14-08-2019, 08:19 PM
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बाथरूम कमरे से सटा हुआ था इसलिए रीमा को बाहर नहीं जाना पड़ा | वो नंगी ही उठी और बाथरूम में घुस गयी | रीमा बाथरूम जाकर फ्रेश होने लगी | पीछे से रोहिणी भी बाथरूम के गेट पर आकर खड़ी हो गयी | वो रीमा के गोरे गुलाबी जिस्म के सौंदर्य को निहारने लगी | रीमा खुद को साफ़ कर रही थी, हाथ में शावर लेकर खुद के गोरे बदन को धो रही थी जो पसीने से भीग कर नमकीन हो चूका था | रोहिणी से भी रहा नहीं गया | वो भी बाथरूम में घुस गयी, पहले फ्रेश हुई फिर वो भी शावर के नीचे आ गयी | और रीमा के साथ खुद भी नहाने लगी | दोनों बाथरूम में थी | दोनों नंगे बदन थी और बाथरूम में नहा रही थी |
रोहिणी को शावर के नीचे आते देख रीमा बाथ टब में जाकर बैठ गयी और रोहिणी रीमा की जगह आ गयी और खुद को धोने लगी | रीमा ने बाथटब के नल खोल दिए ताकि उसमे पानी भर सके और उसी में बैठ गयी, रोहिणी के मसलते बदन को पानी से भीगते बदन को देखने लगी | इधर नीद का एक स्लॉट पूरा कर चुके अनिल की आंखे अचानक खुल गयी | उनकी बीबी रीमा के कमरे में रीमा के बिस्तर पर थी, उन्हें पक्का पता था रोहिणी कुछ न कुछ खुराफात ही उसे सिखा रही होगी, यही देखने की लालसा में उठकर रीमा के बेडरूम तक आये लेकिन निराशा हाथ लगी | खिड़की दरवाजे सब पूरी तरह से बंद थे लेकिन कमरे के अन्दर की लाइट जल रही थी | अनिल समझ गए रोहिणी ने कुछ तो जरुर किया है इसी लिए सारे दरवाजे खिड़की सील पैक किये है | वो बाहर बने गेस्ट बाथरूम में चले गए | वहां से निपट कर बिस्तर पर आ गए लेकिन आँखों में नीद नहीं थी | कमरे के अन्दर क्या हो रहा है ये जानने की उत्सुकता था |
इधर रीमा अपनी गोरी चिकनी गुलाबी मखमली चूत को सहलाने लगी थी तभी अचानक खुद के बदन की मसलते धोते रोहिणी के हाथ का शावर जो अभी तक उसके बदन को धो रहा था वो रीमा की तरफ हो गया | रीमा एक दम से चौंक गयी | पानी की ठंडी फुहारों से उसके बदन के रोये खड़े हो गए | रोहिणी शोअवर को उसके सीने पर गिराते गिराते नीचे की तरफ ले आई और उसकी जांघो के बीच स्थित उसके चिकने चूत घाटी के त्रिकोण सफाचट मैदान पर बरसाने लगी जिस पर बालो का कही नामोनिशान नहीं था | उसकी चूत का गुलाबी इलाका और उसकी चूत के मोटे मोटे गुलाबी रंगत की छटा बिखेरते बाहरी ओंठ, अंदरूनी मखमली रेशमी गुलाबी पतली पंखुडियो से दोनों तरफ से घिरा उसकी गुलाबी चूत सुरंग का मखमली मुहाना और उसके शीर्ष पर विराजमान उसकी वासना का केंद्र बिंदु उसका चूत दाना ...... कुछ अलग ही छटा बिखेर रहा था और ऊपर से गिरते पानी के झरने और बदन की गीली गोरी रंगत ने तो जैसे अप्सरा को ही जमीं पर उतार दिया हो | उसके पेडू पर गिरता [पानी उसकी चूत घाटी के त्रिकोण मैदान पर से बहता हुआ दोनों जांघो के किनारे से बहकर नीचे जा रहा था और उसके गरम गांड के छेद को अपनी ठंडक से सरोबार किये हुए था | रीमा की गरम चूत घाटी पर पड़ती पानी की शीतल फुहारे रीमा को स्कीवर्ग पंहुचाने के लिए काफी थी | उसने आनंद में आंखे बंद कर ली | रीमा की आंखे बंद देख रोहिणी ने शावर हटा लिया, रीमा की आंखे खुल गयी |
रीमा - दीदी हटा क्यों लिया कितना अच्छा लग रहा था | करो न फिर से |
रोहिणी अपनी चूत के सामने शावर लगाकर अपनी चूत को धोती हुई बोली- आय हाय मेरी कट्टो रानी को मजा आ रहा था, करूंगी फिर से करूंगी, तब तक करती रहूंगी जब तक तेरी प्यास बुझ नहीं जाती | मै कही नहीं जा रही बिना तेरी प्यास बुझाये |
रीमा - दीदी आप तो एक ही बात को पकड़ कर बैठ जाती हो, मै फाउंटेन शावर की बात कर रही हूँ | बड़ा अच्छा लग रहा था |
रोहिणी - मै भी वही बोल रही थी, तेरे दिमाग में बस वही भरा है तो तू वही समझेगी न | सीधी बात का सीधा मतलब भी होता है | महफ़िल के सारे मजे तेरी गुलाबी मखमली चूत ही क्यों लुटे, कुछ पर इस बेचारी का भी हक़ है (अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए) |
रीमा - दीदी आप मुझे हमेशा अपनी बातो में फंसा लेती हो |
रोहिणी - कोई नहीं जब 15-20 लंड खा लेगी तो तू भी ऐसे ही चंट हो जाएगी बल्कि मै तो कहूँगी मेरी भी नानी बन जाएगी देख लेना |
रीमा बनावटी रूप भिनकने लगी | रोहिणी ने कुछ पल को शावर उसकी तरफ कर लिया फिर अपनी तरफ घुमा लिया | रीमा बाथटब में खड़ी होकर अपने शरीर पर बॉडी क्लीनर लोशन मलने लगी | रोहिणी भी यही करने लगी | दोनों अलग अलग अपने शरीर को साफ़ कर रही थी | पानी से भीगे गीले बदन और बॉडी क्लीनर का झाग | रीमा टब से निकलकर बाहर आ गयी और उसने दीवार में लगे शावर को ऑन कर दिया |
उसके नीचे नहाने लगी | उसने बॉडी स्क्रबर उठाया और खुद को साफ़ करने लगी | गर्दन से लेकर पांव तक उसने अपने शरीर को मल डाला तभी उसका ध्यान रोहिणी की तरफ गया | उसने घूमकर पीछे से रोहिणी के बदन पर ढेर सारा बॉडी क्लीनर लोशन लगा दिया और उसके बदन को मलने लगी | रोहिणी खुद को थाम के खडी हो गया और रीमा के हाथ रोहिणी के बदन पर फिसलने लगे | उसने रोहिणी के बड़े बड़े उरोजो को मलना शुरू किया फिर पेट पीठ जांघे सब मथ डाला | रोहिणी का शरीर पर झाग ही झाग छा गया | फिर रीमा रोहिणी के पीछे गयी और उसके चूतड़ मलने लगी | उसकी चुताड़ो की दरार को स्क्रबर से खूब मल मल कर धोया | उसका एक हाथ रोहिणी की जांघो के बीच में घुस गया | उसकी जांघो के जोड़ की घाटी से लेकर उसकी चूत घाटी तक सब कुछ रीमा मलने लगी | कसकर रगड़कर खूब जोर जोर से मल रही थी | रोहिणी बस खुद को स्थिर किये कड़ी रही | उसे रीमा के नरम हाथो का गीला सुखद स्पर्श बहुत आच्छा लग रहा था | एक औरत ही एक औरत के बदन की नजाकत समझ सकती है | रीमा के हाथ भी उसी नजाकत से रोहिणी की चूत की सफाई कर रहे थे | ना बहुत कठोर न बहुत हलके, उसके हाथो का स्पर्श बहुत संतुलित था औत=र जादुई भी क्योंकि रोहिणी मदहोश होने लगी थी | रीमा रोहिणी की चूत रगड़ते रगड़ते उसके चुताड़ो की दरारों में घुस गयी और उसके पिछले छेद को साफ़ करने लगी | रोहिणी का छेद रीमा के इतना इस्पाती कसावट तो नहीं लिए था फिर भी उसमे गजब की कसावट थी | रीमा ने उसकी कसावट और प्रतिरोध को धराशायी करते हुए अपनी उंगली उसमे घुसेड दी | अब चिहुंकने की बारी रोहिणी की थी क्योंकि रीमा ने बिना देर किये दूसरी उंगली भी घुसा दी | उसके बाद अन्दर बाहर करने लगी | जब उसे सुरंग का मुहाना खुलता दिखने लगा तो उसने हैण्झड शावर के झरने का सर छेद से सटा दिया और उसकी पिछली सुरंग को पानी से भरने लगी | उसके बाद शावर हटाकर उसके छेद के सख्त छल्ले के गुलाबी मुहाने पर अपना स्क्रबर और उंगली दोनों बारी बारी से रगड़ने लगी | रोहिणी इस जादुई कलात्मक स्पर्श से कामुकता की सीढियाँ चढ़ने लगी |
रोहिणी ने दीवार वाला शावर चला दिया | उसके बदन का झाग बहकर नीचे गिरने लगा | रीमा ने अपनी दो उंगलियाँ रोहिणी के पिछवाड़े की सुरंग में और स्क्रबर छोड़ अगले हाथ को रोहिणी के चूत दाने और चूत पर सटा दिया | आगे से चूत दाने पर दबाव डालती और पीछे से उसकी गुलाबी सुरंग के मुहाने के सख्त छल्ले को नरम करने में लगी थी | कुछ देर बाद उसकी उनगलियन रोहिणी की चूत में घुस गयी अब रीमा के एक हाथ की उंगलियाँ चूत चोद रही थी और दूसरा हाथ उसकी पिचली सुरंग के सख्त गेट को नरम कर्केमे लगा था | रोहिणी कुछ देर तक तो कामुकता की बयार में बहती रही लेकिन उसके लिए ये नाकाफी था | उसे तो और ज्यादा की लालसा थी |
रोहिणी - सुन कट्टो मजा नहीं आ रहा, कुछ जोरदार कर न................|
रीमा रोहिणी की बात सुनकर हैरान रह गयी |
रीमा - कितना जोरदार चाहिए दीदी |
रोहिणी - एक मोटे तगड़े लंड जितना, काश तेरे पास लंड होता तो जमकर मजा आता |
रीमा को शरारत सूझी - जीजा जी को जगाऊ | है न उनके पास मोटा तगड़ा |
रोहिणी - चुपकर लंद्खोर, अगर उस कलुये को बुला लिया तो पहले वो तेरी चीखे निकलेगा, समझी, मुझे चोदना तो छोड़ शायद मेरी तरफ देखे भी न | तेरे जिस्म के हुस्न में पगलाया रहता है | मैंने काबू करके रखा है एक बार छोड़ दिया तो सोच ले, कचूमर निकाल देगा तेरा और तेरी चूत का | चलना दूभर हो जायेगा तेरा |
रीमा - दीदी बात बात पर आप जीजा जी के नाम से डराने क्यों लगाती हो मुझे | एक तरफ तो कहती हो तेरा डर दूर करने आई हूँ और दूसरी तरफ ........... |
रोहिणी - अच्छा सॉरी मेरी कट्टो रानी अब कुछ कर, तूने तो आज पिछवाड़े में भी खुजली मचा दी |
रीमा को जग्गू के साथ हुई घटना याद आ गयी |
रीमा हिचकते हुए - दीदी अगर आप काहे तो मेरे पास स्ट्रैप और डिल्डो पड़े है ..............................|
रोहिणी एक दम खुसी से उछाल पड़ी - अरे मेरी गुलाबो चूत रानी, नेकी और पूछ पूछ | लेकर आ तूने तो जैसे प्यास से मरते इंसान को पानी के लिए पूछ लिया हो |
रीमा ने अपना गीला बदन पोछा और कुछ ही देर में एक बड़ा सा रबर का लंड, एक लोशन बोतल और वाइब्रेटर ले आई | रबर के लंड को जल्दी से रोहिणी ने रीमा की कमर में स्ट्रैप बांधकर फिट किया और फिर बाथटब के ऊपर झुक गयी और अपने चूत दाने पर वाइब्रेटर चिपका दिया | रोहिणी पीछे से खेली खाई हुई थी लेकिन पीछे का छेद पीछे का ही होता है, कितने भी लंड उसमे गए हो कोई फर्क नहीं पड़ता | पहली बार खोलने में सबकी हालत ख़राब हो जाती है, कितनी भी खेली खाई गांड हो उस गांड के छेद के कसे हुए बाहरी छल्ले को खोलते समय ऐसा लगता है जैसे किसी ने नस्तर घुसेड़ दिया हो | भीषण दर्द की मार जांघो पिंडलियों चुताड़ो में घर कर जाती है | रोहिणी शुरूआती दर्द के लिए तैयार हो रही थी | उसे फुल वाइब्रेशन में वाइब्रेटर को अपने चूत दाने से सटा लिया | रीमा ने एक पैर बात बाथ टब की कोर पर रखा और एक नीचे | उसने रोहिणी के पिछले छेद में दो उंगलियाँ घुसयिया उर चारो ओर घुमाकर उसे खोलने लगी फिर उसके खुले हुए मामूली से दरवाजे में लोशन की बोतल का मुहाना घुसेड़ दिया और उसकी पिछली गुलाबी सुरंग को लोशन से भर दिया | उसने ढेर सारा लोशन अपने रबर के लंड पर भी लगाया और बिलकुल रोहिणी के पीछे आ गयी और उसकी गांड के कसे हुए गुलाबी छल्ले पर अपना मोटा तगड़ा रबर का लंड सटा दिया | रोहिणी अपनी गांड मरवाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, रीमा ने भी देरी नहीं करी और मोरे रबर लंड को उसकी गांड में पेलना शुरू कर दिया | पहली बार में लंड फिसल गया | रोहिणी बोली - हाथ से कसकर पकड़कर ठेल नहीं टी ऐसे ही रपटता रहेगा |
रीमा ने लंड को कसकर थामा और पूरा जोर लगाकर रोहिणी की गांड के सख्त छेद पर ठेल दिया | रोहिणी की गाड़ भीषण दर्द और जलन से जल उठी | रोहिणी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ माआआआआआआर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र गयी आआआआआआआह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह |
उसकी गांड के सख्त छल्ले की इस्पाती मांसपेशियों बढ़ते दबाव के कारन फैलने लगी, उनसे उठने वाला दर्द से उसके चूतड़ कमर जांघे पिंडलियाँ सब नहा गए | रीमा ने पूरा जोर लगाकर रबर के लंड को छेद से सटाए रखा | गांड के छेद के छल्ले में दरद था लेकिन वो फैलने लगा और रीमा का लंड रोहिणी की गांड में | रोहिणी के जबड़े भिंच गए | रोहिणी दर्द बर्दाश्त करने लगी लेकिन रीमा ने इसका इन्तजार नहीं किया और हल्का सा लंड खीचकर फिर से ठेल दिया | रोहिणी की गांड के मुहाने में बहुत जलन हो रही थी और दर्रीद भी भीषण था लेकिन रीमा नहीं रुकी उसने लंड को अन्मादर बाहर करना जारी रखा उसने चार पांच बार ऐसा किया फिर अपनी कमर हिलाने लगी और इसी के साथ उसका रबर का वो तगड़ा लंड रोहिणी के गांड के छल्ले के हर प्रतिरोध को धराशाही करता हुआ उसकी सुरंग का मर्दन करने लगा |
रोहिणी वाइब्रेटर को कसकर अपने चूत दाने से सटाए हुए थी और अब उसकी गांड में लंड आसनी से आने जाने लगा था | उसके चेहरे की दर्द भरी लकीरे अब गायब हो गयी थी और उसके सख्त भींचे जबड़े अब अपनी पुराणी जगह लौट आये थे | वो सुरुआती दर्द का अहसास अब कम होने लगा था और रोहिणी इस अद्भुद अनोखे वासना के खेल में डूबकर अपनी वर्जित वासनाओं की पूर्ति करने को तैयार थी | उसने रीमा से स्पीड बढ़ाने को कहा | रीमा ने अपनी कमर के झटके तेज कर दिए और रोहिणी के गांड के छेद ने अपना सारा प्रतिरोध छोड़ते हुए उसकी पिचली सुरंग का पूरा मुहाना खोल दिया था | चिकने लोशन से भरी उसकी गांड के छेद में अब रीमा का लंड सटासट जाने लगा | रीमा को भी हर झटके के साथ उसके चूत दाने पर ठोकर लग रही थी और वो भी सिसकारियां ले रही थी | रोहिणी दोनों जांघो को चिपकाये घुटनों के बल खुद को टिकाये रीमा से अपनी वर्जित वासनाओं की पूर्ति करवा रही थी | वो और औरत से अपनी गांड मरवा रही थी | अपनी अप्राकृतिक वासनाए जिनकी वो गुलाम बन चुकी थी उनको पूरा करने को अपने ही छोटे भाई की विधवा से अपनी गांड मरवा रही थी | दोनों ही कराह रही थी एक गांड में होने वाले कामुक तीखे दर्द से दूसरी अपने चूत दाने के मसलने से उठने वाली मीठी कामुक तरंगो से | रोहिणी की गांड में रीमा लंड सटासट जा रहा था | दोनों इस अप्राकृतिक वासना में डूबकर खुद की दबी हुई वासना की कामना के सपने को हकीकत बना रही थी |
रीमा ने बाथरूम की दोहरी कराहों की ख़ामोशी तोड़ी - दीदी कैसा लग रहा है |
रोहिणी बस उस तीखे दर्द और अपनी गांड की दीवारों में रीमा के लंड की लगती ठोकरों से उठने वाली तरंगो के भंवर में डूबी हुई थी | इस वक्त उसे रीमा की ये आवाज किसी कर्कश कोयल की तरह लगी | अभी वो बस गांड मरवाना चाहती थी बस उसका सारा ध्यान वही था, उसमे से निकलने वाले दर्द में था, उसमे से निकलने वाली जलन में था उसमे से निकलने वाली कामुक तरंगो में था जो उसकी चूत की दीवारों में भी पिछली सुरंग में लगने वाली भीषण ठोकरों से निकलने वाली कामुकता की दहसत की तरंगो का कंपन भर रही थी |
रोहिणी दर्द की सिसकारियां भरते हुए - मै तो मखमली सेज पर लेती हूँ और मोर के पंखो से मुझे कोई सहला रहा है और मेरे बदन पर मक्खन की हल्की मालिश कर रहा है | ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग में हूँ |
रीमा की खिलखिलाहट निकल गयी |
रोहिणी चिढ़ती हुई - हां हाँ हंस ले , ले ले मजे, अभी जब मै तेरी चीरूंगी तब देखूँगी | हाथ पाँव पटक पटक कर पूरा मोहल्ला न जगा दे तो कहना | कैसा लग रहा का क्या मतलब है, गांड मार रही है तू मेरी | कभी मरवाई है पहले इससे |
रीमा चुप, उसने कोई जवाब नहीं दिया |
रोहिणी दर्द की सिसकारियो के बीच - अरी हरामन मै तुझसे पूछ रही है करमजली, ऐसे गांड मरवाने के बीच में मुहँ खुलवा रही है कीड़े पड़ेगे तेरी चूत में | बोल न तुझी से पुछा है कभी मरवाई है इससे पहले गांड |
रीमा इतराकर बोली - नहीं, कभी नहीं, ये सब गंदे काम मै नहीं करती |
रोहिणी - गन्दी की बच्ची जब एक मरवाएगी तब तो पता चलेगा इस दर्द में कितना मजा है | आज तक कभी गांड ने जब लंड के दर्शन किये ही नहीं तभी तो बड़ी खिलखिलाहट छूट रही है |
रीमा गंभीर होते हुए - बहुत दर्द हो रहा दीदी, आराम से करू |
रोहिणी उसे डपटते हुए बोली - चुपकर कर करमजली, जो कर रही है वैसे ही करती रह | बहुत बोलती है तू | पक्का है चुदाई के बीच में भी तेरा मुहँ बंद नहीं रहता होगा, जब तक कोई चीखे न निकाल दे |
रीमा सफाई देती हुई बोली - दीदी मै तो बस आपके..........................|
रीमा के धक्के बदस्तूर जारी थे |
रोहिणी - चुपचाप गांड मार मेरी बस | तुझे क्या लगता है मै यहाँ फूलो की सेज पर सो रही हूँ | गांड में 9 इंची मोटा लंड जा रहा है | तू बस इसी तरह पेलती रह | चुदना ही औरत की नियति है | और जब औरत चुदेगी तो दर्द तो होगा ही ये दर्द तो सबको सहना पड़ता है, जब गांड में जाता है तो और ज्यादा दर्द होता है | जब झटके लगेगे तो दर्द तो होगा ही मीठा तो या कड़वा | यही दर्द में ही तो मजा है री करमजली | रीमा ने झटको की स्पीड बढ़ा दी | रीमा और गहराई तक रोहिणी की गांड ,में लंड पेलने लगी | रोहिणी का दर्द और सिसकारियां भी तेज हो गयी | उसके चूत दाने में हो रहे वाइब्रेशन से उसकी चूत पहले ही गीली हो चुकी थी | अब रोहिणी पूरी तरह से वासना में डूब चुकी थी | उसकी आवाज में कंपकपाहट थी और उसके शरीर भी स्थिर नहीं था | रीमा ने अपनी हाथो से कसकर उसे थामा और दनादन उसकी गांड में रबर का लंड पेलने लगी | रोहिणी के मुहँ से दर्द भरी सिसकारियां फूटने लगी | रीमा समझ गयी अब बस दीदी जल्दी ही अकड़ने वाली है | उसके अपने एक हाथ को उनके चूत पर रख दिया और उनकी चूत में अपनी उंगलियाँ घुसेड दी | बेतहाशा तेजी के साथ उनकी चूत चोदने लगी | रोहिणी के दोनों छेदों में बाहर से हमला जारी था | उसकी चूत की दीवारों में भी कम्पन तेज हो गए थे | रीमा के लंड की ठोकरों से चूत की दीवारे पानी पानी हो रही थी
रोहिणी और रीमा दोनों तेजी से हांफ रही थी | रीमा इसलिए हांफ रही थी क्योंकि उसे ठोकर मार कर लंड रोहिणी की सख्त गाड़ में पेलना पड़ रहा था और रीमा का लंड इतनी तेजी से रोहिणी की गांड में आ जा रहा था की उसकी सांसे खुदबखुद तेज हो गयी थी | रीमा के लंड के करारे झटको से आखिर रोहिणी बिखर ही गयी | उसकी चूत की दीवारे झरना बनकर बहने लगी | उसका शरीर तेजी से कांपने लगा, उसकी गांड में एक अग्ग तरह की सनसनाहट दौड़ रही थी जो उसकी जांघ और कमर दोनों ही हिलाए पड़ी थी | उसके मुहँ से इस चरम सुख की तेज आवजे निकल रही थी | उसका पूरा शरीर अकड़ गया और फिर ढीला पड़ता चला गया | उसके हाथ पाँव सब की ताकत जैसे ख़तम हो गयी | रोहिणी निढाल हो गयी | रीमा ने उसे कसकर जकड लिया नहीं तो बाथटब में गिर जाती | रीमा का लंड अभी भी उसकी गाड़ में धंसा था | उसने गर्दन घुमाकर रीमा के ओंठो पर अपने ओंठ रख दिए | ये रीमा को एक थैंक्यू मेसेज था |
रोहिणी को शावर के नीचे आते देख रीमा बाथ टब में जाकर बैठ गयी और रोहिणी रीमा की जगह आ गयी और खुद को धोने लगी | रीमा ने बाथटब के नल खोल दिए ताकि उसमे पानी भर सके और उसी में बैठ गयी, रोहिणी के मसलते बदन को पानी से भीगते बदन को देखने लगी | इधर नीद का एक स्लॉट पूरा कर चुके अनिल की आंखे अचानक खुल गयी | उनकी बीबी रीमा के कमरे में रीमा के बिस्तर पर थी, उन्हें पक्का पता था रोहिणी कुछ न कुछ खुराफात ही उसे सिखा रही होगी, यही देखने की लालसा में उठकर रीमा के बेडरूम तक आये लेकिन निराशा हाथ लगी | खिड़की दरवाजे सब पूरी तरह से बंद थे लेकिन कमरे के अन्दर की लाइट जल रही थी | अनिल समझ गए रोहिणी ने कुछ तो जरुर किया है इसी लिए सारे दरवाजे खिड़की सील पैक किये है | वो बाहर बने गेस्ट बाथरूम में चले गए | वहां से निपट कर बिस्तर पर आ गए लेकिन आँखों में नीद नहीं थी | कमरे के अन्दर क्या हो रहा है ये जानने की उत्सुकता था |
इधर रीमा अपनी गोरी चिकनी गुलाबी मखमली चूत को सहलाने लगी थी तभी अचानक खुद के बदन की मसलते धोते रोहिणी के हाथ का शावर जो अभी तक उसके बदन को धो रहा था वो रीमा की तरफ हो गया | रीमा एक दम से चौंक गयी | पानी की ठंडी फुहारों से उसके बदन के रोये खड़े हो गए | रोहिणी शोअवर को उसके सीने पर गिराते गिराते नीचे की तरफ ले आई और उसकी जांघो के बीच स्थित उसके चिकने चूत घाटी के त्रिकोण सफाचट मैदान पर बरसाने लगी जिस पर बालो का कही नामोनिशान नहीं था | उसकी चूत का गुलाबी इलाका और उसकी चूत के मोटे मोटे गुलाबी रंगत की छटा बिखेरते बाहरी ओंठ, अंदरूनी मखमली रेशमी गुलाबी पतली पंखुडियो से दोनों तरफ से घिरा उसकी गुलाबी चूत सुरंग का मखमली मुहाना और उसके शीर्ष पर विराजमान उसकी वासना का केंद्र बिंदु उसका चूत दाना ...... कुछ अलग ही छटा बिखेर रहा था और ऊपर से गिरते पानी के झरने और बदन की गीली गोरी रंगत ने तो जैसे अप्सरा को ही जमीं पर उतार दिया हो | उसके पेडू पर गिरता [पानी उसकी चूत घाटी के त्रिकोण मैदान पर से बहता हुआ दोनों जांघो के किनारे से बहकर नीचे जा रहा था और उसके गरम गांड के छेद को अपनी ठंडक से सरोबार किये हुए था | रीमा की गरम चूत घाटी पर पड़ती पानी की शीतल फुहारे रीमा को स्कीवर्ग पंहुचाने के लिए काफी थी | उसने आनंद में आंखे बंद कर ली | रीमा की आंखे बंद देख रोहिणी ने शावर हटा लिया, रीमा की आंखे खुल गयी |
रीमा - दीदी हटा क्यों लिया कितना अच्छा लग रहा था | करो न फिर से |
रोहिणी अपनी चूत के सामने शावर लगाकर अपनी चूत को धोती हुई बोली- आय हाय मेरी कट्टो रानी को मजा आ रहा था, करूंगी फिर से करूंगी, तब तक करती रहूंगी जब तक तेरी प्यास बुझ नहीं जाती | मै कही नहीं जा रही बिना तेरी प्यास बुझाये |
रीमा - दीदी आप तो एक ही बात को पकड़ कर बैठ जाती हो, मै फाउंटेन शावर की बात कर रही हूँ | बड़ा अच्छा लग रहा था |
रोहिणी - मै भी वही बोल रही थी, तेरे दिमाग में बस वही भरा है तो तू वही समझेगी न | सीधी बात का सीधा मतलब भी होता है | महफ़िल के सारे मजे तेरी गुलाबी मखमली चूत ही क्यों लुटे, कुछ पर इस बेचारी का भी हक़ है (अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए) |
रीमा - दीदी आप मुझे हमेशा अपनी बातो में फंसा लेती हो |
रोहिणी - कोई नहीं जब 15-20 लंड खा लेगी तो तू भी ऐसे ही चंट हो जाएगी बल्कि मै तो कहूँगी मेरी भी नानी बन जाएगी देख लेना |
रीमा बनावटी रूप भिनकने लगी | रोहिणी ने कुछ पल को शावर उसकी तरफ कर लिया फिर अपनी तरफ घुमा लिया | रीमा बाथटब में खड़ी होकर अपने शरीर पर बॉडी क्लीनर लोशन मलने लगी | रोहिणी भी यही करने लगी | दोनों अलग अलग अपने शरीर को साफ़ कर रही थी | पानी से भीगे गीले बदन और बॉडी क्लीनर का झाग | रीमा टब से निकलकर बाहर आ गयी और उसने दीवार में लगे शावर को ऑन कर दिया |
उसके नीचे नहाने लगी | उसने बॉडी स्क्रबर उठाया और खुद को साफ़ करने लगी | गर्दन से लेकर पांव तक उसने अपने शरीर को मल डाला तभी उसका ध्यान रोहिणी की तरफ गया | उसने घूमकर पीछे से रोहिणी के बदन पर ढेर सारा बॉडी क्लीनर लोशन लगा दिया और उसके बदन को मलने लगी | रोहिणी खुद को थाम के खडी हो गया और रीमा के हाथ रोहिणी के बदन पर फिसलने लगे | उसने रोहिणी के बड़े बड़े उरोजो को मलना शुरू किया फिर पेट पीठ जांघे सब मथ डाला | रोहिणी का शरीर पर झाग ही झाग छा गया | फिर रीमा रोहिणी के पीछे गयी और उसके चूतड़ मलने लगी | उसकी चुताड़ो की दरार को स्क्रबर से खूब मल मल कर धोया | उसका एक हाथ रोहिणी की जांघो के बीच में घुस गया | उसकी जांघो के जोड़ की घाटी से लेकर उसकी चूत घाटी तक सब कुछ रीमा मलने लगी | कसकर रगड़कर खूब जोर जोर से मल रही थी | रोहिणी बस खुद को स्थिर किये कड़ी रही | उसे रीमा के नरम हाथो का गीला सुखद स्पर्श बहुत आच्छा लग रहा था | एक औरत ही एक औरत के बदन की नजाकत समझ सकती है | रीमा के हाथ भी उसी नजाकत से रोहिणी की चूत की सफाई कर रहे थे | ना बहुत कठोर न बहुत हलके, उसके हाथो का स्पर्श बहुत संतुलित था औत=र जादुई भी क्योंकि रोहिणी मदहोश होने लगी थी | रीमा रोहिणी की चूत रगड़ते रगड़ते उसके चुताड़ो की दरारों में घुस गयी और उसके पिछले छेद को साफ़ करने लगी | रोहिणी का छेद रीमा के इतना इस्पाती कसावट तो नहीं लिए था फिर भी उसमे गजब की कसावट थी | रीमा ने उसकी कसावट और प्रतिरोध को धराशायी करते हुए अपनी उंगली उसमे घुसेड दी | अब चिहुंकने की बारी रोहिणी की थी क्योंकि रीमा ने बिना देर किये दूसरी उंगली भी घुसा दी | उसके बाद अन्दर बाहर करने लगी | जब उसे सुरंग का मुहाना खुलता दिखने लगा तो उसने हैण्झड शावर के झरने का सर छेद से सटा दिया और उसकी पिछली सुरंग को पानी से भरने लगी | उसके बाद शावर हटाकर उसके छेद के सख्त छल्ले के गुलाबी मुहाने पर अपना स्क्रबर और उंगली दोनों बारी बारी से रगड़ने लगी | रोहिणी इस जादुई कलात्मक स्पर्श से कामुकता की सीढियाँ चढ़ने लगी |
रोहिणी ने दीवार वाला शावर चला दिया | उसके बदन का झाग बहकर नीचे गिरने लगा | रीमा ने अपनी दो उंगलियाँ रोहिणी के पिछवाड़े की सुरंग में और स्क्रबर छोड़ अगले हाथ को रोहिणी के चूत दाने और चूत पर सटा दिया | आगे से चूत दाने पर दबाव डालती और पीछे से उसकी गुलाबी सुरंग के मुहाने के सख्त छल्ले को नरम करने में लगी थी | कुछ देर बाद उसकी उनगलियन रोहिणी की चूत में घुस गयी अब रीमा के एक हाथ की उंगलियाँ चूत चोद रही थी और दूसरा हाथ उसकी पिचली सुरंग के सख्त गेट को नरम कर्केमे लगा था | रोहिणी कुछ देर तक तो कामुकता की बयार में बहती रही लेकिन उसके लिए ये नाकाफी था | उसे तो और ज्यादा की लालसा थी |
रोहिणी - सुन कट्टो मजा नहीं आ रहा, कुछ जोरदार कर न................|
रीमा रोहिणी की बात सुनकर हैरान रह गयी |
रीमा - कितना जोरदार चाहिए दीदी |
रोहिणी - एक मोटे तगड़े लंड जितना, काश तेरे पास लंड होता तो जमकर मजा आता |
रीमा को शरारत सूझी - जीजा जी को जगाऊ | है न उनके पास मोटा तगड़ा |
रोहिणी - चुपकर लंद्खोर, अगर उस कलुये को बुला लिया तो पहले वो तेरी चीखे निकलेगा, समझी, मुझे चोदना तो छोड़ शायद मेरी तरफ देखे भी न | तेरे जिस्म के हुस्न में पगलाया रहता है | मैंने काबू करके रखा है एक बार छोड़ दिया तो सोच ले, कचूमर निकाल देगा तेरा और तेरी चूत का | चलना दूभर हो जायेगा तेरा |
रीमा - दीदी बात बात पर आप जीजा जी के नाम से डराने क्यों लगाती हो मुझे | एक तरफ तो कहती हो तेरा डर दूर करने आई हूँ और दूसरी तरफ ........... |
रोहिणी - अच्छा सॉरी मेरी कट्टो रानी अब कुछ कर, तूने तो आज पिछवाड़े में भी खुजली मचा दी |
रीमा को जग्गू के साथ हुई घटना याद आ गयी |
रीमा हिचकते हुए - दीदी अगर आप काहे तो मेरे पास स्ट्रैप और डिल्डो पड़े है ..............................|
रोहिणी एक दम खुसी से उछाल पड़ी - अरे मेरी गुलाबो चूत रानी, नेकी और पूछ पूछ | लेकर आ तूने तो जैसे प्यास से मरते इंसान को पानी के लिए पूछ लिया हो |
रीमा ने अपना गीला बदन पोछा और कुछ ही देर में एक बड़ा सा रबर का लंड, एक लोशन बोतल और वाइब्रेटर ले आई | रबर के लंड को जल्दी से रोहिणी ने रीमा की कमर में स्ट्रैप बांधकर फिट किया और फिर बाथटब के ऊपर झुक गयी और अपने चूत दाने पर वाइब्रेटर चिपका दिया | रोहिणी पीछे से खेली खाई हुई थी लेकिन पीछे का छेद पीछे का ही होता है, कितने भी लंड उसमे गए हो कोई फर्क नहीं पड़ता | पहली बार खोलने में सबकी हालत ख़राब हो जाती है, कितनी भी खेली खाई गांड हो उस गांड के छेद के कसे हुए बाहरी छल्ले को खोलते समय ऐसा लगता है जैसे किसी ने नस्तर घुसेड़ दिया हो | भीषण दर्द की मार जांघो पिंडलियों चुताड़ो में घर कर जाती है | रोहिणी शुरूआती दर्द के लिए तैयार हो रही थी | उसे फुल वाइब्रेशन में वाइब्रेटर को अपने चूत दाने से सटा लिया | रीमा ने एक पैर बात बाथ टब की कोर पर रखा और एक नीचे | उसने रोहिणी के पिछले छेद में दो उंगलियाँ घुसयिया उर चारो ओर घुमाकर उसे खोलने लगी फिर उसके खुले हुए मामूली से दरवाजे में लोशन की बोतल का मुहाना घुसेड़ दिया और उसकी पिछली गुलाबी सुरंग को लोशन से भर दिया | उसने ढेर सारा लोशन अपने रबर के लंड पर भी लगाया और बिलकुल रोहिणी के पीछे आ गयी और उसकी गांड के कसे हुए गुलाबी छल्ले पर अपना मोटा तगड़ा रबर का लंड सटा दिया | रोहिणी अपनी गांड मरवाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, रीमा ने भी देरी नहीं करी और मोरे रबर लंड को उसकी गांड में पेलना शुरू कर दिया | पहली बार में लंड फिसल गया | रोहिणी बोली - हाथ से कसकर पकड़कर ठेल नहीं टी ऐसे ही रपटता रहेगा |
रीमा ने लंड को कसकर थामा और पूरा जोर लगाकर रोहिणी की गांड के सख्त छेद पर ठेल दिया | रोहिणी की गाड़ भीषण दर्द और जलन से जल उठी | रोहिणी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ माआआआआआआर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र गयी आआआआआआआह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह |
उसकी गांड के सख्त छल्ले की इस्पाती मांसपेशियों बढ़ते दबाव के कारन फैलने लगी, उनसे उठने वाला दर्द से उसके चूतड़ कमर जांघे पिंडलियाँ सब नहा गए | रीमा ने पूरा जोर लगाकर रबर के लंड को छेद से सटाए रखा | गांड के छेद के छल्ले में दरद था लेकिन वो फैलने लगा और रीमा का लंड रोहिणी की गांड में | रोहिणी के जबड़े भिंच गए | रोहिणी दर्द बर्दाश्त करने लगी लेकिन रीमा ने इसका इन्तजार नहीं किया और हल्का सा लंड खीचकर फिर से ठेल दिया | रोहिणी की गांड के मुहाने में बहुत जलन हो रही थी और दर्रीद भी भीषण था लेकिन रीमा नहीं रुकी उसने लंड को अन्मादर बाहर करना जारी रखा उसने चार पांच बार ऐसा किया फिर अपनी कमर हिलाने लगी और इसी के साथ उसका रबर का वो तगड़ा लंड रोहिणी के गांड के छल्ले के हर प्रतिरोध को धराशाही करता हुआ उसकी सुरंग का मर्दन करने लगा |
रोहिणी वाइब्रेटर को कसकर अपने चूत दाने से सटाए हुए थी और अब उसकी गांड में लंड आसनी से आने जाने लगा था | उसके चेहरे की दर्द भरी लकीरे अब गायब हो गयी थी और उसके सख्त भींचे जबड़े अब अपनी पुराणी जगह लौट आये थे | वो सुरुआती दर्द का अहसास अब कम होने लगा था और रोहिणी इस अद्भुद अनोखे वासना के खेल में डूबकर अपनी वर्जित वासनाओं की पूर्ति करने को तैयार थी | उसने रीमा से स्पीड बढ़ाने को कहा | रीमा ने अपनी कमर के झटके तेज कर दिए और रोहिणी के गांड के छेद ने अपना सारा प्रतिरोध छोड़ते हुए उसकी पिचली सुरंग का पूरा मुहाना खोल दिया था | चिकने लोशन से भरी उसकी गांड के छेद में अब रीमा का लंड सटासट जाने लगा | रीमा को भी हर झटके के साथ उसके चूत दाने पर ठोकर लग रही थी और वो भी सिसकारियां ले रही थी | रोहिणी दोनों जांघो को चिपकाये घुटनों के बल खुद को टिकाये रीमा से अपनी वर्जित वासनाओं की पूर्ति करवा रही थी | वो और औरत से अपनी गांड मरवा रही थी | अपनी अप्राकृतिक वासनाए जिनकी वो गुलाम बन चुकी थी उनको पूरा करने को अपने ही छोटे भाई की विधवा से अपनी गांड मरवा रही थी | दोनों ही कराह रही थी एक गांड में होने वाले कामुक तीखे दर्द से दूसरी अपने चूत दाने के मसलने से उठने वाली मीठी कामुक तरंगो से | रोहिणी की गांड में रीमा लंड सटासट जा रहा था | दोनों इस अप्राकृतिक वासना में डूबकर खुद की दबी हुई वासना की कामना के सपने को हकीकत बना रही थी |
रीमा ने बाथरूम की दोहरी कराहों की ख़ामोशी तोड़ी - दीदी कैसा लग रहा है |
रोहिणी बस उस तीखे दर्द और अपनी गांड की दीवारों में रीमा के लंड की लगती ठोकरों से उठने वाली तरंगो के भंवर में डूबी हुई थी | इस वक्त उसे रीमा की ये आवाज किसी कर्कश कोयल की तरह लगी | अभी वो बस गांड मरवाना चाहती थी बस उसका सारा ध्यान वही था, उसमे से निकलने वाले दर्द में था, उसमे से निकलने वाली जलन में था उसमे से निकलने वाली कामुक तरंगो में था जो उसकी चूत की दीवारों में भी पिछली सुरंग में लगने वाली भीषण ठोकरों से निकलने वाली कामुकता की दहसत की तरंगो का कंपन भर रही थी |
रोहिणी दर्द की सिसकारियां भरते हुए - मै तो मखमली सेज पर लेती हूँ और मोर के पंखो से मुझे कोई सहला रहा है और मेरे बदन पर मक्खन की हल्की मालिश कर रहा है | ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग में हूँ |
रीमा की खिलखिलाहट निकल गयी |
रोहिणी चिढ़ती हुई - हां हाँ हंस ले , ले ले मजे, अभी जब मै तेरी चीरूंगी तब देखूँगी | हाथ पाँव पटक पटक कर पूरा मोहल्ला न जगा दे तो कहना | कैसा लग रहा का क्या मतलब है, गांड मार रही है तू मेरी | कभी मरवाई है पहले इससे |
रीमा चुप, उसने कोई जवाब नहीं दिया |
रोहिणी दर्द की सिसकारियो के बीच - अरी हरामन मै तुझसे पूछ रही है करमजली, ऐसे गांड मरवाने के बीच में मुहँ खुलवा रही है कीड़े पड़ेगे तेरी चूत में | बोल न तुझी से पुछा है कभी मरवाई है इससे पहले गांड |
रीमा इतराकर बोली - नहीं, कभी नहीं, ये सब गंदे काम मै नहीं करती |
रोहिणी - गन्दी की बच्ची जब एक मरवाएगी तब तो पता चलेगा इस दर्द में कितना मजा है | आज तक कभी गांड ने जब लंड के दर्शन किये ही नहीं तभी तो बड़ी खिलखिलाहट छूट रही है |
रीमा गंभीर होते हुए - बहुत दर्द हो रहा दीदी, आराम से करू |
रोहिणी उसे डपटते हुए बोली - चुपकर कर करमजली, जो कर रही है वैसे ही करती रह | बहुत बोलती है तू | पक्का है चुदाई के बीच में भी तेरा मुहँ बंद नहीं रहता होगा, जब तक कोई चीखे न निकाल दे |
रीमा सफाई देती हुई बोली - दीदी मै तो बस आपके..........................|
रीमा के धक्के बदस्तूर जारी थे |
रोहिणी - चुपचाप गांड मार मेरी बस | तुझे क्या लगता है मै यहाँ फूलो की सेज पर सो रही हूँ | गांड में 9 इंची मोटा लंड जा रहा है | तू बस इसी तरह पेलती रह | चुदना ही औरत की नियति है | और जब औरत चुदेगी तो दर्द तो होगा ही ये दर्द तो सबको सहना पड़ता है, जब गांड में जाता है तो और ज्यादा दर्द होता है | जब झटके लगेगे तो दर्द तो होगा ही मीठा तो या कड़वा | यही दर्द में ही तो मजा है री करमजली | रीमा ने झटको की स्पीड बढ़ा दी | रीमा और गहराई तक रोहिणी की गांड ,में लंड पेलने लगी | रोहिणी का दर्द और सिसकारियां भी तेज हो गयी | उसके चूत दाने में हो रहे वाइब्रेशन से उसकी चूत पहले ही गीली हो चुकी थी | अब रोहिणी पूरी तरह से वासना में डूब चुकी थी | उसकी आवाज में कंपकपाहट थी और उसके शरीर भी स्थिर नहीं था | रीमा ने अपनी हाथो से कसकर उसे थामा और दनादन उसकी गांड में रबर का लंड पेलने लगी | रोहिणी के मुहँ से दर्द भरी सिसकारियां फूटने लगी | रीमा समझ गयी अब बस दीदी जल्दी ही अकड़ने वाली है | उसके अपने एक हाथ को उनके चूत पर रख दिया और उनकी चूत में अपनी उंगलियाँ घुसेड दी | बेतहाशा तेजी के साथ उनकी चूत चोदने लगी | रोहिणी के दोनों छेदों में बाहर से हमला जारी था | उसकी चूत की दीवारों में भी कम्पन तेज हो गए थे | रीमा के लंड की ठोकरों से चूत की दीवारे पानी पानी हो रही थी
रोहिणी और रीमा दोनों तेजी से हांफ रही थी | रीमा इसलिए हांफ रही थी क्योंकि उसे ठोकर मार कर लंड रोहिणी की सख्त गाड़ में पेलना पड़ रहा था और रीमा का लंड इतनी तेजी से रोहिणी की गांड में आ जा रहा था की उसकी सांसे खुदबखुद तेज हो गयी थी | रीमा के लंड के करारे झटको से आखिर रोहिणी बिखर ही गयी | उसकी चूत की दीवारे झरना बनकर बहने लगी | उसका शरीर तेजी से कांपने लगा, उसकी गांड में एक अग्ग तरह की सनसनाहट दौड़ रही थी जो उसकी जांघ और कमर दोनों ही हिलाए पड़ी थी | उसके मुहँ से इस चरम सुख की तेज आवजे निकल रही थी | उसका पूरा शरीर अकड़ गया और फिर ढीला पड़ता चला गया | उसके हाथ पाँव सब की ताकत जैसे ख़तम हो गयी | रोहिणी निढाल हो गयी | रीमा ने उसे कसकर जकड लिया नहीं तो बाथटब में गिर जाती | रीमा का लंड अभी भी उसकी गाड़ में धंसा था | उसने गर्दन घुमाकर रीमा के ओंठो पर अपने ओंठ रख दिए | ये रीमा को एक थैंक्यू मेसेज था |