15-08-2019, 08:20 PM
Update 39
हम दोनो खुद को नॉर्मल करने की कोशिस कर रहे थे.
मुझे तो इसकी आदत थी पर रेशमा के लिए ये सब नया था ,उसे नॉर्मल होने मे ज़्यादा समय लगा.
मैं नॉर्मल होने के बाद रेशमा की चेस्ट जो ज़ोर से धड़क रही थी उसको देख कर सोच रहा था कि
रेशमा की खूबसूरती कब देखने को मिलेगी.
देखते ही देखते रेशमा नॉर्मल हो गयी. हम दोनो नॉर्मल हो गये .
रेशमा उठ कर बैठ गयी
फिर मैं ने रेशमा के हाथ को पकड़ कर अपने पास खिच लिया .रेशमा मेरी गोद मे आकर बैठ
गयी .रेशमा का चेहरा मेरी तरफ था.
मैं रेशमा की सासो को अपनी सासो के साथ महसूस कर रहा था.
मैं ने फिर से रेशमा के आँखो पर किस किया .
रेशमा की आँखे जो प्यार की गरमी से जल रही थी उसे अपने होंठो के पानी से ठंडा करने की कोशिस
कर रहा था.
पर आँखो की जलन को किस कर के ठंडा नही किया जा सकता.
उसको तो प्यार चाहिए था. इसी लिए मैं ने फिर रेशमा के होंठो का रस्पान करना शुरू किया...
मैं आराम से हर एक सेकेंड का मज़ा लेना चाहता था.
हर एक सेकेंड को जीना चाहता था.
मैं रेशमा के साथ बिताए हुए हर एक पल को जीना चाहता था.
मैं रेशमा को किस करता गया और रेशमा भी मुझे किस करती गयी.
मैं ने इस बार सिर्फ़ 2 3मिनिट तक किस किया था.
जब मैं रेशमा से अलग हुआ तो उसकी आँखो ने पूछा कि इतनी जल्दी क्यूँ किस तोड़ा.
मेरे पास उसकी आँखो के पूछे हुए सवाल का कोई जवाब नही था.
पर उसकी आँखो को मैं ने विश्वास दिलाया कि उसका प्यार का इंतज़ार मैं ख़तम कर करूँगा.उसका
अकेलापन दूर करूँगा
मैं रेशमा के ब्लाउस को खोलना चाहता था ,रेशमा मेरा पूरा साथ दे रही थी.
फिर रेशमा के ब्लाउस को धीरे धीरे खोलने लगा. जैसे जैसे ब्लाउस खुल रही थी वैसे वैसे उसके
बदन की चमक मेरी आँखो को अपनी और खीच रही थी.
उसके बदन की चमक ने मेरी आँखो को अपने कब्ज़े मे कर लिया .
रेशमा के ब्लाउस ने रेशमा के बदन का साथ छोड़ दिया.
ब्लाउस का साथ छोड़ते ही रेशमा का बदन कह रहा था कि ब्रा भी निकालो मुझे पूरा आज़ाद होना
है.
जैसे पंछी पिंजरे से बाहर आकर आज़ाद होता है वैसे ही रेशमा का बदन ब्लाउस और ब्रा की
दीवार से निकल कर अपनी आज़ादी का मज़ा लेना चाहता था.
मैं ने रेशमा के बदन की बात सुनकर ब्रा को निकाल लिया. ब्रा के अपने बदन से अलग होने का
अहसास से रेशमा के बदन मे एक लहर दौड़ गयी.
रेशमा ने अपनी आँखे बंद की.
मैं ने रेशमा को ज़मीन पर लिटा दिया .2 मिनिट तक रेशमा के बदन को देखता रहा.
रेशमा के बूब्स जो इतने टाइट लग रहे थे की ,ऐसा लग रहा था कि उसके हज़्बेंड ने क्या उसने भी इनको
कभी हाथ नही लगाया होगा.
बस मेरे इंतज़ार मे अपने बूब्स को ब्रा की दीवार मे क़ैद करके रखा था कि मैं आउन्गा और
बूब्स को आज़ाद करके जिस वजह से बूब्स इस दुनिया मे आए है वो काम मैं पूरा करूँ.
मैं रेशमा के बदन को बस देखता रहा.2 मिनिट तक मुझे कुछ ना करते हुए देख कर रेशमा
ने अपनी आँखे खोल दी.
मुझे ऐसे घुरते हुए देख कर रेशमा ने फिर से अपनी आँखे बंद कर ली.
रेशमा की आँखे फिर बंद होते ही मैं रेशमा के उपर आ गया.
एक हल्का सा किस रेशमा के होंठो पे कर दिया
रेशमा के होंठो पर किस करने के बाद मैं धीरे धीरे नीचे आ रहा था. रेशमा की गर्दन को किस
कर रहा था . फिर मेरे होंठ रेशमा के बूब्स के पास आ गये.
मैं ने अपनी जीभ की टोक से धीरे से रेशमा के निपल को टच किया .ऐसे रखा था कि रेशमा का निपल
टाइट होकर उपर आकर मेरी जीभ को टच करने लगे .
मैं जीभ से रेशमा के निपल को चाटने लगा . मेरी जीभ टच होते ही रेशमा के मुँह से
शीष्कारियाँ निकल ने लगी.
मैं अपने हाथ को रेशमा के नरम बूब्स पे रख कर दबाने लगा. सच मे रेशमा ने भी
कभी इनको हाथ नही लगाया होगा इतने टाइट लग रहे थे.
मैं एक बूब्स को मुँह मे लेकर चूसने लगा तो दूसरे बूब्स को हाथो मे लेकर दबाने लगा .
मैं ने लेफ्ट बूब्स को मुँह से अलग कर लिया और राइट बूब्स को मुँह मे लेकर चूसने लगा.
रेशमा तो प्यार के नशे मदहोश हो गयी थी.
मैं रेशमा के नशे को कम होने नही दे रहा था .
रेशमा के जैसे होंठ गुलाबी थे वैसे उसके निपल गुलाबी थे.शायद चूत भी...
ना मुझे रेशमा के होंठ पे किस करते हुए छोड़ने का मन था और ना बूब्स को चूस्ते हुए
छोड़ने का मन हो रहा था
थोड़ी देर रेशमा के बूब्स को एक एक करके चूस्ता रहा.
फिर बूब्स चूसने के बाद मैं रेशमा के पेट पर किस कर ने लगा. पेट पर किस करने से रेशमा
को गुदगुदी होने लगी.
वो अपने सर को इधर उधर घुमा रही थी.
पेट पर किस करने के बाद मैं ने अपनी जीभ रेशमा के नाभि मे डाल दी.जीभ नाभि मे जाते ही उसे और
गुद गुदी होने लगी.
वो जल बिन मछली की तरह तड़फ़ रही थी या गुदगुदी होने से नाच रही थी.
रेशमा की नाभि के साथ खेलने के बाद मैं नीचे आ गया.
और रेशमा की साड़ी निकाल कर हवा मे उड़ा दी
मैं रेशमा के दोनो पैरो के बीच मे आ गया.मैं ने पेटिकोट के उपर से रेशमा की चूत पे
किस किया.
चूत पर किस करते हुए मेरे होंठो ने पेटिकोट को गीला कर दिया.
रेशमा के साथ किस और फिर बूब्स चूसना जिस से रेशमा ने इतना पानी छोड़ा था कि पैंटी और
पेटिकोट दोनो गीले हो गये थे.
मैं रेशमा की परी को देखने के लिए मरा जा रहा था.
जितनी देर मुझे रेशमा की परी देखने मे लग रही थी उतनी तेज़ मेरी धड़कने चल रही थी.
मैं ने पेटिकोट के नाडे को मुँह मे पकड़ लिया और खीच कर खोल दिया.
रेशमा के साथ किस और फिर बूब्स चूसना जिस से रेशमा ने इतना पानी छोड़ा था कि पैंटी और
पेटिकोट दोनो गीले हो गये थे.
मैं रेशमा की परी को देखने के लिए मरा जा रहा था.
जितना देर मुझे रेशमा की परी देखने मे लग रहा था उतनी तेज़ मेरी धड़कने चल रही थी.
मैं ने पेटिकोट के नाडे को मुँह मे पकड़ लिया और खिच कर खोल दिया.
चुदाई का खेल शुरू हो जाने के बाद मैं ने रेशमा से बात की नही
पर रेशमा मे अपनी आँखे खोल कर मेरी तरफ देखा
मेरे मुँह मे उसके पेटिकोट का नाडा देख कर रेशमा ने फिर से अपनी आँखे बंद कर ली.
वो रुकने के लिए आँख खोलती
पर मेरा प्यार सेक कर वापस डूब जाती प्यार के समंदर मे
फिर मैं ने पेटिकोट को पकड़ कर नीचे करने लगा.
रेशमा ने अपनी गंद को उपर किया जिस से पेटिकोट निकल गया.
मैं जैसा कर रहा था उसमे रेशमा मेरा पूरा साथ दे रही थी.
रेशमा अब मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी मे थी. रेशमा की पिंक पैंटी पूरी गीली हो गयी थी.
मैं रेशमा की पैंटी की महक को सूंघने लगा. मदहोश कर देने वाली महक थी .
रेशमा तो आँखे बंद करके मैं क्या क्या करने वाला हूँ उसका इंतज़ार कर रही थी.
मैं ने रेशमा की पैंटी जो गीली हो गयी थी उसको जीभ से चाट लिया.
मेरी जीभ पैंटी के उपर से चूत को छूने से रेशमा के मुँह से शीष्कारी निकल गयी.
ये वो प्यार हो रहा था जो रेशमा को उसके हज़्बेंड से नही मिला
फिर मैं ने पैंटी के अंदर अपना हाथ डाल दिया. अंदर पूरा चिपचिपा था.
मैं ने हाथ बाहर निकाल लिया और चूत के दर्शन करने के लिए तैयार हो गया.
मैं ने रेशमा की गीली पैंटी को पकड़ कर रेशमा के बदन से अलग करने लगा तो रेशमा ने
पैंटी पकड़ ली.
इस बार रेशमा ने मुझे पहली बार कुछ करने से रोका था.
मैं ने एक बार रेशमा की तरफ देखा वो ना मे गर्दन हिला रही थी.
मैं ने उसके हाथ के उपर किस किया जिस से रेशमा ने अपनी पैंटी पकड़ी थी. मेरे उसके हाथ पर
किस करते ही रेशमा ने पैंटी छोड़ दी.
और फिर पैंटी चूत के उपर से अलग हो गयी .
रेशमा का बदन अब खुल कर अपनी आज़ादी का मज़ा ले रहा था.
मुझे बस कुछ पल के लिए रेशमा की चूत दिखी.
क्यूँ की रेशमा ने अपने पैरो को मोड़ लिया जिस से रेशमा की चूत दिखना बंद हो गयी थी.
मैं ने रेशमा के पैरो पे किस करना शुरू किया.किस करते हुए धीरे धीरे उपर जाने लगा .
जब मैं ने रेशमा की जाँघो पर किस करना शुरू किया तब धीरे धीरे रेशमा अपने पैर को अलग कर
रही थी.
जैसे मैं उपर जाता वैसे उसके पैर एक दूसरे से अलग हो रहे थे.
अब रेशमा की चूत मेरे सामने थी. चाँद की रोशनी सीधे रेशमा की चूत पर गिर रही थी.
रेशमा की चूत पूरी गीली हो चुकी थी.और चाँद की रोशनी जब रेशमा की गीली चूत पर गिर रही थी तो
रेशमा की चूत चमक रही थी.
वो चमक मेरी आँखो को अपनी तरफ अट्रॅक्ट कर रही थी.
भगवान भी मुझे चाँद की रोशनी से रास्ता दिखा रहे थे.
चाँद की चमक मे वो भी रेशमा की चूत देखना बस क्या कहूँ ....मैं तो आँखो से रेशमा की
चुदाई करने लगा.
रेशमा की चूत गीली थी जिस से मुझे पहले रेशमा की चूत को प्यार करना था .
मैं ने अपनी जीभ से रेशमा की चूत को साफ करना शुरू किया.
जब भी मैं रेशमा के किसी पार्ट को अपने जीभ से टच करता तब मुझे क्या हो जाता ,मैं अपने
होश खो बैठता.
मुझे ऐसा लगता कि इस दुनिया मे रेशमा और मैं,सिर्फ़ हम दोनो ही हो ,जो सिर्फ़ प्यार करना जानते है.
मैं अपनी जीभ से रेशमा की चूत चाटने लगा. रेशमा बस एक काम कर रही थी वो था शीष्कारिया
लेना .
एक पत्नी कैसे सुहागरात के दिन अपने पति के साथ चुदाई करते हुए शरमा कर खुल कर
शीष्कारिया नही लेती उसी तरह रेशमा भी मुझसे शरमा कर शीष्कारियो पर कंट्रोल रख रही थी.
पर जो भी था उसमे मुझे एक अलग ही आनंद मिल रहा था.
रेशमा की बिना बालो वाली गुलाबी चूत अब मैं ने चाट कर साफ कर दी थी.
अब तो चाँद की रोशनी रेशमा की चूत मे जाना चाह रही थी जो मुझे पसंद नही आ रहा था.
मैं ने चाँद को कहा कि तुम्हारे पास चाँदनी है रेशमा सिर्फ़ मेरी है
फिर मैं ने अपनी जीभ को रेशमा की चूत मे डाल कर रेशमा को भी आनंद देने लगा.
रेशमा भी अपना पानी छोड़ कर मेरी प्यास भूज़ा रही थी.
मैं ने हाथो से रेशमा की चूत के होंठ खोल दिए. फिर मैं आराम से अपनी जीभ रेशमा की चूत
मे डाल कर चाटने लगा .खेलने लगा .
रेशमा की चूत मे मैं जितनी ज़ोर से अपनी जीभ अंदर डालता उतनी ज़ोर से रेशमा की चूत जीभ को बाहर
फेक देती .
जैसे कह रही थी कि मुझे जीभ नही तुम्हारा लंड चाहिए.
देना है तो लंड दो जीभ से मेरा क्या होगा. जीभ से तो मेरी आग भड़क जाएगी.
पर मैं भी कहाँ हार मानने वाला था ,मैं ने भी उसकी चूत मे जीभ डालना जारी रखा. उसकी टाइट
चूत मेरी जीभ को बाहर धकेल देती
इस खेल मे मुझे अपना ही आनंद मिल आ रहा था. साथ मे रेशमा को भी.
रेशमा तो अपनी शीष्कारियाँ और अपनी भूक पर कंट्रोल रखे हुए थी.
रेशमा की चूत के साथ अपनी जीभ से खेलने से रेशमा की चूत ने पानी छोड़ दिया .मैं ने वो
सारा अमृत पी लिया. और जीभ से चूत को साफ कर दिया.
रेशमा इतनी गरम हो चुकी थी कि उसको कुछ भी करना बर्दास्त नही हो रहा था .और वो अपना पानी
छोड़ देती
उसकी अमृत को पीने के बाद मैं ने उसकी चूत को एक बार चाट कर साफ किया.
मतलब मुझे रेशमा के साथ प्यार करते हुए समय का भी ध्यान नही रहा.
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CHODURAJA
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हम दोनो खुद को नॉर्मल करने की कोशिस कर रहे थे.
मुझे तो इसकी आदत थी पर रेशमा के लिए ये सब नया था ,उसे नॉर्मल होने मे ज़्यादा समय लगा.
मैं नॉर्मल होने के बाद रेशमा की चेस्ट जो ज़ोर से धड़क रही थी उसको देख कर सोच रहा था कि
रेशमा की खूबसूरती कब देखने को मिलेगी.
देखते ही देखते रेशमा नॉर्मल हो गयी. हम दोनो नॉर्मल हो गये .
रेशमा उठ कर बैठ गयी
फिर मैं ने रेशमा के हाथ को पकड़ कर अपने पास खिच लिया .रेशमा मेरी गोद मे आकर बैठ
गयी .रेशमा का चेहरा मेरी तरफ था.
मैं रेशमा की सासो को अपनी सासो के साथ महसूस कर रहा था.
मैं ने फिर से रेशमा के आँखो पर किस किया .
रेशमा की आँखे जो प्यार की गरमी से जल रही थी उसे अपने होंठो के पानी से ठंडा करने की कोशिस
कर रहा था.
पर आँखो की जलन को किस कर के ठंडा नही किया जा सकता.
उसको तो प्यार चाहिए था. इसी लिए मैं ने फिर रेशमा के होंठो का रस्पान करना शुरू किया...
मैं आराम से हर एक सेकेंड का मज़ा लेना चाहता था.
हर एक सेकेंड को जीना चाहता था.
मैं रेशमा के साथ बिताए हुए हर एक पल को जीना चाहता था.
मैं रेशमा को किस करता गया और रेशमा भी मुझे किस करती गयी.
मैं ने इस बार सिर्फ़ 2 3मिनिट तक किस किया था.
जब मैं रेशमा से अलग हुआ तो उसकी आँखो ने पूछा कि इतनी जल्दी क्यूँ किस तोड़ा.
मेरे पास उसकी आँखो के पूछे हुए सवाल का कोई जवाब नही था.
पर उसकी आँखो को मैं ने विश्वास दिलाया कि उसका प्यार का इंतज़ार मैं ख़तम कर करूँगा.उसका
अकेलापन दूर करूँगा
मैं रेशमा के ब्लाउस को खोलना चाहता था ,रेशमा मेरा पूरा साथ दे रही थी.
फिर रेशमा के ब्लाउस को धीरे धीरे खोलने लगा. जैसे जैसे ब्लाउस खुल रही थी वैसे वैसे उसके
बदन की चमक मेरी आँखो को अपनी और खीच रही थी.
उसके बदन की चमक ने मेरी आँखो को अपने कब्ज़े मे कर लिया .
रेशमा के ब्लाउस ने रेशमा के बदन का साथ छोड़ दिया.
ब्लाउस का साथ छोड़ते ही रेशमा का बदन कह रहा था कि ब्रा भी निकालो मुझे पूरा आज़ाद होना
है.
जैसे पंछी पिंजरे से बाहर आकर आज़ाद होता है वैसे ही रेशमा का बदन ब्लाउस और ब्रा की
दीवार से निकल कर अपनी आज़ादी का मज़ा लेना चाहता था.
मैं ने रेशमा के बदन की बात सुनकर ब्रा को निकाल लिया. ब्रा के अपने बदन से अलग होने का
अहसास से रेशमा के बदन मे एक लहर दौड़ गयी.
रेशमा ने अपनी आँखे बंद की.
मैं ने रेशमा को ज़मीन पर लिटा दिया .2 मिनिट तक रेशमा के बदन को देखता रहा.
रेशमा के बूब्स जो इतने टाइट लग रहे थे की ,ऐसा लग रहा था कि उसके हज़्बेंड ने क्या उसने भी इनको
कभी हाथ नही लगाया होगा.
बस मेरे इंतज़ार मे अपने बूब्स को ब्रा की दीवार मे क़ैद करके रखा था कि मैं आउन्गा और
बूब्स को आज़ाद करके जिस वजह से बूब्स इस दुनिया मे आए है वो काम मैं पूरा करूँ.
मैं रेशमा के बदन को बस देखता रहा.2 मिनिट तक मुझे कुछ ना करते हुए देख कर रेशमा
ने अपनी आँखे खोल दी.
मुझे ऐसे घुरते हुए देख कर रेशमा ने फिर से अपनी आँखे बंद कर ली.
रेशमा की आँखे फिर बंद होते ही मैं रेशमा के उपर आ गया.
एक हल्का सा किस रेशमा के होंठो पे कर दिया
रेशमा के होंठो पर किस करने के बाद मैं धीरे धीरे नीचे आ रहा था. रेशमा की गर्दन को किस
कर रहा था . फिर मेरे होंठ रेशमा के बूब्स के पास आ गये.
मैं ने अपनी जीभ की टोक से धीरे से रेशमा के निपल को टच किया .ऐसे रखा था कि रेशमा का निपल
टाइट होकर उपर आकर मेरी जीभ को टच करने लगे .
मैं जीभ से रेशमा के निपल को चाटने लगा . मेरी जीभ टच होते ही रेशमा के मुँह से
शीष्कारियाँ निकल ने लगी.
मैं अपने हाथ को रेशमा के नरम बूब्स पे रख कर दबाने लगा. सच मे रेशमा ने भी
कभी इनको हाथ नही लगाया होगा इतने टाइट लग रहे थे.
मैं एक बूब्स को मुँह मे लेकर चूसने लगा तो दूसरे बूब्स को हाथो मे लेकर दबाने लगा .
मैं ने लेफ्ट बूब्स को मुँह से अलग कर लिया और राइट बूब्स को मुँह मे लेकर चूसने लगा.
रेशमा तो प्यार के नशे मदहोश हो गयी थी.
मैं रेशमा के नशे को कम होने नही दे रहा था .
रेशमा के जैसे होंठ गुलाबी थे वैसे उसके निपल गुलाबी थे.शायद चूत भी...
ना मुझे रेशमा के होंठ पे किस करते हुए छोड़ने का मन था और ना बूब्स को चूस्ते हुए
छोड़ने का मन हो रहा था
थोड़ी देर रेशमा के बूब्स को एक एक करके चूस्ता रहा.
फिर बूब्स चूसने के बाद मैं रेशमा के पेट पर किस कर ने लगा. पेट पर किस करने से रेशमा
को गुदगुदी होने लगी.
वो अपने सर को इधर उधर घुमा रही थी.
पेट पर किस करने के बाद मैं ने अपनी जीभ रेशमा के नाभि मे डाल दी.जीभ नाभि मे जाते ही उसे और
गुद गुदी होने लगी.
वो जल बिन मछली की तरह तड़फ़ रही थी या गुदगुदी होने से नाच रही थी.
रेशमा की नाभि के साथ खेलने के बाद मैं नीचे आ गया.
और रेशमा की साड़ी निकाल कर हवा मे उड़ा दी
मैं रेशमा के दोनो पैरो के बीच मे आ गया.मैं ने पेटिकोट के उपर से रेशमा की चूत पे
किस किया.
चूत पर किस करते हुए मेरे होंठो ने पेटिकोट को गीला कर दिया.
रेशमा के साथ किस और फिर बूब्स चूसना जिस से रेशमा ने इतना पानी छोड़ा था कि पैंटी और
पेटिकोट दोनो गीले हो गये थे.
मैं रेशमा की परी को देखने के लिए मरा जा रहा था.
जितनी देर मुझे रेशमा की परी देखने मे लग रही थी उतनी तेज़ मेरी धड़कने चल रही थी.
मैं ने पेटिकोट के नाडे को मुँह मे पकड़ लिया और खीच कर खोल दिया.
रेशमा के साथ किस और फिर बूब्स चूसना जिस से रेशमा ने इतना पानी छोड़ा था कि पैंटी और
पेटिकोट दोनो गीले हो गये थे.
मैं रेशमा की परी को देखने के लिए मरा जा रहा था.
जितना देर मुझे रेशमा की परी देखने मे लग रहा था उतनी तेज़ मेरी धड़कने चल रही थी.
मैं ने पेटिकोट के नाडे को मुँह मे पकड़ लिया और खिच कर खोल दिया.
चुदाई का खेल शुरू हो जाने के बाद मैं ने रेशमा से बात की नही
पर रेशमा मे अपनी आँखे खोल कर मेरी तरफ देखा
मेरे मुँह मे उसके पेटिकोट का नाडा देख कर रेशमा ने फिर से अपनी आँखे बंद कर ली.
वो रुकने के लिए आँख खोलती
पर मेरा प्यार सेक कर वापस डूब जाती प्यार के समंदर मे
फिर मैं ने पेटिकोट को पकड़ कर नीचे करने लगा.
रेशमा ने अपनी गंद को उपर किया जिस से पेटिकोट निकल गया.
मैं जैसा कर रहा था उसमे रेशमा मेरा पूरा साथ दे रही थी.
रेशमा अब मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी मे थी. रेशमा की पिंक पैंटी पूरी गीली हो गयी थी.
मैं रेशमा की पैंटी की महक को सूंघने लगा. मदहोश कर देने वाली महक थी .
रेशमा तो आँखे बंद करके मैं क्या क्या करने वाला हूँ उसका इंतज़ार कर रही थी.
मैं ने रेशमा की पैंटी जो गीली हो गयी थी उसको जीभ से चाट लिया.
मेरी जीभ पैंटी के उपर से चूत को छूने से रेशमा के मुँह से शीष्कारी निकल गयी.
ये वो प्यार हो रहा था जो रेशमा को उसके हज़्बेंड से नही मिला
फिर मैं ने पैंटी के अंदर अपना हाथ डाल दिया. अंदर पूरा चिपचिपा था.
मैं ने हाथ बाहर निकाल लिया और चूत के दर्शन करने के लिए तैयार हो गया.
मैं ने रेशमा की गीली पैंटी को पकड़ कर रेशमा के बदन से अलग करने लगा तो रेशमा ने
पैंटी पकड़ ली.
इस बार रेशमा ने मुझे पहली बार कुछ करने से रोका था.
मैं ने एक बार रेशमा की तरफ देखा वो ना मे गर्दन हिला रही थी.
मैं ने उसके हाथ के उपर किस किया जिस से रेशमा ने अपनी पैंटी पकड़ी थी. मेरे उसके हाथ पर
किस करते ही रेशमा ने पैंटी छोड़ दी.
और फिर पैंटी चूत के उपर से अलग हो गयी .
रेशमा का बदन अब खुल कर अपनी आज़ादी का मज़ा ले रहा था.
मुझे बस कुछ पल के लिए रेशमा की चूत दिखी.
क्यूँ की रेशमा ने अपने पैरो को मोड़ लिया जिस से रेशमा की चूत दिखना बंद हो गयी थी.
मैं ने रेशमा के पैरो पे किस करना शुरू किया.किस करते हुए धीरे धीरे उपर जाने लगा .
जब मैं ने रेशमा की जाँघो पर किस करना शुरू किया तब धीरे धीरे रेशमा अपने पैर को अलग कर
रही थी.
जैसे मैं उपर जाता वैसे उसके पैर एक दूसरे से अलग हो रहे थे.
अब रेशमा की चूत मेरे सामने थी. चाँद की रोशनी सीधे रेशमा की चूत पर गिर रही थी.
रेशमा की चूत पूरी गीली हो चुकी थी.और चाँद की रोशनी जब रेशमा की गीली चूत पर गिर रही थी तो
रेशमा की चूत चमक रही थी.
वो चमक मेरी आँखो को अपनी तरफ अट्रॅक्ट कर रही थी.
भगवान भी मुझे चाँद की रोशनी से रास्ता दिखा रहे थे.
चाँद की चमक मे वो भी रेशमा की चूत देखना बस क्या कहूँ ....मैं तो आँखो से रेशमा की
चुदाई करने लगा.
रेशमा की चूत गीली थी जिस से मुझे पहले रेशमा की चूत को प्यार करना था .
मैं ने अपनी जीभ से रेशमा की चूत को साफ करना शुरू किया.
जब भी मैं रेशमा के किसी पार्ट को अपने जीभ से टच करता तब मुझे क्या हो जाता ,मैं अपने
होश खो बैठता.
मुझे ऐसा लगता कि इस दुनिया मे रेशमा और मैं,सिर्फ़ हम दोनो ही हो ,जो सिर्फ़ प्यार करना जानते है.
मैं अपनी जीभ से रेशमा की चूत चाटने लगा. रेशमा बस एक काम कर रही थी वो था शीष्कारिया
लेना .
एक पत्नी कैसे सुहागरात के दिन अपने पति के साथ चुदाई करते हुए शरमा कर खुल कर
शीष्कारिया नही लेती उसी तरह रेशमा भी मुझसे शरमा कर शीष्कारियो पर कंट्रोल रख रही थी.
पर जो भी था उसमे मुझे एक अलग ही आनंद मिल रहा था.
रेशमा की बिना बालो वाली गुलाबी चूत अब मैं ने चाट कर साफ कर दी थी.
अब तो चाँद की रोशनी रेशमा की चूत मे जाना चाह रही थी जो मुझे पसंद नही आ रहा था.
मैं ने चाँद को कहा कि तुम्हारे पास चाँदनी है रेशमा सिर्फ़ मेरी है
फिर मैं ने अपनी जीभ को रेशमा की चूत मे डाल कर रेशमा को भी आनंद देने लगा.
रेशमा भी अपना पानी छोड़ कर मेरी प्यास भूज़ा रही थी.
मैं ने हाथो से रेशमा की चूत के होंठ खोल दिए. फिर मैं आराम से अपनी जीभ रेशमा की चूत
मे डाल कर चाटने लगा .खेलने लगा .
रेशमा की चूत मे मैं जितनी ज़ोर से अपनी जीभ अंदर डालता उतनी ज़ोर से रेशमा की चूत जीभ को बाहर
फेक देती .
जैसे कह रही थी कि मुझे जीभ नही तुम्हारा लंड चाहिए.
देना है तो लंड दो जीभ से मेरा क्या होगा. जीभ से तो मेरी आग भड़क जाएगी.
पर मैं भी कहाँ हार मानने वाला था ,मैं ने भी उसकी चूत मे जीभ डालना जारी रखा. उसकी टाइट
चूत मेरी जीभ को बाहर धकेल देती
इस खेल मे मुझे अपना ही आनंद मिल आ रहा था. साथ मे रेशमा को भी.
रेशमा तो अपनी शीष्कारियाँ और अपनी भूक पर कंट्रोल रखे हुए थी.
रेशमा की चूत के साथ अपनी जीभ से खेलने से रेशमा की चूत ने पानी छोड़ दिया .मैं ने वो
सारा अमृत पी लिया. और जीभ से चूत को साफ कर दिया.
रेशमा इतनी गरम हो चुकी थी कि उसको कुछ भी करना बर्दास्त नही हो रहा था .और वो अपना पानी
छोड़ देती
उसकी अमृत को पीने के बाद मैं ने उसकी चूत को एक बार चाट कर साफ किया.
मतलब मुझे रेशमा के साथ प्यार करते हुए समय का भी ध्यान नही रहा.
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