीधी खड़ी है | भोसड़ी वाला इसका पति सिक्युरिटी में बड़ा अफसर था | कूटो की तरह सूंघती हुई सिक्युरिटी यहाँ आ जाएगी | एक बार सिक्युरिटी वाले रीमा मैडम को ढूंढते हुए यहां आ गए ना तो हम सब की गांड फाड़ देगें | वो बांस करेगे की साल भर तक बिसतर पर ही होगोगे मुतोगे | जल्दी करो भोसड़ी वालों |
एक लड़के ने रीमा की कमर में लगी हुई सारी पिन खोल कर फटाफट उसको उसके साड़ी को निकाल कर अलग किया और पेटीकोट में फंसी साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया | रीमा सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी | वो दोनों रीमा की कमर के आसपास घुटनों के बल बैठ गए | उसके बाद में एक आदमी ने रीमा के नारे को खोलना शुरू कर दिया हालांकि रीमा के पेटीकोट का नाड़ा बहुत कसकर बंधा हुआ था, उसे समझ नहीं आया कैसे खोला जाये | तभी दूसरे ने अपनी जेब से चाकू निकाला और नीचे से रीमा के पेटीकोट को पकड़कर चीरता हुआ ऊपर को चल दिया | अब रीमा का पेटीकोट पूरी तरह से फट कर खुल गया था | हालाँकि उसका नाडा अभी भी उसकी कमर में बना हुआ था और उस पेटिकोट के चीरे के अंदर से रीमा की लाल पैंटी झांक रही थी उस लड़के ने जिसने रीमा का पेटीकोट चीरा था अपने दोनों हाथों से रीमा के पेटीकोट को फैलाते हुए अंदर के लाल लाल पैंटी को देखकर बावला हो गया |
चौथा आदमी बोला - पेमेंट भी मिलेगी, बिलकुल मिलेगी पूरी मिलेगी | पहले जरा गौर से देख तो लू सही माल लाये हो या नहीं |
वो मास्क पहने पहने रीमा के करीब आया , रीमा को घूरकर निहारा और फिर उसी आदमी के पास चला गया |
चौथा आदमी - माल तो परफेक्ट है बिलकुल | कही कोई खरोंच के निशान तक नहीं | तेरे आदमियों ने इस पर गलत निगाह तो नहीं डाली |
किडनैपर का लीडर - जैसा आपने बोला था बिलकुल वैसा ही किया है, लड़को ने एक नजर ठीक से देखा तक नहीं मैडम को |
तभी पीछे से एक आदमी आया, उसने बाद नीचे पेंट और उपर बनियान पहन रखी थी | मास्क उसने भी पहन रखा था | किडनैपर का लीडर और चौथा आदमी जो बाद में जंगल में मिला था वो दोनों बाहर चले गए |
तभी वो मास्क पहने बनियान वाला आदमी रीमा के पास आया - कैसी हो रीमा मैडम |
रीमा डर सदमे और दहसत से पीली हुई जा रही थी | मारे डर के उसका शरीर कांप राह था | आँखों डरावनी आहट से भयभीत थी | लेकिन जैसे ही वो आवाज रीमा के कान में पड़ी रीमा के कान खड़े हो गए |
रीमा - ये आवाज मै पहचानती हूँ, मैंने कही सुना है इसे |
लड़का - मैडम जरुर सुना होगा, लेकिन अभी मैंने पुछा कैसी हो ?
रीमा का दिमाग तेजी से चलने लगा - जग्गू तू बहन के लौड़े हरामी के लंड तू है क्या ?
रीमा का सारा डर चिंता जैसे फुर्र हो गयी | उसके पीले पड़े चेहरे पर आशा की रोशनी लौटने लगी | जिस जग्गू का उसने मान मर्दन किया था उसको सामने देखते ही उसकी टूटी हिम्मत वापस आ गयी | उसके अन्दर भरी दहसत एक झटके में निकल गयी | अब तक जो उसके दिमाग में अनिश्चितता के जो बादल मंडरा रहे थे वो सब के सब छट गए | रीमा की हिम्मत लौट आई |
मास्क पहने लड़का सकपका गया लेकिन खुद को संभालते हुए बोला - बड़ी तगड़ी यदाद्स्त है रीमा मैडम आपकी | आपने तो एक बार की बोली से ही पहचान लिया |
जग्गू ने अपना मास्क उतार दिया है |
रीमा उसकी ओर देखकर जमीं पट थूक दी - लानत है तेरी ऐसी जिंदगी पर जग्गू, तू पहले भी घटिया था और आगे भी घटिया ही रहेगा | अकेले अकेले तो हिम्मत नहीं है एक औरत से लड़ने की जो इन भाड़े के टट्टू को लाया है |
जग्गू - ज्यादा मत उछलो रीमा मैडम, आज तुमारे जिस्म के एक एक रोम का रस पीकर ही मुझे शांति मिलेगी | आज अकेला नहीं हूँ, मसल दी जावोगी किसी चींटी की तरह |
रीमा - हाँ हाँ बड़ा आया रीमा को मसलने वाला, आज भी तीन हो और उस दिन भो तो तुम तीन थे क्या उखाड़ लिया था, सबकी अकेले गांड मारी थी की नहीं | बता जरा इन भाड़े के टट्टुओं को |
वो दोनों पीछे खड़े रीमा की बात सुनकर हैरान रह गए, एक औरत किसी की गांड कैसे मार सकती है | उनके मुहँ से हंसी छुटते छुटते रह गयी, फिर उनमे से एक दुसरे के कान में फुसफुसाया - ऐसी कहावत है |
रीमा आक्रामक अंदाज में - बताता क्यों नहीं कैसे गांड मार मार के तेरा पिछवाड़ा सुजा दिया था | कैसे मेरे पैरो में गिरकर माफ़ी मांग रहा था | बता न पता तो चले तेरी मर्दानगी के किस्से इन्हें भी | बड़ी बड़ी डींगे मत हांक मुझे तेरी औकात पता है | जग्गू के काटो तो खून नहीं | अब वो दोनों सच मे कनाफूसी करने लगे | एक हिम्मत करके बोला - मैडम आप कैसे किसी की मार सकते हो ......|
जग्गू दहाड़ा - चुप करो माँ के लौड़ो वर्ना यही जिन्दा गड़वा दूंगा |
रीमा के अट्टहास भरा - अरे गधो आजकल सब इंतजाम आता है | रबर के लंड आते है कमर में बांधो और पेल दो | तुम साले गधो को शायद पता नहीं हर चूत का अपना एक लंड होता है | आजकल जो है कंपनियां है वो बहुत बड़े बड़े मोटे मोटे रबड़ के लैंड बनाती हैं मैंने उसे अपनी चूत पर फिट किया था उसे पूरा के पूरा इसकी गांड में घुसेड दिया था मेरे पास तो उसकी रिकॉर्डिंग भी है तुम देखना चाहोगे इसे गांड मरवाने में बहुत मजा आता है इसकी तो मैंने जमकर गांड मारी थी और मजे की बात तो ये है की इसे भी बहुत मजा आ रहा था | बताता क्यों नहीं इन भाड़े के टट्टुओं को | लगता है एक बार में जी नहीं भरा इसलिए दुबारा आ गया एक चूत से अपनी गांड मरवाने |
लड़को को समझ नहीं आ रहा था की रीमा की बात पर हँसे या रोये | उन्हें जग्गू की कहानी सुनकर अन्दर ही अन्दर हंसी तो बहुत आ रही थी लेकिन अगर खुलकर हँसते तो शायद उनकी मौत निश्चित थी | जग्गू को देखकर उनकी हंसी रुक नहीं रही थी, फिर भी एक लड़के ने हिम्मत करके पूछ ही लिया - सर सचमुच में रीमा मैडम ने आपकी गांड मारी थी |
जग्गू का खून खोल गया, वो हाथ भीचता और दांत पीसता हुआ रीमा के पास पहुंचा और उसके बाल जोर से भींच कर उसे धमकाने लगा - तुझे क्या लगता है एक बार तू मुझे पर भरी पड़ गयी तो अपने आप को तीसमार खां समझने लगी | मै अपने शहर के छंटे बदमाश का लौंडा हूँ | आज तेरी ऐसी चीखे निकालूँगा की तू जिंदगी भर को याद रखेगी | तेर हाथ बंधे है पांव बंधे है फिर भी तेरी गांड इतनी उछाल रही है आज तेरी गांड से ही शुरआत करूंगा | देखता हूँ आज तुझे कौन बचाता है यहाँ | तू चीखेगी चिल्लाएगी हाथ पटकेगी पाँव पटकेगी लेकिन आज यहाँ कोई सुनने वाला नहीं होगा | आज न तो तेरे जाल में आने वाला हो न ही तेरी किसी चाल में आने वाला हूँ | आज तेरी चूत और गांड दोनों फाड़ के रख दूंगा |
इसी के साथ उसने तीन चार चमाट रीमा के चेहरे पर जमा दी | रीमा दर्द से बिलबिला गयी | उसकी आँखों से आंसू निकल आये |
रीमा को भी पता था आज मुश्किल हालात है और उसके साथ कुछ भी हो सकता है लेकिन अगर अभी से हिम्मत हार गयी तो कैसे चलेगा | उसे पता था आज जग्गू कुछ भी कर सकता है उसकी जान तक ले सकता है लेकिन रीमा ने अन्दर ही अन्दर खुद को हिम्मत बंधाई | उसने दर्द को बर्दाश्त किया |
उधर दोनों लड़के खुसुर फुसुर करने में लगे थे | उनको इस तरह से देख जग्गू का पारा और चढ़ गया - भोसड़ी वालो एक दुसरे के कान में फुसुर फुसुर करके मूत रहे है जो पूछना है मुझे पूछो, हाँ इसने मारी थी मेरी गांड ............और कुछ |
दोनों की हंसी बड़ी मुश्किल से रुक रही थी | दोनों मुहँ पर हाथ लागए किसी तरह से बड़ी मुश्किल से खुद को रोके हुए थे |
उनको देखकर जग्गू समझ गया वो क्यों खिखिया रहे है - भोसड़ी वालो हँसना बंद करो और इसकी रस्सियाँ चाकू से काट दो | फिर इसके कपडे भी चाकू से चीर दो | आज मै उसकी चूत को चोद चोद कर भोसड़ा बना दूगां | इसकी गांड भी मार मार कर सुजा दूंगा | इसके मुहँ को भी चोदूगा इसकी छाती को भी चोदूगा | आज इसके पुरे जिस्म की ऐसी दुर्गति करूंगा की ये जब भी आईने में खुद को द्खेगी इसे जग्गू याद आयेगा | जब तक जिन्दा रहेगी जग्गू की दरिंदगी भूल नहीं पायेगी | मैं जानवर से भी गया गुजरा हूँ | आज देख तेरे इस गोरे बदन को कैसे नोच नोक के शमशान बना देता हूँ | तू चीखेगी चिल्लाएगी मुझे रहम की भीख मांगेगी लेकिन तुझे सिर्फ मिलेगी दरिंदगी | तू अब से मेरी गुलाम है मेरा झूठा खाएगी, मेरा मूत पीयेगी और मेरी गांड चाटेगी |
रीमा जग्गू की बाते सुनकर अन्दर तक सिहर गयी | उसे अंदाजा हो गया था जग्गू अपने अपमान का जी भर के बदला लेगा और उसके शरीर से हद दर्जे की नीचता के साथ दरिंदगी करेगा | उसकी हिम्मत टूटने लगी थी | आखिर वो करे तो क्या करे | उसे इस वक्त रोहित याद आया और उसकी बात हर मुसीबत में अपना दिमाग जरुरत से ज्यादा चौकन्ना रखो | रीमा को कुछ सूझ नहीं रहा था आखिर क्या करे, कौन सा गेम खेले | उसका पहला दांव कारगर तो था लेकिन अब बेकार हो चूका था |
एल लड़का चाकू लेकर आया और रीमा की रस्सियाँ काटने लगा | उसने जल्द ही रीमा के हाथ और पांव की रस्सियाँ काट दी | रीमा के हाथ पाँव तो आजाद हो गए लेकिन वो कुछ कर नहीं सकती थी क्योंकि उसे सर पर दूसरा सख्स गन लगाये खड़ा था | रस्सियाँ काटते हुए रीमा के खूबसूरत जिस्म की मादक खूसबू उस लड़के के दिमाग में घुस गयी |
वो जग्गू की तरफ मुखातिब होकर बोला - बॉस आप अपने बाद हमें भी दोगे थोड़ा जूठन खाने को |
जग्गू अट्टहास करता हुआ - मिलेगा तुम दोनों को भी मिलेगा | पहले मुझे इसकी चूत को चोद चोद कर भोसड़ा बनाने दो, फिर इसकी गांड को अपने लंड से चीरकर उससे खून निकाल दूंगा फिर तुम दोनों एक साथ अपने दोनों लंड इसकी फटी गांड में घुसा का खूब मारना इसकी गांड | इसके गद्देदार चुताड़ो पर दो लंडो की ठोकर से इसे भी बड़ा मजा आएगा | आज इसको पता चलेगा गांड का दर्द क्या चीज होती है |
वो दोनों उत्साह से भर गए | एक लड़के ने रीमा की साड़ी का पल्लू गिरा दिया | उसके बड़े बड़े उरोज उसके डीप कट ब्लाउज से बाहर झाँकने को बेताब हो रहे थे |
जग्गू - देखो तो साली के दूध कैसे फूल फूल कर कुप्पा हो गए है | बड़ा मजा आएगा इन रुई की तरह नरम उरोजों को मसलने में |
रीमा शर्म और गुस्से से भर गयी | उसने मुहँ घुमा लिया | एक लड़के ने उसके स्तन को पकड़ना चाहा तो रीमा ने उसके ने उसे एक मुक्का जड़ दिया | वो जमीन पर फ़ैल गया | दुसरे आदमी सतर्क हो गया, रीमा ने दरवाजे की तरफ भागने की कोशिश की लेकिन जग्गू ने गन उठकर हवा में फायर कर दिया | रीमा जहाँ थी वही जड़ हो गयी | रीमा के अन्दर डर और दश्सत दोनों घर कर गए | वो डर से कांपने लगी | उसे लग रहा था कही ये सच में न मार दे | और जग्गू के मुहँ से अपने लिए जो दरिंदगी की ख्वाइश सुनी उससे रीमा का धैर्य जवाब दे गया था | रीमा अब क्या करे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था | वो पूरी तरह से बदहवास हो चुकी थी |
जग्गू दहाड़ा - माँ के लौड़ो इसे कुर्सी पर बैठाकर इसके हाथ बांध दो बहुत चलते है इसके हाथ | जमीन पर गिरे हुए लड़के को देखकर - जल्दी उठ माँ के लौड़े वरना अभी तेरी गांड भी मार लेगी और तुझे पता नहीं चलेगा |
वो लड़का जल्दी से उठा और गली देता हुआ रीमा की तरफ बढ़ा - सुन रंडी कुतिया तेरी तो मै वो हालत ..............|
इससे पहले वो कुछ बोलता जग्गू ने उसके मुहँ में गन की नाल घुसेड़ दी - अपनी औकात में रह मादरचोद, ये मेरा शिकार है और तूने अगर जरा सा भी जबान ठेडी करी रीमा मैडम पर तो हलक से जबान खीच लूँगा | भोसड़ी के नौकर है नौकर वाली औकात में रह |
बोल बॉस कौन है यहाँ |
लड़का - जी आप |
जग्गू - चल जो बोला है वो जल्दी से कर |
दोनों रीमा को पकड़ कर ले गए और कुर्उसी पर बिठाकर उसके हाथ कुर्सी से बांध दिए |
जग्गू - चलो उसे नंगी करो |
लड़का - लेकिन बॉस इसके हाथ तो बांधे है कपड़े उतारेंगे कैसे |
जग्गू - भोड़सी के नंगी करने को बोला है, कपडे उतार कर सहेज कर रखने को नहीं | चाकू से काट दो |
फिर कुछ रूककर - काट काट कर छोटे छोटे टुकड़े कर दो | ताकि अगर ये यहाँ से भागना भी चाहे तो इसके जिस्म पर कपड़े का नामो निशान न हो | इसकी साड़ी काट डालो ब्लाउज काट डालो इसका पेटीकोट काट डालो | इसकी पैंटी और ब्रा के इतने टुकड़े करो की कतरन बन जाए |
रीमा अब उन तीनो के सामने असहाय थी | उसके हाथ कसकर कुर्सी से बंधे थे | एक लड़का रीमा के पास आया और उसने रीमा की रस्सी खोल दी और उसके दोनों हाथ ऊपर उठकर एक में बांध दिए |
जग्गू - ये क्या कर रहा है भोसड़ी वाले |
लड़का - बॉस इन हाथो को ऊपर करके उस छल्ले में बांध देता हूँ | फिर इसको खड़े खड़े ही नंगा करता हो | आपको भी इसको चोदने में आसानी होंगी | इसके कुर्सी से चिपके रहने पर पर इसे कैसे चोद पावोगे |
जग्गू - इतनी देर में पहली बार तूने समझदारी की बात करी है | दोनों हाथ बांधकर लटका दो ऊपर फिर चीर कर चिथड़े बना दो इसके कपड़े | उन दोनों लड़को ने रीमा के हाथ को ऊपर बांध दिया फिर उसकी साड़ी उतार कर अलग फेंक दी | एक लड़के ने उसकी ब्लाउज में लगी हुई साड़ी की पिन खोल दें जिससे कि उसकी साड़ी नीचे को गिर गई और ऊपर रीमा का डीप कट ब्लाउज और उसके आधे बाहर को लटक रहे हाहाकारी स्तन बाहर को नुमाया होने को बेताब होने लगे |
एक लड़का रीमा के छाती के उभारो को देख खुद को रोक नहीं पाया - आपकी छाती तो कमाल की है मैडम क्या बड़े बड़े गुदाज सुडौल मम्मे पाए हैं किस्मत से एक बार बस इन्हें दबाने का मौका मिल जाए समझ लो जन्नत की सैर हो गई | बड़ा मजा आएगा ऐसे रस भरे मम्मो को चूसने में |
दूसरा लड़का - रीमा मैडम आप तो बिलकुल अप्सरा जैसी खूबसूरत हो | मेरा बस चले तो मै दिन भर बस आपके बड़े बड़े मम्मो का दूध ही पीता रहू |
जग्गू पीछे से चिल्लाया - सालों मादरचोदो तुमारा फिल्मी डायलॉग खतम हो गया हो तो आगे का काम कर लो | जल्दी जल्दी काम ख़त्म करो वर्ना भोसड़ी वालों यह बहुत हरामन औरत है इतनी हरामी चूत है कि इसने कुछ ना कुछ साला पेच फंसा रखा होगा, तभी बिलकुल गाय की तरह सीधी खड़ी है | भोसड़ी वाला इसका पति सिक्युरिटी में बड़ा अफसर था | कूटो की तरह सूंघती हुई सिक्युरिटी यहाँ आ जाएगी | एक बार सिक्युरिटी वाले रीमा मैडम को ढूंढते हुए यहां आ गए ना तो हम सब की गांड फाड़ देगें | वो बांस करेगे की साल भर तक बिसतर पर ही होगोगे मुतोगे | जल्दी करो भोसड़ी वालों |
एक लड़के ने रीमा की कमर में लगी हुई सारी पिन खोल कर फटाफट उसको उसके साड़ी को निकाल कर अलग किया और पेटीकोट में फंसी साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया | रीमा सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी | वो दोनों रीमा की कमर के आसपास घुटनों के बल बैठ गए | उसके बाद में एक आदमी ने रीमा के नारे को खोलना शुरू कर दिया हालांकि रीमा के पेटीकोट का नाड़ा बहुत कसकर बंधा हुआ था, उसे समझ नहीं आया कैसे खोला जाये | तभी दूसरे ने अपनी जेब से चाकू निकाला और नीचे से रीमा के पेटीकोट को पकड़कर चीरता हुआ ऊपर को चल दिया | अब रीमा का पेटीकोट पूरी तरह से फट कर खुल गया था | हालाँकि उसका नाडा अभी भी उसकी कमर में बना हुआ था और उस पेटिकोट के चीरे के अंदर से रीमा की लाल पैंटी झांक रही थी उस लड़के ने जिसने रीमा का पेटीकोट चीरा था अपने दोनों हाथों से रीमा के पेटीकोट को फैलाते हुए अंदर के लाल लाल पैंटी को देखकर बावला हो गया |