15-08-2019, 03:20 AM
फिर उसी उंगली को अपने मुंह में डाल दिया।
वो समझ तो गयी थी क़ि आज मैं चुदने वाली हूँ।
चुदाई का समय आ ही गया, हम कमरे में पहुंचे तो उसने बाथरूम जाने को कहा और वो अपना लोअर खोल कर पेशाब करने लगी, मैं भी पीछे पीछे बाथरूम के दरवाजे की झिर्री से उसे देखने लगा।
वो अपने दाने दबा रही थी और चूत को सहला रही थी.
मैंने दरवाजा खोला तो खुल गया, वो अचानक डर गयी, मैंने उससे कुछ नहीं कहा और अपना साढ़े छः इंच का लंड निकाला और मुठ मारते हुए पेशाब करने लगा, वो मेरे लंड को देख कर मुंह खोल के ही रह गयी और हा… हा… कहते हुए पाजामा पकड़ के बाहर आ गयी।
मैंने लंड को अंदर नहीं डाला और वैसे ही बाहर आते आते लंड अंदर डालने का नाटक करने लगा.
वो बोली- हमें जाना चाहिए सर्टिफिकेट बन गया होगा?
तो मैंने कहा- सच बोलो तुम जाना चाहती हो?
“तो क्या करूँ? शादी शुदा जो हूँ.”
मैंने कहा- तभी तो और भी अच्छा है, किसी को शक भी नहीं होगा और मुझे तो भाभियां भी बहुत हॉट लगती हैं।
वो हंसी और बोली- अच्छा? क्यों लगती हैं? मैं तो इतनी अच्छी नहीं।
“तुम तो जन्नत की हूर हो मेरी रीतू, तुम्हें कब से चोदना चाहता हूँ पता भी है कुछ?”
“पता है भैया जी” और खिलखिलाकर हंस पड़ी।
वो समझ तो गयी थी क़ि आज मैं चुदने वाली हूँ।
चुदाई का समय आ ही गया, हम कमरे में पहुंचे तो उसने बाथरूम जाने को कहा और वो अपना लोअर खोल कर पेशाब करने लगी, मैं भी पीछे पीछे बाथरूम के दरवाजे की झिर्री से उसे देखने लगा।
वो अपने दाने दबा रही थी और चूत को सहला रही थी.
मैंने दरवाजा खोला तो खुल गया, वो अचानक डर गयी, मैंने उससे कुछ नहीं कहा और अपना साढ़े छः इंच का लंड निकाला और मुठ मारते हुए पेशाब करने लगा, वो मेरे लंड को देख कर मुंह खोल के ही रह गयी और हा… हा… कहते हुए पाजामा पकड़ के बाहर आ गयी।
मैंने लंड को अंदर नहीं डाला और वैसे ही बाहर आते आते लंड अंदर डालने का नाटक करने लगा.
वो बोली- हमें जाना चाहिए सर्टिफिकेट बन गया होगा?
तो मैंने कहा- सच बोलो तुम जाना चाहती हो?
“तो क्या करूँ? शादी शुदा जो हूँ.”
मैंने कहा- तभी तो और भी अच्छा है, किसी को शक भी नहीं होगा और मुझे तो भाभियां भी बहुत हॉट लगती हैं।
वो हंसी और बोली- अच्छा? क्यों लगती हैं? मैं तो इतनी अच्छी नहीं।
“तुम तो जन्नत की हूर हो मेरी रीतू, तुम्हें कब से चोदना चाहता हूँ पता भी है कुछ?”
“पता है भैया जी” और खिलखिलाकर हंस पड़ी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.