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Adultery रीमा की दबी वासना
रोहिणी फिर घूमकर रीमा से चिपक गयी | दोनों एक दुसरे को चूमने लगे

 दोनों की सांसे ढलान पर थी | रीमा ने स्ट्रैप भी नहीं उतारा था और उसने शावर फिर से ऑन कर दिया | दोनों एक दुसरे से चिपककर भीगने लगी | उसके बाद दोनों कमरे में आ गयी
 खुद को तौलिये से पोछा | और बेड पर लुढ़क गयी | आधी रात बीत चुकी थी | रीमा ने अपना स्ट्रैप उतारा ही था की उसे रोहिणी ने पहन लिया | उसमे उसने एक दुसरे साइज़ का रबर का लंड फिट किया |
फिर रीमा को आकर बांहों में भर लिया | उसको चूमने लगी, उसके चूत दाने को रगड़ने लगी | उसकी चूत में उंगलियाँ घुसाकर उस्क्प चोदने लगी | रीमा का मुहँ खुल गया और वहां से बस मादक सिसकारियां फूटने लगी |
[Image: 09.jpg]
रोहिणी आदेश देती हुई - चल तैयार हो जा, निकालती हूँ तेरा डर अब ठीक से |
रीमा मासूमियत से - दीदी मैंने क्या किया है |
रोहिणी - अपनी बारी आई तो देखो बड़ी मासूम बन रही है, अभी कुछ देर पहले कैसे हचक हचक के धक्के लगा रही थी, पूरी गांड चीर के रख दी मेरी  | 
रीमा - वो तो आपने कहा था करने के लिए |
रोहिणी - बड़ी आज्ञाकारी है न तो अब भी मेरी बात मान ले | चल घोड़ी बन जा |
रीमा न नुकुर करती रही लेकिन रोहिणी के आगे उसकी एक नहीं चली | रोहिणी उसकी चूत दाने को मसलते मसलते उसको उल्टा कर दिया | उसके बाद खुद पीछे से आ गयी | रीमा के चुताड़ो को हवा में ऊपर उठा दिया और अपने लंड को चिकने लोशन से सरोबार करने लगी | 
रीमा कुछ कहना चाहती थी लेकिन रोहिणी सुनने को तैयार ही नहीं थी | उसके चूत दाने को मसलते मसलते उसकी गांड पर उंगली फिराने लगी और फिर एक उंगली उसकी गाड़ में घुसाने लगी | रीमा ने गांड के छेद को सिकोड़कर और कस लिया | 
रीमा - दीदी मेरी बात तो सुनो, प्लीज दीदी वहां नहीं, वहां कभी नहीं गया है | प्लीज दीदी मान जावो |
रोहिणी चुपचाप अपने काम में लगी थी | जब उसने देखा रीमा ने गांड का छेद पर अपनी कसावट और बढ़ा दी है जिससे की उसकी उंगली का भी घुसना मुश्किल हो गया है तो उसने रीमा के चूत में अपना रबर का लंड घुसेड दिया और उसे चोदने लगी | रीमा को इसकी आशंका बिलकुल नहीं थी उसकी चूत भी इस हमले के लिए तैयार नहीं थी | रीमा के मुहँ से हल्की चीख निकल गयी - आआआआआआआआआआ आअऊऊऊऊऊउ ईईईईईईईईईइ च्च्च्चच्च्च्छच्च्च्क, आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हहओह माय गॉड, दीदीदीदीदीदीदीदीदीदीदीदी प्लाज जजजजजजजजजज | आअहाआअहाआह्ह | 
रोहिणी के धक्के उसके लंड घुसाते ही चालू हो गए | रीमा कराहने लगी | उसकी चूत को खुलने में टाइम लगा और इसलिए उसकी चूत की दीवारे दर्द और जलन से तड़प उठी | उसने मुट्ठियाँ भींच ली और दर्द के सामन्य होने का इन्तजार करने लगी |
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रोहिणी - मुझसे बदमाशी करेगी तो ऐसे ही दर्द से तड़पती रहेगी | चल अब गांड का छेद ढीला कर वरना अभी ठोकर मार मार कर तेरी बच्चेदानी सुजा दूँगी |
रीमा समझ गयी दीदी से चालाकी करने का कोई फायदा नहीं जो उन्होंने ठान लिया है वो करके मानेगी | मैंने उनकी गांड मारी है अब आज मुझे नहीं लगता मेरी गांड कुंवारी बच पायेगी | फिर भी रीमा इत्ती आसानी से हार मानने वालो में नहीं थी |
रीमा - दीदी यही करती रहो न |
रोहिणी - चुप कर करमजली |
रीमा - दीदी आप मुझे क्यों दर्द से तड़पता देखना चाहते हो, इसका मतलब आप मुझे प्यार नहीं करते हो |
रोहिणी - पगली ये ड्रामा किसी और पर ट्राई करना, मुझ पर काम नहीं करेगा |
रीमा - आप मेरे पिछवाड़े के पीछे क्यों पड़ गयी हो, आप भी मर्दों की तरह मुझे रुलाना चाहते हो बस |
रोहिणी इस बार गंभीर हो गयी - नहीं पगली, मै तुझसे बहुत प्यार करती हूँ, इसीलिए तेरी गांड को छुते ही तेरे मुहँ से निकलने वाली सिसकारियां मैंने देखि है | मै बस तेरी वो प्यास बुझाना चाहती हूँ | पहली बार है इसलिए दर्द तो होगा ही, लेकिन जब चूत चुदवाई थी तब भी तो पहली बार किया था | तब नहीं दरी तो अब क्यों डर रही है | मै एक औरत हूँ तेरा दर्द समझ सकती हूँ क्योकि मैंने भी उसे जिया है | बस तू हिम्मत न हार, बाकि सब मुझ पर छोड़ दे |
रीमा छुप रही, अब वो निरुत्तर थी |
रोहिणी - तुझे अपनी दीदी पर भरोसा नहीं, बोल न |
कुछ देर की ख़ामोशी के बाद - पूरा भरोसा है आप दीदी लेकिन मै ये नहीं कर सकती |
रीमा - तुझे करने के लिए बोल कौन रहा है, बस मेरी लाडली बनकर मेरी बात अच्छे से मानती जा, सब अपने आप हो जायेगा | 
रोहिणी ने रीमा की चूत में तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए और अपनी उंगली रीमा की गांड में घुसाने लगी | रीमा के चुताड़ो के निचले हिस्से की दरार घाटी में एक अजीब सी सनसनाहट हुई और उंगली उसकी पिछली सुराग के इस्पाती दरवाजे को चीरने लगी |  धीरे धीरे रोहिणी की उंगली रीमा की वर्जित सुरंग के इलाके को खोलने लगी | रीमा के मुहँ से उन्न्न्नन्न आननं की आवजे निकल रही थी
 रीमा के बदन को वासना की तपती भट्टी बनाने के लिए उसकी चूत में दनादन रोहिणी अपना लंड पेल रही थी |
कुछ देर बाद रोहिणी ने रीमा की गांड में जब दूसरी उंगली घुसाई तो रीमा कराह उठी | उसके मुहँ से आआआआह्ह्ह्ह की एक लम्बी कराह निकली | रोहिणी को बहुत जोर लगाना पड़ा तब जाकर उसकी दोनों उंगली का पोर उसकी गांड की सुरंग के गुलाबी इस्पाती सख्त पहरेदार की जकड़न में फंस गयी | न उंगलियाँ आगे जा रही थी न पीछे | उंगलियों के पोर वही जाम हो गए थे | गांड के छल्ले की सख्त जकड़न ने उन्हें वही दबोच लिया था | रोहिणी बस हाथ हिलाने लगी, जिससे गांड का छल्ला थोडा बहुत आगे पीछे हिलाने लगा और उसके साथ रीमा के चुताड़ो की घाटी का मांस भी हिलाने लगा |  
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रोहिणी रीमा को अपने ऊपर ले आई | उसका मोटा लंड रीमा की चूत में धंसा था | उसके हाथ रीमा के चुताड़ो को थामे थे | रोहिणी ने रीमा के रसभरे गुलाबी ओठ अपने मुहँ में भर लिए और  उसके ओंठो को कसकर चूमने लगी, उसके स्तनों को मसलने लगी और नीचे से त्तेजी से कमर हिलाकर उसको चोदने लगी | वो पहले जल्द से जल्द रीमा के बदन को गरम करना चाहती थी लेकिन अपनी ही चिंता में दुबली हुई पड़ी थी इसलिए उसके बदन में वासना की गरमी नहीं चढ़ रही थी |  वो निश्चित नहीं थी की रोहिणी क्या करने वाली है, क्या सचमुच उसकी गांड मारने वाली है या बस सुभारम्भ करेगी और फीता काटकर उसकी गांड को बक्श देगी | अब उनसे पूछना भी व्यर्थ था | 
इसलिए रोहिणी रीमा को अपने ऊपर ले आई और उसको जोर जोर से कमर हिलाकर चोदने लगी | 
रोहिणी रीमा के कान में फुसफुसाई - अपने मन से डर निकाल दे बस चुदाई के मजे ले, सोच रही तेरी गांड का नथ उतारने का प्रोग्राम किसी और दिन का रखु | अब चिंता में दुबली होना बंद कर और अपनी चूत में लंड की ठोकरों का मजा ले |
रीमा की तो जैसे जान में जान आई | उसके गुलाबी ओंठ खुदबखुद ही रोहिणी के ओंठो से चिपक गए | रोहिणी उसके स्तनों को मसलने लगी | रीमा अपने ही चूत दाने को रगड़ने लगी | इतने में रोहिणी ने रीमा को पलट कर अपने नीचे कर दिया और उसे हचक हचक कर चोदने लगी | 
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रीमा ने भी अपनी जांघे फैला दी | रोहिणी की ट्रिक काम कर गयी थी | रीमा अब चुदाई से मदहोश होने लगी | य्सके हाथ रोहिणी की पीठ पर आकर जैम गए | उसके ओंठ अभी भी रोहिणी के अधरों का रस पान कर रहे थे | दोनों जिस्म फिर से गरम होकर वासना की भंवर में गोते लगाने लगे और रीमा की चूत में रोहिणी का लंड सटासट जा रहा था | रीमा के मुहँ से हर झटके के साथ लयबद्ध सिसकारियां फुट रही थी | रीमा उत्तेजना की सीढियां पार करते करते अब वासना की भंवर में गहराई तक गोते लगाने लगी थी | 
रोहिणी उसकी छाती पर अपनी छाती रगड़ रही थी, दोनों के उन्नत ठोस सुडौल उरोज एक दुसरे से रगड़ खा रहे थे | उनकी चुंचियां आपस में रगड़ खाकर तनकर सख्त हो गयी थी | रोहिणी ने अपना एक हाथ रीमा की पीठ के नीचे से निकाला और रीमा की जांघ से नीचे खिसकाते हुए उसकी गांड के छेद के पास ले गयी | रोहिणी ने रीमा की चूत में लगाने वाले धक्के हलके कर दिए | उसने दो उंगलियों के उपरी सिरे को आपस में चिपकाया और उसकी चूत से बह रहे रस से उनको गीला किया और फिर रीमा के हलके भूरे गुलाबी गांड के छेद पर उसे गोल गोल घुमाने लगी | बीचे में जोर से दोनों को घुसेड़ने की कोशिश की लेकिन एक ही पल बाद फिर से घुमाने लगी | रोहिणी के उंगलियों के पोर का सुखद स्पर्श रीमा की गांड के जब सवेदनशील इस्पाती जकड़न वाले गांड के छेद से हुआ तो अपने आप ही उससे उठने वाली तरंगो का अहसास रीमा के पुरे बदन को होने लगा | रोहिणी ने रीमा की गांड पर उंगलियाँ फिराना तेज कर दी |
 उनसे उठने वाली सनसनाहट रीमा के शरीर की बेचैनी बढ़ाने लगी | रोहिणी ने अचानक से उंगलियाँ घुमाना बंद कर दिया और दोनी उंगलियाँ उसकी गांड के सख्त पहरेदार की जकड़न को खोलने के लिए उसकी गांड के छेद में घुसा दी | पहरेदार ने सख्ती बढ़ाई लेकिन इस बार रोहिणी तेज निकली और उसकी उंगलियाँ एक एक पोर भर रीमा के गांड के सख्त छल्ले की इस्पाती जकड़न को चीरती हुई रीमा के गांड में घुस गयी | रीमा हलके दर्द से सीत्कार उठी - आआआआऐईईईईईईईऊऊऊऊऊऊऊऊ ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह | रोहिणी ने उंगलियों पर और जोर डाला और पोर भर और उंगलियाँ रीमा की गांड में घुसा दी | उसके गांड के सख्त  छल्ले की मांसपेशियां खिचने लगी और तीखा सा दर्द पैदा करने लगी | रोहिणी का लंड रीमा की चूत में बराबर लयदार झटको  के साथ अंदर बाहर हो रहा था | रोहिणी की उंगलियाँ रीमा की गांड में फंस गयी थी, बाहर तो निकल सकती थी लेकिन अन्दर जाना अब मुश्किल लग रहा था | ऊपर से गांड के छल्ले की सख्ती बढ़ती जा रही थी | रीमा का शरीर भी स्वाभाविक रूप से गाड़ को चुताड़ो को सिकोड़कर और सख्त बनाए दे रहा था | रोहिणी ने रीमा के चूत दाने की मसलना शुरू कर दिया और दुसरे हाथ की दो उंगलियाँ वही रीमा की गाड़ में फंसाए रखी | कुछ देर बाद जब उसने उंगलियों को हिलाना चालू किया तो रीमा के मुहँ से भी दर्द की कराह निकलने लगी | उसकी गाड़ के मुहाने में हल्की जलन और हल्का दर्द था, उससे उठने वाली सनसनाहट अब रीमा के दिलो दिम्माग तक सीधे जाने लगी थी | रीमा दर्द से कसमसा रही थी रोहिणी ने उंगलियों का दबाव और ज्यादा बढाया तो रीमा कराह उठी | रोहिणी को लगा अभी नहीं तो कभी नहीं, उसने रीमा की चूत में ठोकरे लगानी और तेज कर दी | उसने अपनी उंगलियों की बाहर निकाला और मुहँ की ढेर सारी लार उसपर टपका कर उन्हें आचे से गीला किया और फिर से रीमा की गांड में घुसेड दिया | इस बार रीमा के मुहँ से निकली सिसकारी ने रोहिणी की हिम्मत बढ़ा दी | रोहिणी ने रीमा की गांड के पहरेदार की सख्त जकड़न के बावजूद अपनी उंगलियों को अन्दर बाहर करना शुरू किया ताकि उसका छल्ला कुछ नरम हो सके और उसमे लंड घुसने की गुंजाईश बन सके |जिसकी गांड के बार खुल चुकी हो उसे इतनी दिक्कत नहीं होती लेकिन रीमा की पिछली सुरंग आजतक कोरी थी और उसका पहरेदार बहुत सख्त | रोहिणी भी जिद्दी थी उसने भी आज पहरेदार को हराने का फैसला कर लिया था | पहरेदार को रीमा की गांड का छेद खोलना ही होगा, उसे अपनी जकड़न नरम करनी ही पड़ेगी | रोहिणी की उंगलियाँ तेजी से रीमा की गांड में अन्दर बाहर होने लगी | ऐसा लग रहा था जैसे किसी मोटी इलास्टिक छल्ले का सख्त कसावट उसकी उंगलियों को कसे ले रहा था | उसकी उंगलियाँ बहुत ही कसे हुए सकरे छेद में अन्दर बाहर हो रही थी |

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 इधर रोहिणी की कमर तेजी से रीमा की चूत की चुदाई कर रही थी | रीमा चूत और गांड दोनो की कामुक सवेदनाओ में फंसकर किर्तव्य विमूढ़ सी हो गयी | उसने सब कुछ रोहिणी पर छोड़ दिया था | उसे लग रहा था वो जो भी करेगी वो सही ही करेगी | 

रोहिणी को लगने लगा था अब उंगलियाँ रीमा की गांड के छेद के लिए नाकाफी है | उंगलियों ने रीमा के गुलाबी गांड के सख्त इस्पाती कसावट वाले मुहाने की बस दरार भर खोली थी लेकिन इससे ज्यादा कुछ उंगलियाँ कर पाने में असमर्थ थी | रोहिणी रीमा के ऊपर से एक करवट आ गयी और उसने रीमा को पीछे से जकड लिया | उसकी एक जांघ ऊपर को उठाकर उसकी चूत और चूतड़ घाटी का इलाका पूरा खोल दिया | रीमा की चूतसे लंड निकलते ही रीमा का खुद बखुद उसके चूत दाने और चूत पर चला गया | रोहिणी ने रीमा के पीछे से आकर पोसिजन ली और फिर अपने रबर के लंड को गाढे चिकने लोशन से सरोबार किया | फिर उसने रीमा की उठी जांघ को कसकर थम लिया | उसका एक हाथ रीमा की गर्दन के नीचे था और उसे ऊपर खिसकने की हालत में उसे कसकर जकड़कर स्थिर रखने की स्थिति में था |
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 15-08-2019, 09:43 PM



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