15-08-2019, 09:43 PM
रोहिणी ने अपना गीला लंड रीमा के गांड के छेद से सटाया | रीमा के मुहँ से एक लम्बी साँस निकल गयी | रोहिणी उसके कान में बोली - खुद को ढीला छोड़ दे और दिमाग में कोई टेंसन मत ला, पूरी तरह से रिलैक्स हो जा | हाथ पाँव सब ढीला छोड़ दे, बाकि मै संभाल लूंगी |
रीमा की हालत ऐसी नहीं थी की वो अभी रोहिणी से सवाल जवाब कर सके, उसका गांड न मारने का वादा उसे याद दिला सके | रीमा ने खुद को ढीला छोड़ दिया | रोहिणी ने पूरी तरह से कसकर लंड को जकड़ लिया और पूरा जोर लगाकर रीमा की गांड में ठेल दिया | जीतनी तेजी से रोहिणी ने लंड ठेला था उतनी तेजी से वो रीमा की गांड के सख्त पहरेदार को ठोकर मारकर चूत की तरफ फिसल गया | रीमा की चूतड़ की घाटी में इस ठोकर के लगने से एक तीखा सा चीर कर रख देने वाला दर्द उठा | रीमा ने दोनों पाँव सिकोड़ लिए, उसके चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैर गयी |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
रोहिणी समझ गयी, रीमा के छल्ले को और ज्यादा फैलाना होगा नहीं तो लंड ऐसे ही रपटता रहेगा | उसने लंड के सुपाडे की चिकनाई पोच दी और फिर से उसे रीमा की गांड से सटा दिया | इस बार रोहिणी ने झटका नहीं लगाया बल्कि अपनी कमर का पूरा जोर अपने लंड पर डाल दिया | रीमा की गांड के छल्ले ने पूरा जोर लगाया , रोहिणी के लंड को रोकने के लिए लेकिन रोहिणी की ताकत के आगे फ़ैल हो गया | उसकी मांसपेशियां में इतना भीषण दर्द उठा जैसे लगा किसी ने चाकू से काटकर दो टुकडे कर दिए हो | रीमा की गांड का पहरेदार ने हथियार डाल दिए और रोहिणी के लंड का सुपाडा रीमा की बेहद कसी गांड के छल्ले को चीरता हुआ अन्दर घुस गया |
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जैसे ही लंड रीमा की गांड में घुसा उसके पुरे शरीर में सिहरन और कंपकपी दौड़ गयी | गांड के छेद को चारो ओर से घेरे छल्ले के खुलते ही रीमा को भीषण दर्द का अहसास होना शुरू हो गया | ऐसा लगा किसी ने उसके पिछवाड़े में नस्तर घुसेड़ कर उसे चीर दिया हो | उसके गांड के छल्ले में सिर्फ ही नहीं जलन भी बहुत तेज होने लगी | रीमा अपनी पिछवाड़े में हुए इस आक्रमण से बहुत तेज चीख पड़ी | रोहिणी ने खुद को स्थिर कर लिया और इससे पहले रीमा हाथ पांव पटकना शुरू कर दे उसे कसकर जकड लिया |
रीमा बहुत तेज दर्द से चीखने लगी – आआआआआऐईईईईईईईईईईऊऊऊऊऊऊ आआआआआ ईईईईईईईईईई ग्घ्ह्हह्ह्हह्ह आः ऊऊ आया ऊ ईईईईईईईईईईईइ, माआआआअररररररररररररर गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
दर्उद इतनी तेज था की उसके आँखों से आंसुओ की धार अपने आप बह चली |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ फ़ाआआआआआआआआआआआआआआआअट गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई
मीईईरीईइ गाआआआआआआआआआन्न्न | आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह माआआआअरररररररररररररमाँ दीदी | बहुत जलन हो रही है | ऐसा लग रहा हिया किसी ने चाकू भोक दिया हो |
रीमा दर्द से अपने पैर पटकने लगी | रोहिणी ने कसकर उसे थामे रखा | रीमा - दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज दीदी | रीमा रोने लगी | रोहिणी उसके पुचकारने लगी सहलाने लगी, उसके स्तनों को मसलने लगी |
रोहिणी - बस बस हो गया मेरी परी, बस अब इससे ज्यादा कुछ नहीं होना, खुद ही देख पूरा सुपाडा तेरी गांड में धंसा हुआ है |
रीमा को दर्द से ही होश नहीं था, उसकी आँखों से झर झर आंसू फुट रहे थे | वो दर्द के कारन रोये जा रही थी | बार बार रोहिणी से लंड को बाहर निकालने की गुहार कर रही थी |
![[Image: download.jpg]](https://1.bp.blogspot.com/-_o_HpwQYVZw/XU7v3LVVZlI/AAAAAAAABko/AWI7FUULV8wUrgfy56TyvwOW__KOieT9wCLcBGAs/s640/download.jpg)
रीमा - दीदी बहुत दर्द हो रहा है प्लीज बाहर निकाल लो, वरना मै मर जाऊँगी | ह्हाआआआआआ प्लीज |
रोहिणी उसे थामे वैसे ही लेती रही लेकिन रीमा का दर्द कम नहीं हुआ | रोहिणी ने रीमा का हाथ उसके चूत दाने पर रखा लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ | रोहिणी ने ही फिर रीमा के चूत दाने को मसलना शुरू कर दिया | काफी देर तक उसे पुचकारती रही, सहलाती रही और थामे रही | धीरे धीरे रीमा का दर्द कम होने लगा, उसका सिबुकना बंद हो गया और चूत दाने को मसले जाने से उसके ठन्डे पड़ गए शरीर में कुछ गर्मी लौटी | रोहिणी ने अपनी कमर हल्की सी हिलाई और दो बार उसकी गांड पर ठोकरे मारी और रीमा की गांड का तीखा दर्काद और भीषण जलन फिर से लौट आई | रोहिणी की कमर फिर थम गयी | रोहिणी उसे फिर से पुचकारती रही, सहलाती रही और बहुत धीमे उसकी गांड में लंड को अन्दर और बाहर खिसकाती रही | उसकी गांड में अभी बस सुपाडा ही घुसा था और रोहिणी पूरी कोशिश में थी कम से कम आधा लंड तो उसकी गांड में घुसा ही दू भले ही चोद न पाऊ | ताकि अगली बार लंड लेने के लिए गांड कुछ हद तक तो तैयार हो | रोहिणी आइस्ते आइस्ते अपने लंड का दबाव उसकी गांड पर बढ़ा रही थी जिससे वो उसके सुरंग की गहराई नाप सके लेकिन उसकी सुरंग का जख्मी पहरेदार ही रीमा के नासूर बन गया था और हल्की सी हरकत होने से रोये खड़े कर देने वाला तीखा दर्द पैदा कर देता था | दर्द से रीमा के चूतड़ जांघे और पिंडलियाँ सब बराबर पस्त थे | रोहिणी पूरी कोशिश में थी की उसका दर्द कम हो जाये तो उसकी गांड को थोड़ा रवा किया जाये लेकिन रीमा का जख्मी पहरेदार भी बहुत मुस्तैद था | रोहिणी की जरा सी हरकत से रीमा की जान हलक तक खीच लाता था | रोहिणी ने लंड का सुपाडा रीमा की गांड के गुलाबी छेद से निकाला और उसमे ढेर सारा गाढ़ा चिकना लोशन भर दिया | ये चिकनाई के साथ साथ दर्द भी कम करता था | रीमा को जल्दी सी राहत की साँस मिलने लगी |
रोहिणी ने फिर से लंड उसकी गांड में सटा दिया और अन्दर घुसेड़ने लगी | रीमा उसकी सख्त जकड़न में थी इसलिए हिलाने डुलने का सवाल ही नहीं था | आइस्ते से रोहिणी फिर से उतना ही लंड घुसेड़ दिया और जोर देकर और ज्यादा अन्दर को ठेलने लगी | लोशन से रीमा को बहुत राहत पंहुची थी लेकिन उसकी गांड के मुहाने पर दर्द और जलन बराबर बना हुआ था | हालाँकि अब उसका छेद इतना खुल गया था की वहां से उसकी गुलाबी सुरंग और उसकी सटी दीवारे नजर आने लगी थी | रोहिणी कमर हिलाने लगी | रीमा की गांड के छल्ले की में फंसा उसका लंड बस हलका सा आगे पीछे होने लगा | बीच बीच में रोहिणी तेज झटका मार देती तो रीमा चीख उठती | रोहिणी का सब्र अब टूटने लगा था |
रोहिणी - सुन कट्टो लगता है तेरा छेद बहुत जिद्दी है, लगता है खुलेगा नही इतनी आसनी से | रहने दे इसके किस्मत में लंड नहीं है लगता है |
रीमा - दीदी अब इतना कुछ बर्दाश्त कर लिया है तो थोडा और कर लूंगी | कम से कम एक बार पूरा लंड तो घुसेड़ दो |
रीमा की बातो से रोहिणी की हिम्मत बंधी - ठीक है तू कहती है तो एक बार तरी करती हूँ |
रोहिणी ने जोर देकर लंड को पूरा अन्दर तक ठेलने की कोशिश की और रीमा की गांड में फिर से वही चीरने वाला पुराना दर्द लौट आया | रीमा दर्द से दोहरी हो गयी | उसकी मुठियाँ भिंची हुई थी, जबड़ो को भींचकर वो दर्द को बर्दास्त तो कने की कोशिश कर रही थी लेकिन दर्द उसकी बर्दाश्त से बाहर था उर उसकी चीखे निकलने लगी |
रोहिणी थम गयी - रहन दे छुटकी, फिर कभी देखेगें | मै तो आती ही रहूंगी |
रीमा - दीदी मै क्या करू बहुत दर्द हो रहा है ऐसा लग रहा है जैसे कोई चुताड़ो को चीर कर दो किये दे रहा हो |
रोहिणी - कोई नहीं पहली बार ऐसा की लगता है जैसे किसी ने चाकू लेकर बीच से चूताड़ काट दिए है और उसमे चाकू रख दिया हो | तूने कोशिश तो पूरी करी |
रीमा - दीदी हमने कोशिश करी | एक बार हचक के पेल दो जो होगा देखा जायेगा | मै बर्दास्त कर लूंगी |
रोहिणी - पागल हो गयी है क्या, कही कुछ आगे पीछे हो गया तो |
र्रीमा - अब क्या होगा, जो होना था वो हो गया, एक बार आप जोर लगाकर देखो तो सही |
रीमा पेट के बल बिस्तर पर उल्टा लेट गयी | रोहिणी उसके पीछे आ गयी | रोहिणी ने उसकी गांड पर अपना लंड सटा दिया | रीमा ने कसकर बिस्तर को भींच लिया और पुरे शरीर को कड़ा कर लिया |
रोहिणी - शरीर को ढीला छोड़ पगली वरना और ज्यादा दर्द होगा |
रीमा - दीदी आप बस लंड पेलो |
रोहिणी के अपनी कमर पर जोर डाल कर लंड को रीमा की गाड़ में घुसेड दिया | रीमा की गांड के छल्ले ने उसी पहले की तरह ही जकड लिया |
रीमा - दीदी पूरा जोर लगाकर १० -20 बार ठेल दो, फिर आगे का आगे देखूँगी |
रोहिणी ने भी पूरा जोर लगाकर झटका मारा और रबर का चिकनाई से सना लंड रीमा के गांड के दर्द से भरे जलते मुहाने को चीरता हुआ अन्दर तक धंस गया | ऐसा लग रहा था जैसे पहले किसी ने नस्तर घुसेड़ दिया हो और अब उस पर तेज़ाब डाल दिया हो | उसकी गांड में भीषण जलन होने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे वहां किसी ने आग लगा दी हो | रीमा दर्द और जलन से लगभग बेहोश होने की कगार पर पहुच गयी |
रीमा - रुको मत दीदी |
![[Image: 16457481.gif]](https://1.bp.blogspot.com/-4xAjQ8EF8cY/XUUS7ACDiII/AAAAAAAABb8/tNpJzPuPzp8h1kWdzXqzr-ddU9HL0WR4QCLcBGAs/s640/16457481.gif)
रोहिणी ने रीमा की कमर पर कसकर हाथ जमाये और दे दनादन दे दनादन उसकी गांड को चीरने लगी | जलन बढ़ती गयी और दर्द बर्दाश्त से बाहर होता चला गया लेकिन एक ही साथ में लगाये गए १5 -20 झटको से लंड पूरा का पूरा रीमा की गांड में समां गया | रीमा की दर्द से हालात ख़राब होने लगी | रोहिणी ने झट से लंड बाहर निकाल लिया और रीमा को अपनी बांहों में समेत लिया |
रोहिणी - बस हो गया मेरी कट्टो चूत रानी | तू बहुत हिम्मत वाली है तूने एक ही रात में ये कर दिखाया |
रीमा के चुताड़ो के बीच बेतहाशा जलन और दर्द हो रहा था | रोहिणी ने रमा की गांड में एक ठंडा वाला चिकनाई भरा जेल भर दिया | जिससे उसकी जलती गांड को कुछ राहत मिली | रोहिणी ने उसे कसकर बांहों में भर लिया और उसकी आँखों से बह रहे आंसू पोछने लगी अपनी गुलाबी अधरों से उन्हें पीने लगी | ऐसा लग रहा जैसे आंसू बनकर निकलने वाले रीमा के दर्द को रोहिणी पी रही हूँ | रीमा भी अपनी दीदी रोहिणी की बांहों में समाती चली गयी | आज रोहिणी ने उसके पिछले दरवाजे को खो दिया | पता नहीं कितनी कामनाये कितनी वासनाए जो आज तक बस मन के किसी कोने में दबी हुई थी, उनके अब पूरी होने का रास्ता साफ़ हो गया था | रोहिणी ने स्ट्रैप निकाला और फिर से रीमा को बांहों में भर लिया |
अगली सुबह दोनों देर तक सोती रही | अनिल कई बार रीमा के बेडरूम तक आये और वापस लौट गए | दरवाजे पर नॉक करने की हिम्मत नहीं हुई | जैसे जैसे समय आगे बढ़ता जा रहा था अनिल के मन में कुलबुलाहट बढ़ती जा रही थी | फिर हारकर वो रोहित के घर चले गए ताकि कम से कम उनका मन इधर उधर भटक सके | दोनों रात में बहुत लेट सोयी थी इसलिए सुबह १० बजे तक सोती रही | रोहिणी की नीद पहले खुली | उसने कपड़े पहने और फ्रेश होने चली गयी | जब वापस आई तो देखा रीमा की आंख भी खुल गयी है |
रोहिणी - क्या हाल मेरी छुटकी का |
रीमा अलसाते हुए - आपने तो रात में जान ही निकाल दी, दर्द और जलन अभी तक हो रही है |
रोहिणी - कोई नहीं, मै तुझे अभी जादुई क्रीम देती हूँ सब ठीक हो जायेगा |
रोहिणी ने उसे उसी की ड्रोर से एक क्रीम निकाल कर दी, फिर रीमा गाउन डालकर फ्रेश होने चली गयी |
रोहिणी ने दरवाजा खोला और बाहर देखा चारो तरफ देखा अनिल कही दिखाई नहीं दिए |
उन्होंने अनिल को फ़ोन मिला दिया | अनिल तो जैसे फ़ोन की राह ही देख रहे थे झट से फ़ोन उठाया |
रोहिणी - कहाँ चले गए, मै जरा सा उठने में लेट क्या हो गयी तुम तो फुर्र ही हो गए |
रीमा को देखने की लालसा में अनिल कुछ नहीं बोले - बस आ गया | इतना कहकर फ़ोन काट दिया |
कुछ ही देर में अनिल रीमा के घर पहुँच गए |
रोहिणी - यहाँ कोई नौकर तो है नहीं जो नाश्ता बनाएगा, तुम हो की मेरी ओट पाते ही फुर्र हो लिए |
अनिल - अरे तुम सोकर नहीं उठी थी इसलिए बच्चो के पास तक चला गया था | बस अभी बनाकर लाता हूँ |
तभी अनिल को अपने बाथरूम से रीमा निकलती दिखाई दी |
अनिल के न चाहते हुए भी उनके मुहँ से निकल गया - कैसी हो रीमा |
रीमा हल्का सा मुस्कुरायी - बढियां हूँ जीजा जी |
अनिल - क्या बात है तुमारी हालत देखकर लगता है तुमारी हालत ठीक नहीं है |
अनिल के सवाल से रीमा सकपका गयी, रीमा - अरे ऐसी कोई बात नहीं है जीजा जी मै ठीक हूँ |
अनिल को फिर भी संतोष नहीं था, वो कुछ बोलना चाह रहे थे इससे पहले ही रोहिणी ने उनकी बात काट दी - कुछ खिलाओगे पिलाओगे या इंटरव्यू ही लेटे रहोगे |
अनिल - अरे वो तो मै रीमा का हाल चाल ले रहा था | चेहरे से उसकी हालत ठीक नहीं लग रही |
रोहिणी को भूख लगी थी और अनिल यहाँ जासूस बने हुए थे | रोहिणी अनिल की हरकते जानती थी इसलिए फट फड़ी - जाकर चुपचाप ब्रेक फ़ास्ट बनावो अहम् दोनों के लिए |
अनिल - अरे तुम बेवजह भड़क रही हो मै तो बस हालचाल ले रहा था |
रोहिणी और भड़क गयी - क्या पूछना है क्या पूछना है मुझसे पूछो |
अनिल - गरम मत हो मै जा रहा हूँ, रीमा कोई स्पेशल डिमांड ब्रेकफास्ट में |
रीमा फिर से मुस्कुरायी - नहीं जीजा जी |
रोहिणी अनिल को घूरने लगी लेकिन अनिल को लगा सच में रीमा की तबियत ठीक नहीं है |
रोहिणी - क्या अब यहाँ क्यों बुत बने खड़े हो |
अनिल - कल के बाद से रीमा की हालत मुझे ठीक नहीं लग रही है |
रोहिणी फट पड़ी - हाँ रीमा की हालत ठीक नहीं है क्योंकि राटा भर मैंने उसकी गांड मारी है अब खुश | अब जाकर नास्ता बनाकर लावो |
रोहिणी के तेवर देख अनिल ने वहां से खिसकने में ही भलाई समझी | रीमा रोहिणी की बात सुनकर हैरान रह गयी | मन ही मन सोचने लगी दीदी ऐसा कैसे कह सकती है खुलेआम |
रीमा का चेहरा देखकर रोहिणी को अपनी गलती का अहसास हुआ - अरे कुछ नहीं पगली तू चिंता मत कर, वो कुछ नहो सोचेगा तेरे बारे में | मै उसे घुट्टी पिला दूँगी | तू निश्चित रह | आ चल तुझे कुछ देती हूँ |
कमरे में जाकर उसे बट प्लग दिया, जिसको पहनने से गाड़ का छेद नरम हो जायेगा और खुल भी जायेगा |
रोहिणी ने उसे बट प्लग पहन कर भी दिखाया | और रोज रात में सोने से पहले पहनने को कहा |
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दो दिन तक रोहिणी ने भी रोहित की तरह रीमा को तरह तरह के प्राकृतिक अप्राकृतिक पाशविक काल्पनिक सब तरह के सेक्स की खूब कहानियां सुनाई | रीमा ने भी उसकी कहानियां खूब दिलचस्पी लेकर सुनी | रीमा के लिए वासना के नए नए आयाम रोज खुलते जा रहे थे | दो दिन तक रोहिणी रीमा के घर पर ही रुकी हालाँकि उसने अनिल को वापस बच्चो के पास रोहित के घर बेज दिया था |
रीमा भी नार्मल हो गयी थी | सब कुछ रूटीन लाइफ की तरह नार्मल हो गया था और प्रियम भी अब रीमा के साथ सहज रहने लगा था | उसे अपनी हद साफ़ साफ़ पता चल गयी थी | उसके दिमाग पर चढ़ा नशा उतार गया था | उसे ख़ुशी दी रीमा चाची ने उसे माफ़ कर दिया | वो खुद को लकी मनाता था की रीमा चाची उसके बाप के पीछे उसका ख्याल रखने के लिए उसके पास है |
रीमा की हालत ऐसी नहीं थी की वो अभी रोहिणी से सवाल जवाब कर सके, उसका गांड न मारने का वादा उसे याद दिला सके | रीमा ने खुद को ढीला छोड़ दिया | रोहिणी ने पूरी तरह से कसकर लंड को जकड़ लिया और पूरा जोर लगाकर रीमा की गांड में ठेल दिया | जीतनी तेजी से रोहिणी ने लंड ठेला था उतनी तेजी से वो रीमा की गांड के सख्त पहरेदार को ठोकर मारकर चूत की तरफ फिसल गया | रीमा की चूतड़ की घाटी में इस ठोकर के लगने से एक तीखा सा चीर कर रख देने वाला दर्द उठा | रीमा ने दोनों पाँव सिकोड़ लिए, उसके चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैर गयी |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
रोहिणी समझ गयी, रीमा के छल्ले को और ज्यादा फैलाना होगा नहीं तो लंड ऐसे ही रपटता रहेगा | उसने लंड के सुपाडे की चिकनाई पोच दी और फिर से उसे रीमा की गांड से सटा दिया | इस बार रोहिणी ने झटका नहीं लगाया बल्कि अपनी कमर का पूरा जोर अपने लंड पर डाल दिया | रीमा की गांड के छल्ले ने पूरा जोर लगाया , रोहिणी के लंड को रोकने के लिए लेकिन रोहिणी की ताकत के आगे फ़ैल हो गया | उसकी मांसपेशियां में इतना भीषण दर्द उठा जैसे लगा किसी ने चाकू से काटकर दो टुकडे कर दिए हो | रीमा की गांड का पहरेदार ने हथियार डाल दिए और रोहिणी के लंड का सुपाडा रीमा की बेहद कसी गांड के छल्ले को चीरता हुआ अन्दर घुस गया |
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जैसे ही लंड रीमा की गांड में घुसा उसके पुरे शरीर में सिहरन और कंपकपी दौड़ गयी | गांड के छेद को चारो ओर से घेरे छल्ले के खुलते ही रीमा को भीषण दर्द का अहसास होना शुरू हो गया | ऐसा लगा किसी ने उसके पिछवाड़े में नस्तर घुसेड़ कर उसे चीर दिया हो | उसके गांड के छल्ले में सिर्फ ही नहीं जलन भी बहुत तेज होने लगी | रीमा अपनी पिछवाड़े में हुए इस आक्रमण से बहुत तेज चीख पड़ी | रोहिणी ने खुद को स्थिर कर लिया और इससे पहले रीमा हाथ पांव पटकना शुरू कर दे उसे कसकर जकड लिया |
रीमा बहुत तेज दर्द से चीखने लगी – आआआआआऐईईईईईईईईईईऊऊऊऊऊऊ आआआआआ ईईईईईईईईईई ग्घ्ह्हह्ह्हह्ह आः ऊऊ आया ऊ ईईईईईईईईईईईइ, माआआआअररररररररररररर गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
दर्उद इतनी तेज था की उसके आँखों से आंसुओ की धार अपने आप बह चली |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ फ़ाआआआआआआआआआआआआआआआअट गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई
मीईईरीईइ गाआआआआआआआआआन्न्न | आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह माआआआअरररररररररररररमाँ दीदी | बहुत जलन हो रही है | ऐसा लग रहा हिया किसी ने चाकू भोक दिया हो |
रीमा दर्द से अपने पैर पटकने लगी | रोहिणी ने कसकर उसे थामे रखा | रीमा - दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज दीदी | रीमा रोने लगी | रोहिणी उसके पुचकारने लगी सहलाने लगी, उसके स्तनों को मसलने लगी |
रोहिणी - बस बस हो गया मेरी परी, बस अब इससे ज्यादा कुछ नहीं होना, खुद ही देख पूरा सुपाडा तेरी गांड में धंसा हुआ है |
रीमा को दर्द से ही होश नहीं था, उसकी आँखों से झर झर आंसू फुट रहे थे | वो दर्द के कारन रोये जा रही थी | बार बार रोहिणी से लंड को बाहर निकालने की गुहार कर रही थी |
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रीमा - दीदी बहुत दर्द हो रहा है प्लीज बाहर निकाल लो, वरना मै मर जाऊँगी | ह्हाआआआआआ प्लीज |
रोहिणी उसे थामे वैसे ही लेती रही लेकिन रीमा का दर्द कम नहीं हुआ | रोहिणी ने रीमा का हाथ उसके चूत दाने पर रखा लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ | रोहिणी ने ही फिर रीमा के चूत दाने को मसलना शुरू कर दिया | काफी देर तक उसे पुचकारती रही, सहलाती रही और थामे रही | धीरे धीरे रीमा का दर्द कम होने लगा, उसका सिबुकना बंद हो गया और चूत दाने को मसले जाने से उसके ठन्डे पड़ गए शरीर में कुछ गर्मी लौटी | रोहिणी ने अपनी कमर हल्की सी हिलाई और दो बार उसकी गांड पर ठोकरे मारी और रीमा की गांड का तीखा दर्काद और भीषण जलन फिर से लौट आई | रोहिणी की कमर फिर थम गयी | रोहिणी उसे फिर से पुचकारती रही, सहलाती रही और बहुत धीमे उसकी गांड में लंड को अन्दर और बाहर खिसकाती रही | उसकी गांड में अभी बस सुपाडा ही घुसा था और रोहिणी पूरी कोशिश में थी कम से कम आधा लंड तो उसकी गांड में घुसा ही दू भले ही चोद न पाऊ | ताकि अगली बार लंड लेने के लिए गांड कुछ हद तक तो तैयार हो | रोहिणी आइस्ते आइस्ते अपने लंड का दबाव उसकी गांड पर बढ़ा रही थी जिससे वो उसके सुरंग की गहराई नाप सके लेकिन उसकी सुरंग का जख्मी पहरेदार ही रीमा के नासूर बन गया था और हल्की सी हरकत होने से रोये खड़े कर देने वाला तीखा दर्द पैदा कर देता था | दर्द से रीमा के चूतड़ जांघे और पिंडलियाँ सब बराबर पस्त थे | रोहिणी पूरी कोशिश में थी की उसका दर्द कम हो जाये तो उसकी गांड को थोड़ा रवा किया जाये लेकिन रीमा का जख्मी पहरेदार भी बहुत मुस्तैद था | रोहिणी की जरा सी हरकत से रीमा की जान हलक तक खीच लाता था | रोहिणी ने लंड का सुपाडा रीमा की गांड के गुलाबी छेद से निकाला और उसमे ढेर सारा गाढ़ा चिकना लोशन भर दिया | ये चिकनाई के साथ साथ दर्द भी कम करता था | रीमा को जल्दी सी राहत की साँस मिलने लगी |
रोहिणी ने फिर से लंड उसकी गांड में सटा दिया और अन्दर घुसेड़ने लगी | रीमा उसकी सख्त जकड़न में थी इसलिए हिलाने डुलने का सवाल ही नहीं था | आइस्ते से रोहिणी फिर से उतना ही लंड घुसेड़ दिया और जोर देकर और ज्यादा अन्दर को ठेलने लगी | लोशन से रीमा को बहुत राहत पंहुची थी लेकिन उसकी गांड के मुहाने पर दर्द और जलन बराबर बना हुआ था | हालाँकि अब उसका छेद इतना खुल गया था की वहां से उसकी गुलाबी सुरंग और उसकी सटी दीवारे नजर आने लगी थी | रोहिणी कमर हिलाने लगी | रीमा की गांड के छल्ले की में फंसा उसका लंड बस हलका सा आगे पीछे होने लगा | बीच बीच में रोहिणी तेज झटका मार देती तो रीमा चीख उठती | रोहिणी का सब्र अब टूटने लगा था |
रोहिणी - सुन कट्टो लगता है तेरा छेद बहुत जिद्दी है, लगता है खुलेगा नही इतनी आसनी से | रहने दे इसके किस्मत में लंड नहीं है लगता है |
रीमा - दीदी अब इतना कुछ बर्दाश्त कर लिया है तो थोडा और कर लूंगी | कम से कम एक बार पूरा लंड तो घुसेड़ दो |
रीमा की बातो से रोहिणी की हिम्मत बंधी - ठीक है तू कहती है तो एक बार तरी करती हूँ |
रोहिणी ने जोर देकर लंड को पूरा अन्दर तक ठेलने की कोशिश की और रीमा की गांड में फिर से वही चीरने वाला पुराना दर्द लौट आया | रीमा दर्द से दोहरी हो गयी | उसकी मुठियाँ भिंची हुई थी, जबड़ो को भींचकर वो दर्द को बर्दास्त तो कने की कोशिश कर रही थी लेकिन दर्द उसकी बर्दाश्त से बाहर था उर उसकी चीखे निकलने लगी |
रोहिणी थम गयी - रहन दे छुटकी, फिर कभी देखेगें | मै तो आती ही रहूंगी |
रीमा - दीदी मै क्या करू बहुत दर्द हो रहा है ऐसा लग रहा है जैसे कोई चुताड़ो को चीर कर दो किये दे रहा हो |
रोहिणी - कोई नहीं पहली बार ऐसा की लगता है जैसे किसी ने चाकू लेकर बीच से चूताड़ काट दिए है और उसमे चाकू रख दिया हो | तूने कोशिश तो पूरी करी |
रीमा - दीदी हमने कोशिश करी | एक बार हचक के पेल दो जो होगा देखा जायेगा | मै बर्दास्त कर लूंगी |
रोहिणी - पागल हो गयी है क्या, कही कुछ आगे पीछे हो गया तो |
र्रीमा - अब क्या होगा, जो होना था वो हो गया, एक बार आप जोर लगाकर देखो तो सही |
रीमा पेट के बल बिस्तर पर उल्टा लेट गयी | रोहिणी उसके पीछे आ गयी | रोहिणी ने उसकी गांड पर अपना लंड सटा दिया | रीमा ने कसकर बिस्तर को भींच लिया और पुरे शरीर को कड़ा कर लिया |
रोहिणी - शरीर को ढीला छोड़ पगली वरना और ज्यादा दर्द होगा |
रीमा - दीदी आप बस लंड पेलो |
रोहिणी के अपनी कमर पर जोर डाल कर लंड को रीमा की गाड़ में घुसेड दिया | रीमा की गांड के छल्ले ने उसी पहले की तरह ही जकड लिया |
रीमा - दीदी पूरा जोर लगाकर १० -20 बार ठेल दो, फिर आगे का आगे देखूँगी |
रोहिणी ने भी पूरा जोर लगाकर झटका मारा और रबर का चिकनाई से सना लंड रीमा के गांड के दर्द से भरे जलते मुहाने को चीरता हुआ अन्दर तक धंस गया | ऐसा लग रहा था जैसे पहले किसी ने नस्तर घुसेड़ दिया हो और अब उस पर तेज़ाब डाल दिया हो | उसकी गांड में भीषण जलन होने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे वहां किसी ने आग लगा दी हो | रीमा दर्द और जलन से लगभग बेहोश होने की कगार पर पहुच गयी |
रीमा - रुको मत दीदी |
![[Image: 16457481.gif]](https://1.bp.blogspot.com/-4xAjQ8EF8cY/XUUS7ACDiII/AAAAAAAABb8/tNpJzPuPzp8h1kWdzXqzr-ddU9HL0WR4QCLcBGAs/s640/16457481.gif)
रोहिणी ने रीमा की कमर पर कसकर हाथ जमाये और दे दनादन दे दनादन उसकी गांड को चीरने लगी | जलन बढ़ती गयी और दर्द बर्दाश्त से बाहर होता चला गया लेकिन एक ही साथ में लगाये गए १5 -20 झटको से लंड पूरा का पूरा रीमा की गांड में समां गया | रीमा की दर्द से हालात ख़राब होने लगी | रोहिणी ने झट से लंड बाहर निकाल लिया और रीमा को अपनी बांहों में समेत लिया |
रोहिणी - बस हो गया मेरी कट्टो चूत रानी | तू बहुत हिम्मत वाली है तूने एक ही रात में ये कर दिखाया |
रीमा के चुताड़ो के बीच बेतहाशा जलन और दर्द हो रहा था | रोहिणी ने रमा की गांड में एक ठंडा वाला चिकनाई भरा जेल भर दिया | जिससे उसकी जलती गांड को कुछ राहत मिली | रोहिणी ने उसे कसकर बांहों में भर लिया और उसकी आँखों से बह रहे आंसू पोछने लगी अपनी गुलाबी अधरों से उन्हें पीने लगी | ऐसा लग रहा जैसे आंसू बनकर निकलने वाले रीमा के दर्द को रोहिणी पी रही हूँ | रीमा भी अपनी दीदी रोहिणी की बांहों में समाती चली गयी | आज रोहिणी ने उसके पिछले दरवाजे को खो दिया | पता नहीं कितनी कामनाये कितनी वासनाए जो आज तक बस मन के किसी कोने में दबी हुई थी, उनके अब पूरी होने का रास्ता साफ़ हो गया था | रोहिणी ने स्ट्रैप निकाला और फिर से रीमा को बांहों में भर लिया |
अगली सुबह दोनों देर तक सोती रही | अनिल कई बार रीमा के बेडरूम तक आये और वापस लौट गए | दरवाजे पर नॉक करने की हिम्मत नहीं हुई | जैसे जैसे समय आगे बढ़ता जा रहा था अनिल के मन में कुलबुलाहट बढ़ती जा रही थी | फिर हारकर वो रोहित के घर चले गए ताकि कम से कम उनका मन इधर उधर भटक सके | दोनों रात में बहुत लेट सोयी थी इसलिए सुबह १० बजे तक सोती रही | रोहिणी की नीद पहले खुली | उसने कपड़े पहने और फ्रेश होने चली गयी | जब वापस आई तो देखा रीमा की आंख भी खुल गयी है |
रोहिणी - क्या हाल मेरी छुटकी का |
रीमा अलसाते हुए - आपने तो रात में जान ही निकाल दी, दर्द और जलन अभी तक हो रही है |
रोहिणी - कोई नहीं, मै तुझे अभी जादुई क्रीम देती हूँ सब ठीक हो जायेगा |
रोहिणी ने उसे उसी की ड्रोर से एक क्रीम निकाल कर दी, फिर रीमा गाउन डालकर फ्रेश होने चली गयी |
रोहिणी ने दरवाजा खोला और बाहर देखा चारो तरफ देखा अनिल कही दिखाई नहीं दिए |
उन्होंने अनिल को फ़ोन मिला दिया | अनिल तो जैसे फ़ोन की राह ही देख रहे थे झट से फ़ोन उठाया |
रोहिणी - कहाँ चले गए, मै जरा सा उठने में लेट क्या हो गयी तुम तो फुर्र ही हो गए |
रीमा को देखने की लालसा में अनिल कुछ नहीं बोले - बस आ गया | इतना कहकर फ़ोन काट दिया |
कुछ ही देर में अनिल रीमा के घर पहुँच गए |
रोहिणी - यहाँ कोई नौकर तो है नहीं जो नाश्ता बनाएगा, तुम हो की मेरी ओट पाते ही फुर्र हो लिए |
अनिल - अरे तुम सोकर नहीं उठी थी इसलिए बच्चो के पास तक चला गया था | बस अभी बनाकर लाता हूँ |
तभी अनिल को अपने बाथरूम से रीमा निकलती दिखाई दी |
अनिल के न चाहते हुए भी उनके मुहँ से निकल गया - कैसी हो रीमा |
रीमा हल्का सा मुस्कुरायी - बढियां हूँ जीजा जी |
अनिल - क्या बात है तुमारी हालत देखकर लगता है तुमारी हालत ठीक नहीं है |
अनिल के सवाल से रीमा सकपका गयी, रीमा - अरे ऐसी कोई बात नहीं है जीजा जी मै ठीक हूँ |
अनिल को फिर भी संतोष नहीं था, वो कुछ बोलना चाह रहे थे इससे पहले ही रोहिणी ने उनकी बात काट दी - कुछ खिलाओगे पिलाओगे या इंटरव्यू ही लेटे रहोगे |
अनिल - अरे वो तो मै रीमा का हाल चाल ले रहा था | चेहरे से उसकी हालत ठीक नहीं लग रही |
रोहिणी को भूख लगी थी और अनिल यहाँ जासूस बने हुए थे | रोहिणी अनिल की हरकते जानती थी इसलिए फट फड़ी - जाकर चुपचाप ब्रेक फ़ास्ट बनावो अहम् दोनों के लिए |
अनिल - अरे तुम बेवजह भड़क रही हो मै तो बस हालचाल ले रहा था |
रोहिणी और भड़क गयी - क्या पूछना है क्या पूछना है मुझसे पूछो |
अनिल - गरम मत हो मै जा रहा हूँ, रीमा कोई स्पेशल डिमांड ब्रेकफास्ट में |
रीमा फिर से मुस्कुरायी - नहीं जीजा जी |
रोहिणी अनिल को घूरने लगी लेकिन अनिल को लगा सच में रीमा की तबियत ठीक नहीं है |
रोहिणी - क्या अब यहाँ क्यों बुत बने खड़े हो |
अनिल - कल के बाद से रीमा की हालत मुझे ठीक नहीं लग रही है |
रोहिणी फट पड़ी - हाँ रीमा की हालत ठीक नहीं है क्योंकि राटा भर मैंने उसकी गांड मारी है अब खुश | अब जाकर नास्ता बनाकर लावो |
रोहिणी के तेवर देख अनिल ने वहां से खिसकने में ही भलाई समझी | रीमा रोहिणी की बात सुनकर हैरान रह गयी | मन ही मन सोचने लगी दीदी ऐसा कैसे कह सकती है खुलेआम |
रीमा का चेहरा देखकर रोहिणी को अपनी गलती का अहसास हुआ - अरे कुछ नहीं पगली तू चिंता मत कर, वो कुछ नहो सोचेगा तेरे बारे में | मै उसे घुट्टी पिला दूँगी | तू निश्चित रह | आ चल तुझे कुछ देती हूँ |
कमरे में जाकर उसे बट प्लग दिया, जिसको पहनने से गाड़ का छेद नरम हो जायेगा और खुल भी जायेगा |
रोहिणी ने उसे बट प्लग पहन कर भी दिखाया | और रोज रात में सोने से पहले पहनने को कहा |
![[Image: downlo.jpg]](https://1.bp.blogspot.com/-5Jftxqwwki8/XVQ8bT454NI/AAAAAAAABnM/YZW7FLJ36jU7Mc5Ea67y48ZH_D4LO0yAACLcBGAs/s640/downlo.jpg)
दो दिन तक रोहिणी ने भी रोहित की तरह रीमा को तरह तरह के प्राकृतिक अप्राकृतिक पाशविक काल्पनिक सब तरह के सेक्स की खूब कहानियां सुनाई | रीमा ने भी उसकी कहानियां खूब दिलचस्पी लेकर सुनी | रीमा के लिए वासना के नए नए आयाम रोज खुलते जा रहे थे | दो दिन तक रोहिणी रीमा के घर पर ही रुकी हालाँकि उसने अनिल को वापस बच्चो के पास रोहित के घर बेज दिया था |
रीमा भी नार्मल हो गयी थी | सब कुछ रूटीन लाइफ की तरह नार्मल हो गया था और प्रियम भी अब रीमा के साथ सहज रहने लगा था | उसे अपनी हद साफ़ साफ़ पता चल गयी थी | उसके दिमाग पर चढ़ा नशा उतार गया था | उसे ख़ुशी दी रीमा चाची ने उसे माफ़ कर दिया | वो खुद को लकी मनाता था की रीमा चाची उसके बाप के पीछे उसका ख्याल रखने के लिए उसके पास है |